अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) (Attention deficit hyperactivity disorder- ADHD)

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अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) क्या है? (What is ADHD?)

अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) व्यवहार से जुड़े लक्षणों का समूह है जिसमें मरीज में एकाग्रता की कमी, अधिक चंचलता और आवेग देखा जाता है।

ADHD के लक्षण कम उम्र में नजर आने लगते हैं और परिस्थितियां बदलने पर बच्चे में इन लक्षणों को अधिक स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है, जैसे कि जब वे स्कूल जाना शुरू करते हैं। ज्यादातर मामलों का निदान तब किया जाता है जब बच्चे 6 से 12 साल के होते हैं।

ADHD के लक्षण आमतौर पर उम्र के साथ सुधरते हैं, लेकिन कम उम्र में इस बीमारी से पीड़ित कई वयस्कों को लगातार इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

ADHD से पीड़ित लोगों को नींद और चिंता की बीमारी जैसी कुछ अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

ADHD के लक्षणों के बारे में और पढ़ें।

सहायता लेना (Getting help)

अधिकांश बच्चे कई चरणों से गुजरते हैं। इस दौरान उन्हें बेचैनी और एकाग्रता की कमी से जूझना पड़ता है। यह आमतौर पर पूरी तरह से सामान्य है और जरूरी नहीं कि वे एडीएचडी से ही पीड़ित हों।

हालाँकि, यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा अपनी उम्र के अन्य बच्चों से अलग व्यवहार करता है तो आपको अपने बच्चे के शिक्षक या स्कूल के कोऑर्डिनेटर के साथ अपनी चिंताओं के बारे में बात करनी चाहिए।

यदि आप वयस्क हैं और आपको लगता है कि आप एडीएचडी से पीड़ित हैं लेकिन बचपन में आपको यह समस्या नहीं थी तो आपको अपने डॉक्टर से बात करना चाहिए।

एडीएचडी के निदान के बारे में और पढ़ें।

एडीएचडी का क्या कारण है? (What causes ADHD?)

एडीएचडी का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह एक आनुवांशिक बीमारी है। रिसर्च में सामान्य लोगों की अपेक्षा एडीएचडी से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में कई तरह के अंतर पाए गए हैं।

एडीएचडी के अन्य कारकों में शामिल हैं:

  • समय से पहले जन्म होना (गर्भावस्था के 37 वें सप्ताह से पहले)
  • जन्म के बाद कम वजन होना
  • गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान, शराब या नशीली दवाओं का सेवन

माना जाता है कि लगभग 2% से 5% स्कूली बच्चों में एडीएचडी हो सकता है।

एडीएचडी किसी भी बौद्धिक क्षमता वाले लोगों में हो सकता है, हालांकि जिन लोगों को सीखने में कठिनाई होती है, उनमें यह अधिक आम है।

एडीएचडी के कारणों के बारे में और पढ़ें।

एडीएचडी का इलाज कैसे किया जाता है? (How ADHD is treated?)

एडीएचडी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन यदि जरूरत पड़ने पर इसे दवा के साथ-साथ माता-पिता और प्रभावित बच्चों को उचित शैक्षिक सहायता, सलाह और सहयोग प्रदान करके नियंत्रित किया जा सकता है।

एडीएचडी से पीड़ित वयस्कों के इलाज के लिए आमतौर पर दवा दी जाती है। हालांकि मनोवैज्ञानिक थेरेपी जैसे कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) से भी काफी मदद मिलती है।

एडीएचडी के इलाज के बारे में और पढ़ें।

एडीएचडी के साथ जीना (Living with ADHD)

एडीएचडी से पीड़ित बच्चे की देखभाल करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन यह ध्यान रखें कि वे खुद से अपने व्यवहार को नहीं बदल सकते हैं।

रोजमर्रा के जीवन में बच्चे को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:

  • बच्चे को रात में सोने में कठिनाई
  • समय पर स्कूल के लिए तैयार होना
  • बातों को सुनने और समझने में
  • व्यवस्थित रहने में
  • सामाजिक आयोजन
  • खरीदारी

एडीएचडी से पीड़ित वयस्कों को भी इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ लोगों को दवाओं, अपराध और रोजगार से जुड़ी समस्या हो सकती हैं।

एडीएचडी के साथ जीने और इस समस्या से निपटने के तरीकों के बारे में पढ़ें।

एडीएचडी के लक्षण (ADHD symptoms)

अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) के लक्षणों को दो प्रकार की व्यवहार से जुड़ी समस्याओं में बांटा जा सकता है।

ये श्रेणियां हैं:

  • एकाग्रता की कमी
  • अति सक्रियता और आवेग

एडीएचडी से पीड़ित अधिकांश लोगों को ये दोनों समस्याएं होती हैं, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है।

जैसे कि इस समस्या से पीड़ित कुछ लोगों को एकाग्रता में कमी का सामना करना पड़ता है लेकिन उन्हें अतिसक्रियता या आवेग का अनुभव नहीं होता है। एडीएचडी के इस रूप को अटेंशन डेफिशिट डिसऑर्डर (ADD) कहा जाता है। एडीडी पर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता है क्योंकि इसके स्पष्ट लक्षण नहीं नजर आते हैं।

बच्चों और किशोरों में लक्षण (Symptoms in children and teenagers)

बच्चों और किशोरों में एडीएचडी के लक्षण अच्छी तरह से नजर आते हैं, और वे आमतौर पर छह साल की उम्र से पहले दिखने लगते हैं। वे एक से अधिक परिस्थितियों में होते हैं, जैसे कि घर पर और स्कूल में।

व्यवहार से जुड़ी समस्या के मुख्य लक्षणों के बारे में नीचे विस्तार से दिया गया है।

एकाग्रता की कमी (Inattentiveness)

एकाग्रता की कमी के मुख्य लक्षण हैं:

  • कम समय तक ध्यान दे पाना और आसानी से विचलित हो जाना
  • लापरवाही से भरी गलतियाँ करना - जैसे कि, स्कूलवर्क में
  • भूलना या चीजों को खोना
  • थकाऊ या समय लेने वाले कामों में मन न लगना
  • बातोंं को सुनने और ग्रहण करने में असमर्थता
  • गतिविधियों और कार्यों में लगातार बदलाव
  • कामों को व्यवस्थित करने में कठिनाई होना

अति सक्रियता और आवेग (Hyperactivity and impulsiveness)

अति सक्रियता और आवेग के मुख्य लक्षण हैं:

  • शांत या सुकून भरे वातावरण में बैठने में परेशानी
  • अधिक चंचलता
  • काम में मन न लगना
  • अधिक शारीरिक हलचल
  • अधिक बात करना
  • अपनी बारी का इंतजार न कर पाना
  • बिना सोचे समझे काम करना
  • बातचीत में बाधा डालना
  • खतरे का कम या कोई आभास न होना

ये लक्षण पीड़ित बच्चे के जीवन में समस्याएं पैदा कर सकते हैं, जैसे कि स्कूल में अच्छा प्रदर्शन न करना, अन्य बच्चों और वयस्कों के साथ खराब सामाजिक व्यवहार और अनुशासन का पालन न करना।

बच्चों और किशोरों में संबंधित समस्याएं (Related conditions in children and teenagers)

हालांकि ऐसा हमेशा ऐसा नहीं होता है, लेकि कुछ बच्चों में एडीएचडी के अलावा अन्य समस्याओं से जुड़े लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे:

  • चिंता की बीमारी- इसके कारण बच्चा हमेशा चिंता करता है और बहुत अधिक समय तक परेशान रहता है। इसके कारण शारीरिक लक्षण जैसे कि दिल की धड़कन बढ़ना, पसीना और चक्कर आना आदि का अनुभव हो सकता है।
  • अपोजिशनल डेफिएंट डिसऑर्डर (ODD)- यह एक नकारात्मक और विध्वंसक व्यवहार है, जो कि माता-पिता और शिक्षक के प्रति देखने को मिलता है।
  • कंडक्ट डिसऑर्डर- इसमें आमतौर पर असामाजिक व्यवहार की प्रवृत्ति देखने को मिलती है, जैसे कि चोरी, लड़ाई, बर्बरता और लोगों या जानवरों को नुकसान पहुंचाना।
  • डिप्रेशन
  • नींद की समस्या - रात में नींद आने में परेशानी और बार-बार नींद खुल जाना
  • ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) - यह सामाजिक संपर्क, संचार, रुचि और व्यवहार को प्रभावित करता है
  • मिर्गी (epilepsy) - यह एक ऐसी स्थिति जो मस्तिष्क को प्रभावित करती है और इससे पीड़ित व्यक्ति को बार-बार चक्कर या दौरे आते हैं
  • टॉरेट सिंड्रोम - यह तंत्रिका तंत्र की एक समस्या है, जिसमें असामान्य शोर और हलचल सुनाई देता है, जिसे टिक्स कहा जाता है
  • सीखने में कठिनाई - जैसे डिस्लेक्सिया

वयस्कों में लक्षण (Symptoms in adults)

वयस्कों में एडीएचडी के लक्षणों को समझना अधिक कठिन है। यह काफी हद तक एडीएचडी से पीड़ित वयस्कों में शोध की कमी के कारण है।

एडीएचडी विकास संबंधी विकार है। माना जाता है कि बचपन के दौरान पहली बार दिखाई दिए बिना यह वयस्कों में विकसित नहीं होता है। लेकिन बचपन में एडीएचडी से पीड़ित व्यक्ति में ये लक्षण किशोरावस्था और फिर वयस्कता तक बने रहते हैं।

एडीएचडी से पीड़ित बच्चों में डिस्लेक्सिया या अवसाद के लक्षण वयस्क उम्र में भी बने रह सकते हैं।

25 वर्ष की उम्र तक लगभग 15% लोग एडीएचडी से पीड़ित पाए जाते हैं। बच्चों में अभी भी लक्षणों की एक पूरी श्रृंखला नजर आती है, और 65% लोगों में अभी भी कुछ लक्षण उनके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करते हैं।

ऊपर दिए गए बच्चों और किशोरों के लक्षणों से एडीएचडी से पीड़ित वयस्क भी प्रभावित होते हैं। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि वयस्कों में एकाग्रता की कमी. अतिसक्रियता और आवेगशीलता का प्रभाव बच्चों से काफी अलग हो सकता है।

जैसे कि, वयस्कों में हाइपरएक्टिविटी कम हो होती है, जबकि दबाव बढ़ने के कारण वयस्कों में एकाग्रता की गंभीर कमी हो जाती है। एडीएचडी से पीड़ित वयस्कों में बचपन की अपेक्षा अब अधिक हल्के लक्षण नजर आते हैं।

कुछ विशेषज्ञों ने वयस्कों में एडीएचडी से जुड़े लक्षणों की सूची तैयार की है:

  • लापरवाही और ध्यान न देना
  • पुराने कार्यों को पूरा करने से पहले नए कार्य शुरू करना
  • संगठनात्मक कौशल की कमी
  • ध्यान केंद्रित करने या प्राथमिकता देने में सक्षम न होना
  • लगातार चीजों को खोना या गलत जगह रखना
  • भूलना
  • बेचैनी और व्याकुलता
  • चुप रहने और बोलने में कठिनाई
  • खराब प्रतिक्रिया देना और अक्सर दूसरों को रोकना टोकना
  • मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और तेज गुस्सा
  • तनाव से निपटने में असमर्थता
  • धैर्य न रख पाना

व्यक्तिगत सुरक्षा या दूसरों की सुरक्षा की परवाह किए बिना जोखिम लेना - जैसे कि, खतरनाक रूप से ड्राइविंग करना

एडीएचडी से पीड़ित वयस्कों में अन्य समस्याएं (Additional problems in adults with ADHD)

ADHD से बच्चों और किशोरों के साथ वयस्कों में कई अन्य समस्याएं हो सकताी हैं।

इनमें से अवसाद एक सबसे आम समस्या है। एडीएचडी से पीड़ित वयस्कों में होने वाली अन्य समस्याएं हैं:

पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर - ऐसी समस्या जिसमें व्यक्ति किसी औसत व्यक्ति से काफी अलग होता है। इसका मतलब यह है कि वह सोचने समझने, नजरिया, भावना, अनुभव और अन्य चीजों में दूसरों से अलग होता है।

बाइपोलर डिसऑर्डर - एक ऐसी स्थिति जो मूड को प्रभावित करती है। इसमें मूड कम या अधिक स्विंग हो सकता है।

ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) - एक ऐसी स्थिति जिसमें जिद और जूनून भरे विचार आते हैं और व्यक्ति काफी हठी व्यवहार करता है

एडीएचडी से जुड़ी व्यवहार संबंधी समस्याएं रिश्तों में परेशानी, सामाजिक संपर्क, ड्रग्स और अपराध जैसी समस्याओं का कारण बन सकती हैं। एडीएचडी से पीड़ित कुछ वयस्कों को नौकरी खोजने और वहां बने रहने में मुश्किल होती है।

एडीएचडी के कारण (Causes of ADHD)

अटेंशन डेफिशिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) का सटीक कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। हालांकि इसके पीछे कई कारकों को जिम्मेदार माना जाता है।

आनुवांशिक (Genetics)

एडीएचडी आनुवांशिक होता है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचता है। ज्यादातर मामलों में, यह माना जाता है कि माता-पिता से मिले जीन के कारण यह समस्या विकसित होने की संभावना बढ़ सकती है।

रिसर्च से पता चलता है कि एडीएचडी से पीड़ित बच्चे के माता-पिता और भाई-बहन दोनों को एडीएचडी होने की संभावना चार से पांच गुना अधिक होती है।

हालाँकि माता-पिता से मिला एडीएचडी काफी जटिल होता है और केवल एक आनुवंशिक दोष से जुड़ा नहीं माना जाता है।

मस्तिष्क की क्रिया और संरचना (Brain function and structure)

रिसर्च में सामान्य लोगों की अपेक्षा एडीएचडी से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में कई अंतर पाए गए हैं। हालांकि इनका सटीक महत्व स्पष्ट नहीं है।

जैसे कि ब्रेन स्कैन से जुड़ी स्टडी में पाया गया है कि कि एडीएचडी से पीड़ित लोगों में मस्तिष्क के कुछ क्षेत्र छोटे हो सकते हैं, जबकि अन्य क्षेत्र बड़े हो सकते हैं।

शोध से यह भी पता चला है कि सामान्य बच्चों की अपेक्षा एडीएचडी से पीड़ित बच्चों के मस्तिष्क को परिपक्व होने में औसतन दो से तीन साल का समय लग सकता है।

अन्य स्टडी में पाया गया है कि एडीएचडी से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में असंतुलन हो सकता है, या रसायन ठीक तरह से काम नहीं कर सकता है।

अन्य संभावित कारण (Other possible causes)

इसके अलावा कई अन्य कारकों से भी एडीएचडी की समस्या पैदा हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  • समय से पहले जन्म होना (गर्भावस्था के 37 वें सप्ताह से पहले)
  • जन्म के बाद वजन कम होना
  • गर्भाशय में या जन्म के एक वर्ष के भीतर मस्तिष्क डैमेज होना
  • गर्भवती होने के बाद शराब पीना, धूम्रपान करना या नशीली दवाओं का सेवन करना
  • कम उम्र में अधिक विषाक्त पदार्थों के संपर्क में रहना

हालांकि, इनमें से सभी कारकों से एडीएचडी नहीं होता है। एडीएचडी में इनकी भूमिका को जानने के लिए अधिक रिसर्च की आवश्यकता है।

एडीएचडी का निदान (Diagnosing ADHD)

यदि आपको लगता है कि आपको या आपके बच्चे को अटेंशन डेफिशिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) है, तो आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

यदि आप अपने बच्चे को लेकर चिंतित हैं और उसके असामान्य व्यवहार के बारे में जानना चाहते हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करने से पहले बच्चे के शिक्षकों से बात करने से आपको काफी मदद मिल सकती है।

डॉक्टर औपचारिक रूप से एडीएचडी का निदान नहीं करते हैं, लेकिन वे आपकी चिंताओं पर बात जरूर कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर वे आपको विशेषज्ञ के पास भी भेज सकते हैं।

डॉक्टर के पास जाने पर वे आपसे निम्न सवाल पूछ सकते हैं:

  • लक्षणों या आपके बच्चे के बारे में
  • ये लक्षण कब शुरू हुए
  • लक्षण कहां दिखते हैं - जैसे कि घर पर या स्कूल में
  • क्या लक्षण आपके या आपके बच्चे के रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करते हैं - जैसे कि, यदि आपको सामाजिक रूप से कठिनाई होती हो
  • क्या आपके या आपके बच्चे के जीवन में हाल ही में कोई घटना जैसे कि परिवार में मृत्यु या तलाक हुई है
  • क्या एडीएचडी का पारिवारिक इतिहास है
  • आप या आपके बच्चे में किसी भी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों के बारे में

अगला कदम (Next steps)

यदि आपके डॉक्टर को लगता है कि आपके बच्चे को एडीएचडी हो सकता है, तो वे सबसे पहले लगभग 10 हफ्तों तक चलने वाले "वॉचफुल वेटिंग" पीरियड का सुझाव देंगे। इससे यह देखने में मदद मिलती है कि आपके बच्चे के लक्षणों में सुधार हो रहा है, लक्षण वैसे ही बने हैं या और बदतर हो रहे हैं। वे आपको अपने बच्चे की मदद करने के तरीके सिखाने के लिए पैरेंट ट्रेनिंग या शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने का सुझाव भी दे सकते हैं (अधिक जानकारी के लिए एडीएचडी का इलाज देखें)

यदि आपके बच्चे के व्यवहार में सुधार नहीं होता है, और आप और आपके डॉक्टर को लगता है कि ये लक्षण बच्चे के रोजमर्रा के जीवन को गंभीरता से प्रभावित कर रहे हैं, तो डॉक्टर आपको और आपके बच्चे को औपचारिक मूल्यांकन के लिए विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं (नीचे देखें)

एडीएचडी से पीड़ित वयस्कों में डॉक्टर लक्षणों का आकलन करते हैं और आपको आकलन के लिए आगे रेफर कर सकते हैं, यदि:

  • बचपन में आप एडीएचडी से पीड़ित नहीं रहे हों, लेकिन आपके लक्षण बचपन के दौरान शुरू हुए और तब से अभी तर चल रहे हैं
  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को इन लक्षणों का कारण नहीं माना जा सकता।
  • ये लक्षण आपके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं - जैसे कि, यदि काम में खराब प्रदर्शन या अंतरंग संबंधों में परेशानी
  • यदि आप बचपन या वयस्कता में एडीएचडी से पीड़ित रहे हैं और अब आपके लक्षण आपके कार्यों को मध्यम या गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं तो आपको विशेषज्ञ के पास रेफर किया जा सकता है।

मूल्यांकन (Assessment)

आपको या आपके बच्चे को औपचारिक मूल्यांकन के लिए कई अलग-अलग विशेषज्ञों के पास भेजा जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • बाल या वयस्क मनोचिकित्सक
  • बाल रोग विशेषज्ञ (बच्चों के स्वास्थ्य में विशेषज्ञ)
  • एडीएचडी में विशेषज्ञता हासिल लर्निंग डिसेबिलिटी स्पेशलिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता या व्यावसायिक थेरेपिस्ट

आपको किसके पास भेजा जाएगा, यह आपकी उम्र और आपके स्थानीय क्षेत्र में उपलब्ध विशेषज्ञ पर निर्भर करता है।

आप या आपका बच्चा एडीएचडी से पीड़ित है या नहीं, इसका निदान करने के लिए कोई सरल परीक्षण मौजूद नहीं है। लेकिन विशेषज्ञ विस्तार से मूल्यांकन करने के बाद सटीक निदान कर सकते हैं जिसमें शामिल हैं:

शारीरिक परीक्षण, जिसमें लक्षणों के अन्य संभावित कारणों को जानने में मदद मिलती है।

आपके या आपके बच्चे के साथ कई बार इंटरव्यू

अन्य महत्वपूर्ण लोगों से साक्षात्कार या रिपोर्ट, जैसे कि पार्टनर, माता-पिता और शिक्षक

बच्चों, किशोरों और वयस्कों में एडीएचडी का निदान करने के मानदंड नीचे दिए गए हैं।

बच्चों और किशोरों में निदान (Diagnosis in children and teenagers)

बच्चों में एडीएचडी का निदान करना सख्त मानदंडों के एक सेट पर निर्भर करता है। एडीएचडी का निदान करने के लिए आपके बच्चे में एकाग्रता की कमी से जुड़े छह या इससे अधिक लक्षण, या अतिसक्रियता और आवेग से जुड़े छह या अधिक लक्षण होने चाहिए।

एडीएचडी के लक्षणों के बारे में और पढ़ें।

एडीएचडी का निदान करने के लिए, आपके बच्चे में निम्न लक्षण दिखने चाहिए:

  • कम से कम छह महीने लगातार लक्षण दिखना
  • 12 साल की उम्र से पहले लक्षण दिखाना शुरू होना

कम से कम दो अलग-अलग स्थिति में लक्षण नजर आना - जैसे कि, घर पर और स्कूल में, इस संभावना को गलत ठहराने के लिए कि शिक्षकों या माता-पिता के नियंत्रण के कारण बच्चा ऐसी प्रतिक्रिया करता है

ऐसे लक्षण जो सामाजिक, शैक्षणिक या व्यावसायिक स्तर पर उनके जीवन को अधिक कठिन बनाते हैं

ऐसे लक्षण जो केवल डेवलपमेंटल डिसऑर्डर या कठिन चरण का हिस्सा नहीं हैं बल्कि और किसी अन्य समस्या के लिए भी बेहतर नहीं हैं

वयस्कों में निदान (Diagnosis in adults)

वयस्कों में एडीएचडी का निदान करना अधिक कठिन है क्योंकि बच्चों और किशोरों के निदान के लिए उपयोग किए जाने वाले लक्षणों की सूची वयस्कों पर भी लागू होती है, इस बारे में अलग-अलग मत हैं।

कुछ मामलों में यदि एडीएचडी से पीड़ित बच्चों की तरह एक वयस्क एकाग्रता की कमी से जुड़े पांच या इससे अधिक लक्षण या अतिसक्रियता और आवेग से जुड़े पांच या अधिक लक्षणों से पीड़ित है तो उसमें एडीएचडी का निदान किया जा सकता है।

मूल्यांकन के दौरान विशेषज्ञ आपके वर्तमान लक्षणों के बारे में पूछेंगे। हालांकि वर्तमान नैदानिक ​​दिशानिर्देशों के तहत वयस्कों में एडीएचडी के निदान की पुष्टि नहीं की जा सकती है जब तक कि उनमें वे लक्षण बचपन से मौजूद न हों।

यदि आपको यह याद नहीं है कि बचपन में आपको यह समस्या थी या नहीं, या आपके बड़े होने के बाद एडीएचडी का निदान नहीं किया गया था तो आपके विशेषज्ञ आपके पुराने स्कूल रिकॉर्ड देखने या अपने माता-पिता, शिक्षकों या किसी और से बात करने के लिए बुला सकते हैं।

वयस्क में एडीएचडी का निदान करने के लिए उनके लक्षणों का उनके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर भी मध्यम प्रभाव होना चाहिए, जैसे:

  • काम या पढ़ाई में खराब प्रदर्शन
  • खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना
  • दोस्त बनाने में कठिनाई
  • पार्टनर के साथ संबंधों में कठिनाई

यदि आपको ये समस्याएं वर्तमान में हो रही हैं और अतीत से इनका कोई संबंध नहीं है, तो आपको एडीएचडी से पीड़ित नहीं माना जाएगा। क्योंकि वर्तमान में इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वयस्क होने के बाद एडीएचडी पहली बार विकसित हो सकता है।

एडीएचडी का इलाज (Treating ADHD)

अटेंशन डेफिशिट हाइपरएक्टिविटी (एडीएचडी) के इलाज से लक्षणों को दूर करने में मदद मिलती है और दैनिक जीवन में समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।

एडीएचडी का इलाज दवा या थेरेपी से किया जाता है। लेकिन दोनों का एक साथ इस्तेमाल सबसे अच्छा विकल्प साबित होता है।

इस बीमारी का इलाज आमतौर पर बाल रोग विशेषज्ञ या मनोचिकित्सक द्वारा किया जाता है। हालांकि स्थिति की निगरानी डॉक्टर द्वारा की जा सकती है।

दवा (Medication)

एडीएचडी के इलाज के लिए पाँच प्रकार की दवाएँ उपलब्ध हैं:

  • मिथाइलफेनिडेट
  • डेक्साम्फेटामिन
  • लिस्डेक्सामफेटामिन
  • ऐटोमॉक्सेटिन
  • गुआनफेसिन

ये दवाएं एडीएचडी का स्थायी इलाज नहीं हैं, लेकिन ये एकाग्रता बढ़ाने, आवेगी को कम करने, शांति प्रदान करने और नए कौशल सीखने और अभ्यास करने में मदद कर सकती हैं।

कुछ दवाओं को नियमित लेने की आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ को स्कूल के दिनों में ही लिया जा सकता है। आगे दवा की जरूरत है या नहीं, यह जानने के लिए कभी-कभी दवा के सेवन को बंद भी करना पड़ सकता है।

यूके में बच्चों और किशोरों में इन सभी दवाओं के उपयोग के लिए लाइसेंस दिया जाता है। बचपन में एडीएचडी से पीड़ित वयस्कों में एटोमॉक्सेटिन के उपयोग के लिए भी लाइसेंस प्राप्त है।

यदि वयस्क होने तक आपमें एडीएचडी का निदान नहीं किया गया था, तो आपके डॉक्टर और विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा कर सकते हैं कि कौन सी दवाएं और थेरेपी आपके लिए उपयुक्त हैं।

यदि आपको या आपके बच्चे को इन दवाओं में से किसी एक का सेवन करने के लिए कहा जाता है, तो आपको पहले छोटी खुराक दी जाएगी, जिसे बाद में धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है। आपको या आपके बच्चे को नियमित जांच के लिए डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता होगी। इससे यह पता लगाने में आसानी होगी कि इलाज प्रभावी ढंग से काम कर रहा है या नहीं। साथ ही दवा के दुष्प्रभाव या समस्याओं के संकेत की भी जांच की जा सकती है।

आपके विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा करेंगे कि आपको इलाज कब तक जारी रखना चाहिए लेकिन, कई मामलों में इलाज तब तक जारी रखा जाता है जब तक कि लक्षण पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाते हैं।

मिथाइलफेनिडेट (Methylphenidate)

मिथाइलफेनिडेट एडीएचडी के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। यह दवाओं के एक समूह से संबंधित है जिसे स्टीमूलेंट कहा जाता है। यह मस्तिष्क में खासकर ध्यान और व्यवहार को नियंत्रित करने वाले क्षेत्रों की गतिविधि को बढ़ाने का काम करती है।

एडीएचडी से पीड़ित छह साल की उम्र के अधिक के बच्चे और किशोर मेथिलफेनिडेट का सेवन कर सकते हैं। हालांकि मिथाइलफेनिडेट को वयस्कों में उपयोग के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया है, लेकिन डॉक्टर और विशेषज्ञ की देखरेख में लिया जा सकता है।

दवा को इमिडिएट-रिलीज़ टैबलेट (दिन में दो से तीन बार ली जाने वाली छोटी खुराक), या मोडिफाइड-रिलीज़ टैबलेट((सुबह में दिन में एक बार) लिया जा सकता है।

मेथिलफेनिडेट के सामान्य दुष्प्रभावों में शामिल हैं:

  • रक्तचाप और हृदय गति बढ़ना
  • भूख न लगना, जिसके कारण वजन कम हो सकता है या वजन बढ़ सकता है
  • नींद न आना
  • सिर दर्द
  • पेट दर्द
  • मूड स्विंग

डेक्साम्फेटामिन (Dexamfetamine)

डेक्साम्फेटामिन भी एक उत्तेजक दवा है, जो मिथाइलफेनिडेट की तरह ध्यान और व्यवहार को नियंत्रित करने वाली मस्तिष्क के उत्तेजक क्षेत्रों को उत्तेजित करती है।

डेक्साम्फेटामिन का इस्तेमाल किशोरों और एडीएचडी से पीड़ित तीन साल से अधिक उम्र के बच्चों के इलाज में किया जा सकता है। वयस्कों में इसके उपयोग के लिए लाइसेंस प्राप्त नहीं है, लेकिन इसे डॉक्टर और विशेषज्ञ की निगरानी में लिया जा सकता है।

डेक्साम्फेटामिन का टैबलेट दिन में एक या दो बार लिया जाता है, हालांकि ओरल घोल के रूप में भी उपलब्ध है।

डेक्साम्फेटामिन के सामान्य दुष्प्रभावों में शामिल हैं:

  • भूख कम लगना
  • मूड स्विंग
  • व्याकुलता और आक्रामक होना
  • सिर चकराना
  • सिर दर्द
  • दस्त
  • मतली और उल्टी

लिस्डेक्सेमफेटामिन (Lisdexamfetamine)

लिस्डेक्सेमफेटामिन, डेक्साम्फेटामिन के जैसी ही एक है। यह उसी तरह से काम करती है।

यदि मिथाइलफेनिडेट के इलाज से मदद नहीं मिलती है तो एडीएचडी से पीड़ित छह साल से अधिक उम्र के बच्चों में इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है। अगर डॉक्टर को लगता है कि यह दवा सही तरीके से काम कर रही है तो आप इसे वयस्क होने के बाद भी ले सकते हैं।

लिस्डेक्सामफेटामिन कैप्सूल के रूप में उपलब्ध है, जिसे आप या आपका बच्चा दिन में एक बार ले सकते हैं।

लिस्डेक्सामफेटामिन के सामान्य दुष्प्रभावों में शामिल हैं:

  • भूख न लगना, जिससे वजन घट या बढ़ सकता है
  • उत्तेजना
  • सुस्ती
  • सिर चकराना
  • सिर दर्द
  • दस्त
  • मतली और उल्टी

ऐटोमॉक्सेटिन (Atomoxetine)

ऐटोमॉक्सेटिन अन्य एडीएचडी दवाओं की अपेक्षा अलग तरह से काम करता है।

इसे सेलेक्टिव नॉरएड्रेनालिन रीअपटेक इनहिबिटर (SNRI) कहा जाता है। यह मस्तिष्क में नॉरएड्रेनालिन नामक रसायन की मात्रा बढ़ाता है। यह रसायन मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच संदेश भेजता है और एकाग्रता के स्तर को बढ़ाने के साथ ही उत्तेजना और आवेगों को नियंत्रित करने में मदद करता है।

एटोमॉक्सेटिन का इस्तेमाल छह साल से अधिक उम्र के बच्चे और किशोर कर सकते हैं। एडीएचडी के लक्षणों की पुष्टि हो जाने पर वयस्कों द्वारा भी इसका इस्तेमाल करने के लिए लाइसेंस प्राप्त है।

एटोमॉक्सेटिन कैप्सूल के रूप में उपलब्ध है, जिसे आप या आपका बच्चा दिन में एक या दो बार ले सकते हैं।

एटोमॉक्सेटिन के सामान्य दुष्प्रभावों में शामिल हैं:

  • रक्तचाप और हृदय गति बढ़़ना
  • मतली और उल्टी
  • पेट दर्द
  • नींद न आना
  • चक्कर आना
  • सिर दर्द
  • चिड़चिड़ापन

एटोमॉक्सेटिन के कारण कुछ अन्य गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इसका सेवन करने वाले व्यक्ति को आत्महत्या का विचार आ सकता है और लिवर को भी नुकसान पहुंच सकता है।

इस दवा का सेवन करने के बाद यदि आप या आपके बच्चे को अवसाद महसूस होता है या आत्महत्या का ख्याल आता है तो अपने डॉक्टर से बात करें।

गुआनफेसिन (Guanfacine)

गुआनफेसिन मस्तिष्क के कुछ हिस्सों पर काम करता है और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है। यह रक्तचाप को भी कम करता है।

यदि अन्य दवा प्रभावी तरीके से काम न कर रही हो तो यह एडीएचडी से पीड़ित किशोरों और बच्चों को दिया जाता है।

गुआनफेसिन का टैबलेट आमतौर पर दिन में एक बार सुबह या शाम को लिया जाता है।

इसके सामान्य दुष्प्रभावों में शामिल हैं:

  • थकान
  • सिरदर्द
  • पेट में दर्द
  • मुँह सूखना

थेरेपी (Therapy)

दवा के साथ-साथ बच्चों, किशोरों और वयस्कों में एडीएचडी के इलाज में कई तरह की थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। थेरेपी अन्य समस्याओं जैसे चिंता की बीमारी के इलाज में भी प्रभावी है, जो आमतौर पर एडीएचडी से पीड़ित होने के बाद बढ़ जाती है।

एडीएचडी के इलााज में उपयोगी कुछ थेरेपी के बारे में नीचे दिया गया है।

साइकोएजुकेशन (Psychoeducation)

साइकोएजुकेशन के अंतर्गत आप या आपके बच्चे को एडीएचडी पर चर्चा करने और यह आपको कैसे प्रभावित करता है, के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह बच्चों, किशोरों और वयस्कों में एडीएचडी का निदान करने में मदद करता है। इसके साथ ही आपको इस समस्या का सामना करने और उबरने में मदद कर सकता है।

बिहेवियर थेरेपी (Behaviour therapy)

बिहेवियर थेरेपी से एडीएचडी से पीड़ित बच्चों की देखभाल करने वालों को काफी मदद मिलती है। इसमें बच्चों के शिक्षक के साथ-साथ माता-पिता भी शामिल हो सकते हैं। बिहेवियर थेरेपी में आमतौर पर व्यवहार प्रबंधन शामिल होता है, जिसमें एडीएचडी को नियंत्रित करने की कोशिश करने के लिए बच्चे को प्रोत्साहित करने के लिए रिवार्ड सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है।

यदि आपका बच्चा एडीएचडी से पीड़ित है, तो आप उसे अपने अनुसार व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, जैसे खाने के लिए मेज पर बैठना। फिर आपके बच्चे को अच्छे व्यवहार के लिए छोटे इनाम दिए जाते हैं और उसके खराब व्यवहार को भुला दिया जाता है।

शिक्षकों के लिए आमतौर पर व्यवहार प्रबंधन में बच्चे के लिए गतिविधियों की योजना बनाना और संरचनात्मक कार्य सीखना और आगे बढ़ने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करना और उनकी तारीफ करना शामिल है।

माता-पिता को प्रशिक्षित करना और शिक्षा कार्यक्रम (Parent training and education programmes)

यदि आपका बच्चा एडीएचडी से पीड़ित है, तो अभिभावक प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम से आपको अपने बच्चे से बात करने के विशिष्ट तरीके सीखने में मदद मिल सकती है।उनके साथ खेलने और काम करने से उनकी एकाग्रता और व्यवहार में काफी हद तक सुधार हो सकता है।

बच्चे में एडीएचडी के निदान से पहले माता-पिता को प्रशिक्षण लेने की सलाह दी जाती है।

इन कार्यक्रमों में आमतौर पर लगभग 10-12 माता-पिता के समूहों को शामिल किया जाता है। एक कार्यक्रम में आमतौर पर 10-16 बैठकें होती हैं, जो दो घंटे तक चलती है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य माता-पिता और देखभाल करने वालों को व्यवहार प्रबंधन (ऊपर देखें) के बारे में सिखाना होता हैं। साथ ही अपने बच्चे की मदद करने और उसके साथ अपने रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए आपका आत्मविश्वास भी बढ़ाया जाता है।

सामाजिक कौशल प्रशिक्षण (Social skills training)

सामाजिक कौशल प्रशिक्षण में बच्चे को अलग-अलग परिस्थितियों में भूमिका निभाने का कौशल सीखाया जाता है। इस दौरान बच्चों को विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों में व्यवहार करना सीखाने के साथ ही यह भी बताया जाता है कि उनका व्यवहार दूसरों को कैसे प्रभावित करता है।

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive behavioural therapy- CBT)

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) एक टॉकिंग थेरेपी है जो सोचने और व्यवहार करने के तरीके को बदलकर समस्याओं का प्रबंधन करने में मदद करती है। इस दौरान सीबीटी डॉक्टर आपका बच्चा किसी स्थिति में कैसा महसूस करता है, उसे बदलने की कोशिश करेगा जिससे उसके व्यवहार में भी बदलाव होगा।

सीबीटी को डॉक्टर के साथ व्यक्तिगत रूप से या एक समूह में किया जा सकता है।

अन्य संभावित इलाज (Other possible treatments)

एडीएचडी का इलाज अन्य तरीकों से भी किया जाता है जो कुछ लोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है। जैसे कि कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन बंद कर दिया जाता है और पूरक आहार लेने की सलाह दी जाती है। हालांकि यह कितना प्रभावी है, इसका कोई सबूत नहीं है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना इन तरीकों को नहीं आजमाना चाहिए।

आहार (Diet)

एडीएचडी से पीड़ित लोगों को स्वस्थ और संतुलित आहार खाना चाहिए। किसी भी खाद्य पदार्थ को छोड़ने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

कुछ लोगों में कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करने से एडीएचडी के लक्षण बदतर हो जाते हैं। जैसे कि, चीनी, रंग बिरंगे खाद्य पदार्थ और कैफीन से अति सक्रियता बढ़ सकती है। जबकि कुछ लोग गेहूं या डेयरी उत्पादों के प्रति इंटॉलरेंस महसूस करते हैं जिनसे उनके लक्षण बढ़ सकते हैं।

ऐसी स्थिति में आप जो कुछ खाते या पीते हैं, उन्हें एक डायरी में लिखें और साथ ही उनके प्रभावों को भी लिखें। इसके बाद अपने डॉक्टर के साथ इस पर चर्चा करें। वे आपको आहार विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं।

पूरक आहार (Supplements)

कुछ स्टडी में पाया गया है कि एडीएचडी से पीड़ित लोगों में ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैटी एसिड की खुराक फायदेमंद हो सकती है, हालांकि इस बात का कोई पुख्ता सबूत मौजूद नहीं है।

किसी भी सप्लिमेंट का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात कर लें। ये सप्लिमेंट आपकी दवा से प्रतिक्रिया कर सकते हैं या इसे कम प्रभावी बना सकते हैं।

इसके साथ ही आपको कुछ सप्लीमेंट्स को लंबे समय तक नहीं लेना चाहिए, क्योंकि वे आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

एडीएचडी के साथ जीना (Living with ADHD)

अटेंशन डेफिशिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) से पीड़ित बच्चे की देखभाल करने में मुश्किल आ सकती है।

एडीएचडी से पीड़ित बच्चे का आवेग, निडर और अराजक व्यवहार सामान्य रोजमर्रा की गतिविधियों को थकाऊ और तनावपूर्ण बना सकते हैं।

सामना करने के तरीके (Ways to cope)

हालांकि यह कई बार मुश्किल हो सकता है, यह ध्यान रखें कि एडीएचडी से पीड़ित बच्चा खुद अपने व्यवहार को नहीं बदल सकता। एडीएचडी से पीड़ित लोगों को आवेगों और उत्तेजना को दबाने में मुश्किल होती है। वे प्रतिक्रिया करने से पहले किसी भी स्थिति या परिणाम के बारे में नहीं सोचते हैं।

यदि आप एडीएचडी से पीड़ि बच्चे की देखभाल कर रहे हैं, तो नीचे दी गई सलाह आपके लिए उपयोगी हो सकती है।

दिन की योजना बनाएं (Plan the day)

दिन की योजना बनाएं ताकि आपके बच्चे को पता चल सके कि उससे क्या उम्मीद की जा रही है। दिनचर्या निर्धारित करने से एडीएचडी से पीड़ित बच्चे को रोजमर्रा की जिंदगी का सामना करने में मदद मिलती है।

उदाहरण के लिए, यदि आपके बच्चे को स्कूल के लिए तैयार होना है, तो इसे कई चरणों में तोड़ दें। ताकि उसे पता चल सके कि उसे क्या करने की जरूरत है।

सीमा निर्धारित करें (Set clear boundaries)

बच्चे को बताएं कि हर कोई उससे किस तरह के व्यवहार की उम्मीद करता है। उसे सकारात्मक व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करें और इसके लिए उसे इनाम देने के साथ ही प्रोत्साहित भी करें। बच्चे के लिए एक सीमा निर्धारित करें और उसका पालन न करने पर बच्चे को सीखाने की कोशिश करें।

सकारात्मक रहें (Be positive)

बच्चे की प्रशंसा करें। सामान्य तरीके से "यह काम करने के लिए धन्यवाद," कहने की बजाय आप यह कहें कि, "तुमने बर्तनों को वास्तव में अच्छी तरह से धोया। धन्यवाद।" इससे आपका बच्चा आसानी से समझ सकता है कि आपने उसकी तारीफ की है।

निर्देश देना (Giving instructions)

यदि आप अपने बच्चे को कुछ करने के लिए कह रहे हैं, तो हल्के निर्देश दें। यह पूछने के बजाय, "क्या आप अपने बेडरूम को साफ कर सकते हैं?" उससे कहें कि, "कृपया अपने खिलौने बॉक्स में रखें, और किताबें वापस शेल्फ पर रखें।" इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि आपके बच्चे को क्या करने की आवश्यकता है। सही तरीके से काम करने पर अपने बच्चे की प्रशंसा करें।

प्रोत्साहन योजना (Incentive scheme)

अंक चार्ट या स्टार चार्ट का उपयोग करके प्रोत्साहन योजना बनाएं। अच्छे व्यवहार के लिए उसकी तारीफ करें है। उदाहरण के लिए, खरीदारी के दौरान अच्छा व्यवहार करने से आपका बच्चा कंप्यूटर या किसी प्रकार के खेल में समय व्यतीत करेगा। इसमें अपने बच्चे को शामिल करें और उन्हें यह तय करने में मदद करें कि उसके विशेषाधिकार क्या हैं।

इस चार्ट में नियमित रूप से बदलाव करें। आपका निम्न उद्देश्य होना चाहिए:

  • तुरंत (जैसे कि, रोजाना)
  • इंटरमिडिएट (जैसे कि, साप्ताहिक)
  • दीर्घकालिक (जैसे कि, त्रैमासिक)

एक बार में सिर्फ एक या दो व्यवहार पर ध्यान देने की कोशिश करें।

हस्तक्षेप जल्दी करें (Intervene early)

गंभीर संकेतों पर नजर रखें। यदि आपका बच्चा निराश, अधिक उत्तेजित नजर आता है या उसने अपना आत्म-नियंत्रण खो दिया है तो हस्तक्षेप करें। यदि संभव हो तो अपने बच्चे का ध्यान भटकाने की कोशिश करें। उसे उस स्थिति से दूर ले जाकर शांत कराने की कोशिश करें।

सामाजिक परिस्थितियाँ (Social situations)

सामाजिक परिस्थितियों को छोटा और सुगम रखें। दोस्तों को खेलने के लिए बुलाएं, लेकिन कम समय तक खेलने दें ताकि आपका बच्चा आत्म-नियंत्रण न खोए। जिस दिन आपका बच्चा अधिक थका या भूखा हो जैसे कि स्कूल के एक दिन बाद, उस दिन उसे आराम दें।

व्यायाम (Exercise)

य़ह ध्यान रखें कि आपका बच्चा दिन के दौरान बहुत सारी शारीरिक गतिविधियाँ करता हो। चलने, स्किपिंग करने और खेलने से बच्चा एक्टिव रहता है और उसे अच्छी नींद आती है। यह भी ध्यान रखें कि वह सोने से पहले कुछ भी रोमांचक न करे।

हमारे स्वास्थ्य और फिटनेस पृष्ठ को पढ़ें, जिसमें सक्रिय रहने और आपको और आपके बच्चे को कितनी गतिविधि करनी चाहिए, इसके बारे में जानकारी दी गई है।

भोजन (Eating)

इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा क्या खाता है। यदि आपका बच्चा कैफीन युक्त कुछ खाद्य पदार्थ खाने के बाद अतिसक्रिय हो जाता है, तो इनकी एक डायरी रखें और अपने डॉक्टर से इन पर चर्चा करें।

सोने का समय (Bedtime)

एक दिनचर्या बनाएं। ध्यान रखें कि आपका बच्चा हर रात एक ही समय पर बिस्तर सोए और सुबह उसी समय उठे। सोने से पहले उसे कोई उत्तेजक या रोमांचक गतिविधियां जैसे कि कंप्यूटर गेम या टीवी देखना आदि न करने दें।

रात का समय (Night time)

एडीएचडी के कारण नींद की समस्या हो सकती है, इससे लक्षण और भी बदतर हो सकते हैं। एडीएचडी से पीड़ित कई बच्चों को सही तरीके से नींद नहीं आती है और बार-बार नींद टूटती। नींद के अनुकूल दिनचर्या बनाने से आपके बच्चे को अच्छी नींद आ सकती है।

बेहतर नींद के लिए सोने का समय निर्धारित करने के बारे में और पढ़ें।

स्कूल में मदद करें (Help at school)

एडीएचडी से पीड़ित बच्चों को अक्सर स्कूल में उनके व्यवहार के कारण समस्या होती है, और इससे बच्चे की शैक्षणिक प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

अपने बच्चे के शिक्षकों या स्कूल कोऑर्डिनेटर से बात करें। बच्चे को किसी भी अतिरिक्त सहायता की जरूरत पड़ सकती है।

एडीएचडी से पीड़ित वयस्क (Adults with ADHD)

यदि आप एडीएचडी से पीड़ित वयस्क हैं, तो निम्न सलाह आपके लिए उपयोगी हो सकती है:

  • सूची बनाएं, डायरी रखें, रिमाइंडर लगाएं और आपको क्या करना है, इसके लिए योजना बनाएं।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • खुद को रिलैक्स करने के तरीके ढूंढे, जैसे संगीत सुनना या रिलैक्सेशन टेक्निक सीखना।
  • यदि आपके नौकरी करते है, तो अपने बॉस से अपनी समस्या के बारे में बात करें और अन्य चीज़ों पर चर्चा करें। ताकि वे आपको बेहतर काम करने में मदद कर सकें।
  • ड्राइव करने के लिए अपनी सहजता के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। अगर आप एडीएचडी से पीड़ित हैं तो आपको ड्राइवर और वाहन लाइसेंसिंग एजेंसी (DVLA) को बताना चाहिए।
  • किसी स्थानीय या राष्ट्रीय सहायता समूह से संपर्क करें या इसमें शामिल हों - ये संगठन इसी समस्या से ग्रसित अन्य लोगों के संपर्क में रखते हैं, जिससे आपको सहयोग और बेहतर सलाह मिलती है।

अधिक सलाह के लिए, आप एएडीडी-यूके वेबसाइट पर एडीएचडी के साथ जीने के बारे में पढ़ सकते हैं। एएडीडी-यूके विशेष रूप से एडीएचडी से पीड़ित वयस्कों के लिए एक चैरिटी है।

महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।