बुलिमिया

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परिचय

बुलिमिया नर्वोसा(Bulimia nervosa) एक भोजन संबंधी विकार तथा मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है।

बुलिमिया से ग्रसित लोग अपने वजन को नियंत्रित करने के प्रयास में अपने भोजन की मात्रा को गंभीर रूप से सीमित(कम) कर देते हैं, उसके बाद वे अधिक खाने लगते हैं तथा उस खाने को अपने शरीर से बाहर निकालने के लिए उल्टी करते हैं या लैक्सेटिव का प्रयोग करने लगते हैं।

अन्य भोजन विकारों के सामान, बुलिमिया को अवसाद, आत्म-सम्मान की कमी, शराब का दुरुपयोग तथा स्वयं को नुकसान पहुंचाने से संबंधित किया जा सकता है। बुलिमिया नर्वोसा के कारणों के बारे में और जाने।

अधिक खाना तथा उसे बाहर निकालना

भोजन विकार आमतौर पर भोजन या शारीरिक छवि के प्रति असामान्य रवैये से संबंधित होते हैं। हर किसी की अपनी खाने से संबंधित आदतें होती हैं, उदाहरण के लिए भोजन के प्रति असहनशील लोगों को स्वस्थ रहने के लिए किसी विशिष्ट खाद्य पदार्थ को खाने से बचने की आवश्यकता होती है। लेकिन भोजन विकार से ग्रसित लोग भावनात्मक कष्ट का सामना करने के लिए अपनी खाने की आदतों तथा व्यवहार का प्रयोग करने लगते हैं तथा अक्सर उनमें भोजन, कैलोरी या मोटे होने को लेकर एक असामान्य या अवास्तविक डर होता है |

इस डर के कारण बुलिमिया से ग्रसित लोग अपने भोजन को सीमित कर देते हैं। इसके परिणाम स्वरूप वह कुछ समय तक बहुत ज्यादा खाते हैं तथा नियंत्रण खो देते हैं, उसके बाद वे जबरदस्ती उल्टी करते हैं या लेक्सेटिव का प्रयोग करते हैं। वे खाना इसलिए बाहर निकालते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि ज्यादा खाने से उनका वजन बढ़ जाएगा और वे अक्सर अपने इस व्यवहार के लिए दोषी तथा शर्मिंदा महसूस करते हैं। इसलिए इस प्रकार का व्यवहार गोपनीय ढंग से किया जाता है।

इस प्रकार से खाने एवं निकालने का दौर(चक्र) भूख या तनाव के कारण सक्रिय हो सकता है अथवा भावनात्मक पीड़ा से मुकाबला(जूझने का) करने का एक उपाय बन जाता है।

चेतावनी के चिन्ह

बुलिमिया नर्वोसा के लक्षणों में शामिल है, भोजन तथा खाने के प्रति जुनूनी प्रवृत्ति, अपने वजन तथा डील-डौल के प्रति आलोचनात्मक रवैया रखना, खाने के बाद बार-बार शौचालय जाना, जिसके बाद वह व्यक्ति उत्तेजित दिख सकता है तथा अंगुलियों के पोरों में घाव के निशान बने हो सकते हैं (उल्टी लाने के लिए उंगलियों को ज़बरदस्ती गले के नीचे उतारने की कोशिश में)। बुलिमिया के लक्षणों तथा चेतावनी चिन्हों के बारे में और पढ़ें |

बुलिमिया नर्वोसा से कौन प्रभावित होता है ?

सभी भोजन संबंधी विकारों के समान, महिलाओं में बुलिमिया उत्पन्न होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि इसकी सम्भावना लड़कों अथवा पुरुषों में ज्यादा होती है।

हाल ही में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 8% महिलाएं अपने जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर बुलिमिया से ग्रस्त होती हैं। यह स्थिति किसी भी आयु में उत्पन्न हो सकती है लेकिन 16 से 40 वर्ष(औसतन यह 18 या 19 वर्ष की आयु में शुरू होता है) की महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है।

Bulimia nervosa बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है लेकिन यह अत्यंत दुर्लभ है।

क्या करें

यदि आपको बुलिमिया जैसा कोई भोजन विकार है तो पहला चरण यह पहचानना है कि आपको कोई समस्या है तथा चिकित्सीय जांच तथा उसका उपचार कैसे किया जाए, इसकी सलाह के लिए डॉक्टर से मिलना।

यदि आपको लगता है कि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हो जो बुलिमिया से ग्रसित हो तो उनसे बात करें तथा उन्हें डॉक्टर से मिलने के लिए राज़ी करें।

ऐसे कई सहायता समूह तथा सहायता संगठन भी है जहां से आप सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

बुलिमिया की पहचान करने के बारे में पढ़ें।

स्वस्थ होने के लिए सबसे पहला कदम समस्या को पहचानना तथा उससे ठीक होने के लिए प्रबल इच्छा का होना है।

इस बात के ठोस प्रमाण उपलब्ध हैं कि बुलिमिया से ग्रसित कई लोगों में सहायता पुस्तकें उपयोगी हो सकती हैं जिसे आप ख़ुद पढ़ सकते हैं, विशेष रुप से जब वह किसी दोस्त या परिवार के सदस्य से इससे निकलने में सहायता लेते हैं।

यदि यह उचित नहीं होता या असफल रहता है तो आपके डॉक्टर आपको ईटिंग डिसॉर्डर सेवा केंद्र में चिकित्सा के लिए रेफर कर सकते हैं, जहां आपको कॉग्निटिव बिहेव्यर थेरेपी (CBT) का सुझाव दिया जा सकता है, जिससे आपकी अत्यधिक खाने तथा उल्टी करने की इच्छा को कम करने में सहायता करती ह।

बुलिमिया के इलाज के विषय में और पढ़ें

लक्षण

बुलिमिया के मुख्य लक्षण हैं अधिक खाना और उसे बाहर निकालना (purging - जानबूझ कर उल्टी करके या औषधियाँ लेकर भोजन को शरीर से निकाल देना)।

अधिक खाना(Binge eating)

बिंज ईटिंग का अर्थ है बिना भूख लगे या खाने की आवश्यकता ना होने पर भी ज्यादा कैलोरी वाला खाना अधिक मात्रा में बार-बार खाना। खाने को लेकर तीव्र इच्छा की शुरुआत भावनात्मक परेशानियों से जूझने के एक उपाय के रूप में हो सकती है, लेकिन यह बहुत जल्दी एक सनक या जुनून का रूप ले लेती है तथा नियंत्रण से बाहर हो जाती है।

आमतौर पर बिंज ईटिंग या अधिक खाना एक बहुत तीव्र प्रक्रिया होती है और आप बाद में शारीरिक रूप से तकलीफ़ महसूस कर सकते हैं| यह ब्युलिमिया का एक लक्षण होता है और इस स्थिति में सिर्फ एक या दो बार नहीं बल्कि नियमित रूप से होता है।

कभी-कभी यह स्वाभाविक होते हैं, जिसमें आपको उस क्षण जो भी खाने को मिलता है आप वह खा लेते हैं। ज्यादा खाने का यह चरण नियोजित भी हो सकता हैं, जहां आप ज्यादा खाने के उद्देश्य से ही खाद्य पदार्थों की ख़रीददारी करने जाते हैं ।

अधिक जानकारी के लिए, बिंज ईटिंग के बारे में पढ़ें।

बाहर निकालना(Purging)

अत्यधिक खाने की प्रतिक्रिया स्वरूप ही खाना बाहर निकलता है। जब आप कम समय में बहुत अधिक खाना खा लेते हैं तब आप शारीरिक रूप से फूला हुआ तथा अनाकर्षक महसूस कर सकते हैं। आप शर्मिंदगी, पछतावा भी महसूस करते हैं तथा खुद से घृणा करने लगते हैं।

परंतु भोजन को बाहर निकालने के आवेग का मुख्य कारण होता है वजन बढ़ जाने का प्रबल एवं अधिभावी डर।

इस स्थिति के सबसे आम तरीकों में शामिल है जानबूझकर उल्टी करना या लैक्सटिव का प्रयोग करना, जिससे शरीर खाना जल्दी बाहर निकाल सके।

पर्जिंग के लिए प्रयोग किए जाने वाले कम सामान्य तरीकों में शामिल हैं डाएट पिल्स लेना, अधिक व्यायाम करना, अत्यधिक डायटिंग करना, भूखे रहना या गैर कानूनी ड्रग्स लेना जैसे अमफेटमीनस(amphetamines )शामिल हैं।

अपराध बोध का चक्र

खाना उगलने की आदत अक्सर एक दुष्चक्र होता है। यदि आप में यह स्थिति है तो यह संभावित है कि आप में आत्मसम्मान की बहुत कमी हो। अपनी लंबाई तथा शारीरिक गठन के अनुसार सामान्य या लगभग सामान्य वजन होने पर भी आपको यह लग सकता है की आपका वजन अधिक है।

इसके कारण आप स्वयं के लिए डायटिंग,भोजन करने या व्यायाम करने से संबंधित बहुत ही कड़े नियम बना लेते हैं, जिन्हें बनाए रखना बहुत मुश्किल होता है। यदि आप इन कड़े नियमों का पालन करने में विफल होते हैं तो आप उन चीजों को करने या खाने लगते हैं जिनसे आप स्वयं को वंचित रख रहे थे। फिर अत्यधिक खाने को लेकर अपराध बोध होने पर आप उन कैलोरी से छुटकारा पाने के लिए उसे अपने शरीर से बाहर निकालने के उपाय करते हैं।

ब्युलिमिया के अन्य लक्षण

ब्युलिमिया के अन्य लक्षणों में सम्मिलित हैं:

  • वजन में लगातार बदलाव होना
  • भोजन तथा खाने के प्रति असामान्य रवैया होना
  • खाने पर बहुत अधिक धन खर्च करना
  • खाने के तुरंत बाद गायब हो जाना( आमतौर पर उल्टी करने के लिए शौचालय चले जाना)
  • कुछ समय के लिए अत्यधिक खाने लगना
  • कुछ अवधि के लिए भूखे रहना
  • अंगुली के पोरों में जख्म के निशान होना(उल्टी लाने के लिए अंगुलियों को जबरदस्ती गले के नीचे उतारने की कोशिश में)
  • अवसाद एवं चिंता
  • शरीर के वजन तथा आकार के बारे में अवास्तविक विचार रखना
  • एकाकीपन

कारण

ब्युलिमिया का कारण क्या है, इस प्रश्न का कोई सरल उत्तर नहीं है। हालांकि इस स्थिति को मोटा होने के डर से जोड़ा जाता है लेकिन आमतौर पर इस समस्या के उत्पन्न होने में अत्यधिक जटिल भावनाओं का योगदान होता है।

आमतौर पर अधिक खाने तथा उसे निकालने की क्रिया इन प्रबल भावनाओं का सामना करने का उपाय होता है।

ब्युलिमिया के उत्पन्न होने में कुछ सामान्य कारणों को नीचे बताया जा रहा है।

आत्म सम्मान कम होना

यदि आप भोजन विकार से ग्रसित हैं, तो आप स्वयं को कम आँकते हैं तथा वजन कम करने को आत्म सम्मान बढ़ाने का उपाय समझने लगते हैं।

अवसाद

आप अत्यधिक खाने(bingeing) को उदासी का सामना करने के उपाय के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं| बुलिमिया से ग्रसित लोग अक्सर अवसाद ग्रस्त होते हैं इसलिए वह नियमित रूप से अधिक खाने लगते हैं।

लेकिन खाना बाहर निकाल देने से अवसाद से राहत नहीं मिलती और ये चक्र इस प्रकार जारी रहता है। जानकारी के लिए,अवसाद के विषय पर health A-Z देखें।

तनाव

बुलिमिया कभी-कभी तनावपूर्ण स्थितियों या जीवन के किन्ही घटनाओं के परिणामस्वरूप भी उत्पन्न हो सकता है| उदाहरण के लिए आप में यह स्थिति किसी आघातपूर्ण अनुभव का सामना करने के बाद उत्पन्न हो सकती है जैसे मृत्यु या तलाक, या जीवन में होने वाले किसी महत्वपूर्ण बदलाव के दौरान जैसे शादी के समय या घर से दूर होते समय।

बुलिमिया उन लोगों में भी उत्पन्न हो सकता है जिन्होंने शारीरिक बीमारियों का अनुभव किया हो तथा उन लोगों में जो कभी यौन शोषण के शिकार हुए हो। बुलिमिया से ग्रसित कुछ लोगों ने अपने बचपन में दुखद अनुभव किए होते हैं जैसे पारिवारिक समस्याएं, झगड़े तथा आलोचनाएँ।

अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

बुलिमिया को अक्सर अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याओं के साथ जोड़ा जाता है। शोध से पता चलता है कि बुलिमिया उन लोगों में ज्यादा आम है जिनमें चिंता संबंधी विकार(anxiety disorders), मनोग्रसित-बाध्यता विकार(obsessive compulsive disorder), आघात के पश्चात होने तनाव वाले संबंधी विकार(post-traumatic stress disorder) तथा व्यक्तित्व संबंधी विकार(personality disorders) होते हैं.

सांस्कृतिक तथा सामाजिक दबाव

कुछ लोगों का मानना है कि मीडिया तथा फैशन इंडस्ट्री लोगों में कम वजन होने की चाह का दबाव बनती है.

प्यूबर्टी(Puberty)

बहुत से लोग यौवन काल(puberty) के प्रारम्भ के समय, जब हॉर्मोनल बदलाव के कारण अपने शरीर के प्रति जागरूक हो जाते हैं, तब ईटिंग डिसॉर्डर से ग्रसित हो जाते हैं।

यदि किशोरों को यह महसूस होता है की उनके जीवन में उनकी बातों का मूल्य नहीं है तो वे बुलिमिया को एकमात्र उपाय के रूप में देखते हैं जिससे वे नियंत्रित कर सकें।

अनुवांशिकी

बुलिमिया के उत्पन्न होने में अनुवांशिक कारण संबंधित हो सकता है। शोध से यह पता चलता है कि जिन लोगों के किसी नज़दीकी रिश्तेदार को बुलिमिया था या अभी भी है, उनमें इसके उत्पन्न होने की संभावना उन लोगों से 4 गुना अधिक होती है जिनके किसी रिश्तेदार को यह समस्या नहीं है।

पहचान

यदि आपको कोई ईटिंग डिसॉर्डर है जैसे बुलिमिया, तो ऐसे में पहला कदम है यह पहचानना कि आपको कोई समस्या है तथा अपने डॉक्टर से मिलना।

आपके लिए यह कदम लेना बहुत कठिन हो सकता है।

बुलिमिया से ग्रसित ज्यादातर लोग मदद लेने से पहले अपनी इस स्थिति को महीनों या सालों तक छुपा के रखते हैं। कई बार बुलिमिया से ग्रसित व्यक्ति स्थितियों के बदलने पर मदद लेना चाहते हैं जैसे किसी नए संबंध की शुरुआत होने पर या नये लोगों के साथ रहने पर।

जब आप अपनी स्थिति अपने डॉक्टर से साझा करेंगे तब वे यह निर्णय करेंगे की आपको सहायता के लिए किसी विशेषज्ञ मानसिक स्वास्थ्य टीम के पास रेफर करना चाहिए या नही। आपके स्थानीय टीम में

विशेषज्ञ सलाहकार, मनोरोग चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, नर्स, आहार विशेषज्ञ तथा अन्य स्वास्थ्यसेवा विशेषज्ञ सम्मिलित होंगे।

आपकी चिकित्सा का क्रम आपकी स्थिति की गंभीरता तथा उसकी देखभाल के श्रेष्ठ उपाय पर निर्भर करता है।

आपके डॉक्टर किसी विशेषज्ञ चिकित्सा के लिए रेफर करने से पूर्व आपके स्वास्थ्य लाभ के लिए स्वयं सहायता कार्यक्रम का निर्देश कर सकते हैं।

उपचार

आप इस समस्या से उबर सकते हैं लेकिन यह एक लंबी तथा कठिन प्रक्रिया हो सकती है।

बेहतर होने की दिशा में पहला कदम समस्या को पहचानना तथा उससे ठीक होने के लिए एक विशुद्ध इच्छा होना आवश्यक है। इसमें अपनी जीवनशैली तथा परिस्थितियों में बड़ा बदलाव लाना शामिल हो सकता है।

आमतौर पर उपचार की शुरुआत मनोवैज्ञानिक चिकित्सा से होती है जिसका उद्देश्य खाने के प्रति स्वस्थ रवैये की पुनः स्थापना करने में आपकी सहायता करना होता है। बुलिमिया से ग्रसित लोगों को उन मूल कारणों एवं भावनाओं को पहचानने और समझने की आवश्यकता होती है जो उनके ईटिंग डिसॉर्डर में योगदान देती हैं तथा भोजन एवं वजन के प्रति अपने रवैये को बदलने की भी।

आमतौर पर मनोवैज्ञानिक चिकित्सा के साथ आपके डॉक्टर कभी-कभी दवाएँ लेने की सलाह भी दे सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक चिकित्सा

कॉग्निटिव बिहेव्यर थेरेपी (Cognitive behavioural therapy, CBT) बुलिमिया के लिए सबसे आम प्रकार की मनोवैज्ञानिक चिकित्सा है। इसमें थेरेपिस्ट से बात करना तथा आपके मनोभावों को बारीकी से समझना शामिल है जिससे स्थितियों, भावनाओं तथा खाने के बारे में विचार करने के नए तरीकों पर योजना बनाई जा सके। इसमें एक भोजन डायरी बनाना भी शामिल हो सकता है ,जिससे यह पता लगाने में सहायता मिलेगी कि आपके अत्यधिक खाने(binge eating) को क्या सक्रिय करता है।

पारस्परिक थेरेपी(

CBT के समान ही पारस्परिक थेरेपी (IPT) में आपकी स्थिति पर विचार करने के लिए थेरेपिस्ट से मिलना शामिल है। लेकिन इसमें भोजन के साथ आपकी समस्या से ज्यादा ध्यान आपके व्यक्तिगत संबंधों पर दिया जाता है।

इस प्रकार की मनोवैज्ञानिक चिकित्सा के लिए आपको रेफर किए जाने की संभावना तब अधिक होती है,यदि आपने हाल ही में किसी प्रिय-जन को खो दिया हो तथा आपने अपने जीवन में बड़ा बदलाव अनुभव किया हो।

IPT का उद्देश्य सहायक संबंधों की स्थापना करने में आपकी मदद करना है। यह आपका ध्यान खाने से हटाने में सहायक हो सकता है।

दवाइयाँ

एंटी डेप्रेस्सेंट जिन्हे सेलेक्टिव सेरोटोनिन रूप्टेक इनहिबिटर(SSRIs) कहते हैं, बुलिमिया के उपचार के लिए प्रयोग की जा सकती हैं। आमतौर पर बुलिमिया के इलाज के लिए fluoxetine (ब्रांड नाम Prozac) नामक SSRI का सुझाव दिया जाता है।

SSRIs मुख्य रूप से अवसाद की चिकित्सा के लिए प्रयोग की जाती हैं लेकिन ईटिंग डिसॉर्डर, मनोग्रसित-बाध्यता विकार९OCD), चिंता/ घबराहट तथा सामाजिक डर के इलाज में भी इनका प्रयोग किया जाता है।

अन्य एंटीडिप्रेसेंट के समान SSRI को काम शुरू करने से पहले सामान्यतः कुछ हफ्तों का समय लगेगा।

आमतौर पर आपको शुरुआत में कम मात्रा दी जाएगी, शरीर द्वारा औषधि के साथ सामंजस्य बैठाने पर इसकी मात्रा धीरे धीरे बढ़ा दी जाती है।

जब आप SSRI लेना शुरू करते हैं, तो अपनी प्रगति की जांच के लिए तथा यह देखने के लिए कि दवाओं से आप में कैसी प्रतिक्रिया हो रही है अपने डॉक्टर से 2,4,6 तथा 12 हफ्तों बाद अवश्य मिलें। एंटीडिप्रेसेंट्स दवाओं से हर किसी में अच्छी प्रतिक्रिया नहीं होती इसलिए आपकी प्रगति का सावधानी से निरीक्षण करना बहुत महत्वपूर्ण है।

बच्चों तथा 18 वर्ष से कम आयु के युवाओं में बहुत कम दवाएँ लिखी जाती हैं। यदि आपको मिर्गी है या हृदय, लिवर अथवा किडनी रोगों का पारिवारिक इतिहास हो,तो आपके लिए SSRIs का उपयोग ना करना ही उचित है।

अस्पताल में उपचार

आमतौर पर बुलिमिया का इलाज अस्पताल में नहीं होता है। लेकिन यदि आप में गंभीर स्वास्थ्य जटिलता हो तथा आपका जीवन जोखिम में हो तो आप को अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है। यदि आप में आत्महत्या करने या स्वयं को हानि पहुंचाने की संभावना हो तो आपका इलाज अस्पताल में करने पर भी विचार किया जा सकता है।

स्वास्थ्यलाभ प्रक्रिया

रोग की पुष्टि होने के पश्चात बुलिमिया से ग्रसित लोग स्वास्थ्य लाभ कर सकते हैं लेकिन इसमें लंबा समय लग सकता है। यह प्रभावित व्यक्ति के लिए तथा उसके परिवार एवं दोस्तों के लिए बहुत मुश्किल हो सकता है।

बुलिमिया से ग्रसित व्यक्ति में स्वास्थ्य लाभ के लिए आवश्यक है :

  • अपने भोजन की आदतों में बदलाव करना
  • भोजन के बारे में सोचने के तरीकों में बदलाव
  • यदि आवश्यक हो, सुरक्षित तरीके से वजन बढ़ाना
  • कोई व्यक्ति जितने लंबे समय से ब्युलिमिया से ग्रस्त होगा, स्वस्थ भोजन की आदतों को पुनः सीखने तथा वजन बढ़ाने में उतनी ही मुश्किल होगी। इलाज को जितनी जल्दी हो सके शुरू करना महत्वपूर्ण है,जिससे उस व्यक्ति के पुनः स्वस्थ होने की संभावना अधिक हो।

ज्यादातर लोगों में, स्वास्थ्य लाभ करने के कई चरण होते हैं, जिसमें लाभ के लिए कई बार अच्छा और बुरा दोनों से गुज़रना पड़ता है।

स्टीव की कहानी

55 वर्ष के स्टीव, आधी रात में चुपके से खाने के लिए किचन में चोरी छिपे जाया करते थे। वे 20 वर्षों से बुलिमिया से उभरने की कोशिश कर रहे हैं।

“मुझे लगता है मुझमें बुलिमिया का पहला लक्षण 1974 में आया था। मैं फुटबॉल का पूर्व खिलाड़ी था। मैं बहुत बड़ा नहीं था लेकिन मैं काफी तगड़ा था और पतली महिलायें मुझसे आकर्षित होती थी। एक दिन मेंरी एक महिला मित्र ने कहा उसके आज तक जितने भी दोस्त हुए हैं उन सब में से मैं सबसे मोटा था, और वहीं से इसकी शुरूवात हुई।”

“सबसे महत्वपूर्ण मोड़ 1980 में आया, जब मैं एक रिकार्ड कंपनी के प्रतिनिधि से टीवी प्रस्तुत-कर्ता बना। यदि आप को बुलिमिक हैं तब आप वास्तव में किसी ऐसी स्थिति में नहीं पड़ना चाहते जहां कैमरा आप पर 4 किलो वजन और बढ़ा डाले। एक दिन भोजन के समय मैंने अपना स्टार्टर, मुख्य भोजन तथा मिठाई आदि ली, उसके बाद चौगुना ब्रांडी पी और मुझे उस सबको निकल दिया।जब मैं घर पहुँचा और मैंने अपना वजन तौला तो मुझे लगा की ये तो बहुत बढ़िया है। मैं जो चाहे खा सकता था या पी सकता था और मेरा वजन भी नही बढ़ रहा था। लेकिन, निस्संदेह यह अच्छा नही था।

“मैं लंदन में अपनी एक दोस्त मैगी, जो अब मेरी पत्नी है, के साथ रहता था। मैं पूरे दिन कुछ नहीं खाता था लेकिन रात में मैं सोता-खाता था। मीरा अक्सर आधी रात में जागा करती थी और मुझे खाने के लिए कुछ खोजने के प्रयास में किचन में पाती थी। उसने किचन में ताला लगाना शुरू कर दिया लेकिन फिर मैंने उससे चाबी लेने के लिए काफ़ी ज़ोर लगाया, और मिन्नतें की। आज हम इस बारे में सोच कर हँसते हैं लेकिन यह बहुत दुखद था।    

“मैं अभी भी रात के समय में खाता हूं। यह बहुत अजीब है लेकिन किसी ना किसी प्रकार से ये स्वीकार्य है क्योंकि आस पास कोई नही होता और मुझे लगता है की अकेले में खाना ठीक है|

उस समय स्थिति बहुत खराब थी लेकिन कम से कम मैं मैगी से इस बारे में बात कर सकता था। मुझे लगता है कि शायद मैगी ने मुझे बचा लिया।”

“लत लगने की बुरी बात यह है की यह कभी नही जाती। वे कहते हैं की शराब और सिगरेट के आदि लोगों को ऐसा लगता है की वो उसी दिन के लिए जीते हैं बिना आगे की सोचे, मुझे लगता है कि मैं भी वैसा ही करता हूँ। मैं अभी भी दूसरों के सामने ज्यादा भोजन नहीं खा सकता। मुझे यह बहुत ज्यादा मुश्किल लगता है और मेंरा पाचन तंत्र भी बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है।”

“अक्सर बुलिमिया को औरतों का रोग माना जाता है लेकिन मुझे लगता है यह सभी लोगों कों होने वाला रोग है। बस मेरा यह मानना है कि एक पुरुष के लिए सहायता समूह में जाना और उठकर यह कहना कि देखो मुझे, मैं एक बुलिमिक हूं और मैं अपना खाना बाहर निकाल देता हूं, बहुत मुश्किल होता है।”

“मैं एक स्वयंसेवी संगठन में वौलनटीयर हूँ और वहाँ मैं केवल ब्युलिमिया के बारे में ही बात नहीं करता बल्कि अपने बारे में तथा मैं जिन परिस्थितियों से गुजरा उस बारे में भी बात करता हूं, इस उम्मीद में कि मैं इससे अन्य लोगों की सहायता कर सकूँ।”

“उम्मीद है तथा इस बारे में बात करने के लिए अन्य लोग भी हैं। आपकी स्थिति बहुत बड़ी लग सकती है क्योंकि इसे आपने ही बनाया है लेकिन इसके लिए सहायता भी उपलब्ध है। अंधेरी सुरंग के अंत में रोशनी होती है।”

मेरी की कहानी

48 वर्ष की मेरी, जो मुंबई में एक छोटा सा व्यापार चलाती हैं, ने वर्षों तक बुलिमिया से संघर्ष किया और अंत में उन्होंने अपने स्वास्थ्य को एक सही दिशा दी।

“मुझे लगता है मुझ में बुलिमिया की वजह मेरा पालन पोषण है जो काफ़ी तनावपूर्ण था। |जब मेरी मां बहुत कम उम्र की थी तब मेरा जन्म हुआ था और वह बहुत सख्त स्वभाव की थीं। अपनी भावनाओं को व्यक्त करना सही है ऐसा मैं कभी नहीं सोच पायी इसलिए मैंने उन्हे अपने तक ही रखा। इसके परिणाम स्वरूप मैं इस सोच के साथ बड़ी हुई की मैं अच्छी नही लगती थी। स्कूल में भी, मैं बाहरी व्यक्ति के समान अनुभव करती थी।

“12 वर्ष की आयु में मेरा आकार सामान्य था , लेकिन जब तक मैं 17 वर्ष की हुई ,मैं ये स्वीकार कर चुकी थी की मैं मोटी और अनाकर्षक हूँ। मैंने डाइयटिंग शुरू की लेकिन अंत में मेरा आकार और अधिक बढ़ गया। मैं 3-4 दिनों तक स्वयं को भूखा रखती थी ,उसके बाद मेंरे हाथ में जो भी खाने की वस्तु आती थी मैं वो सब खा लेती थी। आमतौर पर यह ब्रेड ,बिस्किट तथा सीरीयलस होते थे। उसके बाद मुझे अपने आप से इतनी घृणा होती थी की मैं जानबूझ कर जितना जल्दी हो सके उल्टी करती थी, इस उम्मीद में कि मुझे इस खाने को पचने से पहले अपने शरीर से बाहर निकालना है।  

“मैं अभी तक भी घर पर ही रहती थी और मेरी स्थिति किसी को पता नहीं थी। मेंरे माता पिता को कोई अंदाजा भी नहीं था की क्या चल रहा है। यहाँ तक की जब ज्यादा उल्टियाँ करने के कारण बाइल डक्ट(bile duct) के फटने पर मैं अस्पताल पहुँची तो मैं उसे अपेंडिसायटिस(appendicitis) बता कर समझाने में सफल रही।

“जब तक मैं 22 वर्ष की हुई, तो मैंने खाने के स्वस्थ तरीकों का पालन करने का निर्णय लिया, जिस पर मैं 2-3 वर्ष तक कायम रहने में सफल रही। लेकिन उसके बाद बुलिमिया फिर से शुरू हो गया। मैं तभी एक संबंध से बाहर आई थी और सामान्य रूप से उदास महसूस कर रही थी। मुझे ऐसा भी लग रहा था की मेरा जीवन छूटा जा रहा है और उसका कोई उद्देश्य नहीं है|

“लगभग 28 वर्ष की होने तक मैं ऐसी ही जीती रही लेकिन तब मैं किसी व्यक्ति से मिली जो स्वास्थ्य लाभ कर रहा शराबी था, जिसने मुझे बताया की मुझे भोजन विकार है। तब अचानक मुझे स्पष्ट होने लगा की मेरी समस्या खाने से संबंधित नहीं थी बल्कि जीवन के प्रति मेरे सम्पूर्ण रवैये में थी।

“मैंने मदद लेने का निश्चय किया और मैंने एक साप्ताहिक बैठक में जाना शुरू किया, जो मेरे रहने के स्थान से 50 मील दूर होती थी। यह बहुत लाभदायक था तथा इसने मुझे पुनः स्वस्थ होने के लिए रूपरेखा प्रदान की। लेकिन मुझे जल्दी ही यह एहसास हो गया की यदि मैं पुनः स्वस्थ होना चाहती हूँ, तो यह स्वयं मुझे करना होगा।”

“मैं बीमार होने या थकान महसूस करने से ऊब चुकी थी, इसलिए मैंने एक डायरी बनाने का निर्णय किया। मैं प्रत्येक दिन के अंत में वो सब लिखती थी जिनके कारण मैं अजीब या असहज महसूस करती थी और उन चीज़ों को भी जिनके होने पर मैंने खाने से उनको शांत करने की कोशिश की। जब मैंने अपनी लिखी हुई चीजों को पलट कर देखा तो मुझे एहसास हुआ कि चीजें इतनी भी बुरी नहीं है जितना वह लग रही थीं। धीरे-धीरे मैंने अपनी डायरी में वस्तुओं की शिकायतों के बारे में लिखना बंद कर दिया और अपनी उपलब्धियों के बारे में लिखना शुरू किया।”

“धीरे-धीरे मैंने सामान्य रूप से फिर से खाना शुरू किया तथा वजन घटाना भी। मैंने स्थानीय बैठक भी करवाई जिसमें हर हफ्ते बड़ी संख्या में लोग आते थे। मुझे यह महसूस होता है की मैं अब 99% तक अपने बाध्यता-वश खाने से मुक्त हो चुकी हूँ और अब मुझे उल्टी के बारे में ख़याल भी नहीं आएगा।

“मैं अब पहले से कहीं ज्यादा स्वस्थ हूं और शुक्रगुज़ार हूँ की बुलिमिया ने मेरे रूप को नष्ट नहीं किया। शरीर स्वयं को ठीक कर लेता है तथा पुनः स्वस्थ होने की राह पर चलने के लिए कभी देर नही होती, लेकिन इसके लिए पहला कदम आपको स्वयं लेना होता है। कुछ भी स्थाई नहीं होता तथा मेरे पुनः स्वस्थ होने की यह प्रक्रिया हर दिन चल रही है।”

लेसली की कहानी

38 वर्ष की लेसली को 14 से 23 वर्ष की आयु के बीच ब्युलिमिया था।

“मैं स्कूल में थोड़ा संघर्षरत थी और मैं घर पर भी बहुत खुश नहीं रहती थी। संभवतः ये एक विशिष्ट 'मध्य संतान सिंड्रोम(middle-child syndrome)' था। मुझे याद है, एक युवा महिला के रूप में मैं अपने शरीर के बारे में बहुत उलझन में थी।

“उसके बाद मैंने शौचालय जाकर खाने को शरीर से बाहर निकालना शुरू कर दिया। इसकी प्रक्रिया की गोपनीयता ने मुझे आकर्षित किया। ये एक ऐसी चीज़ थी जो मेरे हाथ में थी। |दुर्भाग्यवश मैं उल्टी करने की आदत की आदी हो गई।”

“यह ऐसी चीज थी जिसको मुझे बोल कर समझाने की जरूरत नहीं थी और मुझे लगता है कि यह मेरे नियंत्रण में रहने की अनुभूति का एक तरीका था। मैंने भोजन को थोड़ा आराम देने वाली वस्तु के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। शौचालय में यह समय मेरे अकेले(एकांत)का होता था।

“बुलिमिया को एक गोपनीय डिसॉर्डर भी कहते हैं| एक तरीके से यह एक जूझने की प्रक्रिया है। यह तब होता है जब आप सामना नहीं कर पाते और कुछ बदलाव जरूरी होता है। इसलिए यह बहुत खतरनाक बीमारी है क्योंकि आप इसके साथ आगे बढ़ने लगते हैं। स्कूल के समय यह(बीमारी) मेरे साथ थी। मैंने अपनी परीक्षाएं दी(मैंने बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया ,लेकिन फिर भी परीक्षा दी ), मैंने यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया और मैं 1 वर्ष के लिए विदेश भी गई। इस पूरे समय मैं गुप्त तरीके से उल्टियां करती थी।”

“ मेरे दाँत सड़ रहे थे और मेरी महावारी रुक गई थी। निश्चित रूप में मेरे कोई यौन संबंध नहीं थे, जो पूर्ण रूप में बंद हो गए थे| दुर्भाग्यवश, मैं खुद से नफरत करना सीख गई थी।”

“यूनिवर्सिटी में जाने पर मुझे एहसास हुआ कि मुझे किसी से मिलना चाहिए। मैं जानती थी कि यह सब बंद होना चाहिए क्योंकि मैं दोहरा जीवन जी रही थी। थेरेपिसट से मिलने के अलावा, जो मैं अभी भी कर रही हूँ, मैंने रचनात्मक कलाओं का उपयोग करके स्वस्थ होने की अपनी यात्रा को स्वयं भी आगे बढ़ाया।

मैं समुदाय रंगमंच में लेक्चरर तथा कलाकार हूँ|”

“भोजन विकार होने के विषय में कुछ भी आकर्षक,रोमांचक या सकारात्मक नही है। यह सिर्फ आपके शरीर को नष्ट करता है और आपके जीवन को कम कर देता है। मैं अभी भी अपने दांतो पर बहुत सारा धन खर्च कर रही हूं, जो बहुत बुरी हालत में है तथा यह प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करता है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप स्वयं के बारे में कैसा महसूस करते हैं, यह उसको प्रभावित करता है। यह आपके परिवार, दोस्तों तथा आपके साथी के साथ आपके संबंधों को भी प्रभावित करता है। कई वर्षों तक मेरे कोई संबंध नहीं थे क्योंकि मुझे बहुत डर लगता था। मैं स्वयं को हानि पहुँचाने वाले तरीके से जीवन जी रही थी।”

“सहायता लेने में कठिनाई यह होती है कि आप बुलिमिया से ग्रसित व्यक्ति पर इसके बारे में बात करने के लिए दबाव नहीं बना सकते, विशेषरूप से इस प्रकार की बीमारी के साथ। आप नकारात्मकता के साथ जीते हैं और मुझ में इसके प्रति शर्मिंदगी थी। मुझे लगता था की लोग इसके बारे में विकृत सोच रखते होंगे तथा इसके बारे में जानना नहीं चाहते। आप बस सामान्य रहना चाहते हैं तथा तालमेल बैठाना चाहते हैं।”

“यह एक बुरी आदत है। यह जीवित रहने का तरीका ना होकर उसका विपरीत है। जब आपको यह एहसास होता है कि आपके व्यवहार में कुछ गलत है सिर्फ तभी आप सहायता लेने के इच्छुक होते हैं।”

जटिलताएँ

बुलिमिया से अनेक प्रकार की शारीरिक जटिलताएँ हो सकती हैं।

इसमें निम्नलिखित में से कोई भी शामिल हो सकती हैं:

  • दांतो से संबंधित समस्याएं - लगातार उल्टी करने के कारण आपके पेट का एसिड दांतो के इनेमल को नुकसान पहुँचाता है ,जिसके कारण दाँत सड़ने लगते हैं।
  • अत्यधिक उल्टी करने से सांस में बदबू तथा गले में दर्द हो सकता है।
  • अनियमित महावारी - आपके मासिक स्राव का चक्र अप्रत्याशित हो जाता है या संपूर्ण रूप में रुक सकता है। आपको भविष्य में गर्भधारण करने में समस्या भी हो सकती है।
  • त्वचा तथा बालों का खराब हो जाना - लगातार उल्टी करने के कारण या कुछ दवाओं का प्रयोग करने से आप में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे आपकी त्वचा तथा बाल अस्वस्थ हो जाते हैं। आपकी त्वचा तथा बाल रूखे हो जाते हैं और आपके नाखून नाज़ुक हो जाते है।
  • ग्रंथियों में सूजन -यदि आपको बुलिमिया है, तो बार बार उल्टी करने के कारण आप की लार ग्रंथियों में सूजन हो सकती है। इससे आपका चेहरा ज्यादा गोल लगने लगता है।
  • रासायनिक असंतुलन- अत्यधिक उल्टी तथा लैक्सटिव दवाओं के प्रयोग से आपके शरीर में रासायनिक असंतुलन हो सकता है। इसके परिणाम स्वरूप थकान, कमज़ोरी, असामान्य हृदय गति(abnormal heart rhythms), किडनी को क्षति , दौरे पड़ना तथा माँसपेशियों में ऐंठन हो सकती हैं।
  • बोवेल संबंधी समस्याएं- लैक्सटिव दवाओं का अत्यधिक इस्तेमाल करने से आपके आँतों की मांसपेशियों को नुकसान हो सकता है जिससे स्थाई कब्ज हो सकता है।
  • हृदय संबंधी समस्याएं - ब्युलिमिया की दीर्घकालिक जटिलता में हृदय संबंधी समस्या के बढ़ने की संभावना शामिल है।

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