गर्भावस्था के दौरान आप जितना अधिक सक्रिय और फिट रहेंगी, उतना ही आपको आपके बढ़ते वजन और बदलते शरीर के साथ तालमेल बिठाने में आसानी होगी। इससे आपको डिलीवरी के वक़्त आसानी होगी और डिलीवरी के बाद अपना वजन घटाने में मदद मिलेगी।
गर्भावस्था के दौरान आप जितना अधिक सक्रिय और फिट रहेंगी, उतना ही आपको आपके बढ़ते वजन और बदलते शरीर के साथ तालमेल बिठाने में आसानी होगी। इससे आपको डिलीवरी के वक़्त आसानी होगी और डिलीवरी के बाद अपना वजन घटाने में मदद मिलेगी।
जब तक हो सके आप अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में किए जाने वाले काम और व्यायाम(खेल -कूद,घूमना -फिरना, नाचना, योगा और बाजार जाना) करते रहें।
व्यायाम करने से आपके बच्चे को कोई खतरा नहीं है बल्कि ऐसा देखा गया है जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान ज्यादा सक्रिय रहती हैं, उन्हें डिलीवरी के वक़्त और उसके पश्चात कम परेशानियां आती हैं।
अपने आप को ज्यादा ना थकाएं। जैसे -जैसे डिलीवरी का समय नज़दीक आता जाए, वैसे- वैसे हर काम को धीरे धीरे करें। अगर कोई शंका हो तो अपने डॉक्टर से सलाह लें।
नियमानुसार व्यायाम करते समय आसानी से आप बातचीत कर पाएंगी पर बातचीत करते वक़्त आपकी सांस फूल रही हो तो हो सकता है आप ज़्यादा ही सख्ती से अभ्यास कर रही हैं।
अगर गर्भावस्था के पहले आप व्यायाम के आदि ना हों तो अचानक बहुत ज्यादा व्यायाम ना करें। अगर आप एरोबिक क्लास शुरु करते हैं (जैसे की तैरना, साइकिल चलाना, दौड़ना और एरोबिक क्लासेज) तो अपने प्रशिक्षक को अपनी गर्भावस्था के बारे में अवश्य बताएं। ध्यान रहे शुरुआत में सप्ताह में केवल तीन दिन ही व्यायाम करें और 15 मिनट से ज्यादा लगातार व्यायाम ना करें। धीरे धीरे अपनी क्षमतानुसार सप्ताह में चार दिन और लगभग 30 मिनट तक व्यायाम करने की आदत डालें।
ध्यान रहे ज्यादा सख्ती से व्यायाम करने से ही फायदा होगा , ऐसा नहीं है ।
गर्भावस्था के दौरान व्यायाम के सुझाव।
यदि आप गर्भवती हैं, तो नीचे सूचीबद्ध कसरत को अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करने का प्रयास करें। यह आपकी मांसपेशियों को मजबूत करेंगी जो गर्भावस्था के कारण बढ़े वजन को उठा सकने में मदद करेंगी। यह आपके जोड़ों को मजबूत बनाएँगे, रक्त स्त्राव बढ़ाएंगे, पीठ दर्द को कम करेंगे और आपको अच्छा महसूस करने में मदद करेंगे।
जैसे-जैसे आपका शिशु बड़ा होगा, आप महसूस करेंगी कि आपकी पीठ के निचले हिस्से के मुड़ने की सिखायत बढ़ जाता है। इससे आपको पीठ दर्द की शिकायत हो सकती है। ये कसरत पेट की मांसपेशियों को मजबूत करती है और पीठ दर्द को कम कर सकती है,जो गर्भावस्था के दौरान समस्या बन सकती है:
पैल्विक टिल्ट अभ्यास(Pelvic tilt exercise)
ये अभ्यास करने से आपका पेल्विक फ़्लोर शक्तिशाली बनेगा , जिस पर डिलीवरी के दौरान सबसे ज्यादा ज़ोर पड़ता है ।पेल्विक फ़्लोर में मांसपेशियों की बहुत सारी परतें होती है जो जांघ की हड्डियों(सामने की तरफ) से रीढ़ की हड्डियों के अंत तक एक गुच्छे में स्ट्रेचड रहते हैं।
यदि आपकी पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियाँ कमजोर हैं, तो हो सकता हैं कि आपको खांसी, छींक या खिंचाव के कारण पेशाब का रिसाव होता हो । यह एक आम बात है और इससे आपको शर्माने की ज़रुरत नहीं है । इसे स्ट्रेस इंकॉंटिनेन्स(stress incontinence) बोलते हैं और गर्भावस्था के बाद भी हो सकता है ।
आप पेल्विक फ्लोर व्यायाम करके मांसपेशियों को मजबूत कर सकते हैं। यह गर्भावस्था के बाद मूत्र तनाव असंयम(stress incontinence) को कम करने या उससे बचने में मदद करता है ।
सभी गर्भवती महिलाओं को पेल्विक फ्लोर व्यायाम करना चाहिए, भले ही आप युवा हों और तनाव असंयम (stress incontinence) से पीड़ित न हों ।
अपने गुदाद्वार(anus) को ऐसे खींच के रखें जैसे की आप मलविसर्जन को रोक रहे हों ।
साथ -साथ अपने योनि को कस लें जैसे की आप एक टैम्पून (tampon) पहने हुइ हों। अपनी पेशाब की थैली को भी कस लें जैसे की आप पेशाब को रोकना चाहते हों।
पहले ये अभ्यास जल्दी जल्दी करें, मसलन- मांसपेशियों को जल्दी जल्दी कसें और तुरंत छोड़ दे। फिर यह अभ्यास धीरे धीरे करे। मांसपेशियों को कसने के बाद जितनी देर हो सके, उन्हें उसी अवस्था में पकड़ के रखें और फिर छोड़ें, कोशिश करे 10 तक गिने और फिर छोड़ें
कोशिश करें हर दिन ऐसे तीन सेट में 8 बार वहाँ की मशपेशियों को सिकोड़ने का अभ्यास करें। याद रखने के लिए हर बार जब आप खाना खायें तब आप कर सकते हैं।
इन अभ्यासों के साथ साथ पेल्विक फ़्लोर की मांसपेशियों को ख़ासी और छींक के पहले और दौरान, सिकोड़ने का अभ्यास करें।
महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।