काली खांसी (Whooping cough)

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काली खांसी (Whooping cough) क्या है?

काली खांसी (Whooping cough) फेफड़ों और वायुमार्ग का एक अत्यधिक संक्रामक बैक्टीरियल संक्रमण है।

चिकित्सा की भाषा में इसे पर्टुसिस (pertussis) कहते हैं।

ये स्थिति आमतौर पर लगातार सूखी और परेशान करने वाली खांसी के साथ शुरू होती है और जो तेज़ी से बढ़ता है। इसके बाद आम तौर पर एक विशेष प्रकार की ‘हू-हू’ या व्हूपिंग (whooping) की आवाज़ होती है, इसी वजह से, इस स्थिति को व्हूपिंग कफ या कुकुर खांसी का नाम मिला है।

इसके अन्य लक्षणों में नाक बहना (runny nose), बुखार (raised temperature) और खांसी के बाद उल्टी (vomiting after coughing) होना शामिल हैं।

यह खांसी लगभग तीन महीने तक रहती है (इसका दूसरा नाम ‘सौ दिन की खांसी’ है।)

काली खांसी या

व्हूपिंग कफ़ (whooping cough) के लक्षणों
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काली खांसी (कुकुर खांसी) का मूल कारण एक विशेष प्रकार का बोर्डटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) नामक बैक्टीरिया (bacteria) है जो खांसने और छींकने से हवा में बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाता है।

काली खांसी (Whooping cough) के कारणों
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काली खांसी (कुकुर खांसी) का उपचार (Treating whooping cough)

अगर काली खांसी को पहले तीन सप्ताह (21 दिन) के दौरान पहचान लिया जाता है तो

एंटीबायोटिक
(antibiotic) के द्वारा इसके प्रसार को कम किया जा सकता है| इससे दूसरों में संक्रमण होने से रोका जा सकता है।

संक्रमण फैलने से बचने के लिए इसके प्रसार को रोकना अति आवश्यक होता है विशेष रूप से छह महीने से कम उम्र के बच्चों को।

जिन बच्चों को खांसी होती है, उन्हें एंटीबायोटिक दवाओं का निर्धारित कोर्स शुरू करने से पांच दिन तक स्कूल या नर्सरी से दूर रखना चाहिए। यही सलाह काम पर लौटने वाले वयस्कों पर भी लागू होती है |

सावधानी के तौर पर, अगर कोई घर में काली खांसी से संक्रमित हो तो घर के अन्य सदस्यों को भी एंटीबायोटिक या वैक्सीन के बूस्टर शॉट दिए जा सकते है |

एंटीबायोटिक्स आमतौर पर उन मामलों में नहीं दी जाएगी जहां संक्रमण के बाद के चरणों (लक्षणों की शुरुआत के 2-3 सप्ताह बाद) तक खांसी की पहचान नहीं हुई हो।

इस समय तक, बोर्डेटेला पर्टुसिस जीवाणु समाप्त हो जाएगा, इसलिए आप अब संक्रामक नहीं होंगे। इस स्तर पर एंटीबायोटिक आपके लक्षणों में सुधार करेंगे, इसकी संभावना भी कम है।

आपका डॉक्टर आपको कुछ सरल स्व देखभाल उपायों का उपयोग करके घर पर संक्रमण का प्रबंधन करने के तरीके के बारे में सलाह दे सकता है, जैसे कि

निर्जलीकरण
(dehydration) से बचने के लिए बहुत सारे तरल पदार्थ पीना और आराम करना|

काली खांसी (Whooping cough) के इलाज
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ऐसी स्थिति में छः माह से कम उम्र के बच्चों को अस्पताल में भर्ती कर लिया जाता है, क्योंकि उन्हें सबसे अधिक खतरा होता है जैसे सांस लेने में कठिनाई होना।

संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए रोगी को सबसे अलग, आइसोलेशन में रखकर उनका इलाज किया जा सकता, ऐसे में ड्रिप के माध्यम से नस में एंटीबायोटिक दवा दी जाएगी।

काली खांसी (कुकुर खांसी) (Whooping cough) की जटिलताओं
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काली खांसी का टीका (Whooping cough vaccination)

काली खांसी (कुकुर खांसी) (Whooping cough) रोकने
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यद्यपि टीकाकरण (vaccination) शुरू होने के बाद से खांसी के मामलों की संख्या बहुत कम हो गई है, फिर भी बच्चों का संक्रमित होना संभव है, इसलिए टीकाकरण महत्वपूर्ण है।

जितने अधिक लोगों को खांसी के खिलाफ टीका लगाया जाता है, युवाओं द्वारा बच्चों में संक्रमण फैलने का उतना ही कम मौका होता है, बच्चों में यह बीमारी गंभीर हो सकती है, और कुछ मामलों में जानलेवा भी हो सकता है।

काली खांसी के टीकाकरण की प्रभावशीलता समय के साथ कम हो सकती है, जिसका अर्थ है बड़े होकर आप इस स्थिति को विकसित कर सकते हैं, भले ही पहले आपको इसके लिए टीका लगाया गया हो।

कौन प्रभावित होता है? (Who is affected?)

ज्यादातर मामले उन वयस्कों में होते हैं जिनकी प्रतिरक्षा शक्ति या इम्यूनिटी कम हो गई है। इन मामलों में लक्षण कम गंभीर होते हैं (हालांकि लगातार होने वाली खांसी के साथ रहना असहज और अप्रिय हो सकता है।)

काली खांसी के लक्षण (Whooping cough symptoms)

आमतौर पर काली खांसी के लक्षण बोर्डेटेला पर्टुसिस जीवाणु (Bordetella pertussis bacterium) से संक्रमण के छह से बीस दिनों के बीच नज़र आते हैं। इस देरी को रोगोद्भवन अवधि (incubation period) के रूप में जाना जाता है|

काली खांसी चरणों में विकसित होती है, प्राथमिक स्तर में हल्के लक्षण, उसके बाद सुधार शुरू होने से पहले अधिक गंभीर लक्षण।

प्रारंभिक लक्षण (Early symptoms)

काली खांसी के प्रारंभिक लक्षण अक्सर एक आम सर्दी के लक्षणों के समान होते हैं और इसमें शामिल हैं:

  • नाक का बहना या नाक का बंद होना (runny or blocked nose)
  • छींक (sneezing)
  • आँख से पानी आना (watering eyes)
  • सूखी, परेशान करने वाली
    खांसी
  • गले में खराश
    (sore throat)
  • थोड़ा बुखार (slightly raised temperature)
  • सामान्यतः बीमार महसूस होना

काली खांसी के ये शुरुआती लक्षण अधिक गंभीर होने से पहले एक से दो सप्ताह तक रह सकते हैं।

पैरॉक्सिस्मल लक्षण (Paroxysmal symptoms)

काली खांसी के दूसरे चरण को अक्सर पैरॉक्सिस्मल स्टेज कहा जाता है और इसमें खांसी के तीव्र लक्षण विकसित होते हैं। इन प्रकरणों को कभी-कभी खाँसने के 'पैरॉक्सिस्म' के रूप में जाना जाता है ।

इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

  • खांसी (coughing) का स्तर काफी ज़्यादा होता है जिससे गाढ़ा बलगम (phlegm) आता है
  • खांसने के बाद प्रत्येक तेज सांस के साथ एक 'हूप' की ध्वनि निकलना , (हालांकि यह शिशुओं और छोटे बच्चों में नहीं हो सकता है, नीचे देखें)
  • खांसने के बाद उल्टी होना, विशेषकर
    शिशुओं और छोटे बच्चों में
  • खांसने का प्रयास करते समय चेहरे पर थकान और लालिमा का होना।

प्रत्येक खांसी की अवधि आमतौर पर एक और दो मिनट के बीच रहती है, लेकिन कई बार ये खांसी बहुत जल्दी और कई मिनट तक हो सकती है। प्रत्येक दिन खांसी की संख्या भिन्न होती है, लेकिन आमतौर पर 12 और 15 के बीच होती है।

काली खांसी के पैरोक्सिमल (paroxysmal) लक्षण आमतौर पर कम से कम दो सप्ताह तक रहते हैं, लेकिन ये उपचार के बाद भी लंबे समय तक रह सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आपके शरीर से बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) जीवाणु के साफ होने के बाद भी खांसी होती रहती है|

नवजात और छोटे बच्चे (Infants and young children)

छह महीने से छोटे शिशुओं में 'हूप' की आवाज़ का पता नहीं भी लगता है लेकिन वे गैगिंग या हांफना शुरू कर सकते हैं और कभी-कभी साँस लेने में अस्थायी रूप से रूकावट भी आ सकती है।

कभी कभी इस कफ और खांसी की वजह से नवजात शिशुओं की मृत्यु भी हो जाती है (अधिक जानकारी के लिए

काली खांसी की जटिलताओं को
देखें।)

छोटे बच्चों में लगातार खांसी होने पर चेहरे का रंग नीला (cyanosis) पड़ने लगता है। यह वास्तविक स्थिति से बदतर नजर आता है, और सांस जल्दी ही फिर से शुरू हो जाती है।

वयस्क और बड़े बच्चे (Adults and older children)

वयस्कों और बड़े बच्चों में काली खांसी के पैरॉक्सिस्मल लक्षण कम तीव्र होते हैं छोटे बच्चों के लक्षणों के मुकाबले ये और हल्के रेस्परटोरी संक्रमण (respiratory infection) , जैसे की ब्रोंकाइटिस/श्वसनीशोथ (bronchitis ) जैसे लगते हैं।

ठीक होने के चरण (Recovery stage)

अंततः काली खांसी के लक्षण धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं, और खांसी की अवधि और उसकी तीव्रता भी कम होने लगती है। सुधार की यह अवधि तीन महीने या उससे अधिक तक रह सकती है।

हालांकि, इस अवधि के दौरान भी तीव्र खांसी के दौरे हो सकते हैं।

डॉक्टरी सलाह कब लें (When to seek medical advice?)

यदि आपको लगता है की आपको या आपके बच्चे को काली खांसी के लक्षण हैं तो डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए।

ऐसी स्थिति में आपको एंटीबायोटिक्स दिया जाना जरूरी होगा।

तत्काल डॉक्टरी परामर्श कब लें (When to seek immediate medical advice?)

आपको तुरंत डॉक्टरी परामर्श लेना जरूरी होगा यदि:

  • आपका बच्चा 6 महीने या उससे कम आयु का है जो बहुत बीमर लग रहा है – (बच्चों में गंभीर लक्षण पता करने के लिए अधिक पढ़ें)
  • आपको या आपके बच्चे को सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ़ हो रही हो जैसे लंबे समय तक सांस फूलना
  • आपको या आपके बच्चे को गंभीर समस्याएं जैसे कि मिर्गी आना या
    निमोनिया
    हो, एक तरह का संक्रमण जिसमें फेफड़ों के टिशू में सूजन हो जाती है

इन परिस्थितियों में अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। यदि यह संभव न हो तो आपातकालीन सेवाओं से संपर्क करें।

काली खांसी के कारण (Whooping cough causes)

काली खांसी का कारण एक जीवाणु है जो बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) के नाम से जाना जाता है।

यह जीवाणु वायुमार्ग की सतह को संक्रमित करता है, मुख्य रूप से श्वासनली और उससे आगे विभाजित होकर बढ़ने वाले दो वायुमार्गों को जो फेफड़ों तक जाते हैं। 

जब बोर्डेटेला पर्टुसिस वायुमार्ग की सतह के संपर्क में आता है, तो यह गिनती में बढ़ता है और इससे गाढ़ा म्यूकस/बलगम (thick mucus) जमा हो जाता है। इसी म्यूकस/ बलगम (mucus) को शरीर से बाहर निकालने के लिए तीव्र गति से खांसी के दौरे होते हैं । 

यह जीवाणु वायु मार्ग में सूजन पैदा करता है, जिससे वह संकीर्ण हो जाता है । इसके कारण सांस लेने में दिक्कत होती है और खांसी के दौरे के बाद सांस लेते समय ह्वूप ('whoop') की आवाज़ निकलती है।

काली खांसी कैसे फैलती है (How whooping cough spreads?)

जिन लोगों को काली खांसी है वे जीवाणु के संपर्क में आने के 6 दिन बाद से खांसी शुरू होने के 3 हफ्तों बाद तक संक्रमित रहते हैं। 

बोर्डेटेला पर्टुसिस हवा मैं बहुत छोटी बूंदों (droplets) के द्वारा ले जाया जाता है। संक्रमित व्यक्ति जब खाँसता या छींकता है तो वह हवा में हजारों संक्रमित छोटी बूंदें फैला देता है। जब ये सांस के द्वारा किसी और के शरीर में प्रवेश करती हैं तो जीवाणु उनके वायु मार्ग को संक्रमित करता है।

काली खांसी की पहचान (Whooping cough diagnosis)

यदि आपको लगता है की आपको या आपके बच्चे को काली खांसी हो सकती है तो अपने डॉक्टर से तुरंत मिलें।

आमतौर पर डॉक्टर काली खांसी की पहचान इसके लक्षणों के बारे में जानकारी लेकर या खांसी को सुनकर (काली खांसी बहुत ही अलग होती है) कर सकते हैं। 

कभी-कभी आपके डॉक्टर द्वारा बीमारी की पुष्टि करने के लिए खून का परीक्षण करना होगा, जिससे काली खांसी के जीवाणु के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी (antibodies) का पता लग सके।

काली खांसी की पुष्टि गले के पिछले हिस्से से बलगम के सैम्पल से भी की जा सकती है, इसके लिए स्वेब (एक छोटी सी लकड़ी जिसके एक सिरे पर रुई लगी होती है) का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस स्वेब का बोर्डेटेला पर्टुसिस के लिए परीक्षण किया जाता है । हालांकि यह तरीका हर बार सही नहीं होता है।

छोटे बच्चे (Young babies)

यदि किसी छोटे बच्चे को काली खांसी होने का शक है तो अस्पताल में उसकी जांच की जानी चाहिए, जहां उनको कोई जरूरी इलाज़ भी दिया जा सकता है, क्यूँकि बच्चों में यह बीमारी गंभीर हो सकती है।

काली खांसी का इलाज़ (treatment for whooping cough)

छोटे बच्चे (1 साल से कम आयु के) जिन्हें काली खांसी हो उन्हें इसकी जटिलताओं से बचने के लिए अस्पताल में इलाज़ की जरूरत हो सकती है।

यह समस्या बड़े बच्चों और वयस्कों में कम गंभीर होती है और आमतौर पर इसका इलाज़ घर पर स्व-सहायता के उपायों से किया जा सकता है। (नीचे देखें)

एंटिबयोटिक्स (Antibiotics)

यदि काली खांसी की पहचान संक्रमण के पहले तीन हफ्तों (21 दिनों) में हो जाती है, तो आपका डॉक्टर संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आपको

एंटिबयोटिक्स
लेने की सलाह दे सकता है। 

एंटिबयोटिक्स लेने के 5 दिन बाद आप संक्रामक रहेंगे। हालंकी एंटिबयोटिक्स ना लेने पर तीव्र खांसी के दौरों के शुरू होने के तीन हफ्ते बाद भी आप संक्रामक सकते हैं। 

यदि काली खांसी की पहचान संक्रमण के आगे के चरणों में भी नहीं होती है, तो शायद आपका डॉक्टर आपको एंटिबयोटिक्स लेने के सलाह नहीं देंगे। 

ऐसा इसलिये कि जो जीवाणु काली खाँसी का कारण बनता है, वह इस समय तक जा चुका होता है और अब आप संक्रामक नहीं होंगे। इस समय एंटिबयोटिक्स आपके लक्षणों में सुधार नहीं करंगे।

शिशु और छोटे बच्चे (Babies and young children)

शिशुओं को काली खांसी बहुत गंभीर रूप से प्रभावित करती है और उनको इसकी जटिलताओं का खतरा सबसे अधिक होता है। इस कारण 12 महीने से छोटे बच्चे जिनको काली खांसी होती है, उनको अक्सर अस्पताल में इलाज़ की जरूरत पड़ती है।

यदि आपका बच्चा काली खांसी के इलाज़ के लिए अस्पताल में भर्ती है तो हो सकता है कि उसे अन्य मरीजों से अलग रख कर इलाज किया जाये, जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। 

आपके बच्चे को एंटिबयोटिक्स सीधे नसों में दिये जाने (एक ड्रिप के माध्यम से) की जरूरत हो सकती है।

यदि आपका बच्चा गंभीर रूप से प्रभावित है तो उसको एंटिबयोटिक्स के अलावा

कॉर्टिकोस्टेरॉयड दवा
(
corticosteroid medication
)

की भी जरूरत होगी। कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवा

में स्टेरॉइड्स होते हैं। ये शक्तिशाली हॉर्मोन्स होते हैं जो आपके बच्चे के वायुमार्ग की सूजन को कम करेंगे जिससे उसको सांस लेने में आसानी होगी। एंटिबयोटिक्स की ही तरह कॉर्टिकोस्टेरॉइड भी सीधे नस में एक ड्रिप के माध्यम से दिये जा सकते हैं।

यदि आपके बच्चे को सांस लेने में अतिरिक्त मदद की जरूरत है तो उसे अधिक आक्सिजन चेहरे के मास्क द्वारा दिया जा सकती है। वायु मार्ग को बाधित करने वाले बलगम को धीरे-धीरे सक्शन द्वारा बाहर निकालने के लिए हाथ में पकडे जाने वाले उपकरण जिसे बल्ब सिरिंज कहा जाता है, का उपयोग भी किया जा सकता है।

स्वयं सहायता के उपाय (Self-help measures)

काली खांसी वयस्कों और बड़े बच्चों में शिशुओं और छोटे बच्चों के मुकाबले कम गंभीर है । डॉक्टर आमतौर पर आपको घर पर संक्रमण का प्रबंधन करने और कुछ साधारण सलाहों का पालन करने के लिए कहेंगे:

  • भरपूर आराम करें
  • शरीर में
    पानी की कमी
    (dehydration) को रोकने के लिए अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीएं
  • खांसते हुए बहुत अतिरिक्त बलगम या उल्टी को निकालने की कोशिश करें ताकि यह अंदर न जा सके और घुटन का कारण न बन सके
  • उच्च तापमान और गले में खराश को साफ करने के लिए
    इबुप्रोफेन
    (ibuprofen) और/या
    पेरासिटामोल
    (paracetamol) का उपयोग किया जा सकता है– 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ऐस्प्रिन नहीं दी जानी चाहिए।

संक्रमण को कैसे रोकें (How to avoid passing on the infection)

काली खांसी बहुत ज्यादा संक्रामक है, इसलिए यदि आप या आपके बच्चे इससे संक्रमित हैं, तो जब तक ये जीवाणु पूरी तरह से दूर नहीं हो जाते तब तक दूसरों से दूर रहना जरूरी है।

प्रभावित व्यक्ति जब तक एंटीबायोटिक दवाओं का पांच दिन का कोर्स पूरा नहीं कर लेता या तीन हफ्ते खांसी (पैरॉक्सिम्स) के तीव्र लक्षण (जो भी पहले हो) पूरे नहीं हो जाते तब तक उसे घर पर ही रहना चाहिए।

हालांकि, तीन सप्ताह के बाद भी खांसी का दौरा जारी रह सकता है, लेकिन यह संभव नहीं है कि आप अभी भी संक्रामक होंगे क्योंकि जीवाणु अब तक समाप्त हो चुके होंगे।

रोगनिरोधक इलाज (Preventative treatment)

संक्रमण के प्रभावों के प्रति जागरूक होने के लिए आपके घर (या छात्रावास या आवासीय घर) के सदस्यों के लिए रोगनिरोधक इलाज की जरुरत होती है (ऐसे लोगों के आसानी से चपेट में आने की संभावना होती है।)

कमजोर (आसानी से चपेट में आने वाले) संपर्कों में शामिल होते हैं:

  • नवजात शिशु
  • 12 महीने से कम उम्र के छोटे बच्चे जिन्हें DTaP/IPV/Hib वैक्सीन का पूरा कोर्स नहीं मिल पाया है
  • 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनको एक भी टीका नहीं लगा है
  • वे महिलाएं जो अपनी गर्भावस्था के अंतिम महीने में हैं
  • एचआईवी
    (HIV) से संक्रमित या
    कीमोथेरेपी
    (chemotherapy) लेने वाले लोग जिनका इम्यून सिस्टम (immune system) कमजोर हो गया है
  • अस्थमा
    या
    हृदयाघात
    (
    heart failure
    ) जैसे दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थिति वाले लोग

रोगनिरोधक इलाज की भी आमतौर पर उस समय सलाह दी जाती है जब घर का कोई सदस्य किसी स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सेवा या चाइल्डकैअर (childcare) जैसी सुविधाओं में कार्यरत है क्योंकि वे अन्य कमजोर लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।

रोगनिरोधक इलाज में आमतौर पर एंटीबायोटिक का एक छोटा सा कोर्स (course) शामिल रहता है और कुछ मामलों में, टीके की एक बूस्टर (booster) खुराक।

बचाव (Prevention)

5-इन-1 टीके

काली खांसी के टीके को 5-इन-1 टीके (DTaP/IPV/Hib) के हिस्से के रूप में लगाया जाता है, जो डिप्थीरिया, टिटेनस, पोलियो और हिब (Hib) (हीमोफिलिया इन्फ्लुएंजा टाइप b) से भी हमें बचाता है।

स्कूल जाने से पहले दिया जाने वाला बूस्टर (The pre-school booster)

स्कूल जाने से पहले दिया जाने वाला 4-इन-1 बूस्टर (DTap/IPV) बच्चों के स्कूल शुरू होने से पहले दिया जाता है (जब वे तीन से पांच साल की उम्र के बीच होते हैं) जो खांसी के खिलाफ उनके बचाव को मजबूती देते हैं।

काली खांसी के टीके को तीन अलग-अलग जाब्स प्लस बूस्टर (jabs plus booster) में दिया जाता है, ताकि आपके बच्चे के शरीर की रक्षा के प्रभावशाली स्तर को बनाने का उपयुक्त समय मिल सके।

काली खांसी के टीके के दुष्प्रभाव (Side effects of the whooping cough vaccine)

काली खांसी के टीके बहुत सुरक्षित होते हैं। बच्चों को होने वाले सबसे आम दुष्प्रभाव हैं:

● इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द, लाल होना और सूजन

● चिड़चिड़ापन और बार बार रोना

● रंग काला होना या बुखार आना

5-इन-1 टीके के दुष्प्रभावों के बारे में और जानें।

यदि आपके बच्चे के इम्यून सिस्टम/प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) में कोई समस्या है, तो अपने डॉक्टर से टीकाकरण के बारे में बात करें। थोड़ी खांसी या सर्दी वाले शिशुओं को भी वैक्सीन लगा सकते हैं।

काली खांसी की जटिलताएँ (Complications of whooping cough)

नवजात शिशु और छोटे बच्चे आमतौर पर काली खांसी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। उन्हें गंभीर लक्षण होने की ज्यादा संभावना होती है, जैसे:

  • निमोनिया
    , ये एक प्रकार का संक्रमण है जो आपके फेफड़ों में होने वाले ऊतकों (tissues) की सूजन का कारण बन सकता है
  • शरीर में
    पानी की कमी
    (
    dehydration
    )
  • साँस लेने में दिक्कत के कारण साँस लेने में कुछ देर की रुकावट
  • बहुत ज्यादा उल्टी होने के कारण वजन कम होना
  • दौरा (फिट)
  • निम्न रक्तचाप के कारण दवा की जरुरत पड़ना
  • गुर्दे खराब होने के कारण कुछ समय के लिए
    डायलिसिस
    (dialysis) की जरुरत पड़ना
  • मस्तिष्क में क्षति होना, साँस लेने में दिक्कत होने के कारण मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है

गंभीर स्थितियाँ जैसे निमोनिया और मस्तिष्क में क्षति होना खतरनाक हो सकता है, हालांकि यह बहुत कम होता है।

बड़े बच्चे और व्यस्क (Older children and adults)

कभी-कभार काली खांसी की जटिलताओं से बड़े बच्चे और वयस्क भी प्रभावित हो जाते हैं। हालांकि, ये जटिलताएँ ज्यादातर शिशुओं और छोटे बच्चों को होने वाली कठिनाइयों की तुलना में ज्यादा गंभीर नहीं होतीं।

जो कम गंभीर जटिलताएँ हैं, उनमें शामिल हैं:

  • तेज़ खाँसी के दौरान
    नाक से खून आना
    और आँखों के सफेद भाग में रक्त वाहिकाओं का फटना
  • बहुत तेजी से खांसने के कारण पसलियाँ चोटिल हो जाना
  • बहुत तेजी से खांसने के कारण
    हर्निया
    (hernia) होना (जहां शरीर का एक आंतरिक हिस्सा, मांसपेशियों या आसपास के ऊतक की दीवार में कमजोरी की वजह से बाहर निकल आता है)
  • चेहरे की सूजन
  • जीभ और मुंह में छाले होना
  • कान में संक्रमण होना जैसे कि
    ओटाइटिस मीडिया
    (otitis media) (कान के बीच में में तरल पदार्थ बनना)

महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।