इन्फर्टिलिटी क्या है?
जब एक दम्पति नियमित रूप से असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने पर भी गर्भधारण करने में असफल रहता है, उस स्थिति को इन्फर्टिलिटी (Infertility) कहते हैं।
लगभग 85% जोड़े असुरक्षित यौन संबंध बनाने के एक साल के अंदर प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण कर लेते हैं। मगर, बड़ी उम्र की महिलाओं में माँ बनने की संभावनाएं काफी कम होती हैं।
हर उन 100 जोड़ों में से जो प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करने का प्रयास कर रहे हैं :
- 20 जोड़े एक महीने के अंदर गर्भ धारण कर लेंगे।
- 70 छे महीनों के अंदर गर्भ धारण कर लेंगे।
- 85 एक साल के अंदर गर्भ धारण कर लेंगे।
- 90 अठारह महीनों के अंदर गर्भ धारण कर लेंगे।
- 95 दो साल के अंदर गर्भ धारण कर लेंगे।
उन जोड़ों के लिए जो बिना किसी सफलता के, तीन साल से ज्यादा से प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करने का प्रयास कर रहें हैं, उनके लिए आने वाले साल में इसके होने की सम्भावना 25% या उससे कम होती है।
मदद लेने का फैसला
कुछ स्त्रियां जल्दी गर्भवती हो जाती हैं जबकि औरों के लिए यह ज्यादा समय लेता है। अगर कोई जोड़ा एक साल तक प्रयास करने के बाद भी गर्भ धारण नहीं कर पाया है तो उनके लिए अपने डॉक्टर से मिलना एक अच्छा विचार है।
36 से ऊपर उम्र की महिलाओं, और हर वह व्यक्ति जिसे पहले से पता है कि उसे प्रजनन से सम्बंधित परेशानी हो सकती है, उनको डॉक्टर से और जल्दी मिलना चाहिए। डॉक्टर प्रजनन समस्याओं के साझे कारणों की जांच कर सकते हैं, और इलाज का सुझाव दे सकते हैं जो आपकी मदद कर सके।
किसी जोड़े को प्रजनन में अक्षम तभी कहा जायेगा, अगर एक साल तक प्रयास करने पर भी वो सन्तान उत्पन्न करने में असफल रहें। प्रजनन में अक्षमता दो तरह की होती है :
- प्राइमरी इन्फर्टिलिटी, जहां ऐसे व्यक्ति को गर्भ धारण में परेशानी हो, जिसने पहले कभी संतान उत्पन्न नहीं की हो।
- सेकेंडरी इन्फर्टिलिटी, जहां व्यक्ति को एक या एक से ज्यादा गर्भावस्थाएं हुई हों पर अब दोबारा गर्भ धारण में परेशानी हो रही हो।
प्रजनन अक्षमता के परीक्षण के बारे में और पढ़ें।
इन्फर्टिलिटी किन कारणों से होता है?
इन्फर्टिलिटी के कई संभावित कारण होते हैं, और ये समस्याएं महिला या पुरूष किसी को भी प्रभावित कर सकतीं हैं। हालांकि, कारण को पहचानना हमेशा सम्भव नहीं होता है।
महिलाओं में अनियमित ओव्यूलेशन या मासिक धर्म की अनियमितता (अंडे का हर महीने बाहर आना), फैलोपियन नलियों में रुकावट होना और एंडोमेट्रियोसिस इन्फर्टिलिटी के आम कारणों में आते हैं, हालांकि 25-30% मामलों में ऐसे कारण भी होते हैं जो समझ नहीं आते। पुरुषों में, इसका प्रमुख कारण वीर्य (वह द्रव्य जिसमे शुक्राणु रहते हैं और जो यौन सम्बन्धों के दौरान बाहर निकलता है) की गुणवत्ता खराब होना है।
कुछ लोगों के लिए, एक स्वस्थ जीवन शैली जीना और नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहना भी इन्फर्टिलिटी को रोकने में मदद कर सकता है।
इलाज के विकल्प?
प्रजनन क्षमता के लिये विभिन्न तरह के इलाज हैं, जैसे :
- अनियमित ओव्यूलेशन के लिए चिकित्सीय इलाज
- सर्जिकल इलाज, जैसे एंडोमेट्रियोसिस के लिए इलाज
- गर्भ धारण करने में सहायता, जो इंट्रयूटेरायिन इनसेमिनेशन (IUI)) या इन-विट्रो-फेर्टिलिजेशन (IVF) हो सकती है
आप व्यक्तिगत या निजी इलाज कराना पसन्द कर सकते हैं। यह महंगा हो सकता है और इसके सफल होने की कोई गारंटी नहीं है।
एक निजी क्लीनिक को ध्यान से चुनना जरूरी है।आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
इन्फर्टिलिटी का कैसे इलाज होता है इसके बारे में और जानकारी के लिए पढ़ें।
कुछ इन्फर्टिलिटी इलाज जटिलतायें पैदा कर सकते हैं, जिनमे आते हैं :
- दवाओं का दुष्प्रभाव
- एक्टोपिक गर्भावस्था की सम्भावना
- मल्टिपल गर्भावस्था
- तनाव
- इन्फर्टिलिटी से जुड़े इलाज की जटिलताओं के बारे में और जानकारी के लिए पढ़ें।
इन्फर्टिलिटी के कारण
इन्फर्टिलिटी बहुत सी अलग -अलग चीजों के कारण हो सकता है। 25-30% मामलों में इसके होने के किसी कारण की पहचान नहीं हो पाती।
महिलाओं में इन्फर्टिलिटी
ओव्यूलेशन के विकार या समस्याएं
इन्फर्टिलिटी सबसे ज्यादा ओव्यूलेशन (हर महीने अंडे का बाहर आना) से जुड़ी तकलीफों की वजह से होता है। कुछ समस्याएँ स्त्रियों में अंडे को बाहर आने से रोकती हैं, और कुछ तकलीफें अंडे को कुछ खास चक्रों के दौरान ही बाहर जाने देती हैं ।
ओव्यूलेशन की परेशानियां नीचे दी गयी स्थितियों की वजह से हो सकती हैं :
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिन्ड्रोम(PCOS), एक ऐसी स्थिति जो आपकी ओवरी के लिए अंडे बनाने को और मुश्किल कर देती है
थायरॉइड समस्याएं, थायरॉइड का कम (हाइपोथायरायडिज्म) और ज्यादा काम करना (हाइपरथायराइडिज्म) दोनों ही ओव्यूलेशन को रोकते हैं।
प्रीमैच्योर ओवरी फ़ेल्यर, जब किसी महिला की ओवरी 40 की उम्र से पहले ही काम करना बंद कर दे।
गर्भाशय और फैलोपियन नलियां
फैलोपियन नलियां वो नलियां हैं जिनके जरिये एग ओवरी से गर्भाशय तक पहुंचता है। फैलोपियन नली में से गुजरते समय अंडा निषेचित हो जाता है। जब यह कोख या गर्भाशय में पहुंचता है, तब वहाँ यह गर्भाशय के स्तर में प्रत्यारोपित हो जाता है जहां ये बढ़ता रहता है।
अगर कोख या फैलोपियन नलियां क्षतिग्रस्त हैं, या कम करना बंद कर देती हैं, तब प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करना मुश्किल होता है। यह नीचे दिए गए बहुत से कारणों की वजह से हो सकता है :
सर्जरी से घाव
कभी -कभी पेल्विक सर्जरी फैलोपियन नलियों को नुकसान और चोट पहुंचा देती है।
कभी-कभी सरवाईकल सर्जरी भी घाव दे सकती है या सर्विक्स (गर्भाशय की गर्दन) का छोटी कर सकती है।
सरवाईकल म्यूकस डिफेक्ट
जब आपको ओव्यूलेशन होता है तब आपकी सर्विक्स में रहने वाला चिपचिपा पदार्थ या म्यूकस पतला हो जाता है ताकि स्पर्म्स या शुक्राणु उसमे आसानी से तैर सकें। अगर आपके चिपचिपे पदार्थ या म्यूकस में कुछ परेशानी है तो यह गर्भ धारण करना मुश्किल बना सकती है।
सबम्यूकोसल फाइब्रॉइड्स
फाइब्रॉइड्स अच्छे(बिना कैंसर ) वाले फोड़े या ट्यूमर होते हैं, जो गर्भाशय के अंदर या चारों तरफ हो जाते हैं।सबम्यूकोसल फाइब्रॉइड्स गर्भाशय की दीवार के अंदरूनी अस्तर के नीचे की मांस-पेशियों में और गर्भाशय के बीचोंबीच होते हैं।
सबम्यूकोसल फाइब्रॉइड्स प्रजनन क्षमता को कम कर सकते हैं, हालांकि, ये ऐसा कैसे करते हैं, ये अभी तक पता नहीं चला है। यह सम्भव है कि फाइब्रॉइड्स भ्रूण को खुद को आपके गर्भाशय में प्रत्यारोपित करने से रोक देते हों।
एंडोमेट्रियोसिस
एंडोमेट्रियोसिस वह स्थिति है जिसमें गर्भाशय के अस्तर, जिसे एंडोमेट्रियम कहते हैं, के छोटे छोटे टुकड़े, अन्य जगहों जैसे, ओवरीज में बढ़ने लगते हैं।
यह इन्फर्टिलिटी का कारण हो सकता है क्योंकि चिपकने (टिशूस के चिपचिपे हिस्से) या सिस्ट्स(द्रव्य से भरीं थैलियां) से बनी नई वृद्धियां पेल्विस को बिगाड़ सकती हैं या उसमें रुकावट बन सकती हैं। यह एक अंडे के बाहर आने और उसके गर्भाशय में रोपे जाने को मुश्किल बनाता है।
एंडोमेट्रियोसिस इन्फ़र्टिलिटी का कारण हो सकता है क्योंकि यह एक फॉलिकल( द्रव्य भरी वह जगह जहां अंडे विकसित होते हैं) के विकास और उसके द्वारा अंडे को बाहर निकालने के तरीके में बाधा डालती है।
पेल्विक के सूजन की बीमारी
पेल्विक इन्फ्लामेट्री डिसीस (PID) ऊपरी स्त्री-जननांग मार्ग, जिसमे गर्भाशय, फैलोपियन नलियां और ओवरीज आती हैं, का संक्रमण है। यह अक्सर यौन सम्बन्धों से जुड़े संक्रमणों (STI / सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन) के कारण होता है। पीआईडी फैलोपियन नलियों में घाव बना कर नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे एक अंडे के लिए गर्भाशय तक का सफर तय करना लगभग असम्भव हो जाता है।
बंध्याकरण
अगर कुछ महिलाएं और संतान नहीं चाहतीं हैं तो वो नसबंदी करा लेती हैंI
नसबंदी में फैलोपियन नलियों को बंद कर दिया जाता है ताकि अंडा गर्भाशय तक ना पहुंच सके। ऐसा बहुत कम होता है कि यह प्रक्रिया वापिस पलटी जा सके, और अगर आप अपनी नसबंदी पलटवा भी लेतीं हैं तो जरूरी नहीं कि आप फिर से गर्भ धारण कर ही पाएंगीं।
दवाएँ और ड्रग्स
कुछ तरह की दवाओं और ड्रग्स के दुष्प्रभावों से आपकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। ये दवाएँ नीचे बतायी गयीं हैं :
नॉन स्टेरॉइडल एन्टी इन्फ्लामेट्री ड्रग्स (NSAIDs) जैसे, इबुप्रोफेन या एस्पिरिन, का लम्बे समय तक इस्तेमाल, या अधिक मात्रा में सेवन आपको गर्भ धारण करने में परेशानी पैदा कर सकता है।
कीमोथेरेपी- कभी-कभी कीमोथेरेपी (कैंसर का एक इलाज ) में इस्तेमाल होने वाली दवाएं ओवेरी फ़ेल्यर का कारण हो सकती हैं, जिसका अर्थ हुआ कि अब आपकी ओवरीज ठीक से काम नहीं करेंगीं। ओवरी फ़ेल्यर हमेशा के लिए होता है।
न्यूरोलेप्टिक दवाएँ साइकोसिस का इलाज करने वाली एन्टी सायकोटिक दवाएँ होती हैं। कई बार ये अनियमित मासिक धर्म और इन्फर्टिलिटी का कारण होती हैं।
मारिजुआना और कोकीन जैसी गैर कानूनी ड्रग्स ओव्यूलेशन (ओवरी से अंडे के बाहर आने की हर महीने की प्रक्रिया )को और मुश्किल बना कर प्रजनन क्षमता पर गम्भीर असर डालतीं हैं ।
उम्र
स्त्रियों में इन्फर्टिलिटी उम्र से भी जुड़ा हुआ होता है। प्रजनन क्षमता में सबसे ज्यादा कमी तीस से चालीस वर्ष के बीच के सालों में आती है। 35 की उम्र की महिलाओं में से 95% महिलाएं तीन साल के असुरक्षित यौन सम्बन्धों के बाद गर्भवती हो जाती हैं।38 वर्ष की महिलाओं में से मात्र 75% महिलाएं ही तीन साल के असुरक्षित यौन सम्बन्धों के बाद गर्भवती हो पाती हैं।
पुरुषों में इन्फर्टिलिटी
सीमेन या वीर्य
पुरुषों में इन्फर्टिलिटी सीमेन (वह द्रव्य जिसमे शुक्राणु होते हैं और जो यौन क्रिया के दौरान बाहर निकाला जाता है) के असामान्य होने से होती है। सीमेन की असामान्यतायों के कुछ सम्भावित कारण नीचे दिए गए हैं।
शुक्राणुओं की संख्या कम होना - आपके शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम या बिल्कुल शून्य हो सकती है।
शुक्राणु की गति काम होना - अगर आपके शुक्राणु की गतिशीलता कम है तो उसके लिए अंडे तक तैर कर जाना ज्यादा मुश्किल होगा।
असामान्य शुक्राणु- कई बार स्पर्म की बनावट असामान्य होती है, जिससे उसको अंडे तक पंहुच उसे निषेचित करने मे ज्यादा मुश्किल होती है।
असामान्य सीमेन के बहुत से मामले अनसुलझे हैं, पर ऐसे बहुत से कारक हैं जो वीर्य और शुक्राणु को प्रभावित कर सकते हैं।
अंडकोष
टेस्टकल्स शुक्राणु के बनने और उसको इकट्ठा करने के लिए जिम्मेदार हैं। अगर ये क्षतिग्रस्त हैं तो यह बात सीमेन की गुणवत्ता को गम्भीर रूप से प्रभावित कर सकती है। यह तब होता है अगर आपके साथ अभी या पहले कभी निम्न में से कुछ हुआ हो :
टेस्टिकल्स का संक्रमण
टेस्टिकल्स का कैंसर
टेस्टिकल्स की सर्जरी
जन्मजात खामी ( जन्म के समय से टेस्टिकल्स में समस्या होना)
जब जन्म के समय टेस्टिकल्स अपनी सही जगह पर ना हो (जब एक या दोनो टेस्टिकल्स स्क्रोटमया वृषणकोष में नहीं आते हैं- undescended testicles)
आपके टेस्टिकल्स को आघात (चोट)
शुक्राणु का ना होना
आपके टेस्टिकल्स शुक्राणु बना सकते हैं पर वो सीमेन में नहीं पहुंच पाते। आपके सीमेन में शुक्राणुओं का ना होना ऑब्स्ट्रुक्टिव अजूस्पेर्मिया कहलाता है। ऐसा आपके जनन तंत्र को बनाने वाली नलियों में से किसी छोटी सी नली में हुई रुकावट की वजह से हो सकता है। यह रुकावट सर्जरी या संक्रमण के कारण हो सकती है।
नसबंदी
पुरुषों की नसबंदी के लिए वासेक्टोमी की सर्जिकल प्रक्रिया होती है। इसमें वास डिफरेंस (वो नली जो शुक्राणु को सीमेन तक ले जाती है) को काट और सीलबंद किया जाता है जिससे, आपके सीमेन में कोई शुक्राणु ना रहे। वासेक्टोमी को पलटा जा सकता है, पर पलटने की प्रक्रिया अक्सर सफल नहीं होती।
स्खलन से जुड़ी समस्याएं
कुछ पुरूष स्खलन की समस्याओं से गुजरते हैं जो उनके लिए वीर्यपतन को बहुत मुश्किल बना देतीं हैं। वीर्यपतन की अन्य समस्याओं में आते हैं:
रेट्रोग्रेड इजेकुलेशन, जहां सीमेन आपके मूत्राशय में ही स्खलित हो जाता है
प्रीमैच्योर इजेकुलेशन, जहां स्खलन बहुत जल्दी हो जाता है
हायपोगोनाडिसम
हायपोगोनाडिसम का अर्थ टेस्टोस्टेरोन का स्तर बहुत कम होना है। यह फोड़े या ट्यूमर, गैर कानूनी ड्रग्स लेने या कलमेन सिंड्रोम(एक खराब जीन के कारण होने वाला एक असामान्य विकार- Kallman’s syndrome) के कारण हो सकता है।
दवाएँ और ड्रग्स
कुछ खास तरह की दवाएं प्रजनन क्षमता में समस्या पैदा कर सकती हैं। ये दवाएं नीचे बतायी गयीं हैं :
सल्फासलाजीन(Sulfasalazine), क्रोहन डिसीस(आँतों में सूजन- Crohn's disease) और रह्युमेटोइड अर्थिरिटिस(जोड़ों की दर्द भरी सूजन - rheumatoid arthritis) का इलाज करने वाली एक एन्टी इन्फ्लामेट्री दवा। सल्फासलाजीन शुक्राणुओं की संख्या को घटा सकती है पर यह असर अल्पकालिक होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल बन्द करने के बाद आपकी शुक्राणु संख्या वापस सामान्य हो जानी चाहिए।
एनाबोलिक स्टेरॉइड्स, जो मांस-पेशियां विकसित करने और खेल-कूद में प्रदर्शन को सुधारने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गैर-कानूनी दवाएँ हैं। एनाबोलिक स्टेरॉइड्स का लम्बे समय तक दुरुपयोग शुक्राणु संख्या और शुक्राणु की गतिशीलता को घटा सकता है।
कीमोथेरेपी - कभी-कभी कीमोथेरेपी में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं शुक्राणुओं के बनने को बहुत ज्यादा कम कर सकती हैं।
हर्बल उपचार - हर्बल के कुछ नुस्खे जैसे, ट्राईस्टायरगियम विल्फोर्डी(एक चीनी जड़ी-बूटी- Tripterygium wilfordii) की जड़ का निचोड़ पीने से शुक्राणुओं के बनने पर असर और टेस्टिकल्स का आकार काम हो सकता है।
शराब
बहुत ज्यादा शराब पीने से आपके शुक्राणु की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।
स्त्रियों और पुरुषों, दोनों में इन्फर्टिलिटी
स्त्री-पुरुषों दोनों में प्रजनन क्षमता पर असर डालने वाले बहुत से कारक होते हैं। ये नीचे दिए गए हैं :
वजन
बहुत मोटा या वजनी होने से स्त्री और पुरूष दोनों की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। स्त्रियों में मोटे होने से ओव्यूलेशन पर असर पड़ सकता है। वजन कम होने से भी, खासकर स्त्रियों में, प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। बहुत ज्यादा कम वजन वाली स्त्रियों में ओव्यूलेशन नहीं होगा।
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन्स (STIs)
ऐसे बहुत से STI हैं जो इन्फर्टिलिटी का कारण होते हैं। उदाहरण के लिए, क्लेमाइडिया स्त्रियों में फैलोपियन नलियों को नुकसान पहुंचाता है और पुरुषों में स्क्रोटम ( वो अंग जिनमे टेस्टिस पाए जाते हैं) में सूजन पैदा करता है।
धूम्रपान
आपके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करने के अलावा, धूम्रपान प्रजनन क्षमता पर भी बुरा असर डालता है। धूम्रपान छोड़ने के बारे में और पढ़ें।
रोजगार और वातावरण से जुड़े कारक
स्त्री-पुरूष दोनों में, कुछ खास तरह के कीटनाशकों, धातुओं और सॉल्वेंट्स से सम्पर्क प्रजनन क्षमता पर असर डालता है।
तनाव
अगर आप या आपका साथी तनावग्रस्त है तो यह आपके रिश्ते पर असर डाल सकता है। तनाव की वजह से लिबिडो या कामेच्छा में कमी आ जाती है जिससे यौन सम्बन्ध बनाने की इच्छा और संख्या में कमी आ सकती है।
बहुत अधिक तनाव स्त्रियों के ओव्यूलेशन और पुरुषों में शुक्राणुओं के बनने पर असर डाल सकता है।
इन्फर्टिलिटी की जांच करना
लगभग 85% जोड़े नियमित( हर दो से तीन दिन) असुरक्षित यौन संबंध बनाने के एक साल के अंदर ही प्राकृतिक रूप से ही गर्भ धारण कर लेते हैं। अगर आप एक साल की कोशिशों के बाद भी गर्भ धारण नहीं कर पाएं हैं तो आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए।
आपको अपने डॉक्टर से और जल्दी मिलना चाहिए अगर :
- अगर आपके अपनी प्रजनन क्षमता को लेकर कोई चिंता है, उदाहरण के लिए, अगर आपका कैंसर के लिए इलाज हुआ है।
- 35 से ऊपर की महिला
प्रजनन क्षमता की जांच और खोज-बीन एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है, और स्त्रियों की प्रजनन क्षमता उम्र के साथ घटती है, इसलिए सबसे अच्छा यही है कि डॉक्टर से अपॉंट्मेंट जल्दी ले लिया जाए।
आपका डॉक्टर यह बताने में कि आगे क्या करना है और आपकी प्रजनन क्षमता की परेशानी हो क्यों रही है, इसका शुरुआती मूल्यांकन करने में सक्षम होगा।
सबसे अच्छा हमेशा यह रहता है कि दोनों साथी अपने डॉक्टरों से मिलें क्योंकि प्रजनन क्षमता की परेशानी स्त्री और पुरूष किसी को भी या कभी-कभी दोनों को हो सकती है।
गर्भ धारण करना एक भावनात्मक प्रक्रिया है, इसलिए एक दूसरे को जितना ज्यादा हो सके उतना सहयोग करना बहुत जरूरी है। तनाव प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाली चीजों में से एक है।
मेडिकल, यौन और सामाजिक इतिहास
जब आप अपने डॉक्टर से मिलेंगें तब वे आपसे आपकी पूरी चिकित्सीय, यौन क्सम्बन्धी और सामाजिक इतिहास के बारे में चर्चा करना चाहेंगे। यह उनको प्रजनन क्षमता की समस्या के कारण को समझने में मदद करता है।
उम्र
आपका डॉक्टर आपसे आपकी उम्र के बारे में चर्चा करेगा क्योंकि स्त्रियों में प्रजनन क्षमता उम्र के साथ घटती है।
सन्तान
अगर आप एक स्त्री हैं तो आपका डॉक्टर आपके साथ आपकी पिछले प्रसवों और गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं के बारे में चर्चा करना चाहेगा।
अगर पहले आपके कोई गर्भपात हुए हैं तो वे उन के बारे में भी पूछेंगे।
अगर आप एक पुरूष हैं तो, आपसे पूछा जाएगा कि क्या आपके पहले किसी सम्बन्ध से कोई संतान है।
गर्भ धारण करने का प्रयास करने की अवधि
आपका डॉक्टर आपसे पूछेगा कि आप कितने समय से गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहें हैं। लगभग 95% जोड़े दो साल तक असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने के बाद प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करने में सफल हो जाते हैं। अगर आप युवा और स्वस्थ है, और आपको सन्तान के लिए कोशिश करते हुए बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ है तो आपको थोड़े समय और कोशिश करने की सलाह दी जा सकती है।
सेक्स
आपसे पूछा जाएगा कि आप कितनी बार सेक्स करतें हैं, और क्या आपको यौन क्रिया के दौरान कोई मुश्किल होती है। आप अपना यौन जीवन की डॉक्टर के साथ चर्चा करने में असुविधा और शर्मिंदगी महसूस कर सकते हैं। तो भी ईमानदार और खुल कर बोलना बहुत जरूरी है। अगर प्रजनन क्षमता की समस्या यौन क्रिया से जुड़ी हुई है तो यह बहुत आसानी से ठीक हो सकती है।
गर्भ निरोधक के इस्तेमाल को बंद करने के बाद वाला अरसा
आपसे पूछा जाएगा कि आप पहले कौन सा गर्भ निरोधक इस्तेमाल करते थे और आपने उसका इस्तेमाल कब से बन्द किया है। कई बार कुछ खास तरह के गर्भ निरोधकों का काम करना बंद होने में समय लगता है, और सम्भव है कि यह आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर रहा हो।
चिकित्सीय इतिहास और लक्षण
आपका डॉक्टर आपसे आपकी वर्तमान की या पहले की कभी हुईं, मेडिकल कंडिशन के बारे में चर्चा करेगा, जिसमे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन्स (एसटीआई) भी आते हैं। अगर आप स्त्री हैं तो आपका डॉक्टर पूछ सकता है कि क्या आपका मसिक धर्म नियमित है और क्या आपको दो मासिक धर्मों के बीच मे या सेक्स के बाद रक्तस्राव होता है।
दवाएँ
कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव आओकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए आपका डॉक्टर उन दवाओं को देख सकता है जो आप ले रहे हैं और आपको उनका कोई विकल्प भी बता सकता है। आपको उन दवाओं के बारे में भी बता देना चाहिए जो आप बिना पर्चे के ले रहे हैं। इनमे हर्बल या जड़ी बूटियां भी आती हैं।
जीवन शैली
जीवन -शैली से जुड़े बहुत से कारक आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। आपका डॉक्टर जानना चाहेगा :
- क्या आप धूम्रपान करतें हैं
- आपका वजन कितना है
- आप कितनी शराब पीते हैं
- क्या आप कोई गैर-कानूनी ड्रग्स लेते हैं
- क्या आप तनावग्रस्त हैं
आपकी गर्भ धारण करने की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए, वे आपकी जीवनशैली में बदलाव की सलाह दे सकते हैं। इन्फर्टिलिटी को रोकने के बारे में और पढ़ें।
आपके चिकित्सीय, यौनक्रिया सम्बन्धी और सामाजिक इतिहास को समझने के बाद, आपका डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच करना चाहेगा या फिर आपको अन्य जांचों के लिए सलाह देगा।
शारीरिक जांच के दौरान आपका डॉक्टर निम्न कर सकता है :
- आपका वजन लेन, यह देखने के लिए कि आपका बॉडी मास इंडेक्स(BMI) सही है या नहीं।
- किसी संक्रमण, गांठ या सूजन या टेंडरनेस के लिए आपके पेल्विक हिस्से की जांच करना। ये लक्षण निम्न स्थितियों की ओर इशारा कर सकते हैं :
- फाइब्रॉइड्स, ओवरी के ट्यूमर, एंडोमेट्रियोसिस या पेल्विक इन्फ्लामेट्री डिसीज(PID)
- ( इन्फर्टिलिटी के कारण देखें)
आपके मेडिकल इतिहास और शारीरिक जांच को ध्यान में रखने के बाद, आपको किसी प्रजनन क्षमता संस्थान की प्रजनन क्षमता विशेषज्ञ टीम के पास आगे की और जांच और प्रक्रिया के लिए भेजा जा सकता है। ये नीचे बताए गए हैं :
स्त्रियों के लिए परीक्षण
स्त्रियों में इन्फर्टिलिटी के कारण को समझने के लिए बहुत सारे परीक्षण किए जा सकते हैं।
प्रोजेस्टेरोन परीक्षण
प्रोजेस्ट्रोन परीक्षण के दौरान, आपके खून के एक नमूने की प्रोजेस्टेरोन को जांचने के लिए इसलिए परीक्षण किया जा सकता है कि क्या आपको ओव्यूलेशन हो रहा हैं। यह परीक्षण आपके मासिकधर्म के शुरू होने के सात दिन पहले किया जाना होता है।
हार्मोन्स परीक्षण
अगर आपका मासिकधर्म अनियमित है तो थायरॉइड, प्रोलैक्टिन और टेस्टोस्टेरॉन के साथ-साथ आपके खून में फोलिक्यूलर स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (FSH) और ल्युटिनाइजिंग(luteinising) हॉर्मोन की भी जांच की जाती है।
क्लेमाइडिया परीक्षण(Chlamydia test)
क्लेमाइडिया एक एसटीआई है जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। एक रुई के फाहे या स्वेब( रुई के फाहे जैसा पर छोटा, गोल और ज्यादा मुलायम) के जरिए आपकी सर्विक्स से कुछ कोशिकाओं को क्लेमाइडिया के परीक्षण के लिए बाहर लिया जाता है। अगर आपको क्लेमाइडिया है तो आपको एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दी जाएगी।
थायरॉयड के काम करने का परीक्षण
अंदाजन 1.3% से 5.1% तक की इंफेरटायिल स्त्रियों में थायरॉइड ग्रन्थि असामान्य रूप से काम करती है। अगर आपको थायरॉइड की असामान्यतायों का कोई लक्षण जैसे, वजन गिरना या बढ़ना, तो आपकी थायरॉइड ग्रन्थि को उसके ठीक तरह से काम करने के लिए जाँचा जाएगा।
हिस्टेरॉसेलपिंगोग्राम (Hysterosalpingogram)
हिस्टेरॉसेलपिंगोग्राम आपके गर्भाशय और फैलोपियन नलियों का एक प्रकार का एक्स-रे है जो एक विशेष प्रकार की डाई को इंजेक्ट करने के बाद किया जाता है। यह आपके गर्भाशय की कैविटी या खाली स्थान का खाका बनाता है और यह पता लगाता है कि फैलोपियन नलियों में कोई रुकावट तो नहीं है।
हिस्टेरॉसेलपिंगो-कंट्रास्ट-अल्ट्रासोनोग्राफी(Hysterosalpingo-contrast-ultrasonography)
हिस्टेरॉसेलपिंगो-कंट्रास्ट-अल्ट्रासोनोग्राफी एक तरह का अल्ट्रासाउंड परीक्षण है। आपके गर्भाशय में द्रव्य की थोड़ी सी मात्रा आपकी सर्विक्स में (गर्भाशय का मुख) लगाई गई एक नली के द्वारा इंजेक्ट की जाएगी। अल्ट्रासाउंड यह पुष्टि करेगा कि क्या यह द्रव्य नली में से बिखर जाता है।
लैप्रोस्कोपी(Laparoscopy)
लैप्रोस्कोपी में आपके निचले पेट पर एक छोटा सा कटाव किया जाता है।एक पतला, नलीदार टेलेस्कोप जिसे लैप्रोस्कोप कहते हैं, उसका आपके गर्भाशय, फैलोपियन नलियों और ओवरीज को पास से जांचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। किसी रुकावट को उभारने के लिए, आपकी फैलोपियन नलियों में सर्विक्स के जरिये डाई या रंजक डाला जा सकता है।
आमतौर पर एक लैप्रोस्कोपी तभी इस्तेमाल की जाती है अगर इस बात की बहुत ज्यादा सम्भावना हो कि आपको कोई परेशानी है, उदाहरण के लिए, अगर आपमें पहले कभी पीआईडी की कोई घटना हो चुकी है।
पुरुषों के लिए जांच और परीक्षण
एक शारीरिक जांच के दौरान, आपका डॉक्टर निम्न जांच कर सकता है :
- आपके टेस्टिकल्स- किसी गाँठ या विकृति को देखने के लिए
- आपका लिंग--उसके आकृति, बनावट और किन्ही स्पष्ट विक्रतियों के लिए
आगे की जांच में आ सकते हैं:
- सीमेन या वीर्य का विश्लेषण - यह देखने के लिए कि क्या आपकी शुक्राणुओं की संख्या या गतिशीलता कम है या शुक्राणु असामान्य है, आपके वीर्य की जांच की जाएगी।
- क्लेमाइडिया परीक्षण -- आपके मूत्र का एक नमूना यह जांचने के लिए लिया जाएगा कि क्या आपको क्लेमाइडिया है।
अगर आपको क्लेमाइडिया है तो आपका डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स लेने का निर्देश देगा।
इन्फर्टिलिटी का इलाज कैसे होता है?
इलाज
अगर आपको इन्फर्टिलिटी की समस्या है तो आप निजी इलाज लेना चाहेंगे। यह बहुत महंगा हो सकता है और इसमे सफलता की कोई गारंटी नहीं है।
यह बहुत आवश्यक है कि निजी क्लिनिक को बहुत सावधानी के साथ चुना जाए।
- आपको देखना होगा :
- कौन से क्लीनिक्स उपलब्ध हैं
- क्या इलाज दिए जा रहे हैं
- इलाजों का सफतला प्रतिशत क्या है
- अपनी बारी के लिए कितना इंतजार करना होगा
- कीमत
- एक व्यक्तिगत, पूरी तरह कॉस्टेड इलाज की रूपरेखा के लिए पूछें, जो यह बताये कि क्या क्या चीजें उसमे शामिल हैं जैसे, फीस, स्कैन और कोई भी जरूरी दवा ।
अगर आप निजी इलाज पर जाना चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह ले लें।
इलाज का विकल्प
प्रजनन क्षमता के तीन प्रमुख प्रकार के इलाज होते है:
- प्रजनन को मदद करने के लिए दवाएँ
- सर्जिकल प्रक्रियाएं
- गर्भ धारण करने में सहायता
- प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए दवाएँ
प्रजनन क्षमता में अक्सर मदद करने वाली दवाएं नीचे बतायी गयी हैं। ये आमतौर पर स्त्रियों के लिए दी जाती हैं पर कुछ मामलों में, पुरुषों के लिए भी इन्हें दिया जाता है ।
- क्लोमिफेन(Clomifene), वो स्त्रियां जो नियमित ओव्यूलेशन (अंडे का हर महीने बाहर आना) नहीं कर पाती, या जो ओव्यूलेशन करती ही नहीं हैं, उनमे ये ओव्यूलेशन को बढ़ाने में मदद करती है।
- टेमोक्सीफिन(Tamoxifen) क्लोमिफेन का एक विकल्प है जो ओव्यूलेशन की समस्या से ग्रस्त स्त्रियों को दी जा सकती है।
- मेटफॉरमीन(Metformin) पोलिसिस्टिक ओवरी सिन्ड्रोम(पी सीओएस) से ग्रस्त स्त्रियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है।
- गोनेडोट्रोफिन्स(Gonadotrophins) वो दवाएँ हैं जिनमें गोनेडोट्रोफिन्स पाए जाते हैं और जो स्त्रियों में ओव्यूलेशन को बढ़ाती हैं और पुरुषों में भी प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाती हैं।
- गोनेडोट्रोफिन् -रिलीज़ करने वाले हॉर्मोन्स और डोपामीन एगोनिस्ट
ये महिलाओं में ओव्यूलेशन बढ़ाने के लिए दी जाने वाली अन्य प्रकार की दवाएं हैं।
फिर भी, जिन स्त्रियों में इन्फर्टिलिटी के कारण पता नहीं चल पाए हैं, उनको ओवरीज को स्टिम्युलेट करने वाली दवाएं नहीं देनी चाहिए क्योंकि उन परिस्थितियों में यह प्रभावी इलाज नहीं समझा जाता है।
सर्जरी की प्रक्रियाएं
वो सर्जिकल प्रक्रियाएं जो प्रजनन क्षमता की जांच पड़ताल और जनन में मदद करने के लिए इस्तेमाल किये जा सकते हैं, नीचे बताये गए हैं।
फैलोपियन नली की सर्जरी
अगर आपकी फैलोपियन नलियां, शायद पेल्विक इन्फ्लामेट्री डिसीज (पीआईडी) की वजह से, रुक गयी हैं या क्षतिग्रस्त हो गयी हैं, तो आपको उन नलियों की मरम्मत के लिए सर्जरी की जरूरत पड़े सकती है । सर्जरी आपकी फैलोपियन नलियों में स्कार टिशुस को तोड़ने में इस्तेमाल की जा सकती है जिससे अंडों के लिए वहां से गुजरना आसान हो जाएगा।
सर्जरी की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी फैलोपियन नलियां कितनी ज्यादा क्षतिग्रस्त हैं। एक अध्ययन के अनुसार बहुत कम नुकसान वाली फैलोपियन नलियों वाली 69% महिलाएं सर्जरी के बाद कामयाब प्रसव में सफल रहीं हैं। अन्य अनुमानों के अनुसार सर्जरी के बाद महिलाओं में सफल प्रसव या जन्म देने का प्रतिशत 20-50%है।
ट्यूबल सर्जरी की एक सम्भावित जटिलता एक्टोपिक गर्भावस्था ( जहां निषेचित अंडा आपके गर्भाशय से बाहर आरोपित हो जाता है) है। अपनी फैलोपियन नलियों की सर्जरी कराने के बाद 8-23% महिलाओं में एक्टोपिक गर्भावस्था हो सकती है।
एंडोमेट्रियोसिस (जब गर्भाशय का हिस्सा उसके बाहर वृद्धि करना शुरू कर दे) से ग्रस्त महिलाओं में सिस्ट्स (द्रव्य भरी थैलियां) को हटाने या नष्ट करने के लिए अक्सर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है।यह सबम्यूकोसल फाइब्रॉइड्स( गर्भाशय में होने वाली छोटी वृद्धियों) को हटाने के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है।
पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं में अगर ओव्यूलेशन की दवाएं काम नहीं करती है तो लेप्रोस्कोपिक ओवरी ड्रिलिंग का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें या तो गर्मी या लेसर से ओवरी के एक हिस्से को नष्ट कर दिया जाता है।
लैप्रोस्कोपी पर जानकारी के लिए और पढ़ें।
एपीडिडायमल रुकावट(epididymal blockage) और शुक्राणु का सर्जिकल तरीके से बाहर निकालना
एपीडिडायमस टेस्टिकल में एक रस्सी जैसी संरचना है जो शुक्राणु को इकट्ठा करने और आगे भेजने में मदद करती है। कभी-कभी एपीडिडायमस बंद हो जाता है, जिससे शुक्राणु सामान्य तरीके से बाहर नहीं आ पाता। अगर यह स्थिति इन्फर्टिलिटी पैदा कर रही है तो इस ब्लॉकिज को ठीक करने के लिए सर्जरी की जा सकती है।
शुक्राणुओं को सर्जरी द्वारा बाहर निकालना उन पुरुषों के लिए विकल्प है जिनमे:
कोई ऐसी रुकावट है, जैसे कोई चोट या संक्रमण, जो शुक्राणु के बाहर आने को रोक रही है।
वास डिफरेंस(vas deferens) का जन्म के समय से ही नहीं है ( शुक्राणुओं को टेस्टिकल्स में से बाहर निकालने वाली नली के बिना पैदा हुए पुरूष)
वृषण या स्क्रोटम की त्वचा में एक छोटा सा कट लगाकर टेस्टिकल् के ऊतकों की वासेक्टोमी की बॉयोप्सी करना
दोनो ही प्रक्रियाएं सिर्फ कुछ घण्टे लेती हैं और स्थानीय बेहोशी की दवा के असर में की जा सकती हैं, मरीज के बिना दाखिल हुए। आपको उसी दिन इकट्ठे किये गए मटेरीयल की गुणवत्ता के बारे में और इस बारे में बता दिया जाएगा कि क्या कोई शुक्राणु मौजूद हैं या नहीं।
शुक्राणुओं वाला कोई भी नमूना जमा दिया जाएगा और बाद में इस्तेमाल के लिए संग्रहित कर लिया जाएगा। अगर शुक्राणुओं का सर्जिकल तरीके से प्राप्त होना सफल रहा तो आमतौर पर, इलाज के कई दौर (अगर जरूरत पड़ी तो) के लिए काफी मात्रा में शुक्राणु मिल जाते हैं।
गर्भ धारण करने में मदद
इंट्रयूटेरायिन इनसेमिनेशन(आईयूआई)
इंट्रयूटेरायिन इनसेमिनेशन(IUI) में शुक्राणुओं को एक बारीक प्लास्टिक की नली के द्वारा गर्भाशय में रख दिया जाता है।शुक्राणु को लेकर उसे एक द्रव्य में धोया जाता है।सबसे अच्छी गुणवत्ता( सबसे ज्यादा गतिशील) वाले नमूनों को चुनते हैं।
शुक्राणुओं को सर्विक्स में से गुजरने वाली एक नली के जरिए गर्भाशय तक भेज दिया जाता है। यह प्रक्रिया ओव्यूलेशन के हिसाब से तय की जाती है जिससे गर्भ धारण करने की सम्भावनायें बढ़ जाएं। स्त्रियों को ओवरी को स्टिम्युलेट करने वाले हॉर्मोन्स की खुराक भी दी जा सकती है जिससे गर्भ धारण करने की सम्भावना औऱ बढ़ जाए।
कुछ महिलाओं को आईयूआई के दौरान या बाद में कुछ समय के लिए मासिक धर्म मे होने वाली ऐंठन जैसा महसूस हो सकता है पर उसके अलावा यह प्रक्रिया बिना दर्द की होनी चाहिए।
उपलब्ध्ता और सफलता
आईयूआई का इस्तेमाल तब किया जाता है जब :
इन्फर्टिलिटी का कारण समझ नहीं आता।
पुरूष में शुक्राणुओं की संख्या या उनकी गतिशीलता कम हो।
पुरूष नपुंसक हो (इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, इरेक्शन को संभालने में समस्या हो) या प्रीमैच्योर इजेकुलेशन( जब आप बहुत जल्दी वीर्य बाहर निकाल देते हैं) हो।
स्त्री को हल्का एंडोमेट्रियोसिस हो (जहां गर्भाशय के अस्तर के हिस्से उसके बाहर वृद्धि करने लगें )
यह मानकर कि पुरूष का शुक्राणु और स्त्री की नलियां स्वस्थ हैं, 35 साल से कम की स्त्रियों में आईयूआई इलाज के हर ट्रीटमेंट की सफलता का प्रतिशत 15% के लगभग है।
इन-विट्रो फेर्टिलिजेशन (आईवीएफ)
इन-विट्रो फेर्टिलिजेशन (आईवीएफ) के दौरान अंडे का निषेचन शरीर के बाहर किया जाता है। स्त्री प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए दवाएँ खाती है ताकि उसकी ओवरीज सामान्य से ज्यादा अंडे बनाएं। फिर उन अंडों को उसकी ओवरीज से निकाल कर लैबोरेट्री में शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है। फिर उस निषेचित डिम्ब या भ्रूण को वापस स्त्री के गर्भाशय में रख दिया जाता है।
आईवीएफ और इंट्रासायटोप्लासमिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीआई) के दौरान बहुत से अलग तरीको का इस्तेमाल किया जा सकता है।
35 से कम उम्र की महिलाओं के लिए आईवीएफ का सफलता प्रतिशत 32% है। स्त्री की उम्र बढ़ने के साथ सफलता प्रतिशत की दर कम होती जाती है।
अंडे और शुक्राणुओं का दान
अगर आपके साथी को इन्फर्टिलिटी की परेशानी है तो, गर्भ धारण करने के लिए, आप अंडे या शुक्राणु किसी डोनर या दानकर्ता से भी ले सकते हैं। डोनर अंडों वाला ट्रीटमेंट आमतौर पर आईवीएफ से किया जाता है।
क्या इन्फर्टिलिटी को रोका जा सकता है?
कुछ लोगों के लिए जीवनशैली के सामान्य बदलाव करके एक स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना, या नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहना ही इन्फर्टिलिटी को रोकने के लिए काफी होता है।
जीवनशैली में बदलाव
वजन
स्वस्थ वजन वाली महिलाओं के मुकाबले कम या ज्यादा वजन वाली महिलाएं में अनियमित ओव्यूलेशन (अंडे का बाहर आना) होता हैं या फिर कभी-कभी ओव्यूलेशन होता ही नहीं हैं।
इसलिए यह सुनिश्चित करना कि आपका वजन स्वस्थ है, गर्भ धारण करने में मदद करता है। हेल्थी वजन की जांच करने वाले कैलकुलेटर से ये जानिए कि क्या आपका वजन आपकी लंबाई के हिसाब से उचित है।
स्त्रियों को गर्भवती होने के मौकों को बढ़ाने के लिए 19-25 के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का लक्ष्य रखना चाहिए। 19 से कम के बीएमआई का अर्थ है कि आप कम ओव्युलेट कर रही हैं। अगर आपका बीएमआई 29 से ऊपर है तो डॉक्टर आपको वजन कम करने की सलाह देंगे।
29 से ऊपर बीएमआई वाले पुरुषों में प्रजनन क्षमता कम हो सकती है, और डॉक्टर आपको वजन कम करने की सलाह देंगे।नियमित कसरत और पौष्टिक भोजन आपको उचित वजन में मदद करेगा।
आहार
सुनिश्चित करें कि आप एक दिन में एक पौष्टिक, संतुलित आहार जिसमे फल और सब्जियों के कम से कम पांच भाग हैं, खाते हैं। अपने आहार में व्होलमील ब्रेड और पास्ता, लीन मीट, मछली और प्रोटीन के लिए दालों को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां फोलिक एसिड से भरपूर होती हैं जो जन्मजात खामियों को रोकने में मदद करती हैं।
तनाव
तनाव अक्सर प्रजनन क्षमता पर असर डालता है क्योंकि तब आप यौनक्रिया कम करते हैं। गर्भवती होने की सबसे अच्छी सम्भावना के लिए आपको हर दो से तीन दिन में यौनक्रिया करनी चाहिए। अगर आप तनावग्रस्त हैं तो अपने साथी से बात करें और परामर्श (बात करने वाली थेरेपी) के बारे में सोचें। आप पाएंगे कि नियमित कसरत करना काफी मददगार है।
दवाएँ और ड्रग्स
गैर कानूनी ड्रग्स जैसे मारीजुआना और कोकेन प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है और अगर आप गर्भवती हो जाती हैं तो आपके गर्भस्थ शिशु के विकास को बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकता हैं। इसलिए आपको उनके इस्तेमाल से बचना चाहिए।
अगर आप गर्भवती होना चाह रहीं हैं तो दी गयी कुछ दवायों से भी परहेज करना होगा। और सलाह के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
महिलाओं के लिए स्वास्थ्य जांच और परीक्षण
सुनिश्चित करें कि आप अपनी सरवाईकल स्क्रीनिंग परीक्षणों (स्मीयर जांच) के बारे में सब जानती हैं। आपको अपनी उम्र के हिसाब से हर 3 से 5 साल में एक बार ये कराना होगा।
आपको अपने स्थानीय यौन स्वास्थ्य क्लिनिक (जीयूएम क्लिनिक) पर भी यह सुनिश्चित करने के लिए जाना चाहिए कि आपको कोई सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेवशन तो नहीं है। क्लेमाइडिया जैसे संक्रमणों का कोई लक्षण नहीं होता पंर अगर इनका इलाज न हो तो ये प्रजनन क्षमता पर बुरा असर डालते हैं।
प्रजनन क्षमता के इलाज की जटिलतायें
प्रजनन क्षमता के कुछ इलाज जटिलतायें पैदा कर सकते हैं जिनमे दवाओं के दुष्प्रभाव, मल्टीपल गर्भावस्थाएँ और तनाव शामिल हैं।
दवाओं के दुष्प्रभाव
इन्फर्टिलिटी का इलाज करने वाली कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इनमें आते हैं:
- जी मिचलाना
- उल्टी
- डायरिया
- पेट दर्द
- सरदर्द
- हॉट फ्लशेस
संभावित दुष्प्रभावों की पूरी फेहरिस्त जानने के लिए, कृपया दवा के साथ आने वाले सूचना पर्चे को देखें और दवा के बारे में सूचना वाले पन्ने को पढ़ें।
ओवेरियन हायपरस्टिमुलेशन सिन्ड्रोम
ओवेरियन हायपरस्टिमुलेशन सिन्ड्रोम (OHSS) आपकी ओवरी को स्टिम्युलेट करने वाली दवाओं जैसे क्लोमिफेन और गोनेडोट्रोफिन्स को लेने के बाद हो सकता है और इन-विट्रो फेर्टिलिजेशन (आईवीएफ) के एक दौर के बाद विकसित हो सकता है। OHSS आपकी ओवरियों को सुजा कर उनमे बहुत ज्यादा फॉलिकल्स( द्रव्य से भरी थैलियां जिनमे अंडे विकसित होते हैं) बना सकता है।
लगभग एक तिहाई महिलाएं आईवीएफ के एक दौर के बाद हल्का OHSS महसूस करेंगीं। 10% से कम महिलाएं, आईवीएफ के एक चक्र के बाद, मध्यम या तेज OHSS महसूस करेंगीं।
हल्के लक्षण में आते हैं :
- जी मिचलाना
- उल्टी आना
- पेटदर्द
- पेट फूलना
- कब्ज (जब आप अपने बोवेल्स को खाली करने में असमर्थ होते हैं)
- डायरिया
- गहरा, गाढ़ा मूत्र
गम्भीर OHSSएक सम्भावित जानलेवा स्थिति है और ये कर सकती है :
- थ्रोम्बोसिस ( धमनी या शिरा में खून का थक्का)
- जिगर और गुर्दों का खराब काम करना
- श्वसन का कष्ट (साँस लेने में तकलीफ)
अगर आपको OHSS का इनमे से कोई भी लक्षण है तो आपको तुंरन्त चिकित्सीय मदद की जरूरत है।
आपको अस्पताल जाने की जरूरत है जिससे आपकी स्थिति पर निगरानी रखी जा सके और प्रशिक्षक स्वास्थ्यकर्मी आपका इलाज कर सकें।
एक्टोपिक गर्भावस्था
"एक्टोपिक" शब्द का अर्थ है गलत जगह। एक्टोपिक गर्भावस्था तब होती है जब निषेचित अंडा आपके गर्भाशय के बाहर प्रत्यरोपित हो जाता है। 95% से ज्यादा एक्टोपिक गर्भावस्थाएँ फैलोपियन नलियों में होती हैं।
अगर एक निषेचित अंडा आपकी फैलोपियन नली में खुद को प्रत्यरोपित कर लेता है और बढ़ता रहता है तो यह गर्भपात में बदल सकता है और नली के फटने के खतरा बन जाता है। एक्टोपिक गर्भावस्था के लक्षणों में आते हैं :
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
- योनि से ख़ून आना
अगर आप अपनी गर्भवस्था के शुरू में इनमे से कोई लक्षण देखती हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें।
अगर आप प्रजनन क्षमता का इलाज करवा रही हैं, तो एक्टोपिक गर्भावस्था होने की संभावना 4% है। यह एक्टोपिक गर्भावस्था होने की सामान्य सम्भावना से ज्यादा है जो वैसे लगभग 1% होती है। अगर आपकी फैलोपियन नलियों के साथ पहले ही कोई समस्या हो चुकी है तो आपको एक्टोपिक गर्भावस्था होने की सम्भावनायें बढ़ जाती हैं।
पेल्विक संक्रमण
ओवरी से अंडे को निकालने की प्रक्रिया में आपकी पेल्विस में दर्दनाक संक्रमण ही सकता है। हालांकि, गम्भीर संक्रमण का खतरा बहुत कम है। उदाहरण के लिए, हर 500 प्रक्रियाओं में एक से भी कम गम्भीर संक्रमण की संभावना होती है।
मल्टीपल गर्भावस्थाएँ
एक से ज्यादा गर्भ ठहरना बुरी बात नहीं होती, पर ये आपके और आपके शिशुओं के लिए जटिलताएं विकसित होने के खतरे को बहुत ज्यादा बढ़ा देती हैं। प्रजनन क्षमता के इलाज को सबसे बड़ा खतरा मल्टीपल या बहुत सी गर्भावस्थाओं के एक साथ होने से ही होता है।
मल्टीपल गर्भावस्थाओं की संभावित जटिलताओं में आते हैं :
- समय से पहले या कम वजन के शिशु पैदा होना-- यह जुड़वाँ शिशुओं में 50% और एक साथ तीन होने में 90% मामलों में प्रभावित करते हैं।
- आपके शिशु का जीवन के पहले हफ्ते में ही मर जाना -- एक अकेले शिशु के मुकाबले इसका खतरा जुड़वाँ शिशुओं के लिए 5 गुना ज्यादा और तीन के लिए 9 गुना ज्यादा होता है।
- आपके शिशु को सेरिब्रल पाल्सी (दिमाग और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली एक स्थिति) हो सकती है - एक अकेले शिशु के मुकाबले इसका खतरा जुड़वाँ शिशुओं के लिए 5 गुना ज्यादा और तीन के लिए 18 गुना ज्यादा होता है।
- गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप (हायपरटेंशन) - यह एक से ज्यादा गर्भ से गर्भवती होने वाली 25% महिलाओं में होता है।
- गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज( खून में जरूरत से ज्यादा ग्लूकोस होने की स्थिति) हो जाना - एक से ज़्यादा गर्भ ठहरने वाली महिलाओं में इसकी सम्भावना दो से तीन गुना अधिक होती है।
तनाव
इन्फर्टिलिटी तनावपूर्ण और रिश्तों पर दबाव डालने वाली स्थिति होती है। एक सहायक समूह से जुड़ना अच्छा हो सकता है जहां आप अपनी भावनाओं के बारे में बात कर सकते हैं और एक जैसी समस्याओं से जूझते हुए दूसरे लोगों से मिल सकते हैं।
यह पता चलना कि आपको प्रजनन क्षमता की परेशानी है, कस्थदायक है और बहुत से जोड़े काउन्सिलर से बात करने से मदद प्राप्त करते हैं। परामर्शदाता आपसे इलाज के विकल्पों की और वो किस तरह आपके भावनात्मक स्वास्थ्य पर असर डालेगा इस बारे में भी बात कर सकता है। डॉक्टर आपके प्रजनन क्षमता के इलाज के भाग के रूप में ही आपको एक अच्छे काउन्सिलर के पास भेज सकते हैं।
तनाव को नियंत्रित करने के बारे में और पढ़ें।