रूबेला (खसरा) क्या है?
रुबेला (जर्मन खसरा) एक वायरल संक्रमण है। यह कोई गंभीर समस्या नहीं है और आमतौर पर बिना इलाज के ही 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाती है।
रूबेला के ये लक्षण होते हैं:
- छोटे धब्बों के साथ त्वचा पर लाल-गुलाबी चकत्ते
- सिर और गर्दन की
- शरीर का तापमान बढ़ना (बुखार)
- -खांसी के लक्षण जैसे और नाक बहना
- जोड़ों में दर्द - वयस्कों में अधिक आम है
रूबेला (Rubella) के लक्षण आमतौर पर केवल कुछ दिनों तक रहते हैं, लेकिन ग्रंथियों में कई हफ्तों तक सूजन बनी रह सकती हैं।
और पढ़ें।डॉक्टर के पास कब जाएं (When to see your doctor)
अगर आपको रुबेला (Rubella) होने का संदेह है तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए या आपातकालीन सेवाओं में फोन करना चाहिए।
अपने डॉक्टर को फोन किए बिना अस्पताल न जाएं, क्योंकि दूसरे लोगों में संक्रमण फैलने के जोखिम को कम करने के लिए व्यवस्था करनी पड़ सकती है।
यदि आप गर्भवती हैं और आपकी त्वचा पर दाने होते हैं या आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आती हैं जिसे दाने हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर या नर्स से संपर्क करें।
के बारे में और पढ़ें।रूबेला और गर्भावस्था (Rubella and pregnancy)
रूबेला आमतौर पर केवल तभी गंभीर चिंता का विषय हो सकता है जब कोई गर्भवती महिला गर्भावस्था के पहले 20 वें हफ्ते में संक्रमित होती है।
इसका कारण यह है कि रूबेला वायरस बच्चे के विकास को रोक सकता है और इसके कारण उसे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:
- आंखों की समस्याएं - जैसे (आंख के लेंस पर धुंधली परत छा जाना)
- समस्याएँ
- मस्तिष्क को नुकसान
रूबेला वायरस के कारण होने वाले जन्म दोष को जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) कहा जाता है।
के बारे में और पढ़ें।यह कैसे फैलता है (How it spreads)
रूबेला टोगावायरस (togavirus) के कारण होता है। यह ठीक उसी तरह फैलता है जैसे सर्दी खांसी और फ्लू फैलता है। यह आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के नाक या गले के ड्रॉपलेट से फैलता है। जब कोई व्यक्ति खांसता, छींकता या बातचीत करता है तो ये ड्रॉपलेट्स हवा में फ़ैल जाते हैं।
यदि आप संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट के संपर्क में आने पर संक्रमित हो जाते हैं, तो रूबेला के लक्षण विकसित होेने में दो से तीन हफ्तों का समय लग सकता है।
यदि आपको रूबेला है तो लक्षण विकसित होने से एक हफ्ते पहले और त्वचा पर दाने आने के चार हफ्ते बाद आप दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं।
दूसरों को संक्रमित करने से बचने के लिए त्वचा पर दाने आने के चार दिन बाद आपको स्कूल और कार्यस्थल से दूर रहना चाहिए। इस दौरान गर्भवती महिला से भी दूरी बनाए रखना चाहिए।
रूबेला का इलाज (Treating Rubella)
रूबेला का कोई विशेष इलाज नहीं है। लेकिन आमतौर पर 7 से 10 दिनों में लक्षण अपने आप खत्म हो जाते हैं। यदि आप या आपके बच्चे को रूबेला के लक्षणों से परेशानी महसूस हो रही हो तो संक्रमण ठीक होने का इंतजार करने के बजाय आप घर पर ही कुछ लक्षणों का इलाज कर सकते हैं।
जैसे, बुखार या दर्द को कम करने के लिए
(Paracetamol) या (Ibuprofen) का सेवन किया जा सकता है। छोटे बच्चों को लिक्विड इनफैंट पैरासिटामोल (Liquid infant paracetamol) देना चाहिए। 16 साल से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन (Aspirin) नहीं देना चाहिए। के बारे में और पढ़ें।रूबेला से बचाव (Preventing rubella)
रूबेला से बचने का सबसे अच्छा तरीका एमएमआर वैक्सीन का टीकाकरण कराना है। बच्चों को यह टीका नियमित बचपन टीकाकरण कार्यक्रम के तहत दिया जाता है।
इसकी दो खुराक दी जाती है - पहला तब जब बच्चा एक साल का हो जाता है, और दूसरा बूस्टर डोज (booster dose) उसके स्कूल शुरू करने से पहले, यानी जब वह तीन साल और चार महीने का हो जाता है।
नियमित टीकाकरण बहुत जरूरी है क्योंकि यह गंभीर समस्याओं के जोखिम को कम करता है और गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों की सुरक्षा करने में मदद करता है।
एमएमआर (MMR) वैक्सीन उन बड़े बच्चों और वयस्कों को भी दिया जा सकता है जिन्होंने पहले कभी टीकाकरण पूरा न कराया हो।
यदि आपको संदेह है कि आपको और आपके बच्चे का टीकाकरण हुआ है या नहीं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
यदि आप गर्भधारण करने की योजना बना रही हैं और आपको याद नहीं है कि आपने एमएमआर वैक्सीन की दो खुराकें ली हैं या नहीं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। यदि आपके रिकॉर्ड से यह पता चलता है कि आपने एमएमआर की दो खुराक नहीं ली है या किसी तरह के रिकॉर्ड का पता नहीं चल पाता है तो डॉक्टर से टीकाकरण लगाने को कहें।
के बारे में और पढ़ें।आपके लिए जानकारी (Information about you)
यदि आपको या आपके बच्चे को रूबेला (Rubella) है, तो आपकी स्वास्थ्य टीम राष्ट्रीय जन्मजात विसंगति और दुर्लभ रोग पंजीकरण सेवा (NCARDRS) को आपके और आपके बच्चे की स्थिति के बारे में इसकी जानकारी देगी।
इससे वैज्ञानिकों को इस बीमारी को रोकने और इलाज के लिए बेहतर तरीके खोजने में मदद मिलती है।
रूबेला के लक्षण (Symptoms of rubella)
संक्रमण के बाद रूबेला के लक्षण आमतौर पर दो से तीन हफ्तों में विकसित होते हैं। इस अवधि को इनक्यूबेशन पीरियड (incubation period) कहा जाता है।
कुछ संक्रमित लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, जबकि कुछ लोगों में गर्दन और सिर के पास चकत्ते और सूजन नजर आता है। ये रूबेला के सामान्य लक्षण हैं।
लाल-गुलाबी चकत्ते (A red-pink rash)
रूबेला का संक्रमण होने पर आमतौर पर लाल-गुलाबी चकत्ते होते हैं। इनमें कई छोटे-छोटे दाग होते हैं, जिनमें हल्की खुजली हो सकती है।
चकत्ते आमतौर पर सिर और गर्दन के चारों ओर होने से पहले कान के पीछे शुरू होते हैं। फिर ये छाती, पेट, पैरों और बाहों में फैल सकते हैं। अधिकांश मामलों में ये चकत्ते तीन से पांच दिन के भीतर अपने आप समाप्त हो जाते हैं।
ग्रंथियों में सूजन (Swollen lymph glands)
लिम्फ नोड्स (Lymph nodes) या ग्रंथियां पूरे शरीर में पाए जाने वाले ऊतक (tissue) की छोटी गांठ होती हैं। इनमें श्वेत रक्त कोशिकाएं (white blood cells) मौजूद होती हैं जो संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करती हैं।
रूबेला होने पर आमतौर पर कान के पीछे, खोपड़ी के नीचे, सिर के पीछे और गर्दन की ग्रंथियों में सूजन आ जाती है। कुछ मामलों में सूजन के कारण दर्द हो सकता है।
इन ग्रंथियों (lymph glands) में कभी-कभी चकत्ते दिखाई देने से पहले ही सूजन आने लगती है, और चकत्ते निकलने के बाद सूजन कई हफ्तों तक बनी रह सकती है।
अन्य लक्षण (Other symptoms)
चकत्ते और लसीका ग्रंथियों में सूजन के अलावा रूबेला से संक्रमित व्यक्ति में अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं, जैसे:
- शरीर का तापमान बढ़ना (बुखार) - यह आमतौर पर हल्का होता है (39C या 102.2F से कम), लेकिन वयस्कों में अधिक गंभीर हो सकता है
- खांसी के लक्षण - जैसे नाक बहना, आँखों में पानी आना, गले में दर्द और
- हल्का दर्द और आँखें लाल होना ()
- जोड़ों में दर्द
- भूख न लगना
- थकान
ये लक्षण चकत्ते आने से पहले विकसित हो सकते हैं और आमतौर पर कुछ दिनों तक रहते हैं।
चिकित्सा सलाह लेना (Seeking medical advice)
रूबेला (Rubella) का संदेह होने पर आपको हमेशा अपने नजदीकी अस्पताल से सीधे संपर्क करना चाहिए। हालांकि रूबेला (Rubella) बहुत गंभीर समस्या नहीं है लेकिन इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर के पास जाना जरूरी है, क्योंकि लक्षण अधिक गंभीर बीमारी के संकेत हो सकते हैं।
यदि आप गर्भवती हैं और आपके शरीर पर चकत्ते आ रहे हों, या आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आयी हों, जिसे चकत्ते हों तो तत्काल अपने डॉक्टर या नर्स से संपर्क करें।
रूबेला के किसी भी मामले की सूचना संबंधित स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को देना जरूरी है, ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके।
अपने डॉक्टर को सूचित किए बिना अस्पताल न जाएं क्योंकि दूसरों को संक्रमण से बचाने के लिए पहले से कुछ व्यवस्था करने की जरूरत होती है। यदि संभव हो तो गर्भवती महिला के संपर्क में आने से बचें क्योंकि रूबेला के कारण अजन्में बच्चे में गंभीर समस्या हो सकती हैं हालांकि बहुत कम मामलों में ऐसा होता है।
के बारे में पढ़ें।रूबेला का निदान (Diagnosing rubella)
यदि आपको रूबेला होने का संदेह है, तो अपने स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में सलाह के लिए फोन करें।
डॉक्टर को फोन करने के बाद ही अस्पताल जाएं क्योंकि दूसरे लोगों में संक्रमण फैलने के जोखिम को रोकने के लिए तैयारियां करनी पड़ती है।
गर्भवती महिला के संपर्क में आने से बचें क्योंकि रूबेला के कारण अजन्मे बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती हैं। हालांकि आजकल यह बहुत दुर्लभ है।
आपके डॉक्टर आपको अस्पताल आने का समय बताएंगे; इससे दूसरे लोगों को संक्रमण का जोखिम नहीं होगा।
जब तक आप स्वास्थ्य केंद्र नहीं जाती तब तक न तो अपने बच्चे को स्कूल भेजें और न ही खुद काम पर जाएं।
लक्षणों को देखकर आपके डॉक्टर को रूबेला का संदेह हो सकता है लेकिन कुछ अन्य वायरल संक्रमण के लक्षण भी रूबेला के समान होते हैं, इसलिए आपके खून या लार की जांच के बाद ही रूबेला की पुष्टि हो सकती है।
लार और खून की जांच (Saliva and blood tests)
रूबेला का संदेह होने पर आपके मुंह से लार या बांह की नस से खून का नमूना लिया जाता है। इस नमूने को लेकर ख़ास एंटीबॉडी के लिए इसकी जांच की जाती है।
एंटीबॉडी प्रोटीन होती हैं जो हमारे शरीर में रोग फैलाने वाले जीवों और विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने के लिए बनता है। यदि आपको रूबेला है या पहले कभी हुआ हो तो आपके लार या खून की जांच में कुछ एंटीबॉडी पाए जाएंगे:
यदि आपके शरीर में कोई एंटीबॉडी मौजूद नहीं है, तो इसका अर्थ यह है कि आपको रूबेला नहीं है।
- आईजीएम एंटीबॉडी (IgM antibody) - अगर आपको रूबेला संक्रमण होगा, तो आपके शरीर में यह एंटीबॉडी मौजूद होगा।
- आईजीजी एंटीबॉडी (IgG antibody) - यदि आपको पहले कभी रूबेला का संक्रमण हुआ हो, या आपने रूबेला का टीका लगवाया हो तो आपके शरीर में यह एंटीबॉडी पाया जाएगा।
यदि आपके शरीर में कोई एंटीबॉडी मौजूद नहीं है, तो इसका अर्थ यह है कि आपको रूबेला नहीं और आपने इसका टीका नहीं लगवाया है।
गर्भावस्था में रूबेला की जांच
अगर आप गर्भवती हैं तो आपको अपने डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करना चाहिए, यदि:
- आप रूबेला से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आती हैं
- आपके शरीर पर चकत्ते हों या आप ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आते हैं जिसे चकत्ते हों
- आपमें नजर आएं
ऐसी स्थिति में आपको रूबेला होने की संभावना नहीं होती है, लेकिन समस्या का निदान करने के लिए खून की जांच जरूरी है।
कुछ दुर्लभ मामलों में यदि जांच में रूबेल) का पता चलता है तो आपके अजन्मे बच्चे पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में आपको इस बीमारी के विशेषज्ञ डॉक्टर के पास भेजा जा सकता है। बच्चे में इस बीमारी के लक्षणों का पता लगाने के लिए आपको आगे भी कुछ जांच जैसे
(ultrasound) कराना पड़ सकता है।इसके साथ ही आपको काउंसलिंग भी दी जाएगी ताकि गंभीर समस्या का पता चलने पर आप यह निर्णय ले सकें कि आपको गर्भावस्था आगे जारी रखना है या नहीं।
आपके शरीर में मौजूद एंटीबॉडी (antibody) खून में प्रवेश करने वाले फॉरेन एंटीजन (antigen) से सुरक्षा प्रदान करता है। एंटीबॉडी (antibody) एक प्रोटीन है जो शरीर द्वारा बीमारी फैलाने वाले जीवों और विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने के लिए बनता है।
रूबेला का इलाज (Treating rubella)
रूबेला का कोई विशेष इलाज नहीं है। यह समस्या आमतौर पर बहुत गंभीर नहीं होती है और 7 से 10 दिनों के भीतर बिना इलाज के ही ठीक हो जाती है।
यदि आपको रूबेला होने का संदेह है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
लक्षणों का इलाज (Treating your symptoms)
यदि आपके शरीर में
दिखाई देते हैं और इसके कारण आपको और आपके बच्चे को कोई परेशानी हो तो संक्रमण के ठीक होने का इंतजार करने के बजाय आप कुछ अन्य उपाय कर सकते हैं।बुखार और दर्द को नियंत्रित करना (Controlling fever and relieving pain)
बुखार और दर्द को कम करने के लिए जरूरत पड़ने पर
(Paracetamol) या (ibuprofen) का इस्तेमाल किया जा सकता है।छोटे बच्चों को लिक्विड इनफैंट पैरासिटामोल (liquid infant paracetamol) देना चाहिए। 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन (aspirin) नहीं देना चाहिए।
यदि आपको जानकारी नहीं है कि आपके बच्चे के लिए कौन सी दवा बेहतर होगी, तो अपने फार्मासिस्ट से बात करें।
यदि आपके बच्चे को बुखार है और उसे परेशानी हो रही है, तो आप उसे ठंडक प्रदान करके बुखार को कम कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए एक सूती कपड़े को पानी में भिगोकर उसके माथे पर रखिए, इससे बुखार कम होने में मदद मिलती है।
पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन करें (Drink plenty of fluids)
यदि आपके बच्चे को बुखार है तो उसे अधिक मात्रा में तरल पदार्थ दें, अन्यथा उसे
(dehydration) का खतरा हो सकता है। पर्याप्त पानी पीने से सर्दी खांसी के कारण होने वाली परेशानी कम हो जाती है।सर्दी जुकाम के लक्षणों का इलाज (Treating cold-like symptoms)
यदि आपको
-जुकाम के लक्षण जैसे बहती नाक, या हो तो कुछ उपाय करने से परेशानी काफी हद तक कम हो जाती है।जैसे कि भाप में सांस लेने से खराश कम होती है। एक कटोरी गर्म पानी के ऊपर अपना सिर करके बैठें। अपने सिर पर एक तौलिया रखें और अपनी आंखों को बंद करके गहरी सांस लें। लेकिन अपनी आंखों में गर्म भाप न लगने दें।
बच्चों को गर्म भाप में सांस लेने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि उन्हें जलने का खतरा रहता है। लेकिन यदि बच्चा भाप से भरे गर्म बॉथरुम में बैठता है तो उसे काफी आराम मिल सकता है। इसके अलावा गर्म रेडिएटर पर गीला तौलिया डालने से हवा में अधिक पानी रिलीज होता है।
बच्चे को गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर देने से भी बलगम निकलने लायक होता है और खांसी से राहत मिलती है। हालांकि 12 महीने से कम उम्र के बच्चे को शहद नहीं देना चाहिए।
संक्रमण का प्रसार रोकना
आपको रूबेला है तो अन्य लोगों में संक्रमण फैलने के जोखिम को कम करना बहुत जरूरी है।
यदि आपको या आपके बच्चे को यह समस्या है तो आपको रूबेला के चकत्ते आने पर चार दिनों के लिए काम पर जाने से या स्कूल जाने से बचना चाहिए।
कुछ दुर्लभ मामलों में रूबेला के कारण अजन्मे बच्चे को भी गंभीर समस्या हो सकती है। इसलिए चकत्ते आने के चार दिनों तक आपको गर्भवती महिला के संपर्क से दूर रहना चाहिए।
रूबेला की रोकथाम (Preventing rubella)
रूबेला (Rubella) से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि खसरा, मम्प्स और रूबेला (एमएमआर) का टीकाकरण करवाया जाए।
एमएमआर वैक्सीन (MMR vaccine) रूटीन बचपन टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा है। इसकी पहली खुराक बच्चे को तब दी जाती है जब वह एक वर्ष का होता है। जबकि दूसरी बूस्टर खुराक बच्चे के स्कूल की शुरुआत से पहले 3 साल और 4 महीने में दी जाती है।
यदि आप अपने बच्चे के टीकाकरण को लेकर निश्चित नहीं हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आमतौर पर किसी भी उम्र में एमएमआर टीकाकरण (MMR vaccination) किया जा सकता है।
यदि आपको संदेह है कि आपका टीकाकरण अप-टू-डेट नहीं है और आपको मम्प्स, खसरा या रूबेला (Rubella) होने का खतरा है, तो आपको डॉक्टर से एमएमआर टीकाकरण करने के लिए कहना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि खसरा होने की संभावना हो या आप गर्भधारण करने की योजना बना रही हों, तो आपके लिए टीकाकरण जरूरी हो सकता है।
यदि आप पहले से ही टीकाकरण करा चुकी हैं, तो दोबारा एमएमआर वैक्सीन (MMR vaccine) लेने से आपको कोई नुकसान नहीं होगा।
गर्भावस्था की प्लानिंग (Planning a pregnancy)
यदि आप गर्भधारण करने के बारे में सोच रही हैं तो अपने स्वास्थ्य की जांच कराकर यह तय कर लें कि आप रूबेला से पूरी तरह सुरक्षित हैं।
यदि आपको याद नहीं है कि आपने एमएमआर वैक्सीन (MMR vaccine) की दो खुराक ली है या नहीं तो आप अपने टीकाकरण के इतिहास की जांच करने के लिए डॉक्टर के पास जा सकती हैं। यदि आपके रिकॉर्ड से पता चलता है कि आपने दोनों खुराक नहीं ली हैं या कोई रिकॉर्ड नहीं है, तो टीकाकरण जरूर करवाएं।
गर्भावस्था में एमएमआर टीकाकरण (MMR vaccination) से आपके बच्चे को जोखिम हो सकता है। इसलिए टीकाकरण कराने के एक महीने बाद तक आपको गर्भधारण करने से बचना चाहिए। इस दौरान आपको गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान (During pregnancy)
यदि आप गर्भवती हैं तो आपको एमएमआर वैक्सीन (MMR vaccine) नहीं लगवानी चाहिए अन्यथा आपके बच्चे को जोखिम हो सकता है।
यदि आप वर्तमान में गर्भवती हैं और आपको याद नहीं है कि आपने एमएमआर वैक्सीन (MMR vaccine) की दो खुराक ली है या नहीं तो अपने डॉक्टर से रिकॉर्ड देखने के लिए कहें।
यदि आपने एमएमआर वैक्सीन (MMR vaccine) की दो खुराक नहीं ली है या कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है तो बच्चे के जन्म के छः हफ्ते के बाद आप वैक्सीन लगवा सकती हैं।
संक्रमण का प्रसार रोकना
यदि किसी व्यक्ति को रूबेला (Rubella) है तो वह लक्षण नजर आने के करीब एक हफ्ते पहले और चकत्ते आने के चार दिन बाद संक्रमित हो सकता है।
यदि आपको या आपके बच्चे को रूबेला (Rubella) है तो चकत्ते आने से चार दिनों तक स्कूल या काम पर जाने से बचना चाहिए, इससे दूसरों में संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है।
चकत्ते शुरू होने से कम से कम चार दिनों तक आपको गर्भवती महिलाओं के संपर्क में आने से बचने की कोशिश करनी चाहिए।
एंटीबॉडी आपके शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली है जो रक्त में प्रवेश करने वाले हानिकारक एंटीजन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है। एंटीबॉडी एक प्रोटीन है जो बीमारी फैलाने वाले जीवों और विषाक्त पदार्थों को बेअसर या नष्ट करने के लिए शरीर के द्वारा बनाया जाता है।
रूबेला से होने वाली समस्याएं
रूबेला से आमतौर पर गंभीर जटिलताएं नहीं होती हैं क्योंकि इसके लिए खसरा, मम्प्स और रूबेला (एमएमआर) टीका मौजूद है।
हालांकि कुछ मामलों में गर्भावस्था के दौरान रूबेला) का संक्रमण होने पर अजन्मे बच्चे को गंभीर जोखिम हो सकता है।
यदि कोई गर्भवती महिला रूबेला से संक्रमित हो जाती है तो उसके बच्चे को भी संक्रमण हो सकता है। इससे
या कई तरह के जन्म दोष हो सकते हैं जिसे कॉन्जेनाइटल रूबेला सिंड्रोम (congenital rubella syndrome) कहा जाता है।कॉन्जेनाइटल रूबेला सिंड्रोम (congenital rubella syndrome)
कॉन्जेनाइटल रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) (congenital rubella syndrome) तब होता है जब रूबेला का वायरस अजन्मे बच्चे के विकास को रोक देता है। हालांकि ऐसा सिर्फ कुछ ही मामलों में होता है।
बच्चे को प्रभावित करने वाले सीआरएस (congenital rubella syndrome) का जोखिम और जन्म दोष का कारण इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भावस्था में माँ कितनी जल्दी संक्रमित हो गई है।
गर्भावस्था के शुरुआती चरण में संक्रमित होने पर इन जोखिमों की संभावना अधिक बढ़ जाती है:
- पहले 10 हफ्तों में संक्रमण - सीआरएस (congenital rubella syndrome) का जोखिम 90% तक होता है और बच्चे में कई जन्म दोष होने की संभावना होती है।
- 11 वें से 16 वें सप्ताह में संक्रमण - सीआरएस (congenital rubella syndrome) का जोखिम लगभग 10 से 20% तक हो जाता है और इससे शिशु में कम जन्म दोष होता है।
- 17 वें से 20 वें सप्ताह में संक्रमण - सीआरएस (congenital rubella syndrome) बहुत दुर्लभ है। इस दौरान सिर्फ बहरेपन की समस्या हो सकती है।
गर्भावस्था के 20 वें सप्ताह के बाद रूबेला से संक्रमित होने पर सीआरएस के विकसित होने का कोई जोखिम नहीं होता है।
यदि गर्भवती महिला गर्भावस्था के पहले 20 सप्ताह के दौरान रूबेला से संक्रमित हो जाती है, तो सीआरएस को रोकने के लिए कोई इलाज नहीं है।
सीआरएस से होने वाली समस्याएं (Problems caused by CRS)
सीआरएस के कारण बच्चों में निम्न समस्याएं हो सकती हैं:
- नेत्र दोष जैसे कि (आंख के लेंस में धुंधलापन छा जाना)
- - हृदय सही तरीके से विकसित नहीं होता है
- शरीर के बाकी हिस्सों की अपेक्षा सिर का छोटा होना, क्योंकि मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं होता है
- गर्भ में सामान्य से धीमी गति से विकास होना
- मस्तिष्क, लिवर, फेफड़े या अस्थि मज्जा को नुकसान
सीआरएस (CRS) के साथ पैदा हुए बच्चे में बाद में कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसमें शामिल है:
- टाइप 1 डायबिटीज (type 1 diabetes) - यह जीवन भर चलने वाली एक समस्या है जिसके कारण व्यक्ति का रक्त शर्करा (blood sugar) स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है।
- या (overactive thyroid or underactive thyroid) - थायरॉयड ग्रंथि शरीर के विकास और चयापचय (metabolism) को नियंत्रित करने के लिए हार्मोन का उत्पादन करती है।
- मस्तिष्क के अंदर सूजन - यह मानसिक और शारीरिक गतिविधियों को बाधित करता है।
कभी-कभी सुनने की समस्याएं हो सकती हैं; जो जन्म के समय स्पष्ट नहीं होती हैं, लेकिन बच्चे के बड़े होने पर इसका पता लगाया जा सकता है।