बिंज ईटिंग (अधिक खाना/Binge eating))

13 min read
इस लेख में

बिंज ईटिंग क्या है? (What is binge eating?)

बिंज ईटिंग या अधिक खाने का विकार (binge eating) खाने से जुड़ी एक समस्या है जिसमें व्यक्ति को अपनी सामान्य जरूरत से ज्यादा भोजन (overeat) करने की आदत हो जाती है।

अधिक खाने (binge eat) का आदी व्यक्ति थोड़ी-थोड़ी देर पर बहुत अधिक मात्रा में भोजन करता है। इसके अलावा उसे जब भूख नहीं लगती है, तब भी वह भोजन करता है। अधिक खाने का आदी व्यक्ति अक्सर खाने की योजना बनाता है और वह ऐसे लोगों के साथ रहना पसंद करता है जो उन्हें खाने की सामग्री उपलब्ध कराए।

इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति के खाने की आदत में बदलाव होता रहता है और कभी-कभी वो व्यक्ति अपने भोजन की मात्रा को काफी कम कर सकता है; जिससे समस्या और बदतर हो सकती है।

अधिक खाने के विकार से पीड़ित व्यक्ति खाने की आदत को कंट्रोल नहीं कर पाता है और आमतौर पर वह अकेले में खाता है। अधिक खाने के बाद अक्सर उसे पछतावा भी होता है। यह एक तरह की मनोवैज्ञानिक समस्या है, जैसे:

  • आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कमी
  • अवसाद
    (depression) - लंबे समय तक बेहद उदास और दुखी रहना
  • चिंता (anxiety) - हल्की या गंभीर चिंता या डर और बेचैनी

समय के साथ ये समस्याएं काफी बदतर हो सकती हैं। इसके बावजूद व्यक्ति अधिक खाने की आदत नहीं छोड़ पाता है।

अधिक खाने के विकार के कारणों
के बारे में जानने के लिए यहाँ पढ़ें।

अधिक खाने का विकार से कौन प्रभावित होता है? (Who is affected by binge eating?)

अधिक खाने के विकार से कोई भी प्रभावित हो सकता है। एनोरेक्सिया जो पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है, जबकि बिंज ईटिंग या अधिक खाने का विकार महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करती है। युवाओं की अपेक्षा वयस्कों और बुजुर्गों को यह सबसे अधिक प्रभावित करती है।

अधिक खाने का विकार और बुलिमिया (Binge eating and bulimia)

बिंज ईटिंग यानी अधिक खाने के विकार और

बुलीमिया
(खाने से जुड़ा एक और रोग) से पीड़ित लोग तब तक खाते रहते हैं, जब तक वे पूरी तरह से तृप्त नहीं हो जाते हैं। इसके बाद बुलीमिया से पीड़ित व्यक्ति उल्टी करके भोजन को बाहर निकाल देता है या फिर पेट को खाली करने के लिए
लैक्जेटिव
लेता है।

बुलिमिया से पीड़ित व्यक्ति के विपरीत, अधिक खाने के विकार से पीड़ित लोग अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए अपने शरीर से ज़बरन भोजन नहीं निकलते हैं, और हर कुछ समय के उपरांत बहुत कम खाने की कोशिश करके वजन बढ़ने से रोकने की कोशिश करते हैं। हालांकि, इसके कारण वे अधिक खा लेते हैं जिसके कारण वजन बढ़ने से वे

मोटापे
के शिकार हो जाते हैं (नीचे देखें)।

अधिक खाने का विकार और मोटापा (Binge eating and obesity)

अधिक खाने का विकार आमतौर पर मोटापे से जूड़ा होता है। जहां किसी व्यक्ति का वजन बढ़ने के साथ उसका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 30 या उससे अधिक हो जाता है। मोटापा एक गंभीर समस्या है जो गंभीर क्रोनिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हो सकती है।

जैसे:

मोटापे की वजह से आपकी संभावित आयु भी कम हो सकती है। उदाहरण के लिए, 40 वर्ष से अधिक आयु के मोटे वयस्कों का जीवन छह या सात वर्ष तक कम हो सकता है।

मोटापे से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जानने के लिए

अधिक खाने
के विकार
के लक्षणों
के बारे में पढ़ें।

डॉक्टर के पास कब जाएं (Seeing your doctor)

यदि आपको लगता है कि आपको अधिक खाने की समस्या है, तो अपने डॉक्टर से मिलें। आपकी समस्या का निदान करने के बाद आपको मनोवैज्ञानिक के पास भेजा जा सकता है। कुछ मामलों में आपको डायटिशियन के पास भी भेजा जा सकता है।

बिंज ईटिंग या अधिक खाने के विकार का निदान करते समय डॉक्टर आपसे आपकी खाने की आदतों के बारे में पूछेंगे और निम्न लक्षणों में से तीन या इससे अधिक की तलाश करेंगे:

  • आप सामान्य से बहुत अधिक तेजी से खाते हैं
  • आप तब तक खाते हैं जब तक आप असहज और भारी महसूस नहीं करने लगते
  • जब आप भूखे नहीं होते हैं तो आप बड़ी मात्रा में खाना खाते हैं
  • शर्मिंदगी के कारण आप अकेले या छुपकर खाने की कोशिश करते हैं
  • अधिक खाने के बाद आप पछतावा, शर्म या नफरत महसूस करते हैं

जो लोग नियमित रूप से इस तरह से खाते हैं, वे इस विकार के शिकार हो सकते हैं।

अधिक खाने का विकार का इलाज (Treating binge eating)

अधिक खाने के विकार को ठीक किया जा सकता है और इसके इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं। जैसे:

यदि आपका वजन बढ़ गया है, तो मनोवैज्ञानिक समस्याओं का समाधान करने के बाद स्वास्थ्य प्रदाता वजन घटाने के लिए प्लान तैयार कर सकते हैं। यह आपको सुरक्षित और प्रभावी तरीके से वजन घटाने में मदद कर सकता है।

मनोवैज्ञानिक समस्याओं को समझने, खाने के सही पैटर्न और उचित सलाह को अपनाने के बाद व्यक्ति अधिक खाने की बीमारी से उबर सकता है।

अधिक खाने
के विकार
के इलाज
के बारे में और पढ़ें।

बिंज ईटिंग के लक्षण (Symptoms of binge eating)

अधिक खाने के विकार से पीड़ित व्यक्ति अक्सर अकेले में खाता है और उसका अपने खाने पर नियंत्रण नहीं रहता है। अधिक खाने के बाद वह पछतावा महसूस करता है।

अधिक खाने का आदी व्यक्ति थोड़े-थोड़े समय पर बहुत अधिक मात्रा में भोजन करते हैं और अक्सर भूख न लगने पर भी भोजन करता है।

अधिक खाने की बीमारी से पीड़ित लोग पहले से ही खाने की योजना बनाते हैं और विशेष प्रकार के भोजन खरीदने में तत्पर रहते हैं।

अधिक खाने के आदी व्यक्ति के रक्त शर्करा में उतार चढ़ाव हो सकता है; जिसके कारण शरीर पर कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं। इसमें शामिल है:

  • मीठा खाने की इच्छा
  • सिरदर्द
  • पसीना और कँपकँपी

बिंज ईटिंग का क्या कारण है? (What causes binge eating?)

अधिक खाने के विकार का कोई एक कारण नहीं है। खाने की अन्य बीमारियों की तरह ही यह कम संतुष्टि और आत्म-सम्मान से जुड़ी समस्या है।

अधिक खाने के विकार का चक्र

अधिक खाने की समस्या से पीड़ित लोगों में अक्सर व्यवहार का एक विशेष पैटर्न नजर आता है; जिसे अधिक खाने की बीमारी का चक्र कहते है।

नीचे दी गई बिंज ईटिंग साइकिल को तोड़ना मुश्किल है:

  • अधिक खाने की आदत के कारण रक्त शर्करा बढ़ जाता है; जिसके कारण अग्न्याशय में इंसुलिन उत्पन्न होने लगता है (एक हार्मोन जो शरीर में वसा और कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने में मदद करता है)
  • इंसुलिन के कारण रक्त शर्करा का स्तर तेजी से गिरता है; जिसके कारण मस्तिष्क को ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाने के लिए अधिक भोजन करने का गलत संदेश प्राप्त होता है
  • इसके कारण अधिक शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों को खाने से शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है; इसलिए भूख न लगने के बावजूद भी व्यक्ति अधिक मात्रा में भोजन करता है
  • अधिक मात्रा में मीठे खाद्य पदार्थों को खाने से रक्त शर्करा का स्तर तेजी से बढ़ता है और इंसुलिन भी तेजी से बनती है; जिसके कारण अधिक खाने का चक्र दोबारा शुरू हो जाता है

अवसाद (Depression)

अनुमान के अनुसार अधिक खाने के विकार से पीड़ित लगभग 50 प्रतिशत लोग अपने जीवन में कभी न कभी अवसाद से ग्रसित होते हैं।

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि अवसाद के कारण अधिक खाने की बीमारी होती है या अधिक खाने के कारण अवसाद होता है।

अवसाद
के बारे में अधिक पढ़ें।

तनाव और चिंता (Stress and anxiety)

तनाव के कारण भी अधिक खाने की इच्छा हो सकती है। घर, स्कूल और नौकरी के तनाव से भरे काम, दोस्त या रिश्तेदार की मौत के कारण भी कभी-कभी अधिक खाने का विकार हो सकती है।

इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति अपने व्यक्तिगत जीवन में अक्सर कठिनाई का अनुभव करता है। जो लोग अधिक खाते हैं, वे अपने खाने की आदतों के कारण काफी शर्मिंदा भी होते हैं। साथ ही भोजन के अलावा वह व्यक्तिगत जीवन को भी नियंत्रित नहीं कर पाते हैं।

रिसर्च के अनुसार, अधिक खाने के विकार के पीछे कई अन्य कारक भी जिम्मेदार होते हैं,

जैसे:

  • गुस्सा
  • नीरसता
  • चिंता
  • उदासी
  • आत्म सम्मान की कमी

अधिक खाने के आदी व्यक्तियों में कुछ विशेष तरह का व्यवहार बहुत आम है।

इसमें शामिल है:

  • उग्र व्यवहार - परिणाम के बारे में सोचे बिना जल्दी से निर्णय लेना
  • अधिक शराब का सेवन
    - नियमित रूप से सामान्य से अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना।
  • अपनी भावनाओं को खुलकर न बताना
  • अपने और अपने कार्यों के प्रति जिम्मेदार न होना

वजन घटाने की कोशिश करना (Trying to lose weight)

कभी-कभी वजन घटाने और स्लिम दिखने के सामाजिक दबाव के कारण भी व्यक्ति अधिक खाने का आदि हो सकता है।

अधिक खाने के आदी लोगों को मनचाहा शरीर बनाने में परेशानी होती है। इसके कारण उनका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है और वे अधिक खाने लगते हैं और इसके बाद पछतावा भी करते हैं।

यह ज्ञात नहीं है कि आहार और अधिक खाने के बीच क्या संबंध है। हालांकि कुछ लोग इन परिस्थितियों में अधिक खाना खाते हैं:

  • एक टाइम का भोजन छोड़ने के बाद
  • हर दिन पर्याप्त भोजन का सेवन नहीं करने पर
  • कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करने पर

ये वजन घटाने के हानिकारक तरीके हैं और इन तरीकों से अधिक खाने की बीमारी का जोखिम बढ़ सकता है।

बिंज ईटिंग का इलाज (Treatment for binge eating)

यदि आपको लगता है कि आप अधिक खाने की बीमारी से पीड़ित हैं तो आपको मेडिकलसलाह लेनी चाहिए। आपके डॉक्टर आपको इलाज के लिए निम्न सुझाव प्रदान करेंगे:

  • स्वयं सहायता कार्यक्रम
  • मनोवैज्ञानिक चिकित्सा
  • सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर (एसएसआरआई) एंटीडिप्रेशेन्ट

इनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।

स्वयं सहायता कार्यक्रम (Self-help programme)

इस समस्या में स्वयं- सहायता समूह से बहुत मदद मिलती है।

ऐसे कई अलग-अलग तरह के स्वयं-सहायता समूह हैं और जो आपके लिए बेहतर हो सकते हैं। आपके डॉक्टर आपके क्षेत्र में उपयुक्त स्वयं सहायता समूह के बारे में सुझाव दे सकते हैं।

आप अपने स्थानीय पुस्तकालय से या ईटिंग डिसऑर्डर चैरिटी बीट से स्वयं-सहायता पुस्तकों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें खाने की बीमारियों से जुड़ी जानकारी होती है।

यदि आपको मानसिक स्वास्थ्य के डॉक्टर के पास जाने के लिए कहा जाता है तो वे अपनी देखरेख में आपको स्वयं-सहायता पुस्तक के जरिए मदद लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इसे “गाइडेड सेल्फ- हेल्प" कहा जाता है।

मनोवैज्ञानिक थेरेपी (Psychological therapy)

अधिक खाने वाले लोगों को अपनी भावनात्मक समस्याओं से निपटने के लिए अधिक खाने के चक्र को तोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

कुछ प्रकार की मनोवैज्ञानिक थेरेपी से अधिक खाने की बीमारी से निपटना संभव है, जैसे:

  • अधिक खाने की बीमारी (सीबीटी-बीईडी) के लिए
    संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT)
    - यह एक प्रमाणित सीबीटी है जिसमें डॉक्टर से बात करना और स्थितियों, भावनाओं और भोजन के बारे में सोचने के नए तरीके शामिल हैं।
  • डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी (DBT)- आपको अपने अधिक खाने की बीमारी के सभी पहलुओं पर डॉक्टर से बात करनी चाहिए। DBT अधिक खाने से जुड़े अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में काफी प्रभावी है।
  • इंटरपर्सनल थेरेपी (IPT) - यह बुलीमिया और अधिक खाने की बीमारियों के इलाज में प्रभावी है।

सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर (Selective serotonin reuptake inhibitors)

सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर (SSRIs) एक प्रकार का एंटीडिप्रेसेंट है जो अधिक खाने की समस्या को कम करने में मदद करता है। इसे आमतौर पर थेरेपी के साथ दिया जाता है।

SSRIs सेरोटोनिन नामक पदार्थ के स्तर को बढ़ाते हैं। जब मस्तिष्क में सेरोटोनिन स्रावित होता है, तो यह आपके मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है। एनआईसीई अधिक खाने की बीमारी के इलाज के लिए SSRIs का इस्तेमाल करने की सलाह देता है। लेकिन इस इलाज का लंबे समय तक प्रभाव के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।

SSRIs के निम्न दुष्प्रभाव हो सकते हैं:

  • जी मिचलाना (उबकाई)
  • आंखों से धुंधला दिखाई देना
  • दस्त
    या
    कब्ज
  • सिर चकराना
  • मुँह सूखना
  • उत्तेजना या घबराहट होना
  • अनिद्रा
    (सोने में कठिनाई) या बहुत नींद आना
  • भूख में कमी
  • पसीना आना
  • सेक्स की इच्छा घटना

सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर
(SSRIs) के बारे में अधिक पढ़ें।

वजन कम करना (Losing weight)

अधिक खाने के विकार को दूर करने के लिए कई मनोवैज्ञानिक उपचार उपलब्ध हैं, लेकिन आपके शरीर के वजन पर उनका सीमित प्रभाव हो सकता है।

हालांकि, मौजूदा मनोवैज्ञानिक समस्याओं से निपटने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को अपने खाने की आदतों पर नियंत्रण करने की जरूरत होती है।

यदि आपका वजन अधिक है, तो आपको डॉक्टर या डायटिशियन द्वारा तैयार वेट-लॉस प्लान का पालन करना चाहिए। प्लान में निम्न चीजें शामिल हो सकती हैं:

  • एक डायरी में यह लिखना कि आपको कब भूख लगती है और क्या चीजें अधिक खाने की इच्छा होती है। फिर आपको अपने आहार में वे चीजें शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जिससे आप अधिक खाने की बीमारी से बच सकते हैं।
  • मीठे खाद्य पदार्थों को खाने से परहेज करना। उच्च गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट (नीचे देखें) से पूरे दिन धीमी लेकिन लगातार एनर्जी मिलती है।
  • कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट जैसे ब्राउन राइस, होलमील ब्रेड, अनाज, फलियां और आलू सहित नियमित भोजन और स्नैक्स खाना। इससे आपका पेट भी भर जाएगा और आपका रक्त शर्करा भी स्थिर रहेगा।

अधिक खाने से होने वाली परेशानी (Complications of binge eating)

अधिक खाने की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का वजन बढ़ सकता है। इस से ग्रसित अधिकांश लोग पहले से ही मोटापे के शिकार होते हैं। अगर आपका वजन बहुत अधिक बढ़ गया है तो आप मोटापे से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हो सकते हैं। इसमें शामिल है:

  • उच्च कोलेस्ट्रॉल - आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होने से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
  • उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) - इससे आपको हृदय से जुड़ी समस्याओं जैसे स्ट्रोक या हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • मधुमेह - रक्त में बहुत अधिक ग्लूकोज (शुगर) के कारण होने वाली एक क्रोनिक समस्या है।
  • अस्थमा - फेफड़ों में सूजन हो जाती है
  • ऑस्टियोआर्थराइटिस - एक ऐसी समस्या जिसमें जोड़ों में दर्द और सूजन हो सकती है।
  • क्रोनिक पीठ दर्द
  • हृदय रोग - कोरोनरी धमनियों (हृदय की मुख्य रक्त वाहिकाएं) में फैटी पदार्थ बनने से हृदय में खून की आपूर्ति बाधित हो जाती है

महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।