व्यक्तित्व विकार या पर्सनालिटी डिसॉर्डर मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है, जिसमें कोई व्यक्ति दू कैसे सोचता, समझता, महसूस करता या दूसरों से संबंध रखता है, इस पर प्रभाव पड़ता है।
असामाजिक व्यक्तित्व विकार यानी एंटीसोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर एक विशेष रूप से चुनौती पूर्ण प्रकार का व्यक्तित्व विकार है, जिसमें उत्तेजक, गैर जिम्मेदार और आमतौर पर आपराधिक व्यवहार जैसे लक्षण होते हैं।
इस समस्या के साथ कोई व्यक्ति आमतौर पर स्वभाव से दूसरों को नियंत्रित करने वाला, धोखेबाज़ और लापरवाह होता है, उसके लिए दूसरे लोगों की भावनाएं कोई मायने नहीं रखती हैं और वह उनकी परवाह नहीं करता।
अन्य प्रकार के व्यक्तित्व विकार की तरह इस असामाजिक व्यक्तित्व आधारित विकार में एक स्पेक्ट्रम होता है, जिसका मतलब है कि वह कभी-कभी अपने खराब व्यवहार से कानून को तोड़ने और गंभीर अपराधों का अंजाम देता है। साइकोपैथ्स को असामाजिक व्यक्तित्व विकार का एक गंभीर रूप माना जाता है।
असामाजिक व्यक्तित्व विकार के संकेत
असामाजिक व्यक्तित्व विकार वाले लोगों में दूसरे के अधिकारों का शोषण करना, उल्लंघन करना, हेरफेर करना और अन्य लोगों के संकट पर खुश होना, गैर जिम्मेदार व्यवहार दिखाना, सामान्य सामाजिक व्यवहार के प्रति उपेक्षा का भाव रखना जैसी आदतें शामिल होती हैं। ऐेसे लोगों को लंबे समय के लिए संबंध बनाए रखने में परेशानी होती है। ऐसे लोग अपने गुस्से को नियंत्रित रखने में असमर्थ होते हैं। उनको अपनी ग़लतियों का अपराध बोध नहीं होता है। वे अपने जीवन की समस्याओं को लेकर दूसरों को दोषी मानते हैं बार-बार कानून तोड़ते हैं।
इस समस्या से ग्रस्त शख्स के बचपन की गतिविधियाँ विकार के इतिहास जुड़ी होती हैं, जैसे स्कूल नहीं जाना, रोना-धोना, अपराध के प्रति रुझान, धन-संपत्ति का दुरुपयोग, विघटनकारी और आक्रामक व्यवहार का होना।
असामाजिक व्यक्तित्व विकार कौन विकसित करता है?
यह डिसॉर्डर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक प्रभावित करता है। यह ज्ञात नहीं है कि कुछ लोगों में यह विकार क्यों विकसित होता है, लेकिन आनुवंशिक कारण और बचपन के दर्दनाक अनुभव, जैसे- बाल दुर्व्यवहार या उपेक्षा, दोनों की इस विकार में भूमिका अहम मानी जा सकती है।
इस डिसॉर्डर वाला शख्स अक्सर कठिन पारिवारिक परिस्थितियों में बड़ा होता है। ऐसी परिस्थितियों में माता-पिता में से एक या दोनों शराब का ज़्यादा सेवन करते हैं। माता-पिता के खराब संबंध, ठीक तरीके से बच्चों का पालन-पोषण न होना इसमें अहम भूमिका निभाते हैं। इन समस्याओं के कारण बच्चों की देखभाल के लिए सामाजिक सेवाएं शामिल होती हैं।
बचपन में ऐसी परेशानियां अक्सर किशोरावस्था और युवावस्था में व्यवहार संबंधी समस्या पैदा करती हैं।
असामाजिक व्यक्तित्व विकार का प्रभाव
आपराधिक व्यवहार इस डिसॉर्डर का एक प्रमुख प्रभाव है। ऐसे में काफी जोखिम होता है कि इस समस्या से ग्रस्त कोई शख्स अपराध करेगा और अपने जीवन में कभी उसे जेल हो सकती है।
इस समस्या की वजह से लोगों में शराब और ड्रग्स के दुरुपयोग की संभावना तीन से पांच गुना अधिक पाई जाती है। ऐसे शख्स का लापरवाही से व्यवहार करना या आत्महत्या का प्रयास करने के परिणामस्वरूप समय से पहले मरने की संभावना बढ़ जाती है।
इस विकार वाले लोगों को संबंध बनाने में समस्या होना, बेरोज़गारी की और बेघर होने की अधिक संभावना होती है।
असामाजिक व्यक्तित्व विकार का परीक्षण या निदान
असामाजिक व्यक्तित्व विकार का इलाज करने के लिए उस व्यक्ति का 15 साल की आयु से पहले इस समस्या के होने का इतिहास होना चाहिए।
इस विकार का निदान कठोर मनोवैज्ञानिक मापतोल के बाद किया जाता है। इसमें रोग की पहचान तभी की जा सकती है, जब शख्स की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक हो या निम्न में से कम से कम तीन मापदंड लागू होते हों:
- बार-बार कानून का तोड़ना
- बार-बार धोखेबाजी करना
- आगे की योजना बनाने के लिए आवेगशील या अक्षम होना
- चिड़चिड़ा और आक्रामक होना
- अपनी सुरक्षा या दूसरों की सुरक्षा के प्रति लापरवाह होना
- लगातार गैर-जिम्मेदारना रवैया
- पश्चाताप की कमी
इन संकेतों को एक सिजोफ्रेनिक या पागलपन का हिस्सा नहीं होना चाहिए। उन्हें व्यक्ति की रोज़मर्रा की पर्सनैलिटी का हिस्सा होना चाहिए।
यह व्यवहार आमतौर पर किशोरावस्था के अंतिम वर्षों में और 20वें साल में सबसे तीव्र होता है।जब तक व्यक्ति अपने चौथे दशक तक पहुंच जाता है तो इसमें सुधार हो सकता है।
असामाजिक व्यक्तित्व विकार का इलाज
पहले इस विकार को आजीवन विकार माना जाता था, लेकिन यह हमेशा ऐसा नहीं होता। इस पर काबू पाया जा सकता है और इलाज किया जा सकता है। इस बात के सबूत हैं कि व्यवहार में समय के साथ सुधार हो सकता है। भले ही सहानुभूति की कमी जैसे मूल लक्षण बने रहें।
हालांकि असामाजिक व्यक्तित्व विकार उपचार की दृष्टि से सबसे कठिन प्रकार के व्यक्तित्व विकारों में से एक है। इस विकार वाला शख्स भी इलाज के लिए अनिच्छुक हो सकता है और तब थेरेपी केवल तभी शुरू होती है, जब कोर्ट इसके लिए आदेश दे।
इस विकार वाले शख्स के लिए प्रस्तावित इलाज उनकी परिस्थितियों पर निर्भर करता है, जैसे कि उम्र, नुक़सान पनहचने का इतिहास, शराब या नशीली दवाओं का दुरुपयोग जैसी जुड़ी हुई समस्या हो।
व्यक्ति के परिवार और दोस्त अक्सर उसके इलाज और देखभाल में निर्णय लेने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। कुछ मामलों में पदार्थ के दुरुपयोग की सेवाओं और सामाजिक देखभाल सेवाओं को भी इलाज में शामिल होने की आवश्यकता होती है।
टॉकिंग थेरेपी
कॉग्निटिव व्यवहार थेरेपी(सीबीटी, CBT) का उपयोग कभी-कभी इस विकार के इलाज के लिए किया जाता है। यह एक टॉकिंग थेरेपी है, जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति की समस्या को ठीक करने में मदद करना है।
मानसिक चिकित्सा आधारित चिकित्सा(MBT) एक दूसरे प्रकार की बातचीत पर आधारित थेरेपी है, जो असामाजिक व्यक्तित्व आधारित विकार के उपचार में अधिक लोकप्रिय है। थेरेपिस्ट व्यक्ति को अपने सोचने के तरीके पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करता है कि कैसे उसकी मानसिक स्थिति उसके व्यवहार को प्रभावित करती है।
लोकतांत्रिक थेरेपैटिक समुदाय (डीटीसी)
सबूत बताते हैं कि इस विकार वाले लोगों के लिए समुदाय आधारित कार्यक्रम एक प्रभावी दीर्घकालिक उपचार पद्धति बन सकता है और यह जेलों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
डीटीसी एक प्रकार की सोशल थेरेपी है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति का जोखिम से बचाव करना है। साथ ही उसकी भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक जरूरतों की ओर ध्यान दिलाना है। यह बड़े और छोटे थेरेपी समूहों तक आधारित है और समुदायों के मुददों पर केंद्रित होती है। जहां एक ऐसा वातावरण बनाता है, जिसमें स्टाफ और जेल में बंद कैदी दोनों समुदाय के फैसलों में योगदान करते हैं। इसमें शैक्षिक और व्यवसायिक कार्यों के लिए भी मौके हो सकते हैं।
इलाज के लिए प्रस्तावित समय 18 महीने होता है, क्योंकि किसी व्यक्ति में बदलाव करने और नए स्किल को अभ्यास में लाने के लिए पर्याप्त समय की जरूरत होती है। इस प्रकार की योजना को स्वीकार करने के लिए खुद की प्रेरणा एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है। उदाहरण के लिए, व्यक्ति को एक समुदाय के हिस्से के रूप में काम करने, समूहों में भाग लेने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अधीन होने के लिए तैयार होना चाहिए।
इलाज एवं दवाएँ
इस विकार के इलाज के लिए दवा के उपयोग के समर्थन में बहुत कम साक्ष्य हैं। हालांकि एंटीसाइकोटिक(मनोविकार में प्रभावकारी) और एंटीडिप्रेसेंट(अवसादरोधी) दवाएँ कुछ मामलों में सहायक हो सकती हैं।
कार्बामाजेपाइन(Carbamazepine) और लिथियम(lithium) आक्रामकता और आवेगशील व्यवहार जैसे लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है। और एंटीडिप्रेसेंट का एक वर्ग, जिसे सलेक्टिव सेरोटिनिन रिअपटेक इनहिबिटर्स (एसएसआरआई) कहा जाता है, क्रोध और सामान्य व्यक्तित्व विकार वाले लक्षणों में सुधार कर सकता है।