साइक्लोथिमिया या साइक्लोथिमिक विकार , द्विध्रुवी विकार (manic depression) का एक हल्का रूप है।
साइक्लोथिमिया या साइक्लोथिमिक विकार , द्विध्रुवी विकार (manic depression) का एक हल्का रूप है।
इस विकार से ग्रसित शख्स के मिज़ाज में तेजी से बदलाव का एक इतिहास होता है, जो अवसाद की शुरुआती अवस्था से लेकर भावनात्मक रूप के चरम तक होता है। (जानें - मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे साइक्लोथिमिया है?, नीचे पढ़ें)।
इस विकार से ग्रसित अधिकांश लोगों के लक्षण काफी सहज होते हैं, जिसके चलते वो अपने मानसिक स्वास्थ्य उपचार के बारे में नहीं सोचते। इसलिए साइक्लोथिमिया नामक विकार अमूमन बिना जाँच और बिना उपचार के ही रह जाता है।
हालांकि, आपके मिजाज में तेजी से आने वाले बदलाव , आपके व्यक्तिगत और कामकाज से जुड़े संबंधों पर असर डाल सकते हैं । ऐसे में यदि आपको लगता है कि आप इस विकार से ग्रसित हैं , तो आपको इस समस्या को लेकर अपने डॉक्टर से परामर्श लेने की जरूरत है ।
साइक्लोथिमिया, द्विध्रुवी विकार यानी बाइपोलर डिसॉर्डर में बदल सकता है । और अधिकांश लोग ऐसा होने पर ही इसका इलाज करवाने के बारे में सोचते हैं।
यदि आपको साइक्लोथिमिया है, तो उत्साह और उत्तेजना के बाद आप उदासी महसूस करेंगे, बारी बारी से। आपको बहुत ज्यादा नींद की आवश्यकता नहीं होती(इस स्थिति को 'हाइपोमेनिया' कहा जाता है)।
उदासी की अवधि लंबे समय तक नहीं रहती है और क्लिनिकल डिप्रेशन(clinical depression) की जांच के लिए पर्याप्त रूप से गंभीर नहीं होती हैं, लेकिन वे संभवतः दिन-प्रतिदिन के आधार पर आपके कार्य करने की क्षमता में दखल देंगे।
इस स्थिति में आपके मिज़ाज में बार बार बदलाव होगा, साथ ही साथ आपकी यह स्थिति लगातार रहेगी- इन लक्षणों से आराम की अवधि दो माह से ज़्यादा की नहीं होगी।
आपके इस विकार का परीक्षण उस स्थिति में हो सकता है जब आपके मिज़ाज में उतार-चढ़ाव का क्रम कम से कम दो साल (बच्चों और किशोरों में एक वर्ष) तक रहे ।
साइक्लोथाइमिया के कारणों के बारे में कुछ पक्का नहीं कहा जा सकता, लेकिन ऐसी आशंका है कि इसका संबंध आनुवंशिकता से है। साइक्लोथाइमिया के साथ ही क्लिनिकल डिप्रेशन(clinical depression) और बाइपोलर डिसॉर्डर(bipolar disorder) आनुवंशिक रूप से आगे बढ़ते हैं।
साइक्लोथिमिया आमतौर पर शुरुआती जीवन में शुरू होता है। यह महिला - पुरुषों, दोनों में समान रूप से नजर आता है।
इस विकार के उपचार के लिए खासतौर पर कोई भी दवाई अब तक मान्यता प्राप्त नहीं है। लेकिन मूड को सामान्य रखने की दवा (mood-stabilising medication) और अवसाद रोधी दवाओं को मनोचिकित्सक के परामर्श से लिया जा सकता है।
मूड स्टेबलाइजर्स में शामिल हैं:
हालांकि, साइक्लोथाइमिया से ग्रसित सभी लोगों को दवाओं से लाभ नहीं होता।
इस स्थिति में संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी(सीबीटी) जैसी मनोचिकित्सा बहुत प्रभावी हो सकती है। सीबीटी में एक प्रशिक्षित चिकित्सक से बात करने के तरीके शामिल हैं, जो आपकी सोच और व्यवहार के तरीकों को बदलकर आपकी समस्याओं का समाधान करने में आपकी मदद करते हैं। हालांकि यह आपकी परेशानी को दूर तो नहीं कर सकता, लेकिन यह आपको इस स्थिति से निपटने के सकारात्मक तरीकों को खोजने में मदद कर सकता है।
सहायता समूह में शामिल होना भी ऐसे लोगों के लिए मददगार साबित हो सकता है , जिसमें आप दूसरों से बात कर सकते हैं, जो आपके अनुभवों और समस्याओं को साझा करते हैं – ऐसे संगठनों की सूची आप इंटरनेट पर भी खोज सकते हैं , साथ ही आप इसके लिए अपने डॉक्टर से भी पूछ सकते हैं कि क्या कोई स्थानीय समूह है, जिसमें आप भी शामिल हो सकते हैं।
साइक्लोथाइमिया से ग्रसित आधे लोग आखिरकार अपने अंदर बाइपोलर डिसॉर्डर को विकसित करते हैं, जहां उनका मिज़ाज और अधिक गंभीर रूप से उदास या उत्साहित हो जाता है ।
हालांकि अन्य लोग पाएंगे कि उनको इस डिसॉर्डर के साथ आजीवन इसी स्थिति में रहने की आदत डालनी होगी या वे ऐसा भी मुमकिन है कि समय के साथ यह विकार गायब हो जाए।
महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।