नवजात शिशु अक्सर दूध पीते समय या पीने के कुछ देर बाद, दूध निकाल देते हैं - इसे पोसेटिंग (possetting) या रिफ्लक्स (reflux) कहते हैं।
नवजात शिशु अक्सर दूध पीते समय या पीने के कुछ देर बाद, दूध निकाल देते हैं - इसे पोसेटिंग (possetting) या रिफ्लक्स (reflux) कहते हैं।
ये उल्टी से अलग है, जहां शिशु की मांसपेशियाँ ज़ोर से सिकुड़ती हैं विषय पर अलग से बात की गयी है) रिफ्लक्स (reflux) केवल आपके बच्चे का निष्क्रिय रूप से उसे “बाहर निकालना या उलटना” है जो उन्होने अभी अभी निगला है।
हालांकि ये फिर भी माता-पिता के लिए परेशानी भरा हो सकता है और कुछ गलत है इस बात से चिंतित होना सामान्य है।
यह जानना ज़रूरी है कि रिफ्लक्स सामान्य है और ये अक्सर ही शिशु की अविकसित अन्नप्रणाली (oesophagus-खाने की नली) के परिणामस्वरूप होता है।
आपके शिशु के 12-14 महीने की उम्र तक पहुंचने पर, ये आमतौर पर रूक जाता है। ऐसा पेट की सामग्री को बाहर निकलने से रोकने के लिए उनके अन्नप्रणाली (oesophagus) के नीचे की मांसपेशी की रिंग पूरी तरह से विकसित और बंद होने पर होता है। अगर रिफ्लक्स 18 महीने तक जारी रहता है तो यह असामान्य है।
बहुत की कम मामलों में रिफ्लक्स (reflux) किसी गंभीर परेशानी का संकेत हो सकता है जैसे, दूध से एलर्जी या कोई ब्लॉकेज
इनसे आमतौर पर मदद मिलनी चाहिए:
इस बात का ध्यान रखें कि अगर आपका बच्चा बहुत अधिक दूध निकाल देता है तो उन्हे फिर दोबारा जल्दी भूख लग सकती है।
शिशुओं को दूध पिलाने की अधिक सामान्य सलाह के लिए, आप हमारी बोतल फीडिंग सलाह और स्तनपान की समस्याओं के लिए मदद को पढ़ सकते हैं।
जब बच्चे सो रहे हों तो उनकी खाट या पालने के सिरे को ऊंचा उठाने से भी मदद मिल सकती है- पालने के नीचे किताबों का इस्तेमाल करने की कोशिश करें या सिरहाने पर गद्दे के नीचे एक तकिया रखें (चारपाई के अंदर कभी तकिये ना रखें) आपके बच्चे को अभी भी पीठ के बल सुलाया जाना चाहिए।
यदि रिफ्लक्स अक्सर होता है, या आपका बच्चा अधिक बीमार है, या दर्द में दिखाई देता है या आप किसी अन्य कारण से चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें - खासकर तब अगर उन्हे निम्न लक्षण हों:
दूध पीने के बाद बार-बार दूध निकालने वाले बच्चों को GORD की समस्या हो सकती है, जो अधिक गंभीर है और रिफ्लक्स का लंबे समय तक रहने वाला रूप है।
सामान्य रूप से आहारनाल के नीचे की एक मांसपेशी, वाल्व की तरह काम करती है, इसके खुलने से खाना पेट में पहुंचता है और फिर ये बंद होकर एसिड को पेट से बाहर निकलने से रोकती है।
GORD में ये मांसपेशी कमज़ोर हो जाती है या तब आराम करने लगती है जब इसे नहीं करना चाहिए और सही तरह से बंद नहीं होती हैं। जिससे पेट के अम्लीय तत्वों का स्तर बढ़त है और आहारनाल के किनारों में परेशानी का अनुभव होता है।
GORD उन बच्चों में बेहद आम है जो:
जैसे जैसे आपका बच्चा बड़ा होता है, इस मांसपेशी को सिर्फ तब ही खुलना चाहिए जब वो निगलता हो और बाकी के समय पेट की साम्रगी को निकलने से रोकने के लिए मज़बूती से बंद रहना चाहिए। इसलिए ज्यादातर बच्चे जब 18 महीने के हो जाते हैं तब उनमे रिफ्लक्स (reflux) की समस्या खत्म हो जाती है।
अगर आपके बच्चे को शिशुओं के आहार या गाय के दूध से रिएक्शन हो रहा है, तो अपने डॉक्टर को बताएं। इसके कुछ लक्षण त्वचा पर पड़ने वाले चकत्ते, उल्टी या डायरिया हैं।
आपका डॉक्टर आपको स्पेशल फॉर्मूला फ़ीड्स की सलाह दे सकता है जिसे "बड़े पैमाने पर हाइड्रोलाइज्ड प्रोटीन फीड्स" कहा जाता है।
अगर आपके बच्चे को गाय के दूध से एलर्जी है तो इसे आपके बच्चे के आहार से हटाने के दो से तीन हफ्ते के अंदर उल्टी आना काफी हद तक रूक जाना चाहिए। अगर आप अपने बच्चे को स्तनपान करवाती हैं तो आपको अपने आहार से गाय के दूध को हटाना होगा।
शिशुओं के लिए कुछ आहार हाइपोएलर्जिक कहे जाते हैं, ये उन बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं जिन्हे गाय के दूध से एलर्जी होती है। इसलिए हाइपोएलर्जेनिक या सोया वाले शिशु आहार को शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से बात करें, क्योकि जिन बच्चों को गाय के दूध से एलर्जी होती है उन्हे सोया से भी एलर्जी हो सकती है।
अगर आपके बच्चे के आहार से गाय के दूध को हटाने के बाद भी वो उल्टी करना जारी रखता है तो ये समस्या एलर्जी की ना हो, ऐसी संभावना है।
ये दुर्लभ है लेकिन संभव है कि आपके बच्चे में रिफ्लक्स पाचन तंत्र में किसी अवरोध की वजह से हो सकता है।
उनका इसोफेगस (oesophagus)अवरुद्ध या संकरा हो सकता है। (इसे इसोफेगल स्ट्रिक्चर (oesophagus stricture) के नाम से जाना जाता है) या फिर बच्चे के पेट और छोटी आंत के बीच अवरोध पैदा हो सकता है (पायलोरिक स्टेनोसिस (pyloric stenosis) के नाम से जाना जाता है)
यदि आपके बच्चे में गंभीर लक्षण हैं, तो आपका डॉक्टर आपको आगे की जांच के लिए पेडिएट्रिशन (बाल रोग विशेषज्ञ) के पास भेज सकता है (बाल रोग विशेषज्ञ, बच्चों में विकारों के इलाज करने में विशेषज्ञ होते हैं।
आपके बच्चे के एक या अधिक परीक्षण करवाए जा सकते हैं।
एंडोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर के अंदर एक एंडोस्कोप का उपयोग करके जांच की जाती है – एंडोस्कोप, एक लंबी, पतली, लचीली ट्यूब है जिसमें एक प्रकाश स्रोत होता है और एक छोर पर एक वीडियो कैमरा लगा हुआ होता है।
यदि आपके बच्चे को दवाई और फीडिंग में बदलावों के बाद भी परेशानियां रहती हैं, तो उसे एक अपर एंडोस्कोपी (upper endoscopy) की ज़रूरत हो सकती है (इसोफेगस और पेट की जांच)।
आपके बच्चे को बेहोश करने और अतिरिक्त ऑक्सीजन देने के बाद एंडोस्कोप (endoscope) को सावधानी से बच्चे के मुंह के अंदर नीचे इसोफेगस (oesophagus) में डाला जाएगा। एंडोस्कोप (endoscope) एक ऐसा उपकरण है जिसका इस्तेमाल इसोफेगस (oesophagus) की बायोप्सी (टिश्यू सैम्पल) के लिए किया जा सकता है। इसे लैब में जाँचने के लिए भेजा जाएगा ताकि किसी तरह की सूजन का पता लगाया जा सके।
के बारे में और पढ़ेंइंपीडेन्स पीएच मॉनिटरिंग (Impedance-pH monitoring) आपके बच्चे के इसोफेगस में कितना लिक्विड और एसिड है ये मापता है।
यह ऊपरी एंडोस्कोपी (upper endoscopy) के हिस्से के रूप में, एक बाल रोग विशेषज्ञ (paediatrician) द्वारा अस्पताल में किया जाता है।
आपके बच्चे के मुंह या नाक से उनके पेट में एक पतली सी ट्यूब डाली जाती है। ये आपके बच्चे के गाल पर टेप किया जाता है, ये 24 घंटे तक रहता है।
ट्यूब के अंत में ये पता लगाने के लिए सेंसर्स होते हैं कि कब और कितना एसिड आपके बच्चे के इसोफेगस (oesophagus) में जाता है। इसका दूसरा हिस्सा आपके बच्चे के शरीर के बाहर एक मॉनिटर से जुड़ा होता है, जो लिए गए मापों को दिखाता है
बेरियम स्वालो टेस्ट (Barium swallow test), जिसे कभी-कभी "अपर GI सीरीज़ (Upper GI series)" कहा जाता है, निगलने के दौरान उपयोग की जाने वाली मांसपेशियों में रुकावट या समस्याओं की पहचान कर सकता है। इसका उपयोग आपके बच्चे के अन्नप्रणाली (oesophagus) मेन हुई असामान्यता की सम्भावना को जानने के लिए किया जता है।
आपके बच्चे को एक्स-रे मशीन के सामने लिटाया जाएगा और वो बोतल से बेरियम घोल पिएगा। एक एक्स-रे लिया जाएगा, और बेरियम आपके बच्चे के पाचन तंत्र के अंदर को कोट कर, इसकी आकृति दिखाएगा।
GORD के हल्के लक्षणों वाले शिशुओं और बच्चों के लिए उपचार की हमेशा आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि वे अक्सर कुछ महीनों बाद इस स्थिति से बाहर आ जाते हैं।
पहले, हैल्थ प्रोफेशनल्स सलाह देते थे कि स्तन के दूध या फार्मूला फीड में एक गाढ़ा पदार्थ (जैसे अनाज) मिला कर इसे चिपचिपा और भारी बनाया जाए – जिससे, सैध्दान्तिक रूप में, इससे बच्चे के पेट में रहने की संभावना बढ़ जाएगी। हालांकि, इसका समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, इसलिए आजकल इसकी सलाह नहीं दी जाती है। अगर आप इसका प्रयास करना चाहते हैं, तो पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।
आपका डॉक्टर एक एंटी-रिगर्जेंटेशन फॉर्मूले (anti-regurgitation formula) की सलाह दे सकता है, या एक एंटासिड (antacid) , एल्गिनेट (alginate) के साथ दिया जा सकता है – उदाहरण, गेवीसकन इन्फन्ट (Gaviscon Infant)। एल्गिनेट्स (alginates) एक फोम बैरियर का निर्माण करते हैं जो पेट की सामग्री की सतह पर तैरता है, और दूध को आपके बच्चे के पेट में रहने में मदद करता है।
अगर आपके बच्चे में गाय के दूध से एलर्जी का पता चलता है, आपका डॉक्टर एक अलग प्रकार के शिशु आहार जिसे बड़े पैमाने के या पूरी तरह से हाइड्रोसाइज्ड फॉर्मूले के नाम से जाना जाता है, की सलाह दे सकता है।
इसका मतलब है:
दुर्लभ स्थिति में ही बच्चों को रिफ्लक्स के लिए दवा देने की ज़रूरत होती है, और उसके लाभ निश्चित नहीं हैं।
हालांकि, अगर आपके बच्चे की फीडिंग समस्याएं अस्पष्ट हैं, या बच्चे का ज्यादा वजन नहीं बढ़ रहा है या परेशान है, तो आपको बाल रोग विशेषज्ञ के पास भेजा जा सकता है, जो कुछ दवाओं का सुझाव दे सकता है - या तो रैनिटिडिन (ranitidine) या ओमेप्राज़ोल (omeprazole) – पेट द्वारा बनाए जा रहे एसिड की मात्रा कम करने के लिए।
महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।