प्रस्तावना
कैंसर की अत्यंत प्रचलित और गंभीर प्रकारों में फेफड़ों का कैंसर भी सम्मिलित है। यूके में प्रति वर्ष 44,500 से अधिक व्यक्तियों में इस रोग की पहचान की जाती है।
आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर की आरंभिक अवस्थाओं में कोई चिन्ह अथवा लक्षण प्रकट नहीं होते हैं, परन्तु इस रोग में अंतत: कई व्यक्तियों में धीरे धीरे निम्न लक्षण प्रकट होते हैं :
- निरंतर खांसी
- रक्त की खांसी
- अनवरत श्वासहीनता
- अस्पष्ट थकावट और वजन घटना
- सांस लेते अथवा खांसते समय पीड़ा या दर्द
यदि आपको यह लक्षण होते हैं तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिये।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षणों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।
फेफड़ों के कैंसर की प्रकारें
फेफड़ों से प्रारम्भ होने वाले कैंसर को फेफड़ों का प्राथमिक कैंसर कहते है। वह कैंसर जो शरीर के किसी अन्य स्थान से फेफड़ों तक फैलता है, उसे फेफड़ों का द्वितीयक कैंसर कहते है। इस पृष्ठ में फेफड़ों का प्राथमिक कैंसर वर्णित है।
फेफड़ों का प्राथमिक कैंसर दो प्रकार का होता है। इनका वर्गीकरण कैंसर प्रारम्भ करने वाली कोशिकाओं पर आधारित होता है जहां होता है। ये निम्न हैं :
- गैर-लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर – अत्यंत प्रचलित प्रकार, जिसमें 80% से अधिक मामले होते हैं; यह स्क्वैमस कोशिका कार्सिनोमा, एडेनोकार्सिनोमा अथवा बड़ी-कोशिका कार्सिनोमा हो सकता है।
- लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर – यह कम देखा जाता है और अक्सर यह गैर-लघु-कोशिका फेफड़े के कैंसर की तुलना में अधिक गति से फैलता है।
आवश्यक उपचार की अनुशंसा आपके फेफड़ों के कैंसर की प्रकार के आधार पर की जाती है।
फेफड़ों के कैंसर के रोग-निदान के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।
कौन प्रभावित होता है
मुख्यत: अधिक आयु वाले व्यक्तियों को फेफड़ों का कैंसर होता है। यह 40 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्तियों में बहुत कम होता है और आयु बढ़ने के साथ फेफड़ों के कैंसर की दर बहुत तीव्रता से बढ़ती है। अक्सर 70-74 वर्ष की आयु वाले व्यक्तियों में फेफड़ों के कैंसर का रोग-निदान होता है।
यद्यपि कभी भी धूम्रपान न करने वाले व्यक्तियों को भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है, परन्तु धूम्रपान इस रोग का मुख्य कारण है (85% से अधिक मामलें) क्योंकि धूम्रपान में श्वास मे माध्यम से नियमित रूप से विभिन्न विषैले पदार्थ शरीर के अन्दर जाते हैं।
अधिक जानकारी :
- फेफड़ों के कैंसर के कारण
- फेफड़ों के कैंसर की रोकथाम
फेफड़ों के कैंसर का उपचार
उपचार का निर्धारण कैंसर की प्रकार, इसके फैलाव और आपकी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति पर आधारित होता है।
यदि रोग का निदान जल्द हो जाता है और कैंसरयुक्त कोशिकाएं एक छोटे से क्षेत्र तक सीमित रहती है, तो आमतौर पर फेफड़े के प्रभावित क्षेत्र को हटाने हेतु शल्य-चिकित्सा की अनुशंसा की जाती है।
यदि आपके सामान्य स्वास्थ्य के आधार पर शल्य-चिकित्सा नहीं की जा सकती है, तो कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडियोथेरैपी की अनुशंसा की जा सकती है।
यदि शल्य-चिकित्सा अथवा रेडियोथेरैपी के प्रभावोत्पादक क्षेत्र से काफी दूर तक कैंसर फैल जाता है, तो आमतौर पर कीमोथेरेपी का प्रयोग किया जाता है।
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दृष्टिकोण
आमतौर पर फेफड़ों अथवा शरीर के अन्य अंगो तक कैंसर फैलने तक फेफड़ों के कैंसर के प्रत्यक्ष लक्षण प्रकट नहीं होते है। अर्थात, इस रोग का दृष्टिकोण अन्य प्रकार के कैंसरों जैसा स्पष्ट नहीं होता है। कुल मिलाकर, अपने रोग-निदान के पश्चात लगभग 3 में से 1 रोगग्रसित व्यक्ति कम से कम एक वर्ष तक और 20 में से 1 व्यक्ति कम से कम दस वर्षों तक जीवित रहते हैं।
ऐसा होने पर भी, रोग-निदान के समय कैंसर के फैलाव के आधार पर जीवित रहने की दर व्यापक रूप से भिन्न हो सकती हैं। जल्द रोग-निदान एक बड़ा अंतर प्रस्तुत कर सकता है।
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फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
रोग के बढ़ने के साथ-साथ फेफड़ों के कैंसर के लक्षण उत्पन्न होते हैं और आरम्भिक अवस्थाओं में प्राय: कोई चिन्ह अथवा लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
फेफड़ों के कैंसर के मुख्य लक्षण निम्न दिये गए हैं। यदि आप इनमें से किसी से भी ग्रसित हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिये :
- दो अथवा तीन सप्ताहों से अधिक रहने वाली कोई खांसी
- कोई दीर्घकालिक खांसी जो बढ़ती जा रही हो
- अनवरत छाती के संक्रमण
- रक्त की खांसी
- सांस लेते अथवा खांसते समय पीड़ा या दर्द
- अनवरत श्वासहीनता
- अनवरत थकावट अथवा ऊर्जा की कमी
- भूख में कमी अथवा बिना कारण वजन घटना
फेफड़ों के कैंसर के कम प्रचलित लक्षणों में निम्न सम्मिलित हैं :
- आपकी उंगलियों की दिखावट में बदलाव, उदाहरण के तौर पर अधिक मुड़ी हुई होना अथवा उनके शीर्ष भागों का बड़ा होना (इसे फिंगर क्लब्बिंग कहते है)
- 38oसे. (100.4oफे.) अथवा अधिक का उच्च तापमान (ज्वर)
- निगलने में कठिनाई अथवा दर्द
- साँस की घरघराहट
- भारी आवाज़
- चेहरे अथवा गर्दन में सूजन
- निरंतर छाती अथवा कंधे का दर्द
और अधिक जानना चाहते हैं?
- कैंसर रिसर्च यूके : फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
मैकमिलन : फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
फेफड़ों के कैंसर के कारण
फेफड़ों के कैंसर के अधिकतर मामलें धूम्रपान के कारण होते हैं, हालांकि यह कभी भी धूम्रपान न करने वाले व्यक्तियों को भी हो सकते हैं।
धूम्रपान
फेफड़ों के कैंसर का एक सबसे बड़ा कारक सिगरेट द्वारा धूम्रपान करना है। 85% से अधिक मामलों का कारण धूम्रपान ही होता है।
तम्बाकू के धुएं में 60 से अधिक भिन्न विषैले पदार्थ होते हैं, जिनसे कैंसर उत्पन्न हो सकता है। इन पदार्थों को कार्सिनोजेनिक (कैंसर-जनक) कहते हैं।
यदि आप एक दिन में 25 से अधिक सिगरेट पीते हैं, तो आपमें किसी धूम्रपान न करने वाले की तुलना में फेफड़ों के कैंसर की संभावना 25 गुणा अधिक बढ़ जाती है।
यद्यपि सिगरेट का धूम्रपान सबसे बड़ा कारक होता है, अन्य प्रकार के तम्बाकू उत्पादों से भी फेफड़ों का कैंसर एवं अन्य प्रकार के कैंसर विकसित करने का जोखिम बढ़ सकता है, जैसे की ग्रासनलीय कैंसर और मुंह का कैंसर। इन उत्पादों में निम्न सम्मिलित हैं :
- सिगार
- पाईप तम्बाकू
- नसवार (तम्बाकू के पाउडर की एक प्रकार)
- चबाने का तम्बाकू
भांग पीने को भी फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते जोख़िम के साथ जोड़ा गया है। अधिकतर भांग पीने वाले अपनी भांग में तम्बाकू मिलाते हैं। हालांकि वे तम्बाकू पीने वालों की तुलना में कम धूम्रपान करते हैं, परन्तु अक्सर वे गहरा कश भरते हैं और अपने फेफड़ों में धुएं को अधिक समय तक रखते हैं।
एक अनुमान के अनुसार चार जोड़ों (भांग के साथ मिश्रित घर में बनी सिगरटें) से किया गया धूम्रपान की मात्रा फेफड़ों को 20 सिगरटों के धूम्रपान से होने वाली क्षति के बराबर हानी पहुंचा सकता है।
भांग में तम्बाकू मिलाये बिना धूम्रपान करना भी सशक्त रूप से खतरनाक होता है, क्योंकि भांग में भी कैंसर उत्पन्न करने वाले पदार्थ होते हैं।
निश्चेष्ट धूम्रपान
यदि आप धूम्रपान नहीं करते/करती हैं, तो भी अन्य व्यक्तियों द्वारा जनित तम्बाकू के धुएं से बार-बार संपर्क में आने की स्थिति (निश्चेष्ट धूम्रपान) उत्पन्न होने से भी फेफड़ों का कैंसर होने का जोख़िम बढ़ सकता है।
उदाहरणार्थ, शोध से ज्ञात हुआ है कि धूम्रपान न करने वाली महिलाओं, जो किसी धूम्रपान करने वाले पति के साथ अपना घर साझा करती हैं, को धूम्रपान न करने वाले पति के साथ रहने वाली महिलाओं की तुलना में फेफड़ों का कैंसर उत्पन्न होने की 25% अधिक संभावना होती है।
राडोण
राडोण प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली रेडियोएक्टिव गैस है जो सब प्रकार की चट्टानों और मिट्टियों में बहुत कम मात्रा में विद्यमान होती है। कभी-कभी यह भवनों में भी पाई जाती है।
विशेषत: यदि आप धूम्रपान करते हैं और राडोण युक्त सांस लेते हैं तो यह आपके फेफड़ों को क्षतिग्रस्त कर सकती हैं। एक अनुमान के अनुसार इंग्लैंड में फेफड़ों के कैंसर से हुई सब मौतों के 3% मामलों के लिए यह उत्तरदायी है।
व्यावसायिक प्रभावन और प्रदूषण
कई व्यवसायों और उद्योगों में उपयोग होने वाले कुछ रसायनों और प्रदार्थों के संपर्क में आने के कारण भी कैंसर उत्पन्न हो सकता है। इन रसायनों और प्रदार्थों में निम्न सम्मिलित है :
- आर्सेनिक
- एसबेस्टस
- बेरिलियम
- कैडमियम
- कोयला और बुझे पत्थर के कोयले का धुआं
- सिलिका
- गिलट
एसबेस्टोसिस और सिलिकोसिस के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।
शोध से यह भी ज्ञात हुआ है कि कई वर्षों तक डीज़ल के अत्यधिक धुएँ के संपर्क में आने से भी फेफड़ों के कैंसर का जोख़िम उत्पन्न होने के संभावना 50% तक अधिक बढ़ जाती है। एक अध्ययन ने दर्शाया है कि यदि आप किसी उच्च स्तर की नाइट्रोजन ऑक्साइड गैसों (अधिकतर कारों और अन्य वाहनों द्वारा उत्पन्न) वाले क्षेत्र में रहते हैं तो आपमें फेफड़ों का कैंसर उत्पन्न होने का जोख़िम लगभग एक-तिहाई बढ़ जाता है।
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मैकमिलन : फेफड़ों के कैंसर के कारण और जोख़िम कारक
फेफड़ों के कैंसर का रोग-निदान
यदि आपमें श्वासहीनता अथवा निरंतर खांसी जैसे फेफड़ों के कैंसर के लक्षण उत्पन्न होते हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
आपके डॉक्टर आपकी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति और आपके द्वारा अनुभव किये जा रहे लक्षणों के बारे में पूछेंगे। वे आपकी जांच कर सकते हैं व आपको सांस द्वारा हवा के अन्दर और बाहर आवागमन को नापने वाले स्पाइरोमीटर नामक उपकरण में सांस लेने के लिए कह सकते हैं।
आपके लक्षणों के छाती के संक्रमण जैसे कुछ संभावित कारणों को ख़ारिज करने हेतु आपको एक रक्त जांच के लिए भी कहा जा सकता है।
2015 में, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हैल्थ अँड केयर एक्सेलैन्स (NICE) ने डॉक्टरों को फेफड़ों के कैंसर के चिन्हों और लक्षणों की पहचान करने और व्यक्तियों को जल्द उचित जांच हेतु रैफ़र करने के लिए डॉक्टरों की सहायता करने हेतु दिशानिर्देश प्रकाशित किये थे। यह जानने हेतु कि क्या आपको संदिग्ध फेफड़ों के कैंसर के लिए अतिरिक्त परीक्षणों के लिए रैफ़र किया जाना चाहिये, कृप्या संदिग्ध फेफड़ों के कैंसर के लिए NICE 2015 दिशानिर्देश पढ़ें : पहचान और संदर्भ।
छाती का एक्स-रे
प्राय: फेफड़ों के कैंसर का रोग-निदान करने के लिए सर्वप्रथम छाती का एक्स-रे लिया जाता है। एक्स-रे में अधिकांश फेफड़ों के ट्यूमर सफ़ेद-स्लेटी ढेले की तरह दिखाई देते हैं।
ऐसा होने पर भी, छाती के एक्स-रे एक निश्चित रोग-निदान नहीं कर सकते हैं क्योंकि अक्सर वे कैंसर और फेफड़ों के फोड़ें (फेफड़ों में मवाद का एकत्रीकरण) जैसे अन्य रोगों में भेद नहीं कर सकते हैं।
यदि आपकी छाती का एक्स-रे आपको फेफड़ों का कैंसर होने का संकेत करता है, तो फेफड़ों के कैंसर जैसे रोगों के स्थिति में आपको किसी विशेषज्ञ को रैफ़र (यदि पहले नहीं किया गया) किया जाना चाहिये। ये विशेषज्ञ कुछ अन्य परीक्षण कर सकते हैं ताकि यह जांच की जा सके कि क्या आपको फेफड़ों का कैंसर है और, यदि है, तो इसकी प्रकार और फैलाव।
CT स्कैन
प्राय: छाती के एक्स-रे के पश्चात एक कंप्यूटरीकृत टोमोग्राफ़ी (CT) स्कैन किया जाता है। CT स्कैन में आपके शरीर के भीतर विस्तृत चित्रों का निर्माण करने के लिये एक्स-रे और कंप्यूटर का प्रयोग होता है।
CT स्कैन करने से पूर्व आपको एक किसी कांट्रास्ट पदार्थ का इंजेक्शन दिया जाता है। यह एक रंगीन द्रव होता है जो स्कैन में फेफड़ों को स्पष्ट दिखाने में सहायता करता है। स्कैन दर्दरहित होता है और इसे पूरा होने में 10-30 मिनट का समय लगता है।
PET-CT स्कैन
यदि CT स्कैन के परिणाम आपमें आरंभिक अवस्था का कैंसर दर्शाते हैं तो PET-CT स्कैन (जिसका अर्थ है : पोजिट्रोन एमिशन टोमोग्राफ़ी - कंप्यूटरीकृत टोमोग्राफ़ी) किया जा सकता है।
PET-CT स्कैन सक्रिय कैंसर कोशिकाओं की लोकेशन दिखा सकता है। यह रोग-निदान और उपचार में सहायता कर सकता है।
PET-CT स्कैन करने से पूर्व, आपको एक थोड़े से रेडियोएक्टिव पदार्थ का इंजेक्शन दिया जाता है व आपको एक टेबल पर लेटने के लिये कहा जाता है, और इस टेबल को PET स्कैनर के भीतर सरका दिया जाता है। स्कैन दर्दरहित होता है और इसे पूरा होने में 30-60 मिनट का समय लगता है।
ब्रोन्कोस्कोपी और बायोप्सी
यदि CT स्कैन आपकी छाती के केन्द्रीय भाग में कैंसर होने की संभावना दर्शाता है, तो आपको ब्रोन्कोस्कोपी करवानी चाहिए । ब्रोन्कोस्कोपी प्रक्रिया किसी डॉक्टर अथवा नर्स को आपके फेफड़ों के भीतर से एक छोटा सा सैंपल हटाने में सहायता करती है।
ब्रोन्कोस्कोपी के दौरान, एक ब्रोन्कोस्कोप नामक पतली ट्यूब आपके फेफड़े की जांच और कोशिकाओं का एक सैंपल (बाययोप्सी) लेने के लिये प्रयोग की जाती है। ब्रोन्कोस्कोप आपके मुंह अथवा नाक से आपके गले में और फिर आपके फेफड़ों के वायुमार्गों में डाली जाती हैं।
यह प्रक्रिया असुविधाजनक हो सकती है, परन्तु आपको शांत करने के लिये पहले से ही एक हल्का सीडेटिव और आपके गले को सुन्न करने के लिये एक लोकल एनेस्थेटिक दिया जाता है। यह प्रक्रिया अति तीव्र होती है और केवल कुछ मिनट ही लेती है।
बायोप्सी की अन्य प्रकारें
यदि आप उपरोक्त वर्णित बायोप्सियों में से कोई एक बायोप्सी नहीं करवा पायें, अथवा आपने एक बायोप्सी करवाई परन्तु उसके परिणाम स्पष्ट नहीं थे, तो आपको एक भिन्न प्रकार की बायोप्सी की अनुशंसा की जा सकती है। यह एक थोराकोस्कोपी अथवा मेडियास्टीनोस्कोपी जैसी सर्जिकल बायोप्सी की तरह हो सकती है अथवा आपकी त्वचा में एक सुई डाल कर बायोप्सी की जा सकती है।
इन प्रकारों की बायोप्सियों का वर्णन नीचे किया गया है।
त्वचीय सुई बायोप्सी
त्वचीय सुई बायोप्सी में संदिग्ध ट्यूमर में से एक सैंपल निकालना और इसे कैंसरयुक्त कोशिकाओं का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला में परीक्षण करना सम्मिलित है।
बायोप्सी करने वाले डॉक्टर त्वचा के माध्यम से संदिग्ध ट्यूमर के स्थान तक पहुँचने के लिए एक CT स्कैनर का प्रयोग करते हैं। इसके आस-पास की त्वचा को सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थेटिक का प्रयोग किया जाता है, और आपकी त्वचा के माध्यम से सुई को आपके फेफड़ों में पहुंचाई जाता है। फिर सुई का प्रयोग आवश्यक जांच करने के लिए मांस-तंतु का सैम्पल प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
थोराकोस्कोपी
थोराकोस्कोपी प्रक्रिया के अंतर्गत डॉक्टर आपकी छाती के विशिष्ट क्षेत्र का परीक्षण कर सकते हैं व मांस-तंतु और द्रव के सैम्पल ले सकते हैं।
थोराकोस्कोपी करने से पूर्व आपको एक जनरल एनेस्थेटिक की आवश्यकता हो सकती है। आपकी छाती में एक ब्रोन्कोस्कोप जैसी ट्यूब डालने के लिए दो अथवा तीन छोटे चीरे लगाये जाते हैं। तत्पश्चात आपकी छाती के अन्दर देखने और सैम्पल प्राप्त करने के लिए डॉक्टर इस ट्यूब का प्रयोग करते हैं। फिर सैम्पलों को परीक्षण करने हेतु भेजा जाता है।
थोराकोस्कोपी के पश्चात, आपको एक रात के लिये हॉस्पिटल में रुकने की आवश्यकता हो सकती है, जिस दौरान आपके फेफड़ों में से कोई शेष द्रव को निकाला जाता है।
मीडियास्टीनोंस्कोपी
मीडियास्टीनोंस्कोपी के माध्यम से डॉक्टर आपकी छाती के केन्द्र (मीडियास्टीनम) में आपके फेफड़ों के बीच के क्षेत्र की जांच कर सकते हैं।
इस टेस्ट के लिए, आपको जनरल एनेस्थेटिक और दो दिनों के लिये हॉस्पिटल में रुकने की आवश्यकता हो सकती है। आपकी गर्दन के नीचे डॉक्टर एक छोटा सा चीरा लगाते हैं ताकि वे आपकी छाती के भीतर एक पतली ट्यूब पहुंचा सकें।
ट्यूब के अन्त में एक कैमरा होता है जिसके माध्यम से डॉक्टर आपकी छाती के भीतर देख पाते हैं। वे आपकी कोशिकाओं के सैम्पल लेने के साथ-साथ लसीका पर्व प्राप्त कर पाते हैं। लसीका पर्व की जांच की जाती है क्योंकि साधारणत: वे प्रथम स्थान होते हैं जहां फेफड़ों का कैंसर का फैलाव होता है।
अवस्था का ज्ञान
उपरोक्त परीक्षणों के पूरा होने के पश्चात, यह जानना संभव हो पाता है कि कैंसर किस अवस्था में है, आपके उपचार के लिए इसका क्या अर्थ है और क्या कैंसर की पूर्ण रूप से चिकित्सा करना सम्भव है।
गैर-लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर
सामान्यत: गैर-लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर (अत्यंत प्रचलित प्रकार) लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर की तुलना में कम गति से फैलता है और उपचार को भिन्न तरीके से अपनाता है।
गैर-लघु-कोशिका फेफड़े के कैंसर की अवस्थाओं का विवरण नीचे दिया गया है।
अवस्था 1
कैंसर फेफड़ों के भीतर सीमित रहता है और आस-पास के लसीका पर्व तक नहीं फैला है। अवस्था 1 को दो उप-अवस्थाओं में भी बांटा जा सकता है :
- अवस्था 1A – ट्यूमर का आकार 3 से.मी. (1.2 इंच) से कम होना
- अवस्था 1B – ट्यूमर का आकार 3-5 से.मी. (1.2-2 इंच) का होना
अवस्था 2
अवस्था 2 को दो उप-अवस्थाओं में बांटा जाता है : 2A और 2B.
अवस्था 2A में फेफड़ों के कैंसर में :
- ट्यूमर का आकार 5-7 से.मी. का होता है
- ट्यूमर का आकार 5 से.मी. से कम होता है और कैंसरयुक्त कोशिकाएं आस-पास के लसीका पर्व तक फैल गई होती हैं
अवस्था 2B के फेफड़ों का कैंसर में :
- ट्यूमर का आकार 7 से.मी. से बड़ा होता है
- ट्यूमर का आकार 5-7 से.मी. का होता है और कैंसरयुक्त कोशिकाएं आस-पास की लसीका पर्व तक फैल गई होती हैं
- कैंसर लसीका पर्व तक नहीं फैला हुआ होता है, परन्तु आस-पास की मांस-पेशियाँ अथवा मांस-तंतु तक फैल गया होता है
- कैंसर मुख्य मुख्य वायुमार्गों (ब्रोंकस) में से एक तक फैल गया होता है
- कैंसर ने फेफड़े को नष्ट कर दिया होता है
- फेफड़ों में कई छोटे-छोटे ट्यूमर हैं
अवस्था 3
अवस्था 3 को दो उप-अवस्थाओं में बांटा जाता है : 3A और 3B.
अवस्था 3A के फेफड़ों के कैंसर में, कैंसर छाती के केन्द्र में लसीका पर्व तक अथवा आस-पास के मांस-तंतु में फैल जाता है। यह निम्न हो सकता है :
- फेफड़े का आवरण (प्लिउरा )
- छाती की दीवार
- छाती का केन्द्र
- प्रभावित फेफड़े के निकट अन्य लसीका पर्व
अवस्था 3B के फेफड़ों के कैंसर में, कैंसर निम्न में से किसी एक तक फैल गया होता है :
- छाती के किसी भी तरफ स्थित लसीका पर्व, हंसली के ऊपर
- शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंग तक, जैसे की भोजन-नली (ओएसोफ़ाग्स), श्वासनली (त्राशिया), दिल अथवा मुख्य रक्त वाहिनी के भीतर
अवस्था 4
अवस्था 4 के फेफड़ों के कैंसर में कैंसर दोनों फेफड़ों अथवा शरीर के किसी अन्य अंग तक फैल जाता है (जैसे की हड्डियाँ, जिगर अथवा मस्तिष्क), अथवा आपके दिल अथवा फेफड़ों के इर्द-गिर्द कैंसर द्रव-युक्त कैंसर कोशिकाओं को बनने देता है।
लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर
गैर-लघु-कोशिका फेफड़े के कैंसर की तुलना में लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर कम प्रचलित है। जब माइक्रोस्कोप में जांच की जाती है तो गैर-लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं की तुलना में रोग स्थापित करने वाली कैंसरयुक्त कोशिकाओं का आकार छोटा होता है।
लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर की केवल दो संभावित अवस्थायें होती हैं :
- सीमित रोग – कैंसर फेफड़े के अतिरिक्त कहीं और नहीं फैला होता है
- व्यापक रोग – कैंसर फेफड़े से अलग भी फैल गया होता है
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- मैकमिलन : फेफड़ों के कैंसर के साथ रोग-निदान हो रहा है
कैंसर रिसर्च यूके : फेफड़ों के कैंसर की प्रकारें
फेफड़ों के कैंसर का उपचार करना
फेफड़ों का कैंसर का उपचार विशेषज्ञों के एक दल द्वारा किया जाता है, जो यथासंभव सर्वोत्तम उपचार प्रदान करने के लिये मिलकर कार्य करते हैं।
इस दल में यथोचित रोग-निदान करने, कैंसर की अवस्था पहचानने और सर्वोत्तम उपचार की रूपरेखा बनाने के लिए सब विशेषज्ञ होते हैं। यदि आप अधिक जानकारी चाहते हैं, तो इस बारे में अपने विशेषज्ञ से पूछें।
आपको प्राप्त हुए फेफड़ों के कैंसर का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता है जिनमें निम्न सम्मिलित हैं :
- आपके फेफड़ों के कैंसर की प्रकार (गैर-लघु-कोशिका अथवा छोटी-कोशिका कैंसर)
- कैंसर का आकार और स्थिति
- आपका कैंसर कितना फैल गया है (अवस्था)
- आपका कुल स्वास्थ्य
यह निर्णय लेना कि आपके लिए कौनसा उपचार सर्वोत्तम है, कठिन हो सकता है। आपकी कैंसर टीम अनुशंसायें करती है, परन्तु अन्तिम निर्णय आपको ही लेना होता है।
उपचार के मुख्य विकल्पों में शल्य-चिकित्सा, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी सम्मिलित हैं। आपके कैंसर की प्रकार और यह कितना फैल गया है, के आधार पर आप इन उपचारों का मिश्रण प्राप्त कर सकते/सकती हैं।
आपका उपचार प्लान
आपके गैर-लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर अथवा लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर की प्रकार पर आपका उपचार प्लान निर्भर करता है।
गैर-लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर
यदि आपको गैर-लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर है जो एक फेफड़े तक सीमित है और यदि आपका सामान्य स्वास्थ्य ठीक है, तो संभवत: कैंसरयुक्त कोशिकाएं को हटाने के लिए आपको शल्य-चिकित्सा करवानी होगी। इसके पश्चात शरीर में बची शेष कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए आपको संभवत: कीमोथेरेपी का एक कोर्स लेना होगा।
यदि कैंसर अत्यंत दूर तक नहीं फैला है, परन्तु शल्य-चिकित्सा संभव नहीं है (उदाहरणार्थ, यदि आपके सामान्य स्वास्थ्य में जटिलताएं विकसित होने का अत्यधिक जोख़िम है), तो आमतौर पर कैंसरयुक्त कोशिकाएं को नष्ट करने के लिए रेडियोथेरेपी की अनुशंसा की जाती है। कुछ मामलों में, इसके साथ कीमोथेरेपी (जिसे कीमो रेडियोथेरेपी कहते है) भी जोड़ी जा सकती है।
यदि कैंसर अत्यंत दूर तक फैल गया है और शल्य-चिकित्सा अथवा रेडियोथेरेपी प्रभावकारी नहीं हो सकती है, तो आमतौर पर कीमोथेरेपी की अनुशंसा की जाती है। यदि प्रारम्भिक कीमोथेरेपी उपचार के पश्चात कैंसर पुन: विकसित होना प्रारम्भ हो जाता है, तो उपचार के एक और कोर्स की अनुशंसा की जा सकती है।
कुछ मामलों में, कीमोथेरेपी के विकल्प के रूप में अथवा कीमोथेरेपी के पश्चात, जैविक अथवा लक्षित थेरेपी नमक उपचार की अनुशंसा की जा सकती है। जैविक थेरेपियां औषधियों पर आधारित होती हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को नियंत्रण अथवा रोक सकती हैं।
लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर
आमतौर पर लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर का उपचार चाहे अकेले कीमोथेरेपी अथवा रेडियोथेरेपी के संयोजन से किया जाता है। यह जीवनावधि को बढ़ाने और लक्षणों को हटाने में सहायता कर सकता है।
आमतौर पर इस प्रकार के फेफड़ों के कैंसर का उपचार शल्य-चिकित्सा से नहीं किया जाता है, क्योंकि अक्सर रोग-निदान से पूर्व ही कैंसर पहले से ही शरीर के अन्य अंगों में फैल गया होता है। हालांकि, यदि कैंसर का निर्धारण बहुत जल्द हो जाता है तो शल्य-चिकित्सा का प्रयोग किया जा सकता है। इन मामलों में, शल्य-चिकित्सा के पश्चात कीमोथेरेपी अथवा रेडियोथेरेपी की जा सकती है ताकि कैंसर के पुन: उत्पन्न होने के जोखिम को रोका जा सके।
शल्य-चिकित्सा
फेफड़ों के कैंसर की शल्य-चिकित्सा तीन प्रकार की होती है:
- लोबेक्टोमी – जिसमें फेफड़ों के एक अथवा अधिक भाग (जिन्हें लोब कहते है) हटाये जाते हैं। यदि कैंसर फेफड़े के केवल एक भाग में हो तो आपके डॉक्टर इस ऑपरेशन की राय देंगे।
- न्यूमोनेकटोमी – जिसमें पूरा फेफड़ा हटाया जाता है। यदि कैंसर फेफड़े के मध्य भाग में स्थित है अथवा पूरे फेफड़े में फैल गया है, तो इसका प्रयोग किया जाता है।
- वैज विभाजन अथवा सिग्मेंटेकटोमी – जिसमें फेफड़े का एक छोटा टुकड़ा हटाया जाता है। यह प्रक्रिया केवल कुछ रोगियों के लिए ही उपयुक्त है, क्योंकि इसका प्रयोग तभी किया जाता है जब आपके डॉक्टर के विचार में आपका कैंसर छोटा है और फेफड़े के एक क्षेत्र तक ही सीमित है। प्राय: यह गैर-लघु-कोशिका फेफड़े के कैंसर की अवस्था की अत्यंत प्रारम्भिक अवस्था होती है।
स्वाभाविक तौर पर लोग चिंतित होते हैं कि यदि फेफड़े का कोई भाग अथवा पूरा फेफड़ा हटा दिया गया तो वे सांस नहीं ले सकेंगे, परन्तु एक फेफड़े से भी सामान्य रूप से सांस लिया जा सकता है। हालांकि, यदि ऑपरेशन से पूर्व आपको श्वासहीनता जैसी सांस लेने की समस्या है, तो संभवत: शल्य-चिकित्सा के पश्चात भी यह लक्षण चालू रह सकते हैं।
शल्य-चिकित्सा से पूर्व परीक्षण
शल्य-चिकित्सा से पूर्व अपने फेफड़े के स्वास्थ्य और कार्यकुशलता की स्थिति की जांच करने के लिए आपको कई परीक्षण करवाने पड़ते हैं। इनमें निम्न सम्मिलित हो सकते हैं :
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) – इसमें आपके दिल के विद्युतीय गतिविधि की जांच करने के लिए इलैक्ट्रोडों का प्रयोग होता है
- स्पाइरोमैट्री – आप एक स्पाइरोमीटर नामक मशीन में सांस छोड़ते हैं, जो आपके फेफड़ों द्वारा सांस लेने और छोड़ने के क्षमता को नापती है
यह कैसे किया जाता है
आमतौर पर आपकी छाती अथवा साइड में एक चीरा (इन्सिजन) लगा कर शल्य-चिकित्सा की जाती है और इसमें प्रभावित फेफड़े के एक भाग अथवा पूरे फेफड़े को हटाया जाता है। यदि यह समझा जाता है कि कैंसर निकट के लसीका पर्व तक फैल गया है तो उन्हें हटाया भी जा सकता है।
कुछ मामलों में, इस पद्दती के विकल्प के रूप में एक वीडियो-सहायता प्राप्त थोरैकोस्कोपिक शल्य-चिकित्सा (VATS) उपयुक्त हो सकती है। VATS एक प्रकार की लेप्रोस्कोपी द्वारा की गयी शल्य-चिकित्सा है, जिसमें छाती में छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं। एक चीरे में एक छोटा फ़ाइबर-आप्टिक कैमरा होता है ताकि सर्जन एक मॉनिटर पर आपकी छाती के भीतर के चित्र देख सके।
ऑपरेशन के पश्चात
ऑपरेशन के 5 से 10 दिनों पश्चात तक आप संभवत: घर लौट सकते/सकती हैं। यद्यपि, फेफड़े के ऑपरेशन पूरी तरह ठीक होने में कई सप्ताह लग सकते हैं।
अपने ऑपरेशन के पश्चात, आपको यथासंभव शिघ्रातिशीघ्र चलने-फिरने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यदि आपको बिस्तर में ही रहना होगा, तो रक्तसंचार और रक्त के चक्के बनने से रोकने के लिए आपको नियमित रूप से पैर चलाने की आवश्यकता होती है। समस्याओं से बचने के लिए आपको कोई भौतिक चिकित्सक (फिजियोथेरेपिस्ट) सांस लेने के व्यायाम सीखा सकता है।
जब आप घर जायेंगे/जायेंगी तो आपको अपनी शक्ति और दुरुस्ती विकसित करने के लिये धीरे-धीरे व्यायाम करने की आवश्यकता होती है। फेफड़ों के कैंसर के उपचार के पश्चात अधिकांश व्यक्तियों के लिए चलना और तैरना व्यायाम की अच्छी प्रकारे हैं। अपने देखभाल दल से बात करें कि आपके लिये किस प्रकार के व्यायाम उपयुक्त हैं।
जटिलताएं
सब शल्य-चिकित्साओं की तरह, फेफड़े की शल्य-चिकित्सा में भी जटिलताओं का जोख़िम होता है। एक अनुमान के अनुसार पाँच में से एक मामले में ऐसा होता है। आमतौर पर इन जटिलताओं का औषधियों अथवा अतिरिक्त शल्य-चिकित्सा से उपचार किया जा सकता है, अर्थात आपको लंबे समय तक हॉस्पिटल में रहना होगा।
फेफड़े की शल्य-चिकित्सा में निम्न जटिलताएं सम्मिलित हो सकती हैं :
- फेफड़े में सूजन अथवा संक्रमण (न्यूमोनिया)
- अत्यधिक रक्तस्त्राव
- टांग में रक्त का चक्का (डीप वियन थ्रोंबोसिस), जिसकी फेफड़े तक फैलने की अत्यधित संभावना है (पुलमोनरी एम्बोलिस्म)
रेडियोथेरेपी
रेडियोथेरेपी एक उस प्रकार का उपचार है जिसमें विकिरण की कंपनों का प्रयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों के उपचार हेतु इसे कई तरीकों से उपयोग किया जा सकता है।
यदि कोई व्यक्ति शल्य-चिकित्सा करवाने के लिए आवश्यक रूप से स्वस्थ नहीं है तो गैर-लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर ठीक करने के लिए रेडिकल रेडियोथेरेपी नामक रेडियोथेरेपी के एक सघन कोर्स का प्रयास किया जा सकता है। अत्यंत छोटे ट्यूमरों के लिए, शल्य-चिकित्सा के स्थान पर एक स्टीरियोटैक्टिक रेडियोथेरेपी नामक विशेष प्रकार की रेडियोथेरेपी का प्रयोग किया जा सकता है।
जब चिकित्सा संभव न हो (जिसे पैलियाटिव रेडियोथेरेपी कहते है) तो रेडियोथेरेपी को कैंसर के लक्षणों का नियंत्रण और फैलाव की गति कम करने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
प्रोफाईलैक्टिक क्रेनियल इरेडिएशन (PCI) नामक रेडियोथेरेपी की प्रकार भी लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर के उपचार हेतु प्रयोग की जाती हैं। यह एक रोक-थाम संबंधी उपाय है क्योंकि लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर का आपके मस्तिष्क तक फैलने का जोखिम होता है।
निम्न तीन मुख्य तरीकों से रेडियोथेरेपी दी जा सकती है :
- पारंपरिक बाहरी किरण रेडियोथेरेपी – इसमें आपके शरीर के प्रभावित अंगों पर विकिरण की किरणों को निर्दिष्ट करने हेतु एक मशीन का प्रयोग किया जाता है।
- स्टीरियोटैक्टिक रेडियोथेरेपी – यह एक अधिक सही प्रकार की बाहरी किरण रेडियोथेरेपी है जिसमें कई उच्च-ऊर्जा किरणों का ट्यूमर की तरफ अधिक मात्रा में विकिरण प्रदान करने के लिए किया जाता है जबकि आस-पास के स्वस्थ मांस-तंतुओं को यथासंभव अधिक से अधिक छोड़ दिया जाता है।
- आंतरिक रेडियोथेरेपी – इसमें आपके फेफड़े में एक कैथेटर (पतली ट्यूब) घुसाई जाती है। किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ का एक छोटा टुकड़ा कैथेटर के भीतर ट्यूमर के स्थान से छूता हुआ रखा जाता है और कुछ मिनटों के पश्चात इसे हटा दिया जाता है।
फेफड़ों के कैंसर के लिए, अधिकतर आंतरिक रेडियोथेरेपी के स्थान पर बाहरी किरण रेडियोथेरेपी का प्रयोग किया जाता है, विशेषत: जब यह माना जाता है कि चिकित्सा संभव है। स्टीरियोटैक्टिक रेडियोथेरेपी को अत्यंत छोटे ट्यूमरों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इन हालातों में यह केवल सामान्य रेडियोथेरेपी की तुलना में अधिक प्रभावकारी होता है।
जब कैंसर आंशिक अथवा पूरी तरह से आपके वायुमार्ग को रोक रहा हो तो आंतरिक रेडियोथेरेपी केवल दर्दनिवारक उपचार के लिए ही प्रयोग की जाती है।
उपचार के कोर्स
रेडियोथेरेपी उपचार के एक कोर्स को कई भिन्न तरीकों से योजनाबद्ध किया जा सकता है।
आमतौर से रेडिकल रेडियोथेरेपी को सप्ताहांत के अतिरिक्त पाँच दिन प्रति सप्ताह दी जाती है। रेडियोथेरेपी का प्रति सत्र 10-15 मिनट का समय लेता है और आमतौर पर एक कोर्स की अवधि चार से सात सप्ताहों की होती है।
अनवरत हाइपरफ्रैक्शनेट्ड त्वरित रेडियोथेरेपी (CHART) रेडिकल रेडियोथेरेपी प्रदान करने की एक वैकल्पित व्यवस्था है। CHART को लगातार 12 दिनों के लिए तीन बार प्रतिदिन दिया जाता है।
स्टीरियोटैक्टिक रेडियोथेरेपी के लिए, कम उपचार सत्रों की आवश्यकता होती है क्योंकि प्रत्येक उपचार के साथ विकिरण की अधिक मात्रा दी जाती है। पारंपरिक रेडिकल रेडियोथेरेपी प्राप्त किए व्यक्तियों को लगभग 20-32 उपचार सत्र लेने की संभावना होती है, जबकि स्टीरियोटैक्टिक रेडियोथेरेपी को औसतन केवल 3 से 10 सत्रों की आवश्यकता होती है।
आमतौर पर दर्दनिवारक रेडियोथेरेपी को आपके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए एक से पाँच सत्रों की आवश्यकता होती है।
दुष्प्रभाव
छाती पर रेडियोथेरेपी के दुष्प्रभावों में निम्न सम्मिलित हैं :
- छाती में दर्द
- थकावट
- निरंतर खांसी जिसमें रक्त से सनी हुई कफ उत्पन्न हो सकती है (यह स्वाभाविक है परन्तु चिन्ता करने का कोई कारण नहीं है)
- निगलने में कठिनाइयाँ (डिस्फागिया)
- त्वचा पर लाली और सूजन, जो धूप से झुलसी प्रतीत होती है
- छाती के बालों का झड़ना
रेडियोथेरेपी का कोर्स पूरा होने के पश्चात दुष्प्रभाव दूर हो जाने चाहिए।
कीमोथेरेपी
कीमोथेरेपी में कैंसर के उपचार हेतु शक्तिशाली कैंसर-घातक औषधियों का प्रयोग किया जाता है। फेफड़ों के कैंसर के उपचार के लिए कीमोथेरेपी को कई भिन्न प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, ये निम्न हो सकते हैं :
- ट्यूमर सिकुड़न के लिए शल्य-चिकित्सा से पूर्व दिया जाना, जो सफल शल्य-चिकित्सा की संभावना को बढ़ा सकता है (आमतौर पर यह किसी क्लिनिकल परीक्षण के भाग के रूप में ही किया जाता है)
- कैंसर के लौटने की संभावना रोकने हेतु शल्य-चिकित्सा के पश्चात
- चिकित्सा न हो सकने की स्थिति में इसे लक्षणों से छुटकारा पाने और कैंसर के फैलाव की गति को कम करने के लिए इसका प्रयोग
- रेडियोथेरेपी से साथ मिला कर
आमतौर पर कीमोथेरेपी उपचार चक्करों में दिया जाता है। एक चक्कर में कई दिनों के लिये कीमोथेरेपी औषधियाँ लेनी होती है, तत्पश्चात इसे कुछ सप्ताहों के लिए रोक दिया जाता है ताकि उपचार के प्रभावों से आपका शरीर आराम पा सके।
आपके लिए आवश्यक कीमोथेरेपी के चक्करों की संख्या आपके फेफड़ों के कैंसर की प्रकार और श्रेणी पर आधारित होता है। अधिकांश व्यक्तियों को उपचार हेतु तीन से छ: महीनों तक चार से छ: कोर्स लेने की आवश्यकता होती है।
फेफड़ों के कैंसर में कीमोथेरेपी में भिन्न औषधियों का मिश्रण लेना होता है। आमतौर पर औषधियाँ एक ड्रिप के माध्यम से नाड़ी (इंट्रावेनौसली) में पहुंचाई जाती हैं, अथवा आपकी छाती की किसी रक्त वाहिका से जुड़ी ट्यूब में पहुंचाई जाती हैं। उपरोक्त के स्थान पर कुछ व्यक्तियों को निगलने के लिए कैप्सूल अथवा गोलियां दी जा सकती हैं।
दुष्प्रभाव
कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव में निम्न सम्मिलित हो सकते हैं :
- थकावट
- मिचली
- उल्टी
- मुंह का अल्सर
- बाल झड़ना
आपका उपचार समाप्त होने पर ये दुष्प्रभाव धीरे-धीरे दूर हो जाने चाहिए, अथवा अपनी कीमोथेरेपी के दौरान स्वयं को बेहतर महसूस करवाने के लिए आप कोई अन्य औषधियाँ ले सकते/सकती हैं।
कीमोथेरेपी आपके प्रतिरक्षी तंत्र को भी कमजोर बना सकती है जिससे आप संक्रमण के प्रति अत्यंत कमजोर बन जाते/जाती हैं। यदि आपको 38से. (100.4फे.) या अधिक का उच्च तापमान (ज्वर) होता है, अथवा आप अचानक से अस्वस्थ महसूस करने लगते/लगती हैं जैसे संक्रमण के संभावित चिन्ह दिखते है, तो यथासंभव शिघ्रातिशीघ्र अपने देखभाल दल अथवा डॉक्टर को बतायें।
अन्य उपचार
शल्य-चिकित्सा, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की तरह, अन्य कई उपचार उपलब्ध है जो कभी कभी फेफड़ों के कैंसर के उपचार के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इनका वर्णन नीचे दिया गया है।
जैविक थेरेपियां
जैविक थेरेपियां नई प्रकार की चिकित्सायें हैं। कभी-कभी ऐसी किसी स्थिति में जब गैर-लघु-कोशिका कैंसर जो अत्यंत दूर तक फैल जाता है, शल्य-चिकित्सा अथवा रेडियोथेरेपी प्रभावहीन हो जाती हैं, तो वैकल्पिक उपचार के रूप में कीमोथेरेपी के स्थान पर उनकी अनुशंसा की जाती है।
जैविक थेरेपियों के उदाहरणों में एर्लोटिनिब और गेफिटीनिब सम्मिलित हैं। इन्हें विकास कारक अवरोधक भी कहते हैं क्योकि वे कैंसर कोशिकाओं के विकास को अस्त-व्यस्त करते हैं।
जैविक थेरेपियां केवल उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त हैं जिनकी कैंसरयुक्त कोशिकाओं में विशेष प्रोटीन होते हैं। आपके डॉक्टर आपके लिए दिये जाने वाले उपचार की उपयुक्ता सुनिश्चित करने के लिए आपके फेफड़े में से निकाली गई कोशिकाओं के एक छोटे सैम्पल (बायोप्सी) को अतिरिक्त परीक्षण करवाने की अनुशंसा कर सकते हैं।
रेडियो आवृत्ति पृथककरण
रेडियो आवृत्ति पृथककरण एक नए प्रकार का उपचार है जो प्रारम्भिक अवस्था में रोग-निदान किए गए गैर-लघु-कोशिका फेफड़े का कैंसर का उपचार कर सकता है।
इस उपचार को करने वाले डॉक्टरों द्वारा सुई को ट्यूमर के स्थान तक दिशा दिखाने हेतु कंप्यूटरीकृत टोमोग्राफ़ी (CT) स्कैनर का प्रयोग किया जाता है। सुई को ट्यूमर के भीतर डालने के लिए सुई के माध्यम से रेडियो तरंगे भेजी जाती हैं। ये तरंगे गर्मी उत्पन्न करती हैं जो कैंसर कोशिकओं का नाश करती हैं।
वायु के एक पॉकेट का आपके फेफड़ों के आंतरिक और बाहरी परतों में फंस जाना (न्यूमोथोरैक्स) रेडियो आवृत्ति पृथककरण की अत्यंत प्रचलित जटिलता है। फेफड़ों में फंसी वायु को बाहर निकालने के लिए फेफड़ों में एक ट्यूब स्थापित करके इसका उपचार किया जा सकता है।
शीतचिकित्सा
शीतचिकित्सा एक ऐसा उपचार है जिसका प्रयोग कैंसर द्वारा वायुमार्गों को ब्लॉक करने की स्थिति में किया जाता है। इसे एंडोब्रोंशियल ओब्स्ट्रक्शन कहा जाता है और यह निम्न लक्षण उत्पन्न कर सकता है :
- सांस लेने की समस्याएं
- खांसी
- रक्त की खांसी
शीतचिकित्सा को आंतरिक रेडियोथेरेपी की तरह ही किया जाता है, केवल किसी रेडियोएक्टिव स्रोत के प्रयोग के स्थान पर एक क्राइओप्रोब नामक उपकरण को ट्यूमर से जोड़ कर रखा जाता है। क्राइओप्रोब अत्यंत ठंडे तापमान उत्पन्न कर सकता है जिससे ट्यूमर सिकुड़ जाता है।
फ़ोटोडाइनैमिक थेरेपी
फ़ोटोडाइनैमिक थेरेपी (PDT) एक ऐसा उपचार है जिसे किसी व्यक्ति की शल्य-चिकित्सा करवाने में असमर्थता अथवा अनिच्छा की स्थिति में फेफड़ों के कैंसर की आरंभिक-अवस्था का उपचार करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसे वायुमार्गों को ब्लॉक करते ट्यूमर को हटाने के लिये भी प्रयोग किया जा सकता है।
फ़ोटोडाइनैमिक थेरेपी दो चरणों में की जाती है। सर्वप्रथम, आपको एक औषधि का इंजेक्शन दिया जाता है जो आपके शरीर में कोशिकाओं को प्रकाश के प्रति अत्यंत संवेदनशील बना देता है।
अगला चरण 24-72 घंटों के बाद किया जाता है। एक पतली ट्यूब को ट्यूमर के स्थान तक निर्देशित किया जाता है और इसमें से एक लेज़र किरण भेजी जाती है। यह लेज़र किरण अब प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।
फ़ोटोडाइनैमिक थेरेपी के दुष्प्रभावों में वायुमार्गों की सूजन और फेफड़ों में द्रव का एकत्रीकरण सम्मिलित हो सकते हैं। ये दोनों दुष्प्रभाव श्वासहीनता और फेफड़ा एवं गले में दर्द के लक्षण उत्पन्न कर सकते है। हालांकि, उपचार के प्रभावों से आपके फेफड़े ठीक होने पर यह लक्षण स्वत: ही दूर हो जाते हैं।
फेफड़ों के कैंसर की रोकथाम
यदि आप धूम्रपान करते/करती हैं, तो फेफड़ों की कैंसर और अन्य गंभीर रोगों की रोकथाम के लिए यथासंभव शिघ्रातिशीघ्र धूम्रपान बंद करना सर्वोतम तरीका होगा।
आप चाहे कितने समय से ही धूम्रपान कर रहे/रही है, इसे छोड़ना सदैव ही अच्छा होता है। आपके द्वारा बिना-धूम्रपान किया प्रत्येक वर्ष आपके द्वारा फेफड़ों के कैंसर जैसे गंभीर रोगों से ग्रसित होने के जोखिम को कम करता है। बिना-धूम्रपान के 10 वर्ष आप में फेफड़ों के कैंसर को विकसित होने की संभावनाओं को, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की तुलना में, आधा कर देता है।
आपके डॉक्टर अथवा औषधिविक्रेता धूम्रपान छोड़ने हेतु सहायता और परामर्श दे सकते हैं।
आहार
शोध दर्शाते हैं कि कम-वसा वाले, उच्च-फाइबर वाले आहार, जिनमें कम से कम प्रति दिन पांच भाग ताजे फल और सब्जियां और संपूर्ण अनाज सम्मिलित हैं, खाने से आपके फेफड़े के कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर और दिल के रोग से ग्रसित होने का जोखिम कम हो सकता है।
आहार और कैंसर के बारे में अधिक अध्ययन करें।
व्यायाम
इस बात का शक्तिशाली साक्ष्य उपलब्ध है जो यह दर्शाता है कि नियमित व्यायाम फेफड़ों के कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर विकसित होने के जोखिम को कम कर सकता है।
वयस्क व्यक्तियों को कम से कम 150 मिनट (2 घंटे और 30 मिनट) की प्रति सप्ताह मध्यम-तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि करनी चाहिए।
स्वास्थ्य और फ़िटनेस के बारे में अधिक अध्ययन करें।
फेफड़ों के कैंसर के साथ जीवन-यापन
श्वासहीनता
चाहे यह किसी रोग के लक्षण अथवा उपचार का दुष्प्रभाव हो, फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित व्यक्तियों में श्वासहीनता एक प्रचलित समस्या है।
कई मामलों में, कुछ निम्न साधारण उपायों से श्वासहीनता में सुधार किया जा सकता है :
- अपने नाक से धीरे-धीरे सांस लेना और मुंह से छोड़ना (फेफड़ों के कैंसर के उपचार के पश्चात, आप एक भौतिक चिकित्सक से संपर्क कर सकती/सकती हैं, जो आपको कुछ सांस लेने के साधारण व्यायाम सिखा सकते हैं)
- दैनिक गतिविधिओं को सरल बनाना – उदाहरणार्थ, जब आप खरीददारी करने जायें तो एक ट्राली का प्रयोग करना, अथवा अक्सर काम में आने वाली वस्तुओं को निचली मंज़िल पर रखना ताकि आपको नियमित रूप से सीढ़ियों के ऊपर और नीचे न जाना पड़ें
- आपके चेहरे की ओर शीतल वायु निर्देशित करने हेतु एक पंखे का प्रयोग करना
- कम मात्रा में और बारंबार आहार खाना, और मुंह को कम भरना
यदि आपकी यह उपाय श्वासहीनता को नियंत्रित करने में प्रयाप्त नहीं हैं, तो आपको अभी और अधिक उपचार की आवश्यकता है। आपकी श्वासहीनता में कई प्रकार की औषधियाँ सुधार उत्पन्न कर सकती हैं। अत्यंत गंभीर मामलों में घरेलू ऑक्सिजन उपचार भी एक विकल्प हो सकता है।
यदि आपमे छाती के संक्रमण अथवा फेफड़ों के इर्द-गिर्द द्रव का एकत्रीकरण (एक प्लूरल इन्फ़ुज़न) जैसे किसी अन्य रोग के कारण श्वासहीनता उत्पन्न हो रही है, तो इस अन्तर्निहित कारण का उपचार आपकी सांस लेने की समस्या में सहायक होगा।
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दर्द
कुछ फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों को दर्द होता है, जबकि अन्य को कभी नहीं होता है। कैंसर से ग्रसित तीन में से एक व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार के दर्द का अनुभव होता है।
दर्द का कैंसर की प्रचण्डता से कोई संबंध नहीं होता है – यह प्रत्येक व्यक्ति के हालातों पर निर्भर करता है। कैंसर का दर्द किस कारण से होता है, यह पूरी तरह से समझ नहीं आ पाया है, परन्तु इसका उपचार करने के तरीके हैं जिनसे दर्द पर नियंत्रण किया जा सकता है।
अग्रिम अवस्था के फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित व्यक्तियों को कैंसर के बढ़ने के साथ दर्द के उपचार की आवश्यकता हो सकती है। यह दर्दनिवारक देखभाल का भाग हो सकता है (नीचे देखें), और अक्सर यह डॉक्टरों, नर्सों और दर्दनिवारक देखभाल दल के अन्य सदस्यों द्वारा प्रदान किया जाता है। आप दर्दनिवारक देखभाल घर, हॉस्पिटल अथवा अन्य देखभाल केन्द्रों में प्राप्त कर सकते/सकती हैं।
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भावनात्मक प्रभाव और रिश्ते
कैंसर के कई भावात्मक प्रभाव हो सकते हैं व इनमें सदमे, चिंता, राहत, उदासी और निराशा सम्मिलित हो सकते हैं।
गंभीर समस्याओं को व्यक्ति भिन्न तरीकों से हल करते हैं। यह पूर्वानुमान करना कठिन होता है कि कैंसर आपको किस प्रकार से प्रभावित करेगा।
आप कैसा महसूस करते/करती हैं और आपको सहायता प्रदान करने के लिए आपके परिवार के सदस्य व मित्र क्या कर सकते हैं, के बारे में खुला और ईमानदार होने से आप अन्य लोगो को तनावमुक्त कर सकते/सकती हैं। परन्तु यदि आपको अपने लिये कुछ समय चाहिये तो लोगो को यह बताने में संकोच न करें।
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अन्य व्यक्तियों से बात करें
यदि आपकी कोई जिज्ञासा है तो आपके डॉक्टर अथवा विशेषज्ञ नर्स आपको आश्वासन दे सकते हैं, अथवा कोई प्रशिक्षित परामर्शदाता, मनोवैज्ञानिक अथवा विशेषज्ञ फ़ोन हेल्पलाइन से बात करना सहायक हो सकता है। इन पर आपके सर्जन डॉक्टर के पास वांछित जानकारी हो सकती है।
किसी स्थानीय सहायता ग्रुप में इसी अवस्था में अन्य व्यक्तियों के साथ अपने फेफड़ों के कैंसर के अनुभव के बारे में बात करना भी सहायक हो सकता है। रोगी संगठनों में स्थानीय ग्रुप होते हैं जहाँ आप अन्य फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित एवं उपचार प्राप्त व्यक्तियों से मिल सकते/सकती हैं।
यदि आप निराश महसूस कर रहे/रही हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें – वे आपको परामर्श और सहायता प्रदान कर सकते हैं।
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धन और वित्तीय सहायता
यदि कैंसर के कारण आपको अपना काम कम अथवा बंद करना पड़ता है, तो वित्तीय रूप से इस स्थिति से मुक़ाबला करना कठिन हो सकता है। यदि आपको कैंसर है अथवा आप किसी कैंसर पीड़ित की देखभाल कर रहे/रही हैं, तो आप वित्तीय सहायता के हकदार हो सकते/सकती हैं।
यह शीघ्र पता लगाना अच्छा होगा कि आपके लिए किस प्रकार की सहायता उपलब्ध है। वांछित जानकारी प्राप्त करने हेतु आप हॉस्पिटल में किसी सोशल वर्कर से बात करने की इच्छा व्यक्त कर सकते/सकती हैं।
दर्दनिवारक देखभाल
यदि आपमें फेफड़ों के कैंसर द्वारा कई लक्षण उत्पन्न हो रहे हैं तो आपके डॉक्टर अथवा स्वास्थ्य देखभाल दल आपको वांछित सहायता और दर्द निवारण प्रदान कर सकते हैं। इसे दर्दनिवारक देखभाल कहते है। आपके परिवार और मित्रों के लिए भी सहायता उपलब्ध है।
जैसे जैसे आपका कैंसर बढ़ता है, आपके डॉक्टर को आपके साथ आपकी (और आपके देखभालकर्ता की) इच्छाओं के आधार पर एक स्पष्ट प्रबंधन व्यवस्था स्थापित करने हेतु कार्य करना चाहिये। इसमें यह भी सम्मिलित है कि क्या बीमारी के लगातार बढ़ने के कारण आप किसी हॉस्पिटल, आश्रम में जाना अथवा घर पर ही देखभाल करवाना चाहते/चाहती हैं।
इस बात पर भी विचार किया जाता है कि स्थानीय रूप से कौनसी सेवायें उपलब्ध हैं, चिकित्सकीय रूप से क्या उचित है और आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियां कैसी हैं।
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