एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism)

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परिचय

एस्टिग्मैटिज्म आमतौर पर आँख की एक सामान्य और छोटी बीमारी है जिसके कारण नज़र धुंधली और टेढ़ी हो जाती है।

यह तब होता है जब कॉर्निया या लेंस (cornea or lens) पूरी तरह कर्व आकार में नहीं होता है। ज़्यादातर लोग जो चश्मा पहनते हैं, उनमें कुछ हद तक एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) होता है।

एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) आँख की उस स्थिति से सम्बंधित है जिसे रिफ्रेक्टिव एरर (refractive errors) कहते हैं। अन्य रिफ्रेक्टिव एरर (refractive errors) में ये शामिल हैं

  • निकट दृष्टिदोष, मायोपिया (short sightedness, myopia)
  • दूर दृष्टिदोष, हाइपरमेट्रोपिया (long-sightedness, hypermetropia)

अगर आपको एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) है तो इनमें से एक स्थिति ज़रूर होगी

अनुपचारित छोड़ दिया गया एस्टिगमैटिज्म (astigmatism) सिरदर्द, आंख में खिंचाव और थकान (थकावट) का कारण बन सकता है, खासकर ऐसे कार्य करने के बाद जिनमें लंबे समय तक किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है, जैसे पढ़ना या कंप्यूटर का उपयोग करना।

एस्टिग्मैटिज्म के क्या कारण हैं? (What causes astigmatism?)

एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) आमतौर पर कॉर्निया के अनियमित आकार का परिणाम है। कॉर्निया आँख के सामने की पारदर्शी झिल्ली होती है।

कॉर्निया (cornea) को नियमित रूप से एक फुटबॉल की सतह की तरह घूमा हुआ होना चाहिए लेकिन एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) के मामले में यह वक्र रग्बी बॉल के आकार की तरह अनियमित हो जाता है। इसका मतलब आंख में जो रोशनी आती है वह ठीक से फोकस नहीं कर पाती हैं और धुंधले चित्र का निर्माण करती है।

ज़्यादातर मामलों में एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) जन्म से ही होता है। हालांकि ये कभी-कभी आँख की चोट या आँख के ऑपरेशन के बाद आई परेशानी के कारण भी विकसित होता है।

एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) के कारणों के बारे में और जानें।

एस्टिग्मैटिज्म के प्रकार (Types of astigmatism)

एस्टिगमैटिज्म (astigmatism) दो प्रकार के होते हैं: नियमित और अनियमित

नियमित एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) में कॉर्निया अन्य की अपेक्षा एक दिशा में ज़्यादा घूमा हुआ रहता है। यह अनियमित एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) से अधिक सामान्य है और इसे चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से ठीक किया जा सकता है।

अनियमित एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) में कॉर्निया की वक्रता आँख की सतह से पार भी नहीं होती है। एक ही दिशा में अधिक घूमने की जगह यह कई दिशाओं में घूम सकती है या फिर वक्र नीचे की ओर स्थित हो सकता है।

आँख पर चोट लगने की वजह से कॉर्निया पर चोट के निशान बन जाते हैं, जिसके बढ़ने की वजह से अनियमित एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) होता है। इसे चश्मे से तो नहीं लेकिन कॉन्टेक्ट लेंस से ठीक किया जा सकता है।

एस्टिग्मैटिज्म का पता लगाना (Diagnosing astigmatism)

आँख की सामान्य जांच से एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) का पता लगाया जा सकता है।

यह बहुत ज़रूरी है कि आपकी और आपके बच्चों की आँख की जांच नियमित रूप से हो, क्योंकि कभी-कभी एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) का सालों तक पता नहीं चलता और यह आपके बच्चे और आपके पढ़ने और ध्यान लगाने की क्षमता पर असर डाल सकता है।

एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) का पता लगाने के बारे में और पढ़े।

एस्टिग्मैटिज्म का इलाज (Treating astigmatism)

बहुत से मामलों में एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) के लक्षण बहुत हल्के होते हैं; जिसमें आपकी नजर ठीक करने के लिए इलाज की ज़रूरत नहीं पड़ती है। अगर आपकी नजर विशेष रूप से प्रभावित होती है तो चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस के इस्तेमाल से उसे ठीक कर सकते हैं।

बड़ो में लेजर उपचार की सहायता से भी एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है।

एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) के इलाज के बारे में और पढ़ें।

कारण (Causes)

एस्टिग्मैटिज्म के कारण नज़र में समस्या आंख में खराबी का परिणाम हो सकता है।

यह खराबी आमतौर पर जन्म से रहती है।

आँख काम कैसे करती है (How the eye works)

आँख तीन कार्यशील अंगों से मिलकर बनी होती है। वे ये हैं

  • ऑप्टिकल सिस्टम (optical system) (कॉर्निया और लेंस (cornea and lens) : कॉर्निया और लेंस आँख के सामने होते हैं और कैमरे के लेंस की तरह व्यवहार करते हैं और आंख के अंदर आकर रेटिना (retina) पर चित्र बनाने वाले प्रकाश पर फोकस करते हैं।
  • रेटिना (retina): ये प्रकाश के प्रति संवेदनशील ऊतक की एक झिल्ली होती है, जो आँख के पीछे रहती है; जो प्रकाश और रंग को पहचानकर उसे इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदलती है।
  • ऑप्टिक नर्व (optic nerve): यह एक केबल है जो इलेक्ट्रिकल सिग्नल को रेटिना (retina) से दिमाग (brain) के पास भेजता है; जहां उनकी व्याख्या होती है और उन्हें समझा जाता है।

आमतौर पर कॉर्निया या लेंस के साथ होने वाली समस्याओं के परिणामस्वरूप एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) होता है।

कॉर्निया और लेंस (The cornea and lens)

कॉर्निया (cornea) ऊतक की एक पारदर्शी झिल्ली होती है जो आँख के सामने के भाग को ढकती है और चोट से बचाती है। रेटिना पर आने वाले प्रकाश से जो साफ इमेज बनती है उसके लिए कॉर्निया (cornea) और लेंस भी ज़िम्मेदार होते हैं।

ठीक से काम करने के लिए कॉर्निया को फुटबॉल की सतह के जैसे पूरी तरह वक्राकार होना चाहिए हालांकि एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) में कॉर्निया का आकार रग्बी बॉल के जैसे अनियमित हो जाता है।

जब प्रकाश अनियमित रूप से कर्व्ड कॉर्निया पर पड़ती है, तो यह रेटिना पर ठीक से फोकस नहीं करती है। गलत फोकस इमेज को धुंधला कर देता है जिसकी वजह से हर चीज धुंधली नज़र आने लगती है।

कॉर्निया (cornea) संबंधी समस्या के कारण होने वाले एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) को कोरोनियल एस्टिग्मैटिज्म (corneal astigmatism) कहते हैं।

यही समस्या कभी-कभी लेंस के अनियमित आकार के कारण भी होती है, जब वह प्रकाश को असमान रूप से मोड़ती है। इसे लेंटिकुलर एस्टिग्मैटिज्म (lenticular astigmatism) कहते हैं।

यह ज्ञात नहीं है कि कुछ लोग एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) के साथ क्यों पैदा होते हैं, लेकिन यह एक वंशानुगत तत्व हो सकता है।

अन्य कारण (other causes)

एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) के अन्य संभावित कारणों में ये शामिल हैं

  • कॉर्निया (cornea) की चोट जैसे कि संक्रमण से कॉर्निया पर लगी चोट
  • आँख के ऑपरेशन से कॉर्निया (cornea) में हुआ परिवर्तन
  • केराटोकोनस (keratoconus) और केरेटोग्लोबस (keratoglobus): आँख की स्थिति जिसमें कॉर्निया उभर जाती है, पतली हो जाती है या उसका आकार बदल जाता है
  • कुछ स्थितियां जो पलक पर असर डालती हैं और कॉर्निया (cornea) को बिगाड़ देती हैं।
  • अन्य स्थितियां कॉर्निया (cornea) और लेंस पर असर डालती हैं।

समस्या के कारण का पता लगाना (Diagnosis)

नियमित आंख की जांच से एस्टिग्मैटिज्म का पता लगाया जा सकता है।

नियमित आँख की जांच (Regular eye tests)

ज़्यादातर लोग जो एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) के साथ पैदा हुए हैं, उनके लिए ज़रूरी है कि उनके बच्चों की नियमित रूप से आँख की जांच हो।

बच्चों को पता नहीं चलता कि उनको देखने में कोई समस्या है। अगर उनकी आंखों की नियमित रूप से जांच नहीं होती है तो एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) जैसी स्थितियों का सालों पता नहीं चलता है; जो आंख के ठीक से काम ना करने का कारण बन सकता है।

जिन बच्चों के एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) का इलाज नहीं हुआ है; उन्हें स्कूल में पढ़ने और ध्यान लगाने में समस्या हो सकती है।

जांच के लिए कब जाएं (When to get tested)

आपके बच्चे के जन्म के तुरंत बाद या 72 घंटे के अंदर उसके आँखों की जांच ये देखने के लिए होगी कि कहीं आँखों का कोई विकार तो नहीं है।

जब वे 6-8 हफ्ते के हो जाएंगे, तब उन्हें दूसरी बार आँख की जांच करवानी होगी। जो आमतौर पर आपके डॉक्टर द्वारा किया जाएगा।

जब 5 साल की उम्र में स्कूल जाना शुरू कर दें, उस वक्त भी आपके बच्चे की आँखों की जाँच की जा सकती है। हालाँकि आप कहाँ रहते हैं, ये उसपर निर्भर करता है।

बच्चों के नियमित आँख की जांच के बारे में और पढ़ें।

अगर आपके बच्चों को देखने से संबंधित समस्या है तो उन्हें एक ऑर्थोप्टिस्ट (orthoptist) के पास भेजा जा सकता है। ऑर्थोप्टिस्ट (orthoptist) देखने और दृष्टि के विकास से संबंधित समस्याओं का विशेषज्ञ होता है। वे आमतौर पर लोकल स्वास्थ्य क्लिनिक या आँख के अस्पताल में काम करते हैं।

देखने की समस्या की जांच ऑप्थमॉलजिस्ट (ophthalmologist) (ऐसे डॉक्टर जो आँख की बीमारी का इलाज करने में विशेषज्ञ होते हैं) द्वारा भी की जा सकती है। वे मुख्य रूप से अस्पताल या अस्पताल के नेत्र विभाग में काम करते हैं।

आप एक ऑप्टोमेट्रिस्ट (optometrist) को भी दिखा सकते हैं। ऑप्टोमेट्रिस्ट (optometrist) आंखों की, नज़र की जांच करते हैं, और आपको चश्मे और कॉन्टैक्ट लेंस के लिए सलाह देते हैं। वे आंखों की स्थिति और दृष्टि दोष को पहचानने के लिए प्रशिक्षित होते हैं।

अगर आपके बच्चों की जांच सामान्य रहती है तो उन्हें साल में एक बार आंख की जाँच के लिए नियमित रूप से जाना चाहिए।

बड़ों को हर दो साल में एक बार आँख की जांच करवा लेनी चाहिए। अन्यथा जबतक उनके ऑप्टोमेट्रिस्ट (optometrist) द्वारा सलाह नहीं दी जाए।

एस्टिग्मैटिज्म के लिए जांच (Testing for astigmatism)

अगर आपको लगता है कि आपको एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) है तो कुछ जांच किये जा सकते हैं। विजुअल एक्यूटी जांच (visual acuity test) और केराटोमीटर जांच (keratometer test) दो सामान्य जांच हैं।

विजुअल एक्यूटी टेस्ट (visual acuity test) : विजुअल एक्यूटी टेस्ट (visual acuity test) में आपकी और आपके बच्चे की किसी चीज़ को अलग-अलग दूरी पर रखकर फोकस करने की क्षमता का पता लगाया जाएगा। इसमें आमतौर पर स्नेलेन चार्ट पर अक्षरों को पढ़ना शामिल होता है; जिसमें हर लाइन में अक्षर छोटे होते चले जाते हैं।

केराटोमीटर जांच (keratometer test): केराटोमीटर ( keratometer) नाम का एक यंत्र कोरोनियल एस्टिग्मैटिज्म (corneal astigmatism) की डिग्री को नापता है। ये इसका पता लगाता है कि कॉर्निया (cornea) द्वारा लाईट कैसे फोकस हो रही है और कॉर्निया (cornea) के वक्र में क्या असमानता है।

उपचार (Treatment)

बहुत से मामलों में एस्टिग्मैटिज्म के लक्षण बहुत हल्के होते हैं; जिन्हें इलाज की ज़रूरत नहीं पड़ती है।

अगर इलाज की ज़रूरत हो तो इलाज का प्रकार इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस तरह का एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) (नियमित या अनियमित) है। इलाज आमतौर पर करेक्टिव लेंस (चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस) और लेज़र सर्जरी से होता है।

करेक्टिव लेंस (corrective lens)

करेक्टिव लेंस कॉर्निया के अनियमित वक्र की जगह काम करती है, इसलिए करेक्टिव लेंस से होकर गुजरने वाली रोशनी ठीक से रेटिना पर फोकस होती है। आंख के पीछे ऊतक की प्रकाश-संवेदनशील झिल्ली को रेटिना (retina) कहते हैं।

एस्टिग्मैटिज्म (astigmatism) के इलाज में चश्में और कॉन्टैक्ट लेंस समान रूप से असरदार होते हैं। आप किस तरह का करेक्टिव लेंस उपयोग करेंगे यह आपकी व्यक्तिगत पसन्द और आपके ऑप्टोमेट्रिस्ट (optometrist) की सलाह पर निर्भर करता है।

बच्चे कॉन्टेक्ट लेंस क्यों नहीं लगा सकते हैं, इसकी कोई मेडिकल वजह नहीं है। हालांकि वे इसका इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं, इसका फैसला करने में आपके ऑप्टोमेट्रिस्ट (optometrist) की राय महत्वपूर्ण हो सकती है। 12 साल की उम्र से बड़े बच्चे कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल कर सकते हैं।

हालांकि यह ज़रूरी है कि आपके बच्चे लेंस का इस्तेमाल ठीक से करने में सक्षम हों। उन्हें अपने लेंस से संबंधित किसी भी निर्देश का पालन करने में सक्षम होना चाहिए, जैसे कि उन्हें कब तक इस्तेमाल करना है और कब साफ करना है।

यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनने का चुनाव करते हैं तो आंखों के संक्रमण को रोकने के लिए लेंस की अच्छे से सफाई सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

कॉन्टैक्ट लेंस सुरक्षा के बारे में और पढ़ें।

आँख की लेज़र सर्जरी (Laser eye surgery)

लेज़र सर्जरी में वक्र को बदलने के लिए लेज़र का इस्तेमाल करके कॉर्निया (cornea) के ऊतक का आकार बदलते हैं।

अगर आप आँख की लेज़र सर्जरी करवाने का फैसला कर चुके हैं, तो आपको विशेषज्ञ के पास एक या दो बार जाने की जरूरत पड़ सकती है।

लेज़र सर्जरी के दौरान कॉर्नियल सतह के कोशिका की बाहरी परत को हटाया जाता है। फिर लेज़र का इस्तेमाल ऊतक कप हटाने और कॉर्निया के आकार को बदलने में किया जाता है, उसके बाद कॉर्निया को ठीक होने के लिए छोड़ दिया जाता है। इलाज में आमतौर पर 20 से 30 मिनट लगते हैं।

लेज़र सर्जरी में कई सारे अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल होता है। आपके विशेषज्ञ को आपके साथ हर तकनीक के अच्छे और बुरे पहलू और किसी जोखिम के होने की संभावना के बारे में चर्चा करनी चाहिए। आंख की सर्जरी से जुड़ी जटिलताओं के खतरे कम होते हैं।

आँख की लेज़र सर्जरी के बारे में और पढ़ें।

महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।