बच्चों का समय समय पर चिंतित (worried) या बेचैन (anxious) महसूस करना सामान्य है जैसे जब वो स्कूल या नर्सरी जाना शुरू कर रहे हों, या फिर किसी नई जगह जा रहे हों।
बच्चों का समय समय पर चिंतित (worried) या बेचैन (anxious) महसूस करना सामान्य है जैसे जब वो स्कूल या नर्सरी जाना शुरू कर रहे हों, या फिर किसी नई जगह जा रहे हों।
घबराहट, बेचैनी की ही एक अवस्था है जैसे कि डर या चिंता, ये किसी बदलाव या तनावपूर्ण घटना के प्रति बच्चे की प्रतिक्रिया है।
लेकिन कुछ बच्चों में यह घबराहट उनके व्यवहार और विचारों को दैनिक आधार पर प्रभावित करती है, उनके स्कूल, घर और सामाजिक जीवन में हस्तक्षेप करती है। ऐसी अवस्था में स्थिति के और गंभीर होने के पहले उसे संभालने के लिए आपको किसी पेशेवर की मदद लेनी पड़ सकती है।
तो आपको कैसे पता चलेगा कि आपके बच्चे में घबराहट किस स्तर तक पहुँच चुकी है?
घबराहट बच्चे को डरा हुआ, घबराया हुआ, व्याकुल या शर्मिंदा महसूस करवा सकती हैं।
आपके बच्चे ये कुछ संकेत हैं जिसपर ध्यान देना चाहिए:
हो सकता है कि आपके बच्चे कि उम्र इतनी न हो कि वो ऐसा क्यों महसूस कर रहे हैं ये समझ सकें।
एंग्जायटी की वजह (यदि कोई है) तो बच्चे की उम्र के आधार पर अलग-अलग होगी। छोटे बच्चों में अलग होने की चिंता (Separation anxiety)आम है, जबकि बड़े बच्चे और किशोर स्कूल के प्रदर्शन, रिश्तों या स्वास्थ्य के बारे में अधिक चिंता करते हैं।
बच्चों और किशोरों में एंग्जायटी के आम प्रकार नीचे समझाए गए हैं-
किसी विशेष चीज के बारे में भय या फोबिया (A fear or phobia about something specific)
बच्चे आमतौर पर राक्षस, कुत्ते या पानी जैसी चीजों से डरते हैं। यह बड़े होने का एक बिल्कुल सामान्य हिस्सा है, लेकिन जब डर बढ़ जाता है और आपके बच्चे के दिन-प्रतिदिन के जीवन को प्रभावित करता है, तो यह फोबिया (एक प्रकार का चिंता विकार) बनने की क्षमता रखता है।
फोबिया (phobia) के बारे में पढ़ें।
बच्चों में बार बार डर और चिंता होना सामान्य है, लेकिन कुछ चिंतित बच्चे लंबे वक्त तक रहने वाली स्थिति को बड़े होने के बाद विकसित कर लेते हैं, जिसे किशोर या युवा वयस्कों में सामान्य एंग्जायटी विकार (generalised anxiety disorder) कहा जाता है।
सामान्य एंग्जायटी डिसऑर्डर (Generalised anxiety disorder) की वजह से आप किसी एक विशेष घटना के बजाय कई प्रकार की स्थितियों और मुद्दों बारे में चिंतित महसूस करते हैं।
इससे प्रभावित लोग ज्यादातर समय चिंतित महसूस करते हैं, और अक्सर उन्हे ये याद करने में संघर्ष करना पड़ता है कि आखिरी बार उन्हे कब आराम महसूस कर हुआ था।
सामान्य एंग्जायटी डिसऑर्डर (Generalised anxiety disorder) के बारे में और पढ़ें।
अलगाव की चिंता (separation anxiety) का अर्थ है कि बच्चा अपने पैरेंट्स या देखभालकर्ता के साथ ना रह पाने के कारण चिंतित है।
यह छोटे बच्चों में आम है, और आम तौर पर लगभग छह महीने की उम्र में विकसित होता है। ये बच्चों को नर्सरी, स्कूल में प्ले स्कूल में असहज बना सकता है, और उन्हें सहज होने मीन ज़्यादा वक़्त लग सकता है।
बड़े बच्चों में अलगाव की चिंता (Separation anxiety) एक संकेत हो सकती है कि वे किसी चीज़ के बारे में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं - उदाहरण के लिए, वे घर पर होने वाले परिवर्तनों पर प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
सोशल एंग्जायटी मतलब सार्वजनिक जगहों में न जाना, दोस्तों से मिलने या गतिविधियों में भाग ना लेने की चाहत होना।
सामाजिक ‘शर्म’ कुछ बच्चों और किशोरों में पूरी तरह से सामान्य है, लेकिन ये एक परेशानी बन जाती है - सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर - जब रोज़मर्रा की गतिविधियाँ जैसे शॉपिंग या फोन पर बात करना तीव्र, शक्तिशाली भय का कारण बनते हैं। इससे प्रभावित बच्चे कुछ ऐसा करने या कहने से डरते हैं जो उन्हें लगता है कि अपमान जनक होगा।
सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर बड़े बच्चों को प्रभावित करने की ओर बढ़ती है जो युवावस्था से गुज़र चुके हैं।
सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर के बारे में और पढ़ें।
कुछ बच्चे स्कूल जाने, स्कूल के काम, दोस्ती या अन्य लोगों द्वारा परेशान किए जाने के बारे में चिंतित हो जाते हैं खासकर तब जब वो स्कूल या क्लास बदल रहे हो।
वो हमेशा आपके साथ अपनी चिंताएं नहीं बांट सकते हैं बल्कि उसके स्थान पर वो पेट दर्द या बीमार होने की शिकायत करेंगे। इसके चिन्हों में से एक रोना या सुबह थका हुआ महसूस करना है।
अगर ये विशेष रूप से उनकी रोज़मर्रा की ज़िदंगी को प्रभावित कर रही हो तो ये एक समस्या हो सकती है जिसका सामना करने की ज़रूरत है (नीचे देखे)।
पोस्ट- ट्रॉमैटिक स्ट्रैस डिसऑर्डर (किसी भयानक घटना के बाद होने वाला तनाव) और ओबसेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर (OCD) अन्य एंग्जायटी डिसऑर्डर हैं जो कभी कभी बच्चों को प्रभावित कर सकते हैं लेकिन व्यस्कों में अक्सर देखे जाते हैं।
बच्चों में पैनिक अटैक होना दुर्लभ है।
आपके बच्चे की एंग्जायटी के लिए शायद ये प्रोफेशनल मदद पाने का समय है अगर:
लंबे वक्त तक रहने वाली एंग्जायटी आपके बच्चे के पर्सनल विकास, फैमिली लाइफ और स्कूलिंग में गंभीर हस्तक्षेप कर सकती है।
बचपन में शुरू होने वाला एंग्जायटी डिसऑर्डर अक्सर किशोर वर्षों और शुरुआती वयस्कता में बना रहता है। एंग्जायटी डिसऑर्डर वाले किशोरों में क्लीनिकल डिप्रेशन , ड्रग्स का दुरुपयोग करने और आत्महत्या करने की भावना विकसित करने की संभावना अधिक होती है।
इसलिए जितनी जल्दी आप इस परेशानी को समझ जाए आपको मदद लेनी चाहिए।
आपको मदद के लिए कहां जाना चाहिए? (Where should I go for help?)
डॉक्टर को दिखाना (Seeing your doctor)
आप अपने आप या अपने बच्चे के साथ अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं, या आपका बच्चा आपके बिना अपॉइंटमेंट लेने में सक्षम हो सकता है। डॉक्टर को आपकी चिंताओं को सुनना चाहिए और आगे क्या करना है इसके बारे में कुछ सलाह देनी चाहिए।
आपका बच्चा स्थानीय बाल और किशोर मानसिक स्वास्थ्य सेवा में भेजा जा सकता है, जहां कर्मचारियों को कई प्रकार की समस्याओं वाले युवाओं की मदद करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। स्थानीय बाल और किशोर मानसिक स्वास्थ्य सेवा में काम करने वाले प्रोफेशनल्स में मनोवैज्ञानिक, मानसिक चिकित्सक और मनोचिकित्सक शामिल हैं। उन्हे पैरेंट्स औऱ बच्चों की देखभाल करने वालों को भी मदद औऱ सपोर्ट देना चाहिए।
युवा परामर्श सेवाएं (Youth counselling services)
अगर आपका बच्चा डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहता है तो वो स्थानीय युवा परामर्श सेवा से मदद ले सकते हैं।
युवा परामर्श सेवाएं खासतौर पर युवाओं से इस बारे में बात करने के लिए बनाई गईं हैं कि उन्हे क्या परेशान कर रहा है, और उन्हे सलाह देने के लिए।
टेलीफोन या ऑनलाइन हैल्प (Telephone or online help)
टेलीफ़ोन हेल्पलाइन्स या ऑनलाइन सर्विसेज़ बच्चों और जवान लोगों के लिए मददगार हो सकती है, जो शायद ऐसा महसूस करते हैं कि किसी ऐसे इंसान से बात करना आसान है जो उन्हे नहीं जानता है। मैं अधिक जानकारी और सपोर्ट के लिए कहां जा सकता हूं, देखें।
किस तरह का ट्रीटमेंट दिया जाएगा ये आपके बच्चे की एंग्जायटी का कारण क्या है, इस पर निर्भर करेगा।
किसी प्रशिक्षित व्यक्ति से आपके बच्चे को कॉन्फिडेंस में लेकर इस बारे में बात करना कि उन्हे क्या परेशान कर रहा है, मददगार हो सकता है, खासकर जब वो कोई ऐसा हो जिसे वो ना जानते हो।
ये सत्र उन्हे ये समझने मे मदद कर सकते हैं कि उन्हे क्या बेचैन बना रहा है और वो कैसे इस स्थिति से निकल सकते हैं।
संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा (Cognitive behavioural therapy) एक बात चीत की थैरेपी है जो आपके बच्चे के सोचने और व्यवहार करने के तरीके में बदलाव कर, उनकी समस्याओं को मैनेज करने में उनकी मदद कर सकते हैं।
ये उस एंग्जायटी में मदद करने में कारगर सिध्द हुआ है जो गंभीर नहीं है, और आमतौर पर उन युवा लोगों को इसकी सलाह दी जाती है जो चिंतित (बेचैन) है।
आपका बच्चा थेरेपिसट के साथ काम करेगा ताकि वे सोचने के तरीके को बदल सकें और उन स्थितियों का मुकाबला करने के के लिए रणनीति ढूंढ सके जो उन्हे बेचैन(चिंतित) करती है। आमतौर पर 9-20 सत्र लगेंगे।
यह स्पष्ट नहीं है कि सीबीटी (CBT) छह साल से छोटे बच्चों के लिए प्रभावी है या नहीं।
सीबीटी (CBT) के बारे में और जानें
यदि आपके बच्चे की चिंता की समस्या ठीक नहीं हुई है, तो डॉक्टर आपसे दवा इस्तेमाल करने के बारे में बात करेंगे।
एक प्रकार का एंटीडिप्रेसेंट(Antidepressant), जिसे सलैक्टिव सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (एसएसआरआई) (SSRI) कहा जाता है, आपके बच्चे को शांत और चीज़ों के बारे में अलग महसूस करने में मदद कर सकता है।
एंटीडिप्रेसेंट्स (अवसादरोधी) को आमतौर पर सही तरह से काम करने में दो से चार हफ्ते लगते हैं, इसलिए आपको और आपके बच्चे को एकदम से अंतर दिखाई नहीं दे सकेगा।
दुष्प्रभावों के बारे में चिंतित होना स्वाभाविक है। आपका बच्चे को संभावित प्रतिकूल प्रभावों के बारे में पता होना चाहिए ताकि अगर वो हो तो वो आपको और उनके डॉक्टर को बता सके। SSRIs के बारे में और पढ़ें।
यदि कोई बच्चा घबराहट का सामना कर रहा है, तो ऐसा बहुत कुछ है जो माता-पिता और देखभाल करने वाले मदद करने के लिए कर सकते हैं। सबसे पहले, अपने बच्चे से उनकी एंग्जायटी या चिंताओं के बारे में बात करना महत्वपूर्ण है। अपने चिंतित बच्चे की मदद किस तरह करें, इस बारे में हमारी सलाह देखें।
कुछ बच्चे बस अधिक नर्वस और चिंतित पैदा होता है और अन्य बच्चों की तुलना में तनाव का सामना करने के कम काबिल होते है।
एक बच्चे के चिंतित व्यक्तित्व को आंशिक रूप से उन जीन्स द्वारा निर्धारित किया जा सकता है जो उन्हें अपने माता-पिता से विरासत में मिले हैं। चिंतित बच्चों के माता-पिता इन संकेतों को पहचान सकते हैं और जब वे छोटे थे, तो उसी तरह महसूस करना और व्यवहार करना याद कर सकते हैं।
बच्चों में चिंतित व्यवहार चिंतित लोगों के आस-पास रहने से हो सकता है। अगर आप चिंतित हैं कि आपका बच्चा हमारे स्वयं के व्यवहार से प्रभावित हो सकता है, तो आप एंग्जायटी और चिंता के बारे में सलाह देने वाले इन पॉडकास्ट को सुनना चाह सकते हैं और समझा सकते हैं कि आप अपनी चिंता को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।
कुछ बच्चे लगातार होने वाली तनावपूर्ण घटनाओं के बाद भी चिंता विकसित कर सकते हैं। वे इनमें से किसी एक घटना का सामना करने में सक्षम हो सकते हैं, लेकिन कई कठिन घटनाओं का एक साथ सामना करना उनके लिए बहुत अधिक हो सकता है। उदाहरण हैं:
कुछ विशेष स्थितियों वाले बच्चे जैसे कि अटैंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) और ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसऑर्ड्स (autistic spectrum disorders) इन स्थितियों के लक्षण के तौर पर चिंता और घबराहट का अनुभव कर सकते हैं क्योंकि उनके दिमाग़ के काम करने का तरीक़ा अलग होता है।
महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।