दांतों की सड़न क्या है? (What is tooth decay)
दाँत में सड़न तब होती है जब आपके मुंह में मौजूद एसिड दांतों की बाहरी परतों को पिघला देता है।
इसे दांतों में सड़न या दंत क्षय (tooth decay) के नाम से जाना जाता है।
- (toothache)
- खाने या पीने पर दर्द
- दांतों पर असामान्य धब्बे
यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो प्लेक (plaque) बनने के कारण
(मसूड़े की सूजन) या जैसी पैदा हो सकती हैं।नियमित रूप से दांत की जांच कराने से आपके दंत चिकित्सक (dentist) को दांतों के निशान को जल्दी पहचानने में मदद मिल सकती है। साथ ही किसी भी कैविटी (cavities) (दांतों में छेद या क्षति) की पहचान की जा सकती है। दांतों में सड़न की समस्या को शुरुआती चरणों में इलाज से आसानी से ठीक किया जा सकता है।
दांतों की सड़न क्यों होती है? (Why do I have tooth decay?)
जब मुंह बैक्टीरिया से भर जाता है तो छोटे खाद्य कणों और लार के साथ मिलकर यह एक चिपचिपा फिल्म बनाता है जिसे प्लेक (plaque) कहा जाता है। यह दांतों के ऊपर बनता है।
जब आप कार्बोहाइड्रेट (शर्करा या स्टार्च) युक्त भोजन का सेवन करते हैं या पीते हैं, तो प्लेक में मौजूद बैक्टीरिया कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदल देता है, जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है। उसी समय एसिड का उत्पादन होता है।
समय के साथ, प्लेक में मौजूद एसिड दाँत की सतह को तोड़ने लगता है। इसका इलाज न कराने पर, प्लेक दांत के बाहरी परत को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है और अंदर की नसों को उभार सकता है। ऐसी स्थिति में दांतों में दर्द शुरू हो जाता है।
दांतों की सड़न का इलाज और रोकथाम (Treating and preventing tooth decay)
हालांकि दांतों की सड़न एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जिससे काफी हद तक बचा जा सकता है। जब तक आप अपने दांतों की अच्छी तरह से देखभाल करते हैं और अपने दांत के डॉक्टर से नियमित रूप से मिलते हैं, तब तक आप अपने दांतों की सड़न को आसानी से रोक सकते हैं।
दांतों के सड़न के जोखिम को कम करने के लिए आप अपने आहार में कुछ बदलाव भी कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, भोजन के बीच में या सोने से एक घंटे पहले शर्करा युक्त भोजन और पेय पदार्थों से परहेज करके इस समस्या से बचा जा सकता है।
यदि आपको दांतों के सड़न की समस्या हो जाती है, तो क्षतिग्रस्त दांतों को भरने के लिए कई तकनीकें मौजूद हैं जैसे भराव (फिलिंग) और क्राउन।
दांत में सड़न के अधिक एडवांस मामलों में,
या दांत को निकालने की आवश्यकता हो सकती है।यह कितना सामान्य है? (How common is it?)
दांतों की सड़न बच्चों के लिए भी एक समस्या है। माना जाता है कि स्कूल शुरू करने वाले लगभग 31% बच्चों और 12 वर्ष की आयु के लगभग एक तिहाई बच्चों में दांतों की सड़न होती है।
दांतों में सड़न के लक्षण (Tooth decay symptoms)
जब तक यह एडवांस स्टेज में नहीं पहुंच जाता तब तक दांतों में सड़न के लक्षण नहीं दिखायी देते हैं। यही कारण है कि नियमित रूप से दांत की जांच कराना जरूरी है। दांतों की सड़न को शुरूआती चरण में इलाज से सफलतापूर्वक ठीक किया जा सकता है।
18 से अधिक उम्र के वयस्कों को हर दो साल में कम से कम एक बार दांत की जांच करवानी चाहिए। 18 वर्ष से कम आयु के लोगों को वर्ष में कम से कम एक बार जांच करवानी चाहिए। छोटे बच्चों को हर 4-6 महीनों में जांच की आवश्यकता हो सकती है।
हालांकि, यदि दांत की समस्याओं का आपका पारिवारिक इतिहास है, या आपके दांतों में सड़न विकसित होने का जोखिम अधिक है, तो आपके दांत के डॉक्टर नियमित दांत की जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।
एडवांस टूथ डिके (दांतों की सड़न) के लक्षण (Symptoms of advanced tooth decay)
दांतों की सड़न के लक्षणों में शामिल हैं:
- दाँतों में सनसनाहट - कुछ गर्म, ठंडा या मीठा खाने या पीने पर आपको कोमलता या दर्द महसूस हो सकता है
- दांतों पर दिखाई देने वाले धब्बे (मटमैले, भूरे या काले)
- मुंह में एक अप्रिय स्वाद
दांत दर्द इस बात का संकेत है कि कुछ गलत हो रहा है और आपको जल्द से जल्द अपने दांत के डॉक्टर से मिलना चाहिए। यदि आप समस्या को अनदेखा करते हैं तो यह अधिक गंभीर हो सकता है और आप अपने दांत खो सकते हैं।
दांत की सड़न के कारण? (What causes tooth decay?)
दांत की सड़न समय के साथ दांतों पर प्लेक जमा होने के कारण होती है। ऐसे कई जोखिम हैं जो दांत की सड़न की संभावना को बढ़ाते हैं।
दांत तीन भागों से बना होता है:
- इनेमल- दांत की कठोर बाहरी कोटिंग
- डेंटाइन - इनेमल के नीचे नरम, हड्डी जैसी सामग्री
- पल्प - दांत का नरम केंद्र जिसमें नसें और रक्त वाहिकाएं होती हैं
दांतों की सड़न कैसे विकसित होती है? (How dental decay develops?)
मुंह में बहुत से बैक्टीरिया भरे होते हैं, जो छोटे खाद्य कणों और लार के साथ मिलकर एक चिपचिपा फिल्म बनाते हैं। इसे प्लेक कहा जाता है जो दांतों के ऊपर बनता है।
जब आप कार्बोहाइड्रेट (शर्करा या स्टार्च) युक्त भोजन का सेवन करते हैं और पीते हैं, तो प्लेक में मौजूद बैक्टीरिया कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदल देते हैं, जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है। इसी दौरान एसिड का उत्पादन होता है।
समय के साथ, प्लेक में मौजूद एसिड दांत की सतह को तोड़ने लगता है।
एक बार जब इनेमल में कैविटी बन जाती है, तो प्लेक और बैक्टीरिया दांतों तक पहुंच सकते हैं। डेंटाइन इनेमल की अपेक्षा नरम होता है जिसके कारण दांतों की सड़न की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
दांतों की सड़न आमतौर पर आपके मुंह के पीछे के दांतों में होता है। जिन्हें मोलर और प्रीमोलर कहा जाता है। ये बड़े सपाट दांत होते हैं जिनका उपयोग भोजन चबाने के लिए किया जाता है। इनके शेप और साइज के कारण भोजन के कण इन दांतों के बीच में आसानी से फंस जाते हैं। इन्हें ठीक से साफ करने में परेशानी होती है।
जब एक सड़ा हुआ दांत अपने आसपास के दांतों को को स्पर्श करता है, तो सामने का दांत भी सड़न से प्रभावित हो सकता है।
दाँत की सड़न का खतरा कब बढ़ जाता है? (Increased risk of tooth decay)
दाँत के सड़न के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं:
आहार (Diet)
विशेष रुप से भोजन के बीच में अधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार और पेय पदार्थों का सेवन करने से दांतों के सड़न का खतरा बढ सकता है।
दांत के सड़न की समस्या आमतौर पर मीठे और चिपचिपे भोजन और पेय पदार्थों के कारण होती है, जैसे चॉकलेट, मिठाई, चीनी और सोडा युक्त पेय। स्टार्चयुक्त भोजन, जैसे कि क्रिस्प, व्हाइट ब्रेड, प्रेट्ज़ेल और बिस्कुट में भी अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होते हैं।
दांत साफ सफाई से जुड़ी खराब आदतें (Poor oral hygiene)
यदि आप नियमित रूप से अपने दाँत ब्रश नहीं करते हैं, तो दाँत की सड़न का अधिक खतरा होता है। आपको अपने दांतों को दिन में कम से कम दो बार ब्रश करना चाहिए।
धूम्रपान (Smoking)
धूम्रपान करने वालों में दांतों की सड़न विकसित होने की अधिक संभावना होती है। क्योंकि तंबाकू का धुआं लार के उत्पादन में बाधा डालता है। लार दांतों की सतह को साफ रखने में मदद करता है। स्टडी से यह भी पता चला है कि पैसिव स्मोकिंग के कारण विशेष रूप से बच्चों में जोखिम बढ़ सकता है।
मुँह सूखना (Dry mouth)
जिन लोगों के मुंह में लार का स्तर कम होता है, उन्हें दांतों की सड़न का खतरा अधिक होता है, क्योंकि लार दांतों की सतह को साफ रखने में मदद करती है।
कई दवाएं और चिकित्सा उपचार आपके मुंह में लार की मात्रा को कम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए:
- ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स (tricyclic antidepressants)
- कुछ एंटीपीलेप्टिक दवाएं
- कुछ एंटीसाइकोटिक दवाएं
यदि आप कोई दवा ले रहे हैं या इलाज करा रहे हैं, जिसके कारण आपका मुंह सूखता है, तो लगातार पानी का सेवन करें और अपने मुंह और दांत की साफ सफाई पर ध्यान दें।
दांतों की सड़न की जाँच (Diagnosis of tooth decay)
दांत के डॉक्टर आपके दांत के परीक्षण के दौरान मुंह की जांच करके प्रारंभिक चरण में ही दांतों की सड़न का पता लगा सकते हैं।
प्रत्येक जांच के दौरान आपके दांत के डॉक्टर को निम्न चीजें करनी चाहिए:
अपने दांतों, मुंह और मसूड़ों की जांच करना चाहिए
अंतिम बार जांच कराने के बाद आपके सामान्य स्वास्थ्य और आपके दांतों, मुंह और मसूड़ों में किसी भी समस्या के बारे में पूछना चाहिए
आपके आहार, तंबाकू और शराब के सेवन और दांतों की सफाई की आदतों के बारे में सवाल करना चाहिए और सलाह देना चाहिए
अगली बार दांत की जांच की तारीख पर चर्चा करनी चाहिए
[डेंटल चेक-अप] के बारे में और पढ़ें।
कैविटी के प्रकार (types of cavities)
दांत की जांच के दौरान दांत के डॉक्टर यह पता लगा सकते हैं कि आपको किस प्रकार की कैविटी है। कैविटी के तीन मुख्य प्रकार हैं:
आमतौर पर 'चबाने वाले दाँत' के ऊपर पिट कैविटी होती है - यदि इसका इलाज न कराया जाए तो जल्दी ही दांतों की सड़न की समस्या शुरू हो जाती है।
चिकनी सतह की कैविटी दांत की सपाट सतह पर होती हैं - वे आमतौर पर आपके मुंह के किनारे पर दांतों में गमलाइन पर होती हैं
रूट कैविटी दाँत के सामने की तरफ होती हैं - यह बुजुर्गों में अधिक सामान्य होती हैं क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ मसूड़े थोड़ा पीछे हटते हैं, जिससे रूट पर प्लेक तेजी से जमता है और इन्हें कमजोर कर देता है।
दांतों की सड़न का इलाज (Tooth decay treatment)
यदि दांतों की सड़न शुरूआती चरण में है, तो दांत के डॉक्टर उस हिस्से में फ्लोराइड वार्निश लगा सकते हैं। यह आगे सड़न को रोकने में मदद कर सकता है, खासकर यदि आप चीनी का सेवन कम करते हैं।
यदि दांत काफी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है तो इसे दोबारा स्वस्थ नहीं किया जा सकता है।इसे हटाना ही एकमात्र विकल्प है।
फ्लोराइड (Fluoride)
फ्लोराइड इनेमल को मजबूत करता है और दांतों को बचाता है, जिससे दांत सड़न पैदा करने वाले एसिड के हमलों के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो जाते हैं। यह एसिड का उत्पादन करने के लिए प्लेक बैक्टीरिया की क्षमता को कम करता है, और इनेमल की मरम्मत करता है।
यदि आपकी कैविटी अपने प्रारंभिक चरण में है, तो आपके दांत के डॉक्टर सांद्र फ्लोराइड जेल, वार्निश या पेस्ट का उपयोग करके सड़न को ठीक कर सकते हैं।
फिलिंग और क्राउन (Fillings and crowns)
यदि आपके दांतों में गंभीर सड़न है, तो फिलिंग या क्राउन के जरिए इसकी मरम्मत करना जरूरी हो सकता है।
फिलिंग खराब इनेमल को बदल देती है। इसके लिए कई अलग-अलग फिलिंग सामग्रियां उपलब्ध हैं, जिनमें अमलगम (सिल्वर रंग), कम्पोजिट (टूथ कलर्ड) और ग्लास आयनोमर (टूथ कलर्ड) शामिल हैं।
दांतों को भरने के लिए इनलेज़ और ऑनलेज का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ये विशेष रूप से कैविटी के शेप और साइज को भरते हैं, और डेंटल सीमेंट के साथ एक जगह में फिक्स हो जाते हैं। इनलेज़ और ऑनलेज आमतौर पर सोने से बने होते हैं। यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला और सबसे मजबूत फिलिंग पदार्थ है।
क्राउन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त दांतों के इलाज के लिए किया जाता है। दाँत के सड़े भाग को हटाकर शेष भाग के ऊपर क्राउन लगा दिया जाता है। क्राउन सोने, पोरसेलेन, सिरेमिक या कांच के बने होते हैं।
रूट कैनाल उपचार (Root canal treatment)
यदि दांतों की सड़न पल्प में फैल गई है, तो पल्प को निकालना पड़ सकता है। इसकी जगह कृत्रिम पल्प (गुट्टा पर्चा) लगाया जाता है, जो दाँत को उसकी जगह पर बनाए रखता है। इसे रूट कैनाल ट्रीटमेंट के नाम से जाना जाता है।
रूट कैनाल थेरेपी में दर्द का अनुभव होता है, लेकिन अन्य तकनीक की अपेक्षा इसमें दर्द कम होता है।
दाँत निकालना (Tooth extraction)
दाँत की सड़न के गंभीर मामलों में
के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दाँत को निकाला जा सकता है। दांत निकाले जाने से आसपास के दांतों का आकार और कार्य प्रभावित हो सकता है। इसलिए दांत के डॉक्टर नकली दांत लगाकर, ब्रिज या प्रत्यारोपण से दांतों को बदल सकते हैं।दांतों की सड़न को कैसे रोकें (How to prevent tooth decay)
दांतों को नियमित ब्रश करने और फ्लॉस करने से मुंह की अच्छी साफ सफाई हो जाती है। इससे दांतों की सड़न की समस्या को रोका जा सकता है। यह सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। आप अपने आहार में बदलाव करके भी दांतों की सड़न को रोक सकते हैं।
ब्रश करना (Brushing)
फ्लोराइड टूथपेस्ट से दिन में कम से कम दो बार अपने दांतों को ब्रश करें।
आमतौर पर पहले की बजाय खाने के बाद अपने दाँतों को ब्रश करें। हालांकि, भोजन के कम से कम 30 मिनट बाद अपने दाँत ब्रश न करें क्योंकि इससे आपके दाँत खराब हो सकते हैं, खासकर तब जब आपने अधिक कार्बोहाइड्रेट या शुगर युक्त भोजन किया है।
अपने दांतों को सही तरीके से ब्रश करना भी जरूरी है। निम्न सलाह से आपको मदद मिल सकती है:
- अपने टूथब्रश के ऊपरी हिस्से को अपने दांतों के विपरीत रखें, फिर कड़े हिस्से को गमलाइन के विपरीत 45 डिग्री के कोण पर झुकाएं। हर दाँत की सभी सतहों पर ब्रश को कई बार गोलाकार घुमाएं।
- हर दाँत की बाहरी सतह को ऊपर और नीचे से ब्रश करें, जिससे ब्रिसल्स को गमलाइन के विपरीत कोण में रखा जा सके
- दांतों की अंदरूनी सतह पर यही तरीका इस्तेमाल करें
- दांतों की चुभने वाली सतहों को ब्रश करें
- सामने के दांतों की अंदरूनी सतहों को साफ करने के लिए ब्रश को लंबवत झुकाएं और ब्रश के सामने वाले हिस्से से कई छोटे गोलाकार स्ट्रोक करें
- जीभ को ब्रश करने से सांसें तरोताजा रहती हैं और बैक्टीरिया दूर हो जाते हैं जिससे मुंह साफ हो जाता है।
- ब्रश करने के बाद अपने मुंह को पानी या माउथवॉश से न धोएं क्योंकि यह सुरक्षात्मक टूथपेस्ट को धो देता है। सिर्फ अतिरिक्त टूथपेस्ट थूक दें।
समय-समय पर अपना टूथब्रश बदलना भी जरूरी है क्योंकि कुछ समय बाद ये कम प्रभावी हो जाते हैं और प्लेक को नहीं हटा पाते हैं। आमतौर पर टूथब्रश को हर दो से तीन महीने में बदलने की आवश्यकता होती है।
यदि आप इलेक्ट्रिक टूथब्रश खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो स्टडी से पता चला है कि यह ब्रश सबसे प्रभावी होता है। इसके ऊपरी हिस्से में घूर्णन दोलन क्रिया होती है - यानी इसका सिर एक तरह से घूमता है। मैनुअल टूथब्रश की तरह हर दो से तीन महीने में इलेक्ट्रिक टूथब्रश के शीर्ष को बदलने की जरूरत पड़ती है।
फ्लॉसिंग (Flossing)
मुंह को साफ सुथरा रखने के लिए फ्लॉसिंग बहुत जरूरी है। यह दांतों के बीच और गमलाइन के नीचे से प्लेक और खाद्य कणों को निकालता है जहां कई बार टूथब्रश नहीं पहुंच पाता है। फ्लॉस से दिन में कम से कम एक बार अपने दांतों के बीच सफाई करनी चाहिए।
आपका डेंटिस्ट या हाइजीनिस्ट आपको फ्लॉसिंग तकनीक से जुड़ी सलाह दे सकते हैं। निम्न टिप्स से भी आपको मदद मिल सकती हैं:
- लगभग 45 सेमी फ़्लॉस या डेंटल टेप को तोड़ लें और अपनी बीच की एक उंगली के चारों ओर इसे घुमाएं। शेष फ्लॉस को दूसरे हाथ की उसी उंगली के चारों ओर घुमाएं। फ्लॉस का इस्तेमाल करते समय उपयोग किए गए भाग को उंगली से ऊपर उठाएं।
- अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच कसकर लगभग एक इंच का फ्लॉस पकड़ें। यह लचीला न हो। हल्के हाथों से अपने दांतों के बीच फ्लॉस करें। फ्लॉस को झटका न दें या फ्लॉस को मसूड़ों में दबाएं।
- जब फ्लॉस गमलाइन पर पहुंच जाता है, तो इसे दांत के विपरीत सी-शेप में घुमाएं।
- दांत के विपरीत फ्लॉस को पकड़ें। धीरे से दाँत के किनारे को कुरेदें। इसे मसूड़े के बीच से निकालकर अगले दांत के किनारे दूसरी तरफ दोहराएं।
- एक नियमित पैटर्न से अपने दांतों को फ्लॉस करें इससे आपके दांतों के बीच फंसे खाद्य कण बाहर निकल आएंगे।
माउथवॉश (Mouthwash)
आहार (Diet)
किण्वित कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य या पेय पदार्थों का सेवन करने से बचें। इनमें शामिल है:
- सोडा युक्त पेयपदार्थ
- शुगर युक्त कॉफी और चाय
- चॉकलेट
- मिठाइयाँ
- केक
- क्रिस्प
- बिस्कुट
- सफ़ेद ब्रेड
- निम्न स्नैक्स और पेय पदार्थ सेहत के लिए स्वस्थ विकल्प हैं:
- पनीर
- फल और सब्जियाँ
- शुगर-फ्री गम
- बिना शक्कर वाली चाय, कॉफी
- आपको कार्बोहाइड्रेट से पूरी तरह नहीं बचना चाहिए, क्योंकि ये संतुलित आहार का एक जरूरी हिस्सा हैं। लेकिन अनरिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का सेवन करें। क्योंकि बैक्टीरिया इन्हें एसिड में नहीं तोड़ पाता है।
- अनरिफाइंड कार्बोहाइड्रेट के अच्छे स्रोतों में शामिल हैं:
- होलमील या ब्राउन ब्रेड
- पास्ता
- चावल
- आलू
- पत्तेदार हरी सब्जियां
- अंडे
- चीनी और खाद्य लेबल (Sugar and food labels)
- खाद्य पदार्थों पर लेबल देखें कि उनमें कितनी चीनी है। चीनी कई रूपों में आती है, इसलिए उसमें शामिल निम्न सामग्री देखें:
- शर्करा
- सुक्रोज
- शहद
- डेक्सट्रोज
- माल्टोज़
- फ्रुक्टोज
- हाइड्रोलाइज्ड स्टार्च या सिरप
सभी सामग्री आमतौर पर उपयोग की जाने वाली मात्रा के क्रम में सूचीबद्ध होती है, जिसमें मुख्य घटक पहले सूचीबद्ध होते हैं। यदि चीनी, या उपरोक्त अवयवों में से एक, अवयवों की सूची में सबसे ऊपर है, तो इसका मतलब हो सकता है कि उस आहार में चीनी अधिक है।
कुछ उत्पाद भी ट्रैफ़िक लाइट सिस्टम का उपयोग करके अपनी लेबलिंग करते हैं ताकि यह पता चले कि उनमें शुगर अधिक है या कम है। ये निम्न हैं:
- लाल बत्ती शुगर की उच्च मात्रा को दर्शाती है
- एम्बर लाइट शुगर की मध्यम मात्रा को दर्शाती है
- हरी बत्ती चीनी की कम मात्रा का संकेत देती है
सामान्य रूप में:
- उच्च शुगर का मतलब है कि प्रत्येक 100 ग्राम उत्पाद में शुगर की मात्रा 15 ग्राम से अधिक है
- निम्न शुगर का मतलब है कि उत्पाद के प्रत्येक 100 ग्राम के लिए शुगर की मात्रा 5 ग्राम से कम है
- खाने के बाद शुगर-फ्री च्युंगम चबाने से भी दांतों की सड़न रोकने में मदद मिल सकती है। जब आप च्युंगम चबाते हैं, तो आपके मुंह में लार बनता है, जो मुंह में एसिड को बेअसर करता है। इससे दांतों को नुकसान नहीं पहुंचता है।
दाँत की सड़न की जटिलताएँ (Tooth decay complications)
यदि आपके दांतों पर बहुत अधिक प्लेक जमा है, तो बैक्टीरिया आपके मसूड़ों के साथ-साथ दांतों को सपोर्ट करने वाले ऊतक और हड्डियों को भी संक्रमित कर सकते हैं। दांतों की सड़न के एडवांस मामलों से मुंह में फोड़े हो सकते हैं।
मसूड़े का रोग (Gum disease)
- मसूड़े में सूजन और लालिमा
- दांतों को ब्रश करने पर मसूड़ों से खून आना
- यह आमतौर पर दांतों पर प्लेक बनने के कारण होता है।
पीरियोडोंटाइटिस मसूड़ों की बीमारी का एक अन्य अधिक गंभीर रूप है। पीरियोडोंटाइटिस में, मसूड़ों को प्रभावित करने वाली सूजन निम्न चीजों को भी प्रभावित करती है:
- दांत को टूथ सॉकेट से जोड़ने वाले ऊतक। इसे पीरियोडोंटल लिगामेंट कहा जाता है
- जबड़े में वह हड्डी जिसमें दांतों की सॉकेट होती है, जिसे एल्वोलर बोन कहा जाता है
पीरियडोंटाइटिस के कारण दांत और मसूड़ों के बीच एक खाली जगह विकसित हो सकता है, जिससे दांत ढीले महसूस होते हैं और कुछ मामलों में दांत गिर जाते हैं।
मसूड़े के रोग के हल्के मामले आमतौर पर मुंह की अच्छी तरह साफ-सफाई करके आसानी से ठीक किए जा सकते है। इसमें दिन में दो बार (सुबह और रात में) दांतों को ब्रश करना और हफ्ते में कम से कम तीन बार फ्लॉसिंग करने की जरूरत पड़ती है।
यदि मसूड़े के रोग का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह पीरियडोंटाइटिस और अधिक गंभीर जटिलताएं विकसित कर सकता है।
पीरियोडोंटाइटिस को ठीक नहीं किया जा सकता है। लेकिन यदि आप रोजाना अपने दांतों को साफ करते हैं और नियमित प्लेक को हटाते हैं तो हड्डी के नुकसान को रोका जा सकता है। आपको अपने दांत के डॉक्टर और हाइजीनिस्ट से नियमित जांच कराने की जरूरत होगी।
दांत के फोड़े (Dental abscesses)
दांत के फोड़ा होने पर गंभीर दर्द हो सकता है, और आपको संक्रमण के अन्य लक्षण जैसे बुखार भी हो सकता है।