ईबोला वायरस रोग की शुरूआत अफ्रीका में हुई थी, और 2014-15 में कई लोग इस गम्भीर बीमारी की चपेट में आए। जून 2016 में इस बीमारी का प्रकोप आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया।
मुख्यत: 2014-15 में ईबोला का प्रकोप मुख्य रूप से पश्चिमी अफ्रीका के तीन देशों गिनी, लाइबेरिया और सिएरा लियोन में फैला। इस रोग के कुछ मामले सेंट्रल अफ्रीका के कुछ जगहों में भी पाए गए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार इस बीमारी के करीब 28,000 मामले सामने आए और करीब 11,000 मौतें भी हुईं। ये ईबोला का सबसे बड़ी प्रकोप माना जाता है।
क्या ईबोला अभी भी एक खतरा है?
अफ्रीका में ईबोला की अभी भी थोड़ी सम्भावना है क्योंकि कुछ देशों में अभी भी ईबोला के वायरस हैं।पर उन लोगों को ख़तरा काफ़ी कम है जो अफ़्रीका की यात्रा कर रहे हों।
जिन लोगों ने इससे संक्रमित लोगों का इलाज किया है, या उनके खून या शारीरिक द्रव्यों से सम्पर्क में आए हों, जैसे अस्पताल या जाँच लैबोरेटोरी के कर्मचारी और संक्रमित लोगों के परिवार के सदस्य, उन्हें इससे पीड़ित होने का खतरा ज्यादा होता है।
ईबोला के लक्षण
कोई भी व्यक्ति जिसे ईबोला वायरस संक्रमण हुआ है, उसमें निम्नलिखित लक्षण नज़र आ सकते हैं:
- बुखार
- सिरदर्द
- मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द होना
- गले में खराश
- मांसपेशियों में बहुत ज्यादा कमज़ोरी
इस बीमारी से पीड़ित होने के दूसरे दिन से इक्कीसवें दिन के बीच अचानक यह लक्षण दिखने लगते हैं।
दस्त, उल्टी होना और शरीर में, पेट में दर्द होना, किडनी एवं लीवर के फ़ंक्शन पर असर पड़ना।कुछ मामलों में अंदरूनी और बाहरी रक्तस्राव भी हो सकता है, जैसे आंख, कान, नाक एवं मुंह से।
अगर आप इससे संक्रमित हों तो क्या करें
विदेश की यात्रा के दौरान अगर आप इससे संक्रमित हो जाएं तो जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी मेडिकल सलाह लें। अपने देश में वापस आने के बाद डॉक्टर से संपर्क करें।
आपको ईबोला होने की सम्भावना काफ़ी कम है, पर हो सकता है कि आपको कोलरा(cholera) या मलेरिया(malaria) हो, इसलिए यह उचित रहेगा कि आप जल्द जांच या इलाज कराएँ।
हाल ही में आप जहां की भी यात्रा की है, उसे ज़रूर बताएँ, इससे असली समस्या को पहचानने में आसानी होगी।
कभी-कभी डॉक्टर आपको खून, पेशाब एवं मल की जांच के लिए भी कह सकते हैं, जिससे इंफेक्शन का पता चल सके।
ईबोला वायरस कैसे फैलता है
ईबोला वायरस किसी भी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के खून और शारीरिक द्रव्यों में फैलता है।
यह निम्नलिखित तरीकों से फैलता है:
- इससे संक्रमित व्यक्ति जिसके लक्षण नज़र आ रहे हीं, या हाल ही में जिस संक्रमित व्यक्ति की मौत हुई हो, उनसे सम्पर्क में आने से -यह वायरस शरीर के बाहर काफी दिनों तक रह सकता है।
- संक्रमित व्यक्ति के शरीर के द्व्यों को साफ कर ( खून,मल,मूत्र या उल्टी) या उनके गीले कपड़ों को छूकर।
- सुईयां जिन्हें किटाणु मुक्त नहीं किया गया हो , उनका का प्रयोग करने से या संक्रमिक व्यक्ति के उपचार हेतु प्रयोग किये गए मेडिकल उपकरण का प्रयोग।
- कंडोम का प्रयोग किये बिना संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थापित करना- शोध बताते हैं कि व्यक्ति के ठीक हो जाने के कई महीनों बाद भी आदमी के वीर्य में ईबोला के वायरस रह सकते हैं।
- अधपका “बुशमीट” खाना या उसका उपयोग करना।
ईबोला दैनिक सामाजिक मेलजोल से नहीं फैलता, जैसे जिन लोगों में इसके लक्षण नहीं हों उनसे हाथ मिलाने से।
ईबोला का इलाज
ईबोला के इलाज के लिए अभी कोई अधिकृत इलाज या वैक्सीन नहीं है, हालांकि इसके लिए नई दवाइयां और ड्रग थेरेपियां विकसित की जा रही हैं, और उनको परखा जा रहा है।
इस प्रकोप के फैलने पर उस जगह को तुरंत ही बंद कर देना चाहिए जिससे ये बीमारी बाक़ी जगहों पर ना फैले, और जिन लोगों में इस बीमारी के होने की पुष्टि हो चुकी है, उनका इंटेसिव केयर में इलाज करना चाहिए, अकेला रख कर।
इसमें डिहाइड्रेशन होना सामान्य है, इसलिए द्रव्य सीधे नसों में दिए जाते हैं। खून में ऑक्सीजन की मात्रा एवं ब्लड प्रेशर सही स्तर पर रखना जरूरी है और शरीर के अंगों को कारगर रहने में सहायता देना भी, क्योंकि व्यक्ति का शरीर इंफेक्शन से लड़ रहा होता है।
स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमित व्यक्तियों के शारीरिक द्रव्यों से संपर्क में नहीं आने की कोशिश करनी चाहिए और कड़ी सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे बचाव करने वाले सारी चीजें पहनना।
ईबोला वायरस कभी-कभार जानलेवा हो सकता है। जितनी जल्दी व्यक्ति का इलाज किया जाएगा , जीने की उतनी ही बेहतर संभावनाएं होंगी।
ईबोला से बचाव
पश्चिमी अफ्रीका से ईबोला वायरस का प्रकोप अब समाप्त हो चुका है। अब पूर्व प्रभावित देशों की यात्रा करने से संक्रमण के होने की संभावनयें बहुत ही कम है।
पर फिर भी अगर आप ऐसे देशों की यात्रा पर हैं, तो अच्छा होगा कि आप इन सरल उपायों को ध्यान में रखें, जिससे इससे गंभीर संक्रमण होने को होने का खतरा कम से कम हो:
- साबुन एवं पानी का उपयोग कर-अपने हाथ कई बार धोएँ, जब साबुन मौजूद न हों तो अल्कोहल रब का इस्तेमाल करें।
- यह सुनिश्चित करें कि आप फल एवं सब्जियों को सही से धोएं और उन्हें खाने से पहले अच्छी तरह छीलकर खाएं।
- जिस भी व्यक्ति में इस संक्रमण के संभावित लक्षण हैं, उससे शारीरिक संपर्क न बनाएं।
- मरे हुए जानवरों या कच्चे मांस को हाथ ना लगाएँ ।
जंगली जानवरों का मांस “बुशमीट” न खाएं।