बंद स्थानों का भय- क्लॉस्ट्रोफोबिया

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क्लॉस्ट्रोफोबिया, सीमित अथवा चारों ओर से बंद स्थानों का एक भय है, जो निराधार है।

इस समस्या से ग्रस्त लोग सीमित स्थानों पर होने पर, हल्की-फुल्की चिंता या घबराहट जैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं, जबकि दूसरे लोग कुछ अधिक गंभीर लक्षणों(panic attack) का अनुभव करते हैं।

ऐसी चिंता वाली स्थिति को जन्म देने वाली बहुत सी स्थितियाँ हो सकती हैं जैसे:

  • लिफ्ट
  • गुफाएं
  • ट्यूब ट्रेनें
  • घूमने वाले दरवाज़े
  • सार्वजनिक शौचालय
  • MRI स्कैनर्स
  • सेंट्रल लॉकिंग वाली कार
  • कार धुलाई वाले स्थान
  • दुकानों इत्यादि में चेंजिंग रूम
  • होटल के ऐसे कमरे जिनमें खिड़कियां पूरी तरह सील हों
  • हवाई जहाज़

यदि पिछले 6 महीनों में आपने किसी सीमित स्थान या भीड़भाड़ वाली जगह पर चिंता या घबराहट का अनुभव किया है, या इस वजह से आपने सीमित स्थान या भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से परहेज किया है, तो हो सकता है कि आप क्लॉस्ट्रोफोबिया से प्रभावित हैं।

शारीरिक लक्षण

क्लॉस्ट्रोफोबिया से ग्रस्त लोगों में पैनिक अटैक या घबराहट होना बहुत आम बात है। ऐसी स्थिति बहुत ही भयावह और विक्षुब्ध करने वाली हो सकती है और इसके लक्षण आमतौर पर बिना किसी पूर्व चेतावनी के आते हैं।

इसके साथ साथ, चिंता और घबराहट या पैनिक अटैक जैसी भावनाओं के कारण निम्न स्थितियां भी हो सकती हैं:

  • पसीना आना
  • कंपकंपाना या सिहरन
  • गर्मी अथवा ठंड लगना
  • सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ़ होना
  • घुटन महसूस होना
  • हृदय गति बढ़ जाना
  • सीने में दर्द अथवा कसाव महसूस करना
  • पेट में गुदगुदी जैसा महसूस करना
  • जी मिचलाना
  • सर दर्द और चक्कर आना
  • बेहोशी सा महसूस करना
  • सुन्नपन या पिन और सुईयाँ चुभती हुई महसूस होना
  • मुंह सूखना
  • शौचालय जाने की आवश्यकता महसूस होना
  • कान में घंटियां बजना
  • भ्रमित या गुमराह सा महसूस करना

मनोवैज्ञानिक लक्षण

गंभीर क्लॉस्ट्रोफोबिया से ग्रस्त लोग, नीचे दिए गए मनोवैज्ञानिक लक्षणों का भी अनुभव कर सकते हैं, जैसे:

  • नियंत्रण खो देने का डर
  • बेहोशी का डर
  • डर की भावना
  • मरने का डर

मदद लेना

फोबिया से ग्रस्त अधिकांश लोग अपनी इस परिस्थिति से पूरी तरह अवगत होते हैं। कई लोग क्लॉस्ट्रोफोबिया का कोई औपचारिक निदान कराये बिना ही रहते हैं, और सीमित स्थानों से बचने को लेकर बहुत सावधानी बरतते हैं।

यद्यपि, अपने डॉक्टर और व्यवहार चिकित्सा थेरेपी में अनुभवी विशेषज्ञ, जैसे एक मनोवैज्ञानिक, से सहायता प्राप्त करना बहुधा फ़ायदेमंद हो सकता है।

जिस प्रकार की स्थितियाँ डर का कारण होती हैं, ऐसी स्थितियों का धीरे-धीरे क्रमशः सामना करके, क्लॉस्ट्रोफोबिया का सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है। इसे डिसेनीसीटाईजेशन (desensitisation) या सेल्फ़ इक्स्पोज़र थेरेपी(self exposure therapy) कहा जाता है। आप इसे स्वयं(कुछ स्वयं सहायता तकनीकों के बारे में पढ़ें) अथवा किसी पेशेवर की मदद से आजमा सकते हैं।

CBT या कॉग्निटिव बिहेव्यर थेरेपी आमतौर पर फोबिया वाले व्यक्तियों के लिए बहुत प्रभावी होती है। CBT एक प्रकार की परामर्श सेवा होती है, जिसमें फोबिया का प्रभावी ढंग से सामना करने के व्यवहारिक तरीकों को विकसित करने के मकसद से, आपके विचारों, भावनाओं और व्यवहार की पड़ताल की जाति है।

पैनिक अटैक का मुकाबला करना

पैनिक अटैक के दौरान, यदि संभव हो तो आप जहां हैं, वही रहना चाहिए। पैनिक अटैक 1 घंटे तक जारी रह सकता है, इसलिए, यदि आप गाड़ी चला रहे हैं, तो आपको गाड़ी ऐसी जगह पार्क लेनी चाहिए जहां ऐसा करना पूरी तरह सुरक्षित हो। सुरक्षित स्थान पर पहुंचने की जल्दबाजी बिल्कुल न करें।

अटैक के दौरान, स्वयं को याद दिलाएं, कि ये खौफनाक विचार और संवेदनाएं, पैनिक अटैक के प्रतीक हैं, और धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे। किसी ऐसी चीज पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें जो डरावनी ना हो और प्रत्यक्ष हो, जैसे घड़ी में वक्त को गुजरते हुए, या सुपर मार्केट में सामान देखना।

पैनिक अटैक के लक्षण आमतौर पर 10 मिनट में शीर्ष पर होते हैं और अधिकतर अटैक 5 मिनट से लेकर आधे घंटे तक रहते हैं।

पैनिक अटैक से निपटने के बारे में और अधिक तरीक़ों के बारे में पढ़ें।

क्लॉस्ट्रोफोबिया की वजह

क्लॉस्ट्रोफोबिया के कई मामले शुरुआती बचपन में हुई किसी दर्दनाक घटना के अनुभव के कारण होते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपके साथ बचपन में किसी सीमित स्थान पर फंसने की घटना हुई है, तो आप में बड़े होने पर क्लॉस्ट्रोफोबिया विकसित हो सकता है।

जिन बच्चों के माता-पिताओं को क्लॉस्ट्रोफोबिया रहा था, वे बच्चे अपने से बड़ों की चिंता को, सीमित स्थानों से जोड़कर, और अपने प्रियजनों को सुख दे पाने में खुद को असहाय महसूस कर के कभी-कभी स्वयं भी क्लॉस्ट्रोफोबिक हो सकते हैं।

महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।