क्रोहन रोग (Crohn’s disease)

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क्रोहन रोग क्या है? (What is Crohn’s disease)

क्रोहन रोग (Crohn’s disease) एक लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है जिसके कारण पाचन तंत्र के परत में सूजन हो जाती है।

सूजन पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से (मुंह से लेकर मलद्वार तक) को प्रभावित कर सकती है, लेकिन आमतौर पर यह छोटी आंत (इलियम) या बड़ी आंत (कोलन) को प्रभावित करती है।

क्रोहन रोग के सामान्य लक्षण निम्न हैं:

क्रोहन रोग से पीड़ित कुछ लोगों में कभी-कभी लंबे समय तक कोई लक्षण दिखायी नहीं देता हैं जबकि कई बार ये लक्षण काफी हल्के नजर आते हैं। इसे रिमिशन कहा जाता है। रिमिशन में एक अवधि के दौरान लक्षण काफी बढ़ जाते हैं और कुछ विशेष परेशानियां उत्पन्न करते हैं।

क्रोहन रोग के लक्षणों और क्रोहन रोग के निदान
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क्रोहन रोग क्यों होता है? (Why it happens)

क्रोहन रोग (Crohn’s disease) का सटीक कारण ज्ञात नहीं है। हालांकि, रिसर्च के अनुसार, इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं। जैसे:

  • आनुवंशिक - अपने माता-पिता से मिले जीन के कारण क्रोहन रोग विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है
  • प्रतिरक्षा प्रणाली - सूजन के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली में समस्या हो सकती है; जिससे यह आंत में स्वस्थ बैक्टीरिया पर हमला कर सकती है
  • पिछला संक्रमण - पिछले संक्रमण से प्रतिरक्षा प्रणाली असामान्य प्रतिक्रिया शुरू कर सकती है
  • धूम्रपान - धूम्रपान करने वालों में सामान्य लोगों की अपेक्षा क्रोहन रोग के अधिक गंभीर लक्षण मौजूद हो सकते हैं
  • परिवेश के कारक (environmental factors) - पश्चिमी देशों जैसे यूके में क्रोहन रोग (Crohn’s disease) सबसे आम है, और और दुनिया के सबसे गरीब हिस्सों में जैसे कि अफ्रीका में सबसे काम। जिससे पता चलता है कि परिवेश (ख़ासकर सफ़ाई) के कारणों से ऐसा हो सकता है।

क्रोहन रोग के संभावित कारणों
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क्रोहन रोग का इलाज (Treating Crohn’s disease)

वर्तमान में क्रोहन रोग का कोई इलाज नहीं है। इसके इलाज का उद्देश्य आमतौर पर सूजन को बढ़ने से रोकना, लक्षणों को दूर करना और जहां तक संभव हो सर्जरी से बचना है।

लक्षणों को कम करने के लिए पहले इलाज के रूप में आमतौर पर स्टेरॉयड दवा (

कॉर्टिकोस्टेरॉइड
) दी जाती है। यदि इससे कोई राहत नहीं मिलती है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने के लिए इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स (immunosuppressants) और सूजन को कम करने के लिए दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कुछ मामलों में, आंत के सूजन वाले हिस्से को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

एक बार जब लक्षण नियंत्रण में आ जाते हैं (रिमिशन में), तो लक्षणों को कम करने के लिए आगे दवा के सेवन की आवश्यकता हो सकती है।

कौन प्रभावित होता है (Who is affected)

क्रोहन रोग (Crohn’s disease) एक असामान्य बीमारी है। वर्तमान में यूके में क्रोहन रोग (Crohn’s disease) से कम से कम 115,000 लोग पीड़ित हैं।

क्रोहन रोग (Crohn’s disease) बच्चों सहित सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। हालाँकि, 16 से 30 वर्ष की उम्र के बीच के लोगों में यह सबसे अधिक विकसित होते हैं। 60 और 80 की उम्र के बीच के लोगों में भी बड़ी संख्या में यह रोग विकसित होता है। यह पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। लेकिन बच्चों में लड़कियों की अपेक्षा लड़के सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

क्रोहन रोग गोरे लोगों में अधिक आम है, काले लोगों या एशियाई लोगों की अपेक्षा। यह यूरोपीय मूल के यहूदी लोगों में भी अधिक होते है।

क्रोहन रोग के इलाज
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जटिलताएँ (Complications)

समय के साथ सूजन पाचन तंत्र के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकती है जिसके कारण कई तरह की समस्याएं जैसे आंतों में संकुचन (स्ट्रिक्चर) और आंत के सिरे और गुदा और योनि के आसपास की त्वचा (फिस्टुला) के बीच चैनल विकसित हो सकता है।

इन समस्याओं के इलाज के लिए आम तौर पर सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।

क्रोहन रोग की जटिलताओं
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क्रोहन रोग के लक्षण (Symptoms of Crohn’s disease)

क्रोहन रोग के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपके पाचन तंत्र के किस हिस्से में सूजन है।

सामान्य लक्षणों में शामिल है:

  • अक्सर
    दस्त
    होना
  • पेट में दर्द
    और ऐंठन, जो आमतौर पर खाने के बाद बदतर हो
  • अधिक थकान
  • बेवजह वजन कम होना
  • मल में खून और म्यूकस आना

आपको इन सारे लक्षणों या इनमें से किसी एक लक्षण का अनुभव हो सकता है। कुछ लोगों को गंभीर लक्षण महसूस हो सकते हैं जबकि कुछ लोग केवल हल्के लक्षण महसूस करते हैं।

ये समस्याएं हफ्तों या महीनों तक बनी रह सकती हैं। इस दौरान या तो आपको बहुत हल्के लक्षण नजर आएँगे या कोई लक्षण नहीं दिखेंगे (इसे रिमिशन कहा जाता है)। इसके साथ ही कभी-कभी लक्षण काफी बढ़ जाते हैं (जिसे रिलैप्स कहा जाता है)।

कम सामान्य लक्षणों में शामिल है:

  • 38 ° C (100 ° F) या इससे अधिक तापमान (बुखार)
  • उबकाई आना (मतली)
  • उल्टी
  • जोड़ों का दर्द और सूजन (
    अर्थराइटिस
    )
  • आंखों की सूजन और जलन (
    यूवाइटिस
    )
  • पैरों की त्वचा में दर्द, लालिमा और सूजन
  • मुंह का अल्सर

क्रोहन रोग से पीड़ित बच्चों का विकास सामान्य से काफी धीमी गति से होता है। क्योंकि सूजन के कारण शरीर भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाता है।

मेडिकल सलाह कब लें (When to seek medical advice)

आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, यदि आपको:

  • लगातार दस्त हो
  • लगातार पेट दर्द हो
  • बिना करम वजन काम होना
  • मल में खून आना

यदि आप अपने बच्चे के विकास को लेकर चिंतित हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

क्रोहन रोग के कारण (Causes of Crohn’s disease)

क्रोहन रोग (Crohn’s disease) का सटीक कारण ज्ञात नहीं है। रिसर्च के अनुसार, यह रोग कई कारकों से होता है।

इनमें शामिल हैं:

  • आनुवंशिक
  • प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम)
  • धूम्रपान
  • पहले हो चुका संक्रमण
  • परिवेश के कारक

इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि किसी विशेष आहार के सेवन से क्रोहन रोग (Crohn’s disease) होता है। हालांकि आहार में बदलाव करने से कुछ लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। आपके विशेषज्ञ या डायटिशियन इसके बारे में आपको सलाह दे सकते हैं। (

क्रोहन रोग के इलाज
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आनुवंशिकी (Genetics)

प्रमाण के अनुसार,आनुवंशिक कारणों से क्रोहन रोग होने की संभावना बढ़ सकती है।

शोधकर्ताओं ने 200 से अधिक विभिन्न जीनों की पहचान की है जो सामान्य लोगों की अपेक्षा क्रोहन रोग से पीड़ित लोगों में अधिक आम हैं।

इस बात के भी प्रमाण हैं कि क्रोहन रोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंच सकता है। इस बीमारी से पीड़ित 20 में से 3 लोगों के करीबी रिश्तेदार (माता, पिता, बहन या भाई) क्रोहन रोग से पहले ही पीड़ित होते है। यदि आपके जुड़वां भाई या बहन (identical twin) क्रोहन रोग से पीड़ित हैं, तो आपमें यह बीमारी होने की संभावना 70% होती है।

अन्य लोगों की अपेक्षा कुछ जातीय समूहों में क्रोहन रोग (Crohn’s disease) अधिक आम है। इसमें आनुवंशिकी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

इम्यून सिस्टम (The immune system)

प्रतिरक्षा प्रणाली हानिकारक बैक्टीरिया से सुरक्षा प्रदान करती है जो आमतौर पर सीधे पाचन तंत्र में जा सकते हैं।

पाचन तंत्र को कई अच्छे बैक्टीरिया का घर भी माना जाता है, जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली इन बैक्टीरिया की पहचान करती है और उन पर हमला किए बिना उन्हें अपना काम करने देती है।

हालांकि क्रोहन रोग होने पर प्रतिरक्षा प्रणाली में कोई चीज बाधा उत्पन्न करती है जो सभी बैक्टीरिया को मारने के लिए एक विशेष प्रोटीन ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर अल्फा (tumour necrosis factor alpha (TNF-alpha)) भेजती है, चाहे भले ही ये शरीर के लिए फायदेमंद हो या न हो। इसके कारण क्रोहन रोग (Crohn’s disease) से पीड़ित व्यक्ति के आंत में सूजन हो जाती है।

पिछला संक्रमण (Previous infection)

आनुवंशिक रूप से अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में बचपन में हुए संक्रमण के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली असामान्य प्रतिक्रिया कर सकती है, जिससे क्रोहन रोग के लक्षण पैदा हो सकते हैं।

यह संक्रमण माइकोबैक्टीरियम एवियम सबस्पीशीज पैराट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium avium subspecies paratuberculosis (MAP)) के कारण हो सकता है। एमएपी आमतौर पर गाय, भेड़ और बकरियों में पाए जाते हैं।

शोध में पाया गया है कि क्रोहन रोग से पीड़ित लोगों के रक्त में सामान्य लोगों की अपेक्षा एमएपी के ट्रेसेज़ होने की संभावना सात गुना अधिक होती है।

एमएपी पास्चुरीकरण की प्रक्रिया (जब दूध से बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए गर्म किया जाता है) के दौरान नष्ट नहीं होते हैं। इसलिए दूषित जानवरों के दूध पीने से एमएपी से संक्रमित होने का खतरा बढ़ सकता है।

हालांकि यह निश्चित नहीं है कि एमएपी क्रोहन रोग के विकास में सटीक भूमिका निभाता है और कुछ वैज्ञानिक इस सिद्धांत को खारिज करते हैं।

धूम्रपान (Smoking)

पारिवारिक इतिहास और जातीय पृष्ठभूमि के अलावा धूम्रपान करने से भी क्रोहन रोग का जोखिम काफी अधिक बढ़ सकता है। धूम्रपान न करने वालों की अपेक्षा धूम्रपान करने वालों को क्रोहन रोग विकसित होने की संभावना दोगुनी होती है।

इसके अलावा धूम्रपान करने वाले लोग क्रोहन रोग के अधिक गंभीर लक्षणों का सामना करते हैं।

धूम्रपान रोकने के लिए मदद के बारे में और पढ़ें।

परिवेश के कारक (Environmental factors)

क्रोहन रोग (Crohn’s disease) के दो असामान्य पहलू हैं जिनके कारण कई शोधकर्ता मानते हैं कि पर्यावरणीय कारक भी भूमिका निभा सकते हैं। इनके बारे में नीचे दिया गया है।

क्रोहन रोग (Crohn’s disease) ‘अमीरों का रोग’ है। इस रोग के सबसे अधिक मामले दुनिया के विकसित हिस्सों जैसे UK और UAS में पाए जाते हैं। जबकि दुनिया के विकासशील हिस्सों में जैसे कि अफ्रीका और एशिया में इसके सबसे कम मामले पाए जाते हैं।

1950 के दशक से क्रोहन रोग (Crohn’s disease) काफी व्यापक हो गया है।

इससे पता चलता है कि आधुनिक, पश्चिमी जीवनशैली से जुड़ी कोई चीजें व्यक्ति में क्रोहन रोग (Crohn’s disease) के विकास के जोखिम को बढ़ाती है।

इस बीमारी के बारे में समझाने वाली थ्योरी को हाइजीन हाइपोथेसिस (hygiene hypothesis) कहा जाता है। यह सिद्धांत बताता है कि जैसे-जैसे बच्चे रोगाणु मुक्त वातावरण (germ-free environments) में बड़े हो रहे हैं, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बचपन में संक्रमण की कमी के कारण पूरी तरह से विकसित नहीं होती है। हालांकि, इस सिद्धांत के पक्ष में वैज्ञानिकों के पास कम साक्ष्य मौजूद हैं।

एक दूसरा वैकल्पिक सिद्धांत कोल्ड-चेन परिकल्पना है, जो बताता है कि क्रोहन रोग के मामलों की संख्या में वृद्धि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रेफ्रिजरेटर के बढ़ते उपयोग से जुड़ी हो सकती है।

क्रोहन रोग का परीक्षण (Diagnosing Crohn’s disease)

क्रोहन रोग के परीक्षण के लिए कई अलग-अलग तरह की जांच कराने की जरूरत पड़ती है। इसका कारण यह है कि इसके लक्षण बहुत सी दूसरी बीमारियों के समान होते हैं।

शुरूआती आकलन (Initial assessment)

शुरुआती आकलन के दौरान आपके डॉक्टर आपसे लक्षणों के पैटर्न के बारे में पूछेंगे और इसके कारणों की जांच करेंगे। इनमें शामिल हो सकते हैं:

  • आहार
  • हाल की यात्रा - जैसे कि आपको विदेश यात्रा के दौरान दस्त की समस्या हुई हो
  • यदि आप कोई ओवर द काउंटर दवा का सेवन कर रहे हैं
  • यदि क्रोहन रोग का आपके पारिवारिक में इतिहास है

आपके डॉक्टर आपके सामान्य स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन करने के लिए कई मानक जांच कर सकते हैं। जैसे :

  • आपकी नाड़ी की जांच
  • रक्तचाप की जांच
  • आपके वजन और लंबाई का माप
  • तापमान की माप
  • पेट का परीक्षण

खून की जांच

आपके डॉक्टर आपको कई बार

खून की जांच
कराने की सलाह दे सकते हैं। यह निम्न समस्याओं के आकलन के लिए इस्तेमाल किया जाता है:

  • आपके शरीर में सूजन का स्तर जानने के लिए
  • संक्रमण का पता लगाने के लिए
  • यदि आप
    एनेमिक
    (लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या घटना) हो जिसके कारण
    कुपोषण
    की समस्या हो गई हो

मल का नमूना (Stool sample)

आपको अपने मल का नमूना देने के लिए भी कहा जा सकता है। जिसमें रक्त और म्यूकस की जांच की जाती है। इससे यह पता लगाया जाता है कि आपके लक्षण राउंडवर्म (

roundworm
) जैसे परजीवी संक्रमण के कारण हैं या किसी दूसरे संक्रमण के कारण।

मल और खून का नमूना देने के बाद आपको गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट (पाचन तंत्र की समस्याओं के विशेषज्ञ) के पास भेजा जाता है जो आपके जांच के परिणाम के बारे में चर्चा करेंगे और जरूरत पड़ने पर नीचे दिए गए जांच को कराने के लिए कहेंगे।

कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy)

कोलोनोस्कोपी एक जांच है जिसका इस्तेमाल कोलन के अंदर परीक्षण के लिए किया जाता है। इसमें आपके मल द्वार मार्ग यानी रेक्टम से कोलन में एक लंबा लचीला ट्यूब डाला जाता है जिसे एंडोस्कोप कहते हैं।

एंडोस्कोप (endoscope) के एक छोर पर लाइट और कैमरा लगा होता है। यह कैमरा टीवी स्क्रीन पर चित्रों को भेजता है। यह कोलन के अंदर सूजन के स्तर को प्रदर्शित करता है।

एंडोस्कोप को सर्जिकल उपकरणों के साथ फिट किया जाता है जिसका इस्तेमाल आपके पाचन तंत्र के विभिन्न हिस्सों से कई छोटे ऊतक के नमूनों को लेने के लिए किया जा सकता है। इसे बायोप्सी (biopsy) कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान थोड़ा असहज महसूस हो सकता है लेकिन दर्द नहीं होता है।

क्रोहन रोग (Crohn’s disease) में होने वाली कोशिकाओं में परिवर्तन का पता लगाने के लिए माइक्रोस्कोप से ऊतकों के इन नमूनों की जांच की जाती है।

वायरलेस कैप्सूल इंडोस्कोपी (Wireless capsule endoscopy)

वायरलेस कैप्सूल एंडोस्कोपी (Wireless capsule endoscopy) एक नए प्रकार का टेस्ट है जिसमें एक छोटा कैप्सूल (बड़े विटामिन टैबलेट के आकार का) मरीज को निगलने के लिए दिया जाता है। कैप्सूल आपकी छोटी आंत के लिए नीचे की ओर काम करता है जहां यह बेल्ट या छोटा शोल्डर बैग लगे रिकॉर्डिंग डिवाइस पर चित्रों को प्रसारित करता है।

टेस्ट के कुछ दिन बाद कैप्सूल आपके मल से बाहर निकल आता है। कैप्सूल डिस्पोजेबल होता है इसलिए आपको इसे मल में फंसे रहने के बारे में सोचकर चिंतित नहीं होना चाहिए।

चूंकि यह एक नया टेस्ट है, इसलिए सीमित जगहों पर ही उपलब्ध है। कुछ मामलों में कैप्सूल एंडोस्कोपी की बजाय एमआरई (MRE) या सीटीई (CTE) स्कैन किया जाता है।

एमआरई और सीटीई स्कैन (MRE and CTE scans)

क्रोहन रोग (Crohn’s disease) से पीड़ित होने की सम्भावना वाले लोगों में छोटी आंत की जांच के लिए

मैग्नेटिक रेजोनेंस
एंटरोग्राफी(
magnetic resonance
enterography) / एंटरोक्लाइसिस (enteroclysis (MRE)) या
कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी
एंटरोग्राफी (
computerised tomography
enterography)/ एंटरोक्लाइसिस (enteroclysis (CTE) ) नामक स्कैन के इस्तेमाल किया जा सकता है।

इन स्कैन को करने से पहले आपको या तो कंट्रास्ट एजेंट (एंटरोग्राफी) नामक हानिरहित लिक्विड पीने के लिए कहा जाएगा, या एक कंट्रास्ट एजेंट को आपकी नाक में एक ट्यूब के माध्यम से रखा जा सकता है जो आपकी छोटी आंत में चला जाता है (एंटरोक्लाइसिस)। ये कंट्रास्ट एजेंट छोटी आंत को स्कैन के दौरान अधिक स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने में मदद करता है।

एमआरई स्कैन के दौरान छोटी आंतों के स्पष्ट चित्रों को लेने के लिए चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। सीटीई स्कैन के दौरान विस्तृत चित्र बनाने के लिए कंप्यूटर द्वारा कई एक्स-रे किए जाते हैं।

स्माल बाउल एनीमा (small bowel enema) या स्माल बाउल फॉल थ्रो (small bowel follow-through) टेस्ट के बजाय इस टेस्ट का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि यह छोटी आंत का अधिक विस्तार से परीक्षण करता है और एक्स-रे रेडिएशन से बचने के लिए एमआरई स्कैन से परहेज किया जाता है।

स्मॉल बाउल एनीमा या स्मॉल बाउल फॉलो थ्रो (Small bowel enema or small bowel follow-through)

स्माल बाउल

एनीमा
(एसबीई) और स्माल बाउल फॉलो थ्रो (एसबीएफटी) दो समान टेस्ट हैं जिनका इस्तेमाल छोटी आंत के अंदर पूरे हिस्से की जांच करने के लिए किया जाता है, विशेष रूप से उस स्थान का जहां यह कोलन से मिलता है। कभी-कभी इस टेस्ट का इस्तेमाल इसलिए भी किया जाता है क्योंकि कोलोनोस्कोपी के दौरान केवल आख़िर का 20 सेंटीमीटर हिस्सा दिखता है।

एसबीई या एसबीएफटी के दौरान नाक और गले के अंदर सुन्न करने के लिए

लोकल एनेस्थेटिक
(local anaesthetic) का इस्तेमाल किया जाता है। आंत से पहले आपके नाक और गले के जरिए अंदर एक ट्यूब डाला जाता है। शुरुआत में यह असहज लगता है लेकिन कुछ लोगों को कुछ मिनटों बाद सनसनाहट का अनुभव होता है।

बेरियम नामक एक हानिरहित लिक्विड को ट्यूब के नीचे से डाला जाता है। बेरियम आपकी छोटी आंतों की परत को कोट करता है ताकि वे एक्स-रे पर स्पष्ट रूप से दिखाई दें। फिर एक्स-रे से कई चित्र लिये जाते हैं। इसमें क्रोहन रोग के कारण सूजन और संकुचन वाले हिस्से स्पष्ट नजर आते हैं।

जांच के बाद आपको पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी जाती है ताकि बेरियम आपके शरीर से बाहर निकल जाए। एसबीई या एसबीएफटी के बाद कुछ दिनों तक आपको सफेद मल हो सकता है। यह पूरी तरह सामान्य है और चिंता की कोई बात नहीं है।

क्रोहन रोग का इलाज (Treatment for Crohn’s disease)

वर्तमान में क्रोहन रोग (Crohn’s disease) का इलाज मौजूद नहीं है। लेकिन कुछ इलाज से इसके लक्षणों को सुधारा जा सकता है।

इलाज का मुख्य उद्देश्य होता है:

  • लक्षणों को कम करना - जिसे रिमिशन कम करना कहते हैं (रिमिशन बिना लक्षणों वाली एक अवधि है)
  • रिमिशन को बनाए रखना

बच्चों में इलाज का उद्देश्य उनकी स्वस्थ बढ़ोत्तरी और विकास को बढ़ाना है।

आपका इलाज आमतौर पर विशेषज्ञ डॉक्टरों (जैसे गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट या सर्जन), डॉक्टरों और विशेषज्ञ नर्सों की एक टीम द्वारा किया जाएगा।

लक्षणों को कम करना (Reducing symptoms)

यदि आपको क्रोहन रोग है और इसके कारण हल्के या गंभीर लक्षण दिखते हों, तो इस स्थिति को “एक्टिव डिजीज” कहते हैं। एक्टिव क्रोहन रोग का इलाज आमतौर पर दवाओं से किया जाता है, लेकिन कभी-कभी सर्जरी एक बेहतर विकल्प होता है।

प्रारंभिक इलाज (Initial treatment)

ज्यादातर मामलों में पहले इलाज के दौरान आमतौर पर सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉयड दवाएं (

कार्टिकोस्टेरॉयड
) दी जाती हैं। क्रोहन रोग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कार्टिकोस्टेरॉयड (corticosteroids) दवाओं में प्रेडनिसोलोन (prednisolone) टेबलेट और हाइड्रोकार्टिसोन (hydrocortisone) का इंजेक्शन शामिल है।

ये दवाएं क्रोहन रोग के लक्षणों को कम करने में प्रभावी होती हैं। लेकिन इनसे निम्न दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे:

  • वजन बढ़ना
  • चेहरे पर सूजन
  • संक्रमण की संभावना बढ़ना
  • हड्डियों का पतला और कमजोर होना (ऑस्टियोपीनिया और
    ऑस्टियोपोरोसिस
    , osteopenia and
    osteoporosis
    )

इन संभावित दुष्प्रभावों के कारण जब आपके लक्षणों में सुधार होने लगता है तो आपकी खुराक को धीरे-धीरे कम कर दिया जाता है।

यदि आप चाहें तो वैकल्पिक प्रारंभिक इलाज के रूप में हल्के स्टेरॉयड जैसे बुडेसोनाइनड (budesonide) या 5-एमिनोसैलिसिलेट (5-aminosalicylate), (जैसे मेसालेजिन) नामक एक प्रकार की दवा का सेवन कर सकते हैं। इन दवाओं का कम दुष्प्रभाव होता है लेकिन ये कम प्रभावी होती हैं।

बच्चों और युवाओं में वृद्धि और विकास को प्रभावित होने से बचाने के लिए उन्हें एक विशेष तरल आहार की सलाह दी जाती है। इसे एलिमेंटल (elemental) या पॉलीमेरिक (polymeric) डाइट कहा जाता है। यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है जिससे सूजन की समस्या घटती है। साथ ही इससे जरूरी पोषक तत्व भी मिलता है।

अतिरिक्त इलाज (Additional treatment)

यदि आपके लक्षण 12 महीनों के दौरान दो या इससे अधिक बार बढ़ जाते हैं या स्टेरॉयड की खुराक कम करने पर आपके लक्षण दोबारा दिखने लगते हैं तो आपको आगे इलाज की जरूरत हो सकती है।

ऐसी स्थिति में आपकी शुरुआती दवा के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने वाली दवा (इम्युनोसप्रेसेंट) दी जा सकती है। इस दौरान आमतौर पर एजेथियोप्रिन (azathioprine) या मरकैप्टोप्यूरिन (mercaptopurine) दवा का इस्तेमाल किया जाता है।

हालांकि ये दवाएं हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसलिए इनका सेवन करने से पहले

खून की जांच
करानी चाहिए। यदि यह आपके लिए उपयुक्त नहीं है तो आप मेथोट्रेक्सेट नामक दूसरी इम्युनोसप्रेसेंट (immunosuppressant) दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इम्युनोसप्रेसेंट (immunosuppressant) के दुष्प्रभावों में शामिल है:

  • मितली और उल्टी
  • संक्रमण की संभावना बढ़ना
  • एनीमिया
    (लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या घटना) के कारण थकान, कमजोरी और सांस लेने में परेशानी
  • लिवर की समस्या

दवा के कोर्स के दौरान गंभीर दुष्प्रभावों का पता लगाने के लिए आपको नियमित खून की जांच करानी चाहिए।

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए इम्युनोसप्रेसेंट (immunosuppressant) एजेथियोप्रिन (azathioprine) और मरकेप्टोप्यूरिन (mercaptopurine) सुरक्षित मानी जाती है। गर्भधारण का प्रयास करने के वक्त या गर्भावस्था के दौरान इनका सेवन किया जा सकता है।

हालांकि बच्चे की योजना बनाने से छः महीने पहले महिला और पुरुष दोनों को मेथोट्रेक्सेट (methotrexate) का सेवन नहीं करना चाहिए। इन दवाओं के कारण जन्मदोष हो सकता है। साथ ही स्तनपान कराने के दौरान भी इस दवा के सेवन से बचना चाहिए।

यदि आप गर्भावस्था की योजना बना रही हैं या क्रोहन रोग के इलाज के दौरान गर्भवती हो जाती हैं, तो अपने डॉक्टर को जरूर बताएं।

गंभीर क्रोहन रोग (Severe Crohn's disease)

यदि कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids) और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स (immunosuppressants) प्रभावी नहीं होता है, तो खराब स्वास्थ्य और क्रोहन रोग (Crohn’s disease) के गंभीर लक्षणों से पीड़ित लोगों में लक्षणों को कम करने के लिए जैविक थेरेपी नामक दवा दी जाती है।

जैविक थेरेपी एक प्रकार की शक्तिशाली इम्यूनोसप्रेसेन्ट (immunosuppressants) दवा है जो प्राकृतिक जैविक पदार्थों, जैसे कि एंटीबॉडी और एंजाइम का उपयोग करके बनाई जाती है।

यूके में क्रोहन की बीमारी का इलाज करने के लिए दो दवाओं इन्फ्लिक्सिमैब (infliximab) और एडालिमुमैब (adalimumab) का इस्तेमाल किया जाता है। ये TNF- अल्फा (ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर-अल्फा) नामक प्रोटीन को लक्षित करके काम करते हैं, जो क्रोहन रोग से जुड़ी सूजन के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

इन्फ्लिक्सिमाब (Infliximab) का इस्तेमाल छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों के लिए किया जा सकता है, लेकिन एडालिमुमैब (adalimumab) का इस्तेमाल केवल वयस्कों के लिए किया जा सकता है।

इन्फ्लिक्सिमाब (Infliximab) को अस्पताल में बांह की नस में ड्रिप से दिया जाता है (जिसे इनफ्यूजन कहते हैं)। एडालिमुमैब को इजेक्शन के जरिए दिया जाता है। आपके परिवार के सदस्य या दोस्त इस इंजेक्शन के बारे में जानकारी ले सकते हैं ताकि हर बार इलाज के लिए आपको अस्पताल जाने की जरूरत न पड़े।

इलाज कम से कम 12 महीने चलता है। इस समय के बाद आपकी स्थिति का आकलन करके पता लगाया जाता है कि आगे इलाज की जरूरत है या नहीं।

इन दवाओं के कारण एलर्जिक रिएक्शन का खतरा रहता है, जिसके कारण निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं:

  • त्वचा पर खुजली
  • शरीर का तापमान बढ़ना
  • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
  • हाथ या होंठ की सूजन
  • निगलने में समस्या

यदि आपको इन लक्षणों का अनुभव हो रहा हो, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। इलाज के तुरंत बाद रिएक्शन हो सकता है, हालांकि यह महीनों बाद और यहां तक कि इलाज बंद होने के बाद भी हो सकता है।

सर्जरी (Surgery)

आपके जोखिमों को कम करने के लिए डॉक्टर आपको सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।

कई मामलों में रिसेक्शन (resection) नामक सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें आंत के सूजन वाले हिस्से को निकाल दिया जाता है और स्वस्थ हिस्सों की एक साथ सिलाई कर दी जाती है।

कुछ मामलों में डॉक्टर घाव को जल्दी ठीक होने के लिए आपको

इलियोस्टोमी
(ileostomy) कराने की सलाह दे सकते हैं। इसमें पाचन के अपशिष्ट को थोड़े समय के लिए सूजे हुए कोलन (बड़ी आंत) से दूसरी ओर मोड़ दिया जाता है। इस दौरान छोटी आंत (इलियम) का सिरा कोलन से अलग हो जाता है और पेट में बने छेद के जरिए दोबारा जुड़ जाता है जिसे स्टोमा कहा जाता है। अपशिष्ट उत्पादों को इकट्ठा करने के लिए मलाशय के बाहर एक बैग जोड़ा जाता है।

जब कोलन पूरी तरह ठीक हो जाता है तो कुछ महीनों बाद एक दूसरा आपरेशन किया जाता है जिसमें स्टोमा को बंद किया जाता है और कोलन में छोटी आंत को जोड़ा जाता है।

रिमिशन को बनाए रखना (Maintaining remission)

रिमिशन एक ऐसी अवधि है जिस दौरान व्यक्ति में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं, या लक्षण काफी हल्के होते हैं। इन दौरान रिमिशन को बनाए रखने के लिए आप दवा का सेवन कर भी सकते हैं और नहीं भी।

यदि आप आगे इलाज नहीं चाहते हैं, तो आपको डॉक्टर से नियमित सलाह लेते रहना चाहिए और बिना कारण वजन काम होना, पेट में दर्द और दस्त जैसे लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए।

इलाज के लिए आपको आमतौर पर इम्युनोसप्रेसेंट (immunosuppressants) दिया जाता है। रिमिशन को बनाए रखने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids) की सलाह नहीं दी जाती है।

जटिलताएँ (Complications)

यदि क्रोहन रोग (Crohn’s disease) के कारण आपको फिस्टुला (पाचन तंत्र के दो हिस्सों के बीच विकसित होने वाले चैनल) या आंत में संकुचन (स्ट्रिक्चर) की समस्या है तो इनका भी इलाज कराने की जरूरत है। इनमें से ज्यादातर मामलों में सर्जरी की आवश्यक पड़ सकती है।

क्रोहन रोग से होने वाली समस्याओं
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क्रोहन रोग से होने वाली जटिलताएँ (Complications of Crohn’s disease)

क्रोहन रोग से पीड़ित लोगों में कई तरह की जटिलताएँ विकसित होने खतरा रहता है।

क्रोहन रोग से जुड़ी दो सबसे आम समस्याओं के बारे में नीचे दिया गया है।

इंटेस्टाइनल स्ट्रिक्चर (Intestinal stricture)

क्रोहन रोग में आंत में सूजन के कारण ऊतकों पर निशान बन सकता है, जिससे प्रभावित हिस्से संकुचित हो जाते हैं। इसे स्ट्रिक्चर कहा जाता है।

ऐसा होने पर पाचन अपशिष्ट उत्पाद (digestive waste) के कारण रुकावट का खतरा होता है। इससे आपको मल त्यागने में परेशानी होती है या आप बिल्कुल पतला मल ही त्याग करने में सक्षम होते हैं।

आंत में रुकावट के अन्य लक्षण निम्न हैं:

  • पेट में दर्द और ऐंठन
  • मितली (उल्टी होना)
  • सूजन
  • असहज रूप से पेट भरा महसूस होना

इस बीमारी का इलाज न कराने से आंत टूट सकती है (rupture)। इससे आंत में छेद हो जाता है और आंत की सामग्री से रिसाव हो सकता है।

इंटेस्टाइनल स्ट्रिक्चर (Intestinal stricture) का इलाज आमतौर पर सर्जरी के जरिए किया जाता है जिसमें आंत के प्रभावित हिस्से को चौड़ा किया जाता है। कुछ मामलों में बैलून डायलेशन नामक विधि का इस्तेमाल किया जाता है, जो कोलोनोस्कोपी के दौरान किया जाता है (

क्रोहन रोग के निदान
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बैलून डायलेशन के दौरान कोलोनोस्कोप (colonoscope) को मरीज के मलाशय और कोलोनोस्कोप (colonoscope )के जरिए डाला जाता है। इसके बाद प्रभावित क्षेत्र को खोलने के लिए इसे फुलाया जाता है।

यदि यह विधि सही तरीके से काम नहीं करती है तो प्रभावित हिस्से को चौड़ा करने के लिए स्ट्रिक्चरोप्लास्टी (stricturoplasty) का इस्तेमाल किया जाता है। इस दौरान सर्जन आंत के संकुचित हिस्से को खोलकर उसे चौड़ा करते हैं और फिर वापस सिलाई कर देते हैं।

फिस्टुला (Fistulas)

यदि आपके पाचन तंत्र में अधिक सूजन के कारण घाव के निशान हो गए हैं तो

अल्सर
होने की संभावना बढ़ सकती है।

समय के साथ अल्सर टनल या अन्य मार्गों में विकसित होते हैं जो पाचन तंत्र के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फैल जाते हैं। कुछ मामलों में मूत्राशय, योनि, गुदा और त्वचा पर भी यह समस्या हो सकती है। इन मार्गों को फिस्टुला कहते हैं।

छोटे फिस्टुला होने पर आमतौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। हालांकि बड़े फिस्टुला संक्रमित हो सकते हैं और निम्न लक्षण उत्पन्न कर सकते हैं:

  • लगातार तेज दर्द
  • शरीर का तापमान 38°C (100°F) या इससे अधिक होना (बुखार)
  • मल में खून या पस आना
  • अंडरवियर में मल या श्लेष्म का रिसाव
  • यदि फिस्टुला आपकी त्वचा (आमतौर पर गुदा के आसपास) पर होता है तो इसके कारण तेज दुर्गंधयुक्त स्राव हो सकता है।

फिस्टुला के इलाज के लिए आमतौर पर जैविक दवाएं दी जाती हैं। यदि ये दवाएं प्रभावी नहीं होती हैं तो सर्जरी करने की जरूरत पड़ती है।

फिस्टुला के इलाज
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अन्य जटिलताएं (Other complications)

क्रोहन रोग (Crohn’s disease) से पीड़ित लोगों में दूसरी जटिलताओं की भी संभावना बढ़ सकती है, जैसे:

  • ऑस्टियोपोरोसिस
    (osteoporosis) - हड्डियां कमजोर हो जाती हैं क्यूँकि आंत पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं करता है। साथ ही क्रोहन रोग के इलाज के लिए स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल करने से भी ऐसी समस्या हो सकती है।
  • आयरन की कमी से एनीमिया
    (iron deficiency anaemia) - एक ऐसी स्थिति जो क्रोहन रोग से पीड़ित लोगों में पाचन तंत्र में रक्तस्राव के कारण हो सकती है। थकान, सांस लेने में तकलीफ़ और त्वचा पीली पड़ना इसके सामान्य लक्षण हैं।
  • विटामिन बी 12 या फोलेट की कमी से एनीमिया
    (vitamin B12 or folate deficiency anaemia) - यह समस्या शरीर द्वारा विटामिन बी 12 या फोलेट को अवशोषित न कर पाने के कारण शरीर में इनकी कमी के कारण होती है। थकान और ऊर्जा की कमी इसके सामान्य लक्षण हैं।
  • पायोडर्मा गैंग्रीनोसम
    (pyoderma gangrenosum) - यह एक दुर्लभ स्किन रिएक्शन है जिसके कारण पीड़ादायक स्किन अल्सर हो सकते हैं।
  • क्रोहन रोग (Crohn’s disease) से पीड़ित बच्चों में शरीर द्वारा अवशोषित पोषक तत्वों की कमी के कारण उनकी वृद्धि और विकास पर प्रभाव पड़ता है।

महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।