हेपेटाइटिस (Hepatitis)

7 min read

हेपेटाइटिस शब्द का प्रयोग लिवर के सूजन के संदर्भ में किया जाता है। आमतौर पर यह किसी वायरल संक्रमण या शराब के सेवन के कारण लिवर को पंहुचे नुकसान की वजह से होता है।

हेपेटाइटिस के कई प्रकार हैं, इनमें से अधिकांश के बारे में नीचे बताया गया है।

कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस में कोई गंभीर समस्या नहीं होती, जबकि अन्य लंबे समय तक (क्रोनिक) रह सकते हैं और लीवर सिरोसिस (cirrhosis)

का कारण बन सकते हैं। साथ ही साथ लीवर फ़ंक्शन को भी नुकसान पंहुच सकता है और कई मामलों में लीवर कैंसर

भी हो सकता है।

हेपेटाइटिस के लक्षण (

थोड़े समय (एक्यूट) के लिए होने वाले हेपेटाइटिस के लक्षण पहचान में नहीं आते इसलिए आपको इसके होने का पता ही नहीं चलता।

अगर लक्षण बढ़ते हैं तो ये सारी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं:

• मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द

•38 सेल्सियस (100.4 फारेनहाइट) या इससे अधिक तापमान (बुखार)

• उबकाई महसूस करना

• हर समय असामान्य रूप से थकान महसूस करना

• भूख न लगना

• पेटदर्द

• गहरे रंग का पेशाब

• पीले, भूरे रंग का मल

• त्वचा में खुजली

• त्वचा और आंखों में पीलापन (

जॉन्डिस
)

यदि आपको ऐसे लक्षण दिखाई दें जिनसे आपको लगातार परेशानी हो रही हो और आपको लगे कि इनका कारण हेपेटाइटिस है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करे।

लंबे समय तक (क्रोनिक) हेपेटाइटिस का भी कोई स्पष्ट लक्षण नहीं नज़र आता जब तक कि लिवर पूरी तरह से काम करना बंद नहीं कर देता, जिसे लिवर फ़ेल्यर कहते हैं, और केवल खून की जांच के जरिये ही इसका पता लगाया जा सकता है।

बाद के चरणों में इसकी वजह से आपको पीलिया(जॉंडिस), पैरों और एड़ियों में सूजन, भ्रम और आपके मल या उल्टी में खून आने की समस्या हो सकती है।

हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A)

हेपेटाइटिस ए का कारण हेपेटाइटिस ए वायरस होता है। आमतौर पर यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल से मिश्रित भोजन या पानी का सेवन करने से होता है। उन देशों में यह आम है जहाँ स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जाता।

आमतौर पर हेपेटाइटिस ए कुछ महीनों में ठीक हो जाता है पर कई बार यह बेहद गम्भीर और जानलेवा साबित हो सकता है। दर्द, मितली और खुजली जैसे लक्षणों से राहत पाने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, इसके अलावा और कोई विशेष उपचार नहीं है।

हेपेटाइटिस ए के वैक्सीनेशन की सलाह दी जाती है यदिः

• आपको संक्रमण का खतरा ज़्यादा हो या संक्रमण के परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हों

• आप उस जगह की यात्रा कर रहे हों जहां यह वायरस आम है, जैसे भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका, सुदूर पूर्वी देश और पूर्वी यूरोप

हेपेटाइटिस ए के बारे में और पड़ें।

हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B)

हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस बी वायरस के कारण होता है जो संक्रमित व्यक्ति के खून में फैलता है।

दुनिया भर में यह एक आम संक्रमण है जो सामान्य तौर पर एक संक्रमित गर्भवती महिला से उसके बच्चे और बच्चों के आपस में संपर्क में आने से से फैलता है। कुछ स्थितियों में यह असुरक्षित यौन संबंध और ड्रग्स इंजेक्शन से भी फैल सकता है।

हेपेटाइटिस से संक्रमित अधिकतर व्यस्क लोग इस वायरस से लड़ने में सक्षम हैं और कुछ महीनों में इस संक्रमण से पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।

हालांकि अधिकांश लोग जो बचपन में इससे संक्रमित होते हैं उन्हें आगे चल कर भी दीर्घकालीन संक्रमण रह सकता है। इसे क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के रूप में जाना जाता है और यह सिरोसिस और लीवर कैंसर का कारण बन सकता है। इसके इलाज के लिए एंटीवायरल दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है।

हेपेटाइटिस B के बारे में और पड़ें।

हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C)

हेपेटाइटिस सी का कारण हेपेटाइटिस सी वायरस होता है। यह सामान्यतः संक्रमित व्यक्ति के रक्त से संपर्क में आने से फैलता है।

इसके फैलने का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं में कमी और असुरक्षित तरीक़े से इंजेक्शन लेना है।

हेपेटाइटिस सी के लक्षण कई बार पहचान में नहीं आते हैं, या केवल फ्लू जैसे लक्षण होते हैं, जिस की वजह से ज्यादातर संक्रमित लोगों को संक्रमण का पता नहीं चल पाता।

करीब चार में से एक व्यक्ति इस संक्रमण के ठीक हो जाता है और वायरस मुक्त हो जाता है। बाकी मामलों में यह वर्षों तक शरीर में बना रहता है। इसे क्रोनिक हेपेटाइटिस सी कहा जाता है और सिरोसिस और लीवर फेलियर का कारण बनता है।

क्रोनिक हेपेटाइटिस सी का इलाज बेहद प्रभावशाली एंटीवायरल दवाओं से किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल इसके लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

हेपेटाइटिस सी के बारे में और पढ़ें।

हेपेटाइटिस डी (Hepatitis D)

हेपेटाइटिस डी, हेपेटाइटिस डी वायरस के कारण होता है। यह केवल उन्हीं व्यक्तियों को प्रभावित करता है जो पहले से ही हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होते हैं यानि शरीर में जीवित रहने के लिए इसे हेपेटाइटिस बी वायरस की आवश्यकता होती है।

हेपेटाइटिस डी आमतौर पर किसी संक्रमित व्यक्ति के ख़ून के सम्पर्क में आने या यौन संबंध के दौरान फैलता है। लंबे समय तक हेपेटाइटिस डी और हेपेटाइटिस बी का संक्रमण कई गंभीर समस्याओं जैसे सिरोरिस और लीवर कैंसर होने का जोखिम बढ़ाता है।

हेपेटाइटिस डी के लिए विशेष तौर पर कोई वैक्सीन नहीं है, लेकिन हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन (उपर देखें) आपको इससे सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

हेपेटाइटिस ई (Hepatitis E)

हेपेटाइटिस ई, हेपेटाइटिस ई वायरस के कारण फैलता है। यह वायरस मुख्य रूप से कच्चे या अधपके सूअर के मांस के सेवन से जुड़ा है। साथ ही जंगली सूअर के मांस और सेलफिश के सेवन से भी जुड़ा है।

हेपेटाइटिस ई आम तौर पर एक हल्का और अल्पकालिक संक्रमण है जिसे किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह कुछ लोगों में गंभीर हो सकता है जैसे वो लोग जिनका इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) कमजोर हो।

हेपेटाइटिस ई के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हालांकि आप दुनिया के उन हिस्सों की यात्रा करते हुए जहां सफाई की स्थिति अच्छी नहीं व जहां हेपेटाइटिस ई एक आम

बीमारी हो, कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं। जैसे आप प्रयास करें की अच्छा और स्वच्छ भोजन और पानी का सेवन करें, जिससे इसके होने का जोखिम कम रहे।

ब्रिटिश लिवर ट्रस्ट के पास हेपेटाइटिस E से जुड़ी और जानकारियां उपलब्ध हैं।

एल्कोहलिक हेपेटाइटिस (Alcoholic hepatitis)

एल्कोहलिक हेपेटाइटिस, हेपेटाइटिस का वह प्रकार है जो वर्षों तक एल्कोहल के अधिक सेवन के कारण हो सकता है।

आमतौर पर शराब का सेवन बंद करने पर लीवर में सुधार होने लगता है, लेकिन अगर आप अधिक मात्रा में शराब पीना जारी रखते हैं तो आपको सिरोसिस, लीवर फेलियर या लीवर कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

शराब की मात्रा को नियंत्रित कर आप एल्कोहिलक हेपेटाइटिस होने की सम्भावना को कम कर सकते हैं। एक सप्ताह में 14 यूनिट से अधिक शराब का सेवन नहीं करें।

एल्कोहल से जुड़ी लिवर की बीमारियों और एल्कोहल से जुड़े सेहत के खतरों के बारे में और पढ़ें।

आटोइम्यून हेपेटाइटिस (Autoimmune hepatitis)

आटोइम्यून हेपेटाइटिस दीर्घकालिक हेपेटाइटिस का एक दुर्लभ कारण है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) लीवर पर हमला कर उसे नुकसान पहुँचाती है।

नतीजतन लीवर को गंभीर क्षति पहुंच सकती है और यह पूरी तरह से काम करना बंद कर सकता है।

आटोइम्यून हेपेटाइटिस के इलाज में प्रभावशाली दवाएँ शामिल हैं जो इम्यून सिस्टम का अवरोध कर सूजन को कम करती हैं।

किस कारणों से आटोइम्यून हेपेटाइटिस होता है यह अभी स्पष्ट नहीं है और न ही इसकी रोकथाम के उपाय पता लगाए जा सके हैं।

महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।